View Full Version : रोचक समाचार
aspundir
09-10-2013, 09:13 PM
मोदी को PM बनाने के लिए एक शख्स कर रहा अनूठा तप
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आजमगढ़/वाराणसी. नवरात्रों में पूरा देश देवी की अराधना और उनको प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ और तप कर रहा है। शक्ति की देवी दुर्गा सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें जरुर पूरी करती हैं।
नवरात्रों में विशेष मकसद के लिए माता का अति विशेष अनुष्ठान किया जाता है। बस्ती भुजवल गांव में एक अनोखे भक्त ने भी इन नवरात्रों में मां का अद्भुत संकल्प उठाया है।
नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े समर्थक कमलेश चौबे ने उनके प्रधानमंत्री बनने की कामना को लेकर अनूठा तप शुरु किया है। उन्होंने नवरात्र के कलश को नौ दिनों के लिए अपने सीने पर स्थापित कर लिया है। बकायदा पंडाल बनाकर कर चौबीस घंटे मां की पूजा भी की जा रही है।
aspundir
12-10-2013, 02:52 PM
रावण के इस मंदिर में प्रवेश पर गुजरना होता है एक अजीब शर्त से
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इंदौर। शहर में एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर भगवान राम और हनुमानजी के साथ रावण, कुंभकरण और मेघनाथ की भी पूजा होती है। यहां प्रवेश सशर्त है। प्रवेश से पहले आपको 108 बार राम नाम लिखने की शर्त स्वीकार करनी पड़ती है। अपने तरह का यह अनोखा मंदिर वैभवनगर में है। बंगाली चौराहे से बायपास की ओर जाते समय बायीं ओर वैभव नगर में पड़ता है। यहां भगवानों के साथ साथ रामायण और महाभारतकालीन राक्षसों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। राम का निराला धाम नामक इस मंदिर में भगवान के साथ राक्षसों को भी फूल चढ़ाए जाते हैं।
aspundir
12-10-2013, 02:53 PM
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रामचरित मानस का हर पात्र पूजनीय, इसलिए यहां है राक्षसों की मूर्तियां : मंदिर के संस्थापक, संचालक और पुजारी का कहना है कि रामचरित मानस का हर पात्र पूजनीय है इसीलिए यहां भगवानों के साथ राक्षसों की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। इस मंदिर की स्थापना 1990 में की गई थी और अब भी काम चल रहा है। वे कहते हैं कि जिसे हमने कभी देखा नहीं उसकी बुराई करने का हमें कोई अधिकार नहीं है। महा पंडित और ज्ञानी होने के नाते रावण हमेशा पूजनीय रहेगा।
aspundir
12-10-2013, 02:53 PM
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108 बार राम नाम लिखने की शर्त पर ही प्रवेश : इस मंदिर में आपको तभी प्रवेश मिलेगा जब आप 108 बार राम नाम लिखने की शर्त मान लें। एक बार प्रवेश करने के बाद अगर आपने राम नाम नहीं लिखा तो आपको पंडित के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। मंदिर के मुख्यद्वार सहित पूरे परिसर में प्रवेश संबंधी शर्त के चेतावनी बोर्ड बड़े-बड़े अक्षरों में लगे हुए हैं। आप नेता हों या अभिनेता या सामान्य इंसान किसी को भी इस नियम से छूट नहीं है। राम नाम लिखने के लिए एक निर्धारित फार्मेट है, जिसमें लाल रंग वाले पेन से श्रीराम नाम लिखना होता है। पुजारी खुद भी हनुमान जी की प्रतिमा के सामने बैठकर ज्यादातर समय रामचरित मानस का पाठ करते रहते हैं।
aspundir
12-10-2013, 02:54 PM
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इनकी होती है पूजा : मंदिर में मुख्य रूप से भगवान राम की पूजा होती है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का पीतल का शिवलिंग है। मुख्य द्वार से दांयीं ओर बने मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा है जिसके पास ही यहां के पुजारी बैठकर रामचरित मानस का पाठ करते हैं। बांयी ओर हनुमानजी की विशाल प्रतिमा है। इस प्रतिमा के बांयी ओर शनि मंदिर है और सीधा जाकर दांयीं ओर खुले परिसर में शिवजी की अर्ध नारीश्वर प्रतिमा है जिसके ठीक सामने दशानन रावण और पीछे की ओर शयन मुद्रा में कुंभकर्ण की प्रतिमा स्थापित है। इसी परिसर में विभीषण, मेघनाथ और मंदोदरी की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। पास के मंदिर में कैकेयी, मंथरा, शूर्पणखा इत्यादि की प्रतिमाएं हैं।
aspundir
12-10-2013, 02:54 PM
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3 जुलाई 1990 से शुरू हुआ था निर्माण : अपने आपको राम की भक्ति में समर्पित करने वाले यहां के पुजारी ने 22 साल पहले 3 जुलाई 1990 को मंदिर निर्माण की नींव रखी थी। तब से निरंतर यहां का निर्माण जारी है। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि यहां निर्माण के लिए न तो किसी आर्किटेक्ट का सहारा लिया गया न ही किसी इंजीनियर का, इसके बावजूद मंदिर इतना शानदार बना है कि कोई भी इसे देखकर आश्चर्य में पड़ सकता है। पुजारी का कहना है कि इसके पीछे कोई अज्ञात शक्ति हैं जो उन्हें आदेश देती रहती है और निर्माण होता जाता है।
aspundir
12-10-2013, 02:54 PM
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लंका की तर्ज पर गुंबज : लंका में विभीषण के निवास स्थान पर बनी गुंबज में अंदर-बाहर सब जगह राम नाम लिखा हुआ था। इसी की तर्ज पर यहां बी एक गुंबज बनाई गई है, जिसमें ऊपर नीचे अंदर-बाहर हर तरफ राम नाम लिखा है। इसके अलावा कई छोटे मंदिर भी बनाए गए हैं। इनकी गुंबज पर भी हर ओर राम नाम लिखा हुआ है।
aspundir
12-10-2013, 02:55 PM
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aspundir
12-10-2013, 02:55 PM
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चढ़ावा चढ़ाना है सख्त मना : इस मंदिर में किसी तरह का चढ़ावा या प्रसाद लाने पर मनाही है। यहां न तो एक भी दानपेटी है न ही किसी को भगवान की अगरबत्ती लगाने या जल व प्रसाद चढ़ाने की अनुमति। यहां के पुजारी के मुताबिक जिनकी कोई मनोकामना है वे यहां आकर बस 108 बार राम नाम लिखें इतना काफी है।
aspundir
12-10-2013, 02:56 PM
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हर पात्र है पूजनीय : रामचरित मानस का हर पात्र पूजनीय है। इसका एक भी पात्र निंदनीय नहीं है। भले ही वह रावण हो क्यों न हो। रावण एक महा पंडित था इसलिए पंडित होने के नाते उसकी भी पूजा की जानी चाहिए। यहां रामचरित मानस के हर पात्र की मूर्तियां सिर्फ इसीलिए बनाई गई है।
aspundir
12-10-2013, 02:56 PM
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aspundir
12-10-2013, 02:56 PM
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aspundir
12-10-2013, 02:56 PM
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aspundir
12-10-2013, 02:57 PM
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aspundir
12-10-2013, 02:57 PM
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Dr.Shree Vijay
12-10-2013, 09:01 PM
ज्ञानवर्धक जानकारी ............
कभी इन्दोर जाना हुआ तो अवश्य दर्शन करके आएँगे..................
पुंडीर आपका हार्दिक आभार...............
aspundir
15-04-2014, 09:54 PM
स्त्री रूप में पूजे जाते हैं हनुमान!
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रायपुर। पुराणों के अनुसार हनुमान महाबल शाली भगवान हैं, उन्होंने विवाह नहीं किया और आजीवन श्री राम की सेवा में लगे रहे। उन्हें राम का परम भक्त कहा जाता है। पर छत्तीसगढ़ के रतनपुर में हनुमान का एक ऐसा मंदिर है जहां नारी रुप में हनुमान की मूर्ति विराजित है। यह मंदिर आश्चर्य के साथ-साथ लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। हनुमान जयंती पर भास्कर डॉट कॉम की इस खास प्रस्तुति में पढ़िए स्त्री रुपी हनुमान के बारे में।
रतनपुर स्थित गिरिजाबंध हनुमान मंदिर दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां हनुमान के नारी स्वरुप की पूजा होती है। हनुमान ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया था, ऐसे में उनकी स्त्री रुपी प्रतिमा का होना अपने आप में एक आश्चर्य है। यह प्रतिमा लगभग दस हज़ार साल पुरानी है और यहां के लोगों की मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस प्रतिमा को पूजता है उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है।
aspundir
15-04-2014, 09:58 PM
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आस पास के लोग बताते हैं कि प्राचीन काल में पृथ्वी देवजू नाम के राजा रतनपुर में राज करते थे, वे हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे। एक बार राजा को कुष्ठ रोग हो गया, बहुत से वैद्य-हकीम आये, राजा को ठीक करने की कोशिश की पर किसी के इलाज का कोई असर महाराज की सेहत पर नहीं हुआ।
राजा अपने जीवन की उम्मीद छोड़ चुके थे, हताश-निराश राजा को लग रहा था कि अब बचना संभव नहीं है। तभी एक दिन हनुमान जी ने उनको स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर बनवाने के लिए कहा। राजा ने अपने आराध्य के आदेश का पालन करते हुए तुरंत मंदिर निर्माण का काम शुरू करवाया। जब मंदिर का निर्माण पूरा हो गया तब राजा अपने प्रभु की अगली आज्ञा की प्रतीक्षा करने लगे। इस निर्माण और प्रतीक्षा के दौरान आश्चर्य जनक रूप से राजा के स्वस्थ्य में सुधार होने लगा।
aspundir
15-04-2014, 09:58 PM
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कुंड से निकली हनुमान की स्त्रीरुपी प्रतिमा
मंदिर निर्माण के कुछ दिनों बाद हनुमान राजा के सपने में फिर आये और कहा कि महामाया कुंड में उनकी प्रतिमा है, उसे वहां से निकालकर मंदिर में स्थापित कर दिया जाए। जब कुंड से मूर्ति निकाली गई तो हनुमान का रूप देख सभी आश्चर्य में पड़ गए। बजरंगबली का ऐसा रूप किसी ने कभी नहीं देखा था। फिर भगवान की आज्ञा का पालन करते हुए उस प्रतिमा को मंदिर में पूरे विधि विधान के साथ स्थापित कर दिया गया।
aspundir
15-04-2014, 09:59 PM
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क्या है खासियत इस प्रतिमा की
हनुमान जी की यह प्रतिमा दक्षिणमुखी है। इस प्रतिमा के बायें कंधे पर श्री राम और दायें पर लक्ष्मण जी विराजमान हैं। हनुमान जी के पैरों के नीचे दो राक्षस हैं। कहा जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना के बाद राजा ने सबसे पहले स्वयं को कुष्ठ रॊग से मुक्ति दिलाने और यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना की। इसके बाद राजा तुरंत रोग मुक्त हो गया और राजा की दूसरी इच्छा को पूरी करने के लिए हनुमान सालों से लोगों की मनोकामना पूरी करते आ रहे हैं।
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