View Full Version : हास्य कविताएँ
ravi sharma
18-10-2011, 03:22 PM
एक जगह बहुत भीड़ लगी थी
एक आदमी चिल्ला रहा था
कुछ बेचा जा रहा था
आवाज कुछ इस तरह आई
शरीर में स्फुर्ति न होने से परेशान हो भाई
थकान से टूटता है बदन
काम करने में नहीं लगता है मन
खुद से ही झुंझलाए हो
या किसी से लड़कर आए हो
तो हमारे पास है ये दवा
सभी परेशानियां कर देती है हवा
मैंने भीड़ को हटाया
सही जगह पर आया
मैंने कहा इतनी कीमती चीज
कहीं मंहगी तो नहीं है
वो बोला आपने भी ये क्या बात कही है
इतने सारे गुण सिर्फ दो रुपए में लीजिए
भाई साब दिलदार बीड़ी पीजिए
ravi sharma
18-10-2011, 03:23 PM
पिताजी ने बेटे को बुलाया पास में बिठाया,
बोले आज राज की मैं बात ये बताऊंगा।
शादी तो है बरबादी मत करवाना बेटे,
तुमको किसी तरह मैं शादी से बचाऊंगा।
बेटा मुस्कुराया बोला ठीक फरमाया डैड,
मौका मिल गया तो मैं भी फर्ज ये निभाऊंगा।
शादी मत करवाना तुम कभी जिन्दगी में,
मैं भी अपने बच्चों को यही समझाऊंगा
ravi sharma
18-10-2011, 03:23 PM
एक नए अखबार वाले सर्वे कर रहे थे
मैंने कहा मैं भी खूब अखबार लेता हूं
जागरण, भास्कर, केसरी ओ हरिभूमि
हिन्दी हो या अंगरेजी सबका सच्चा क्रेता हूं
पत्रकार बोला इतनों को कैसे पढ़ते हैं
मैंने कहा ये भी बात साफ कर देता हूं
पढ़ने का तो कोइ भी प्रश्न ही नहीं है साब
मैं कबाड़ी हूं पुराने तोलकर लेता हूं
ravi sharma
18-10-2011, 03:24 PM
एक हास्य कवि जी के पास एक नेता आया
बोला हॅंसाने की कला हमें भी सिखाइए
कवि ने कहा कि योगासन है अलग मेरा
सुबह सुबह चार घंटे आप भी लगाइए
बुद्धि तीव्र हो जाएगी नाचने लगेगा मन
सीख लीजिए ना व्यर्थ समय गवांइए
नेताजी ने कहा कविराज बतलाओ योग
कवि बोला यहां आके मुर्गा बन जाइए
ravi sharma
18-10-2011, 03:24 PM
जीवन का किसी क्षण कोई भी भरोसा नहीं
जोखिम ना आप यूं अकेले ही उठाइए
सबसे सही है राह फैलाए खड़ी है बांह
बीमा कम्पनी को इस जाल में फंसाइए
पति पत्नी से बोला फायदे का सौदा है ये
प्रिय आप भी जीवन बीमा करवाइए
पत्नी बोली करवा रखा है आपने जनाब
उससे कोई फायदा हुआ हो ता बताइए
ravi sharma
18-10-2011, 03:24 PM
उस रात मैं बहुत डर रहा था
क्योंकि मैं एक कब्रिस्तान के पास से गुजर रहा था
एक तो मौसम बदहाल था
और दूसरा गर्मी से मेरा बुरा हाल था
अचानक मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं
जब मेरी नजरें कब्र पर बैठे एक आदमी पर चढं गईं
मैंने कहा इतनी रात को यहां से कोई
भूलकर भी नहीं फटकता
यार तू कब्र पर बैठा है
तुझे डर नहीं लगता
मेरी बात सुनते ही वो ऐंठ गया
बोला इसमें डरने की क्या बात है
कब्र में गरमी लग रही थी,
इसलिए बाहर आके बैठ गया
ravi sharma
18-10-2011, 03:26 PM
कमबख्त
गम जुदाई सब साथ कर गया
अच्छे अच्छों को माफ कर गया
मैंने सोचा दिल पर रख रहा है हाथ
कमबख्त जेब साफ कर गया
ravi sharma
18-10-2011, 03:26 PM
विशेष छूट
हेयर ड्रेसर ने, विशेष छूट के शब्द, इस तरह बताए
बाल काले करवाने पर, मुंह फ्री काला करवाएं
दोहे
पढ़कर सुनकर देखकर निकला यह निष्कर्ष
योद्धा बन लड़ते रहो जीवन है संघर्ष
जग में सबके पास है अपना अपना स्वार्थ
केवल तेरा कर्म है मानव तेरे हाथ
कर्मक्षेत्र में जो डटे लिया लक्ष्य को साध
वही चखेंगे एक दिन मधुर जीत का स्वाद
रखती है प्रकृति सदा परिवर्तन से मेल
शूरवीर नित ढूंढते सदा नया इक खेल
मौन हुआ वातावरण मांग रहा हूंकार
वक्त पुकारे आज फिर हो जाओ तैयार
जागो आगे बढ़ चलो करो शक्ति संधान
केवल दृढ़ संकल्प से संभव नवनिर्माण
कुछ तो ऐसा कर चलो जिस पर हो अभिमान
इस दुनिया की भीड़ में बने अलग पहचान
ravi sharma
18-10-2011, 03:29 PM
कविता खुशबू का झोंका, कविता है रिमझिम सावन
कविता है प्रेम की खुशबू, कविता है रण में गर्जन
कविता श्वासों की गति है, कविता है दिल की धड़कन
हॅंसना रोना मुस्काना, कवितामय सबका जीवन
कविता प्रेयसी से मिलन है, कविता अधरों पर चुंबन
कविता महकाती सबको, कविता से सुरभित यह मन
कभी मेल कराती सबसे, कभी करवाती है अनबन
कण कण में बसती कविता, कवितामय सबका जीवन
कविता सूर के पद हैं, कविता तुलसी की माला
कविता है झूमती गाती, कवि बच्चन की मधुशाला
कहीं गिरधर की कुंडलियां, कहीं है दिनकर का तर्जन
गालिब और मीर बिहारी, कवितामय सबका जीवन
कविता है कभी हॅंसी तो, कभी दर्द है कभी चुभन है
बन शंखनाद जन मन में, ला देती परिवर्तन है
हैं रूप अनेकों इसके, अदभुत कविता का चिंतन
मानव समाज का दर्शन, कवितामय सबका जीवन
ravi sharma
18-10-2011, 03:30 PM
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म
इसमें प्राण बसे हैं सबके, करले मानव यह शुभ कर्म
खेतों से हरियाली खो गई, उजडे जगल सारे
देख धरा की ऐसी हालत, रोते चांद सितारे
मारे वन्य जानवर सारे, कुछ तो कर मानव तू शर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म
प्राण बसे हैं मानव तेरे, शुद्ध हवा में जल में
जीने की सुध सीखी, तूने कुदरत के आंचल में
पल में वरना बनते खाक, ये तेरे हाड मांस और चर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म
अगर प्रदूषण यूं फैलेगा, हम सब होंगे रोगी
त्यागो अपनी नादानी को, बनो न इतने भोगी
योगी होकर पुण्य कमाओ, समझो ये कुदरत का मर्म
ये है पर्यावरण हमारा, इसकी रक्षा सबका धर्म
ravi sharma
18-10-2011, 03:30 PM
कब तक नारी यूं दहेज की बली चढाई जाएगी
कब तक यूं खूनी दलदल में, धंसा रहेगा मनुज समाज
कब तक औरत को रौंदेगा, ये दहेज का कुटिल रिवाज
कब तक इस समाज में अंधी, रीत चलाई जाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढाई जाएगी
नारी पूजा, नारी करुणा, नारी ममता, नारी ज्ञान
नारी आदर्शों का बंधन, नारी रूप रंग रस खान
नारी ही आभा समाज की, नारी ही युग का अभिमान
वर्षों से वर्णित ग्रंथों में, नारी की महिमा का गान
नारी ने ही प्यार लुटाया, दिया सभी को नूतन ज्ञान
लेकिन इस दानव दहेज ने, छीना नारी का सम्मान
उसके मीठे सपनों पर ही, हर पल हुआ तुषारापात
आदर्षों पर चलती अबला, झेले कदम कदम आघात
चीखें उठती उठकर घुटती, उनका क्रंदन होता मौन
मूक बना है मानव, नारी का अस्तित्व बचाए कौन
कब तक वो यूं अबला बनकर, चीखेगी चिल्लाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढ़ाई जाएगी
इस समाज में अब लडकी का, बोझ हुआ देखो जीवन
नहीं जन्म पर खुशी मनाते, होता नहीं मृत्यु का गम
एक रीति यदि हो कुरीति, तो सब फैलें फिर अपने आप
इस दहेज से ही जन्मा है, आज भ्रूण हत्या सा पाप
वो घर आंगन को महकाती, रचती सपनों का संसार
पर निष्ठुर समाज नें उसको, दिया जन्म से पहले मार
कोई पूछो उनसे जाकर, कैसे वंश चलाएंगे
जब लडकी ही नहीं रहेंगी, बहू कहां से लाएंगे
लडकों पर बरसी हैं खुशियां, लडकी पर क्यूं हुआ विलाप
प्रेम और करुणा की मूरत, बन बैठी देखो अभिशाप
कब तक उसके अरमानों की, चिता जलाई जाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की, बली चढाई जाएगी
इस दहेज के दावनल में, झुलसे हैं कितने श्रृंगार
कितनी लाशें दफन हुई हैं, कितने उजड़े हैं संसार
स्वार्थों के खूनी दलदल हैं, नैतिकता भी लाशा बनी
पीड़ित शोषित और सिसकती, नारी टूटी स्वास बनी
धन लोलुपता सुरसा मुख सी, बढती ही जाती प्रतिक्षण
ये सचमुच ही है समाज के, आदर्षों का चीरहरण
खुलेआम लेना दहेज, ये चलन हुआ व्यापारों सा
अब विवाह का पावन मंडप, लगता है बाजारों सा
इस समाज का यह झूठा, वि”वास बदलना ही होगा
हम सब को आगे आकर, इतिहास बदलना ही होगा
कब तक अदभुत यह कुरीती, मानवता को तडपाएगी
कब तक नारी यूं दहेज की बली चढ़ाई जाएगी
ravi sharma
18-10-2011, 03:31 PM
जो सपनों को तोड़ चुके हैं -----
हम रो रोकर लिखते हैं वो यूं हंसकर पढ़ जाते हैं
जो सपनों को तोड़ चुके हैं वो सपनों में आते है
आंसूं बरसाती आंखों ने टूटे ख्वाबों को ढोया
वादों की यादों में पड़कर जाने मन कितना रोया
अब धीरे धीरे ग़ज़लों से जख्मों को सहलाते हैं
तड़पाया है हमें जगत ने उलझे हुए सवालों से
फिर भी मन को हटा न पाया उनके मधुर खयालों से
तन्हाई में ही जीना है ये दिल को समझाते हैं
दर्दों गम की दीवारों में जब से कैद हुए हैं हम
सांसों में अहसास नहीं है बीते कोई भी मौसम
अब समझा हूं लोग इश्क में क्यों पागल हो जाते हैं
ravi sharma
18-10-2011, 03:37 PM
एक है गुल्ली एक है टुल्ली
दोनों ऊधम करती हैं
कितना भी डाँटो समझाओ
नहीं किसी से डरतीं हैं
टुल्ली है चुलबुल थोड़ी सी
गुल्ली सीधी सादी है
अक्सर चाय और बिस्कुट
देती उनको दादी है
आपस में दोनों लड़ती हैं
बाल खींचतीं आपस में
उनमें समझौता करवाना
नहीं किसी के था बस में|
मम्मी ने रसगुल्ले लाकर
रखे एक कटोरी में
भरकर लाई चाकलेट वह
एक छोटी सी बोरी में|
मम्मी बोली अब तुम दोनों
कभी न लड़ना आपस में
वरना चाकलेट रसगुल्ले
कर आऊंगी वापस मैं|
रसगुल्लों की चाहत ने
बंद लड़ाई करवा दी
चाकलेट रसगुल्लों से
दोनों की मुट्ठी भरवा दी|
ravi sharma
18-10-2011, 03:39 PM
मेरे दादाजी
द्दढ़ निश्चय जीवट के हैं
दादाजी अढ़सठ के हैं।
रोज नियम से काम करें
उनके काम विकट के हैं।
नहीं किसी से हैं डरते
रहते वे बेखटके हैं।
क्रिकेट में बच्चों के संग
लेते केच झपटके हैं।
लोटा लेकर कहते हैं
आते अभी निपट के हैं।
हर दिन पैदल चलते हैं
बिना किसी खटपट के हैं।
ध्यान लगाकर कहते हैं
ईश्वर बहुत निकट के हैं।
कोई जब दर पर आता
मिलते गले लिपट के हैं।
किसी काम में देर नहीं
तुरत फुरत चटपट के हैं।
द्दढ़ निश्चय जीवट के हैं
दादाजी अढ़सठ के हैं।।
khalid
18-10-2011, 04:49 PM
बहुत बढिया बढिया हास्य कविता हैँ
ravi sharma
18-10-2011, 05:50 PM
आदरणीय बिल्लू भिया को,
इंडिया से मुंगेरीलाल सरपंच का सलाम कबूल हो... आपके देश के एक और बिल्लू भिया (बतावत रहें कि प्रेसीडेंटवा रहे) ऊ भी इस पंचायत को एक ठो कम्प्यूटर दे गये हैं । अब हमरे गाँव में थोडा-बहुत हमही पढे-लिखे हैं तो कम्प्यूटर को हम घर पर ही रख लिये हैं । ई चिट्ठी हम आपको इसलिये लिख रहे हैं कि उसमें बहुत सी खराबी हैं (लगता है खराब सा कम्प्यूटर हमें पकडा़ई दिये हैं), ढेर सारी "प्राबलम" में से कुछ नीचे लिख रहे हैं, उसका उपाय बताईये -
१. जब भी हम इंटरनेट चालू करने के लिये पासवर्ड डालते हैं तो हमेशा ******** यही लिखा आता है, जबकि हमारा पासवर्ड तो "चमेली" है... बहुत अच्छी लडकी है...।
२. जब हम shut down का बटन दबाते हैं, तो कोई बटन काम नही करता है ।
३. आपने start नाम का बटन रखा है, Stop नाम का कोई बटन नही है.... रखवाईये...
४. क्या इस कम्प्यूटर में re-scooter नाम का कोई बटन है ? आपने तो recycle बटन रखा है, जबकि हमारी सायकल तो दो महीने से खराब पडी है...
५. Run नाम के बटन दबा कर हम गाँव के बाहर तक दौड़कर आये, लेकिन कुछ नही हुआ, कृपया इसे भी चेक करवाय
ravi sharma
18-10-2011, 05:52 PM
ही में हमारे पड़ोस में एक बूढ़े सज्जन रहने को आये । काफी खुशमिजाज और जवांदिल लगते थे।
एक दिन मैंने उनसे पूछा - आप उम्र के लिहाज से काफी तन्दुरुस्त और खुश दिखते हैं । आपके सुखी जीवन का राज क्या है ?
- मैं रोज तीन पैकेट सिगरेट पीता हूं । शाम को व्हिस्की का अध्दा और बढ़िया मसालेदार खाना खाता हूं। और हां, व्यायाम तो मैं कभी नहीं करता।
- कमाल है । मैं आश्चर्य से भर गया।
मैंने फिर पूछा - वैसे आपकी उम्र क्या होगी ?
- छब्बीस साल ।
ravi sharma
18-10-2011, 05:56 PM
एक ऑफिस में दस बहुत ही आलसी कर्मचारी थे। एक दिन बॉस ने उन लोगों को सुधारने की गरज से एक प्लान सोचा।
- मेरे पास एक बहुत ही आसान काम है जिसके दोगुने पैसे मिलेंगे। तुम लोगों में जो सबसे ज्यादा आलसी होगा उसे ही यह काम दिया जाएगा। जो सबसे ज्यादा आलसी हो वह अपना हाथ उठाए ।
नौ हाथ तुरंत ऊपर उठ गए।
- तुमने हाथ क्यों नहीं उठाया ? बॉस ने दसवें आदमी से पूछा ।
- मुझसे नहीं उठाया जाता ........
ravi sharma
18-10-2011, 05:56 PM
आदत से परेसान
एक लड़के की शादी हुई ! शादी के अगले ही दिन वह रोता हुआ अपने दोस्त के घर पहुंचा ।
- क्या बात है ? रो क्यों रहे हो ? दोस्त ने पूछा ।
-यार, तुम तो जानते हो मैं कैसा आदमी था। आज सुबह जब मैं जागा तो अपनी आदत के मुताबिक मैंने अपनी पत्नी को एक सौ रुपये का नोट थमा दिया ।
अच्छा ! तो यह बात है । देखो, आखिर वह तुम्हारी पत्नी है । उसे समझाओ कि वह तुम्हारे बीते दिनों को भूल जाए और साथ ही उसे विश्वास दिलाओ कि भविष्य में तुम उसके सिवा किसी और की तरफ देखोगे भी नहीं । देखना, वह मान जाएगी यार ..... !
दोस्त ने दिलासा देते हुए कहा ।
आदमी ने गुस्से से लाल होते हुए कहा - यार, बात वह नहीं है । उसने सौ का नोट रखकर मुझे पचास रुपये वापस कर दिए ................ ।
ravi sharma
18-10-2011, 05:57 PM
चांग चगी चु
बंता मल्होत्रा की दोस्ती भारत भ्रमण पर आए एक चीनी आदमी से हो गई। एक रोज उस चीनी का एक्सीडेंट हो गया । बंता मल्होत्रा उसे देखने अस्पताल पहुंचा।
बंता जैसे ही उसके बिस्तर के पास पहुंचा चीनी ने आंखे खोलीं और पूरा जोर लगा कर बोला - चांग चिंग चू या हुआ !
बंता को कुछ समझ नहीं आया । चीनी ने एक बार फिर बड़े कष्ट से कहा - चांग चिंग चू या हुआ, इतना कहकर चीनी मर गया। बंता को बहुत दुख हुआ । उसे इस बात का बेहद दुख था कि चीनी भाषा न आने के कारण वह अपने मित्र की आखिरी बात न समझ सका। पता नहीं वह क्या कहना चाह रहा था?
बंता ने उस बात को भुलाने की बहुत कोशिश की पर भुला नहीं सका। आखिर एक दिन उस बात का मतलब जानने के लिए वह चीन रवाना हो गया। वहां जाकर एक हिंदी चीनी दुभाषिये को उसने पूरा वाकया सुनाया और पूछा - चांग चिंग चू या हुआ का क्या मतलब हुआ ।
दुभाषिए ने बंता की तरफ गौर से देखते हुए बताया - अबे स्साले ! ऑक्सीजन के पाइप से पैर हटा...!!
ravi sharma
18-10-2011, 05:58 PM
'डॉक्टर साहब, क्या आपको यकीन है कि मुझे निमोनिया ही है ? दरअसल मैंने एक मरीज के बारे में पढ़ा था कि डॉक्टर उसका निमोनिया का इलाज करते रहे और अंतत: जब वह मरा तो पता चला कि उसे टायफाइड था।''
''चिन्ता मत करो, मेरे साथ ऐसा नहीं होगा। अगर मैं किसी का निमोनिया का इलाज करूंगा तो वह निमोनिया से ही मरेगा।''
ravi sharma
18-10-2011, 05:58 PM
मरीज - ''मुझे अपनी आंखों के सामने धब्बे से दिखाई देते हैं।''
डॉक्टर - ''क्या नये चश्मे से कोई फायदा नहीं हुआ ?''
मरीज - ''हां हुआ है न, अब वो धब्बे ज्यादा साफ दिखाई देते हैं।''
ravi sharma
18-10-2011, 05:59 PM
एक अधेड़ महिला को हार्ट अटैक आया और अस्पताल ले जाया गया। जब वह ऑपरेशन टेबल पर थी, भगवान उससे मिलने आये । भगवान को देखकर उसने पूछा - ''क्या मेरा समय पूरा हो गया ?''
''नहीं '' भगवान ने कहा। ''अभी तो तुम्हें 36 साल 8 महीने 12 दिन और जीना है ।'' और भगवान गायब हो गये।
ऑपरेशन सफल रहा और महिला ठीक हो गयी। भगवान के कहे अनुसार अभी उसके पास बहुत जिन्दगी बाकी थी इसलिये उसने ठाठ से रहने का सोचा। अस्पताल से छुट्टी लेने के पहले उसने ब्यूटीशियन को बुलवाकर अपने बालों को रंगवाया तथा चेहरे को आकर्षक व कम उम्र का दिखने के जतन किये। फिर युवतियों जैसा लिबास पहनकर अस्पताल से घर जाने के लिये निकली। चूंकि भगवान ने उससे कहा था कि उसकी जिन्दगी के अभी बहुत दिन बाकी है इसलिये उसने सड़क पार करने में थोड़ी लापरवाही दिखाई और नतीजतन एक कार से जा टकराई। घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई।
भगवान के सामने पहुंचने पर उसने पूछा - ''तुमने तो कहा था मेरी जिन्दगी के अभी और 36 साल बाकी हैं फिर तुमने मुझे कार के सामने आने से क्यों नहीं बचाया ?''
''दरअसल, मैं तुम्हें पहचान ही नहीं सका।'' भगवान ने जवाब दिया।
ravi sharma
18-10-2011, 05:59 PM
पत्नी - तुम्ही तो मेरे घर की चौखट पर अपनी नाक रगड़ते हुए आए थे मुझसे सादी करने के लिए
पती - में नही गया था तुम्हार घर बल्की तुम्हार बाप ही आया था अपनी चौखट लेकर मेरी नाक पर रगड़ने !!
ravi sharma
18-10-2011, 06:00 PM
दो बहरे गाड़ी से जा रहे की पट्रोल ख़त्म हो गया दोनों बाहर निकले
पहला - लगता है पट्रोल कतम हो गया !
दूसरा - नही नही पट्रोल ख़त्म हो गया !
पहला - अछा में समझा पेट्रोल ख़त्म हो गया !
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