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View Full Version : एक अनोखी सीख


Sikandar_Khan
30-10-2011, 08:57 AM
आज आपके सामने एक कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ जो की मुझे नेट के द्वारा मिली है और मै इसे आपके साथ बांटना चाहता हूँ |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 08:59 AM
किसी बडी कंपनी मे मैनेजर की पोस्ट के लिये साक्षात्कार हो रहा था और उसमे एक ऐसा युवक भी शामिल था जिसका अकेदमीक रिकार्ड बहुत ही शानदार था , और वो कभी भी किसी भी परीक्षा मे खराब नंबर नहीं लाया था |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:01 AM
उसने अपने पहले साक्षात्कार को पास कर लिया था और अब उसका अन्तिम साक्षात्कार होना बाकी था जिसे उस कंपनी के डॉयरेक्टर ने लेना था। डॉयरेक्टर ने उसके सीवी मे देखा कि इस युवक ने अपने सेकेंडरी से लेकर पोस्ट ग्रजुएशन तक कभी भी कोई भी ऐसी परीक्षा नहीं थी जब उसने अच्छे मार्क्स नहीं हासिल किए होँ |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:04 AM
उसने उस युवक से प्रश्न किया कि क्या तुमने अपने स्कूल मे स्कॉलरशिप पायी थी ?
उसने उत्तर दिया कि नहीं.

डॉयरेक्टर ने फिर प्रश्न किया कि तुम्हारी स्कूल की फ़ीस क्या तुम्हारे पिता ने दी है ? युवक ने उत्तर दिया कि मेरे पिता क देहान्त उस समय हो गया था जब मै केवल 1 वर्ष का ही था, मेरी माँ ने मेरी आज तक की फ़ीस भरी है, डॉयरेक्टर ने उस से प्रश्न किया कि तुम्हारी माता जी क्या करती है? उसने बताया कि वो कपडे धोने क काम करतीं हैं |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:06 AM
डॉयरेक्टर ने उस युवक से उसका हाथ दिखाने के लिये कहा जब उसने अपना हाथ दिखाया तो उसका हाथ बडा ही चिकना और बिना किसी चोट या खरोंच के था, डॉयरेक्टर ने उस युवक से प्रश्न किया कि क्या उसने कभी अपनी माँ की सहायता कपडे धोने मे की है? उसने कहा कि उसकी माँ उसे ऐसा कभी करने नहीं देती बल्कि वो चाहती है कि वो अपना सारा समय पढ़ाई मे लगाऊँ ताकि अच्छे मार्क्स ला सकूँ और इसके अतिरिक्त उसकी माँ उस से अधिक तेज कपडे धोती है |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:08 AM
डॉयरेक्टर ने उस युवक से कहा कि मेरी तुमसे एक प्रार्थना है कि तुम जाकर आज अपनी माँ के हाथों को धो और कल मुझ से आकर मिलो |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:14 AM
युवक जब अपने घर गया और अपनी माँ से कहा कि के उसे आज अपना हाथ धोने दे, माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ पर उसने इन्कार नहीं किया|वो युवक अपनी माँ के हाथ धीरे धीरे धोने लगा, ये देख कर के उसके माँ के हाथ कितने झुर्रिओ भरे और कटे फटे हैं, उन्मे कितने घाव है युवक के आँखों से आंसू निकल पडे, उसने आज तक इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था कि उसकी माँ उसके लिये क्या क्या कष्ट उठाती है, उन घावो मे कुछ घाव तो ऐसे थे कि जब वो उन्हे धो रहा था तो माँ कि कराह निकल पड़ी थी , जिन्हे देख और सुन कर युवक के आंसू नही थम रहे थे |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:17 AM
उस समय पहली बार युवक ने महसूस किया कि ये वो हाथ है जिन्होंने उसकी पढ़ाई के लिये सारा दिन मेहनत कि है और कपडे धो धो कर आज तक उसे हर परीक्षा मे पास करवाया है, आज उसके पास जो डिग्री है इन्ही हाथोँ के कारण है |अपनी माँ के हाथों को धोने के बाद युवक ने जो कपडे धोने के लिए रखे थे उन्हे धोए | उस रात माँ बेटे बहुत देर तक ढेर सारी बातें करते रहे |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:19 AM
दूसरे दिन युवक डॉयरेक्टर के पास पहुचा। डॉयरेक्टर ने उस से प्रश्न किया कि उसने कल घर जा कर क्या महसूस किया ...?

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:23 AM
युवक ने कहा कि पहली बार मैने ये सीखा कि किसी कि सराहना क्या होती है, अपनी माँ के बिना आज मै इतना सफ़ल् नहीं होता, उसके अतिरिक्त अपनी माँ के साथ काम करके मैने जाना कि किसी काम को करना कितना कठिन होता है, मैने ये भी जाना कि पारिवारिक संबन्ध क महत्व क्या होता है।

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:26 AM
डॉयरेक्टर ने उस से कहा कि मै अपने मैनेजर मे यही गुण चाहता था, मै एक ऐसे मैनेजर को चाहता था जो दूसरो के काम कि भी सराहना कर सके,जो दूसरों के पीडा को समझ सके और जो केवल पैसोँ को ही सब कुछ न समझे | आज से तुम हमारी कंपनी मे नियुक्त किये जाते हो |

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:29 AM
इस कहानी का मर्म ये है कि अगर किसी बच्चे को बहुत अधिक सुरक्षित रख जाये और उसे सब कुछ प्रदान किया जाये तो उसके अन्दर आत्म विश्वास कि कमी रहेगी और साथ मे उसके अन्दर इस प्रकार कि भावना पैदा हो जायेगी वो हर वस्तु जो वो चाहे, उसका पात्र है, उसे अपने माता पिता कि प्रयासो का कोई अनुभव नहीं होगा , वो सदा ऐसा चाहेगा कि लोग केवल उसे सुने और उसकी माने। वो कभी दूसरों कि भाव्नाओ का , उनकी पीडा का महत्व नहीं समझेगा , ऐसा बच्चा आगे चल कर पढने लिखने मे तो बहुत तेज हो सकता है लेकिन जीवन मे उसमे कभी उपलब्धि कि भावना नहीं रहेगी, अगर हम इस तरह के माता पिता है तो हम अपने बच्चों को लाभ नहीं बल्कि नुकसान ही पहुंचा रहे हैं।

Sikandar_Khan
30-10-2011, 09:35 AM
हम अपने बच्चो को बडा घर दे सकते हैं, उन्हे खाने पीने के लिये अच्छे से अच्छा खाना दे सकते हैं उनके हर तरह कि इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं लेकिन हमे साथ मे ये भी देखना होगा कि वो खाने के बाद अपनी प्लेट खुद धोये, इस लिए नहीं कि घर मे पैसे कि कमी है बल्कि इस लिये के उसको पता हो कि काम करते कैसे हैं, उसको खुद निर्णय लेने का मौका दे ताकि जीवन मे उसे खुद से किसी भी परिस्थिति मे निर्णय लेने मे सक्षम हो ।, आपके पास कितना भी धन क्यों न हो उसे कठिन परिश्रम का महत्व पता होना चाहिये, और सब से बढ़ कर उसे पता हो कि जीवन मे हर काम अकेले संभव नहीं है, उसे जीवन मे दूसरो के परिश्रम, भावनाओं का भी एहसास होना चाहिये,

अब ये आप पर हैं कि आप अपने बच्चों को क्या बनाना चाहते है,?

MissK
30-10-2011, 11:10 PM
बहुत ही हृदयस्पर्शी और सच में अनोखी सीख वाली कहानी है. फोरम पे शेयर करने के लिए आपका शुक्रिया...

Sikandar_Khan
31-10-2011, 10:41 AM
बहुत ही हृदयस्पर्शी और सच में अनोखी सीख वाली कहानी है. फोरम पे शेयर करने के लिए आपका शुक्रिया...

हौसलाअफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया मोहतरमा काम्या जी |

nitin
08-12-2011, 11:27 AM
thanks dear.....