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View Full Version : बाल कविता ~ मदारी का खेल


Dr. Rakesh Srivastava
14-11-2011, 08:07 AM
रामू , सलमा , जस्सी ,विक्टर , भूल जाओ सब गम ;:elephant:
आओ दोस्तों तुम्हें सुनाएँ बात मजे की हम .

एक बार की बात , मदारी निकला इक बन - ठन ;:banalema:
साज - धाज में उसकी बन्दरिया नहीं थी उससे कम .

मदारी ने डमरू बजाया , डम -डम -डम -डम -डम ;:crazyeyes:
बन्दरिया ने खींस निपोरी , खी -खी -खी -खी -खी .

मदारी ने छड़ी को पटका , पट -पट -पट -पट -पट ;:kissing:
डर के बन्दरिया लगी नाचने , छम -छम -छम -छम -छम .

दर्शक बच्चे हँसे जोर से , हा -हा -हा -हा -हा ;:horse:
और मस्त हो पैसे फेंके , खन -खन -खन -खन -खन .
:gm:
रचयिता~~~डॉ. राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड-२,गोमती नगर,लखनऊ. :bye:

malethia
14-11-2011, 09:40 PM
डॉ,साहेब आपकी रचना के कारण ये फोरम अब पूर्णतया पारिवारिक हो गया है,
अब बडो के साथ साथ बच्चे भी आपकी बाल रचना पढ़ कर खुश होंगे !
फोरम को एक नई उर्जा देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

Dr. Rakesh Srivastava
15-11-2011, 02:13 PM
डॉ,साहेब आपकी रचना के कारण ये फोरम अब पूर्णतया पारिवारिक हो गया है,
अब बडो के साथ साथ बच्चे भी आपकी बाल रचना पढ़ कर खुश होंगे !
फोरम को एक नई उर्जा देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
महोदय ,
आपकी सोच आपका बड़प्पन है .
आपका बहुत धन्यवाद .

Dr. Rakesh Srivastava
15-11-2011, 02:49 PM
सर्वश्री abhisays ji , arvind ji और n.dhebar ji ,
बाल दिवस पर विशेष रूप से लिखी गयी इस बाल कविता को
आप लोगों ने सराहा , इस हेतु आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया .

abhisays
16-11-2011, 07:17 AM
वास्तव में इस कविता में मुझे अपने बचपन में वापिस भेज दिया.. :fantastic::fantastic:

Dr. Rakesh Srivastava
16-11-2011, 10:49 PM
वास्तव में इस कविता में मुझे अपने बचपन में वापिस भेज दिया.. :fantastic::fantastic:

माननीय Abhisays जी ,
आपने सदा पढ़ा और पसन्द किया , आपका शुक्रिया .
आपको ये जानकार निश्चित ही ख़ुशी होगी कि
आपके इस सदस्य साथी की इस रचना के साथ - साथ
अन्य रचना 'मन के औज़ार' तथा 'एक दिवाली
ऐसी हो' की प्रशंसा उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी
अवार्ड ( सन १९९४ ) से सम्मानित मशहूर शायर
काज़िम 'जरवली' जी ने भी एक अन्य फोरम पर
की है .
बावजूद इसके , मेरे लिए आपका अब तक का उत्कृष्ट
योगदान अमूल्य और अविस्मर्णीय है .

Dr. Rakesh Srivastava
17-11-2011, 09:52 AM
सिकंदर खान जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
14-11-2012, 04:09 AM
मित्र मनीष कुमार जी ; कविता पढ़ने व पसंद करने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ .

rajnish manga
17-11-2012, 03:32 PM
डॉ. श्रीवास्तव जी, बाल गीत लिखना बड़े जीवट का काम है यही वजह है कि अपने यहाँ स्तरीय बाल साहित्य बहुत कम लिखा जा रहा है. आपकी कविता में अलग अलग आवाजों का प्रयोग बहुत बढ़िया हुआ है. यूँ लगता है जैसे ये आवाजें सुनाई दे रहीं हों. आश्चर्य नहीं कि इसे उद्भट विद्वानों द्वारा सराहा गया है.