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View Full Version : क्यों संगसार करने लगी


Dr. Rakesh Srivastava
20-11-2011, 09:01 AM
क्यों मेरा ऐतबार शर्म सार करने लगी ;
खुद अपने प्यार को तू तार - तार करने लगी .

हौले - हौले से कलेजे में एक नश्तर - सा ;
अजब अदा से मेरे आर - पार करने लगी .

कभी मिलने के लिए बेकरार रहती थी ;
अब तो मिलने के लिए बेकरार करने लगी .

बदले - बदले से नज़र आते हैं रंग - ढंग तेरे ;
क्या किसी और जगह नज़रें चार करने लगी .

तेरी महफ़िल को ज़माने में मै भी जूझा हूँ ;
रंग में आते ही क्यों दर किनार करने लगी .

इतने दिन गेसुओं के साए में बिठा करके ;
अब यकायक मुझे क्यों संगसार करने लगी .

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2 , गोमती नगर , लखनऊ .

Sikandar_Khan
20-11-2011, 03:25 PM
क्यों मेरा ऐतबार शर्म सार करने लगी ;
खुद अपने प्यार को तू तार - तार करने लगी .

हौले - हौले से कलेजे में एक नश्तर - सा ;
अजब अदा से मेरे आर - पार करने लगी

कभी मिलने के लिए बेकरार रहती थी ;
अब तो मिलने के लिए बेकरार करने लगी .

बदले - बदले से नज़र आते हैं रंग - ढंग तेरे ;
क्या किसी और जगह नज़रें चार करने लगी .

तेरी महफ़िल को ज़माने में मै भी जूझा हूँ ;
रंग में आते ही क्यों दर किनार करने लगी .

इतने दिन गेसुओं के साए में बिठा करके ;
अब यकायक मुझे क्यों संगसार करने लगी .
:bravo::bravo:
राकेश जी
आपने बहुत खूब दर्द का बयान किया है |

abhisays
20-11-2011, 04:22 PM
बहुत बढ़िया...

:bravo::bravo:

aspundir
21-11-2011, 12:17 AM
मैं अपने ही साये घबराके कुछ यूँ बोला,
ये ज़िन्दगी है, जालिम क्यूँ बेज़ार लगने लगी ?

राकेश जी, बहुत-बहुत धन्यवाद ।

Dr. Rakesh Srivastava
21-11-2011, 08:52 PM
:bravo::bravo:
राकेश जी
आपने बहुत खूब दर्द का बयान किया है |

माननीय सिकंदर खान जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
21-11-2011, 08:56 PM
बहुत बढ़िया...

:bravo::bravo:

माननीय Abhisays जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
21-11-2011, 08:58 PM
मैं अपने ही साये घबराके कुछ यूँ बोला,
ये ज़िन्दगी है, जालिम क्यूँ बेज़ार लगने लगी ?

राकेश जी, बहुत-बहुत धन्यवाद ।

माननीय aspundir जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
21-11-2011, 09:06 PM
Dark saint Alaick जी एवं bhoomi जी ,
आप लोगों ने पढ़ा , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
22-11-2011, 09:30 PM
माननीय अरविन्द जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
23-11-2011, 12:04 PM
रणवीर जी ,
आपने पढ़ा , आपका शुक्रिया .