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View Full Version : आज के शिखर


Dr. Rakesh Srivastava
30-10-2011, 08:06 AM
धूप पीने को मिली , ठोकरें खाने को मिलीं ;
तब कहीं जाके हरिक ऐश ज़माने की मिली .
आज के शिखर कल उस दौर से भी गुजरे , जब ;
आसमाँ ओढ़ा था , धरती थी बिछाने को मिली .
हर बुरा दौर झेल कर वही बच पाए हैं ;
दूब - सी शक्ति जिन्हें फिर पनप आने की मिली .
रंग हों या न हों पर हौसला औ ख़्वाब जहाँ ;
उन्हें तस्वीर अपने ढंग की बनाने को मिली .
बड़े जतन के बाद फूल बनके महके जो ;
सेज तब भी उन्हें काँटों की बिछाने को मिली .
जिन्होंने ज़िन्दगी दूजों के नाम ख़र्च करी ;
शक्ल दुनियां में उन्हें अमर फ़साने की मिली .
जिन्हें आदत तो थी हर बार जीतने की मगर ;
ख़ुशी उन्हें भी दिल को हार के आने की मिली .

रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .

Sikandar_Khan
30-10-2011, 08:25 AM
धूप पीने को मिली , ठोकरें खाने को मिलीं ;
तब कहीं जा के हरिक ऐश ज़माने की मिली .इसे हर एक होना चाहिए था
आज के शिखर कल उस दौर से भी गुजरे , जब ;
आसमाँ ओढ़ा था , धरती थी बिछाने को मिली .
हर बुरा दौर झेल कर वही बच पाए हैं ;
दूब - सी शक्ति जिन्हें फिर पनप आने की मिली .
रंग हों या न हों पर हौसला औ ख़्वाब जहाँ ;
उन्हें तस्वीर अपने ढंग की बनाने को मिली .
बड़े जतन के बाद फूल बनके महके जो ;
सेज तब भी उन्हें काँटों की बिछाने को मिली .:bravo::bravo:
जिन्होंने ज़िन्दगी दूजों के नाम ख़र्च करी ;
शक्ल दुनियां में उन्हें अमर फ़साने की मिली .
जिन्हें आदत तो थी हर बार जीतने की मगर ;
ख़ुशी उन्हें भी दिल को हार के आने की मिली .


बहुत ही खूबसूरत रचना है राकेश जी
तहेदिल से दाद क़ुबूल करें ........

ndhebar
30-10-2011, 12:37 PM
हर बुरा दौर झेल कर वही बच पाए हैं ;
दूब - सी शक्ति जिन्हें फिर पनप आने की मिली .
रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .

:bravo::bravo:

एक और मास्टर स्ट्रोक

Dr. Rakesh Srivastava
30-10-2011, 01:43 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना है राकेश जी
तहेदिल से दाद क़ुबूल करें ........
सिकंदर खान जी ,
पूरे मनोयोग से पढ़ने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
30-10-2011, 01:45 PM
:bravo::bravo:

एक और मास्टर स्ट्रोक
n.dhebar जी ,
पूरे मनोयोग से पढ़ने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
30-10-2011, 01:48 PM
माननीय Abhisays जी ,

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
30-10-2011, 01:50 PM
प्रशांत जी ,

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

singhtheking
30-10-2011, 02:43 PM
एक और शानदार कविता.. :cheers:

abhisays
30-10-2011, 05:42 PM
बहुत ही अच्छी कविता है. राकेश जी. :fantastic:

Dr. Rakesh Srivastava
30-10-2011, 07:26 PM
एक और शानदार कविता.. :cheers:
Singhtheking जी ,

पढ़ने और पसन्द करने के लिए
आपका बहुत धन्यवाद .

malethia
30-10-2011, 08:14 PM
आज के शिखर कल उस दौर से भी गुजरे , जब ;
आसमाँ ओढ़ा था , धरती थी बिछाने को मिली .


रचयिता ~~डॉ .राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .
दिल को छूती एक शानदार पंक्ति..............
एक और शानदार रचना के लिए डॉ,साहेब का आभार ..........

abhisays
30-10-2011, 09:14 PM
दिल को छूती एक शानदार पंक्ति..............
एक और शानदार रचना के लिए डॉ,साहेब का आभार ..........


इस दो लाइन में सफल लोगो के संघर्ष के दिन का बहुत ही बढ़िया वर्णन हुआ है.

Dr. Rakesh Srivastava
31-10-2011, 09:26 AM
इस दो लाइन में सफल लोगो के संघर्ष के दिन का बहुत ही बढ़िया वर्णन हुआ है.
मलेथिया जी ,
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .