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View Full Version : किश्तों में खुदकुशी


Dr. Rakesh Srivastava
22-10-2011, 09:34 PM
इक आग - सी अर्से से दिल में जल रही अब तक ;
मुझको मेरी वफ़ा की सजा मिल रही अब तक .
जख्मे ज़िगर से जान रिस रही है बूँद - बूँद ;
किश्तों में ख़ुदकुशी को भोगता हूँ मैं अब तक .
सूरज मैं अपना कब का डुबा आया हूँ , तब क्यूँ ;
तू चाँद - सी , रातों में फिर भी चमकी न अब तक .
तुझ बिन सुलग रहा हूँ , तू भी जानती है , पर ;
रिश्तों में जमी बर्फ न पिघला सका अब तक .
तुझसे पुनर्मिलन का जुनूँ इस कदर जिया ;
ख़ुद से भी मुलाकात न हो पाई है अब तक .
झुक कर कमर कमान हुई , इतनी की नमाज़ ;
ख़ुद के लिए दुआ क़ुबूल ना हुई अब तक .
पहरा मेरी दुआएं तेरा करती है अब भी ;
संजीदगी बाकी है मेरे इश्क में अब तक .

रचयिता -- डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - २ , गोमती नगर , लखनऊ

Sikandar_Khan
22-10-2011, 09:43 PM
इक आग - सी अर्से से दिल में जल रही अब तक ;
मुझको मेरी वफ़ा की सजा मिल रही अब तक .
जख्मे ज़िगर से जान रिस रही है बूँद - बूँद ;
किश्तों में ख़ुदकुशी को भोगता हूँ मैं अब तक .
सूरज मैं अपना कब का डुबा आया हूँ , तब क्यूँ ;
तू चाँद - सी , रातों में फिर भी चमकी न अब तक .
तुझ बिन सुलग रहा हूँ , तू भी जानती है , पर ;
रिश्तों में जमी बर्फ न पिघला सका अब तक .
तुझसे पुनर्मिलन का जुनूँ इस कदर जिया ;
ख़ुद से भी मुलाकात न हो पाई है अब तक .
झुक कर कमर कमान हुई , इतनी की नमाज़ ;
ख़ुद के लिए दुआ क़ुबूल न हुई अब तक .
पहरा मेरी दुआएं तेरा करती है अब भी ;
संजीदगी बाकी है मेरे इश्क में अब तक .

रचयिता -- डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - २ , गोमती नगर , लखनऊ
:bravo::bravo:
राकेश जी
बहुत ही खूब है ये किश्तोँ मे खुदकुशी |
ये था संडे का ऍडवांस कॉकटेल ......

ndhebar
22-10-2011, 10:26 PM
किश्तों में ख़ुदकुशी को भोगता हूँ मैं अब तक .
रचयिता -- डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - २ , गोमती नगर , लखनऊ

भाई जी
शादी के बाद सभी यही कहते हैं
:giggle::giggle::giggle::giggle:

abhisays
22-10-2011, 10:28 PM
:fantastic:

बहुत ही बढ़िया कविता है.

तू चाँद - सी , रातों में फिर भी चमकी न अब तक .
तुझ बिन सुलग रहा हूँ , तू भी जानती है , पर ;

:bravo::bravo::bravo:

malethia
23-10-2011, 06:09 PM
काफी इंतज़ार के बाद एक बार फिर से शानदार प्रस्तुती के लिए डॉ,साहेब का धन्यवाद !
एक बार फिर से लाजवाब प्रस्तुती ............

Dr. Rakesh Srivastava
24-10-2011, 12:49 PM
सिकंदर खान जी ,
आप पढ़ते और पसंद करते हैं .
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
24-10-2011, 12:50 PM
n.dhebar जी ,
आप के नज़रिए पर भी मुझे
कोई ऐतराज नहीं है .
बहरहाल आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
24-10-2011, 12:51 PM
Abhisays जी ,
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
24-10-2011, 12:51 PM
मलेथिया जी ,
निरंतर पढ़ने और पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत धन्यवाद .

arvind
24-10-2011, 01:03 PM
डॉo साहेब की एक और बेहद अजीम रचना पढ़कर मन तृप्त हुआ।

Dr. Rakesh Srivastava
25-10-2011, 12:06 AM
अरविन्द जी ,
आपका बहुत - बहुत धन्यवाद .

Dr. Rakesh Srivastava
25-10-2011, 11:18 AM
अरविन्द जी ,
आपने पढ़ा और सराहा ,
आपका शुक्रिया .

Amar
26-10-2011, 12:48 AM
Very Nice!!

naman.a
27-10-2011, 09:48 AM
राकेश जी की एक और बेहतरीन प्रस्तुति. एक कवि में ही ये कला होती है की वो शब्द रूपी मोतियों को अपने विचारो की डोर से बाँध कर एक सुन्दर माला का रूप दे देते है और उसे लोग कविता कहते हैं .

आपका बहुत धन्यवाद राकेश जी .

Dr. Rakesh Srivastava
27-10-2011, 08:47 PM
very nice!!
अमर जी ,
शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
27-10-2011, 08:54 PM
राकेश जी की एक और बेहतरीन प्रस्तुति. एक कवि में ही ये कला होती है की वो शब्द रूपी मोतियों को अपने विचारो की डोर से बाँध कर एक सुन्दर माला का रूप दे देते है और उसे लोग कविता कहते हैं .

आपका बहुत धन्यवाद राकेश जी .
नमन जी ,
शुक्रिया .
आपने कवि और कविता की जो सरल व
सुन्दर परिभाषा दी है , उसके लिए भी धन्यवाद .