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View Full Version : यकीन मानिये


Dr. Rakesh Srivastava
11-12-2011, 07:41 AM
अगर हम तेरे ज़हर से उबर गये होते ;
यकीन मानिये , हम कब के मर गये होते .

सियाही मेरे कलम की भी चुक गयी होती ;
आपसे मिले ज़ख्म अगर भर गये होते .

तेरी चाहत का सफ़र कब का छोड़ देते हम ;
अगर हम पाँव के छालों से डर गए होते .

ज़िन्दगी इतने रंग हमको न दिखाती ; गर तुम
हमीं से शुरू हो , हम पर ठहर गए होते .

मेरे अश्कों के नमक से पसीज उठती तू ;
अगर बादल तेरे घर से गुज़र गए होते .

चोट पे चोट , छुपे वार की ज़हमत क्यों की ;
तुम महज़ प्यार से कहते तो मर गए होते .

आखिरी साँस तेरी बाहों में होती जो नसीब ;
किसी तीरथ का गुमाँ ले के तर गए होते .

रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .

Sikandar_Khan
11-12-2011, 08:41 AM
अगर हम तेरे ज़हर से उबर गये होते ;
यकीन मानिये , हम कब के मर गये होते .

सियाही मेरे कलम की भी चुक गयी होती ;
आपसे मिले ज़ख्म अगर भर गये होते .

तेरी चाहत का सफ़र कब का छोड़ देते हम ;
अगर हम पाँव के छालों से डर गए होते :fantastic:

ज़िन्दगी इतने रंग हमको न दिखाती ; गर तुम
हमीं से शुरू हो , हम पर ठहर गए होते .

मेरे अश्कों के नमक से पसीज उठती तू ;
अगर बादल तेरे घर से गुज़र गए होते .

चोट पे चोट , छुपे वार की ज़हमत क्यों की ;
तुम महज़ प्यार से कहते तो मर गए होते .

आखिरी साँस तेरी बाहों में होती जो नसीब ;
किसी तीरथ का गुमाँ ले के तर गए होते .


बहुत खूब राकेश जी एक आशिक के दर्द का हाल बयान किया |

abhisays
11-12-2011, 08:46 AM
बहुत बढ़िया राकेश जी. :cheers:

Dr. Rakesh Srivastava
12-12-2011, 09:30 PM
बहुत बढ़िया राकेश जी. :cheers:


आदरणीय abhisays जी ,
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
12-12-2011, 09:33 PM
बहुत खूब राकेश जी एक आशिक के दर्द का हाल बयान किया |

सम्माननीय सिकंदर जी ,
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
12-12-2011, 09:35 PM
सम्माननीय naman.a जी ,
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dark Saint Alaick
12-12-2011, 09:55 PM
अगर हम तेरे ज़हर से उबर गये होते ;
यकीन मानिये, हम कब के मर गये होते.

चोट पे चोट, छुपे वार की ज़हमत क्यों की;
तुम महज़ प्यार से कहते तो मर गए होते.


रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड -2,गोमती नगर ,लखनऊ .


माशाअल्लाह, बहुत ही उम्दा पंक्तियां हैं कविवर ! मेरी ओर से इस श्रेष्ठ सृजन पर मुबारक क़ुबूल फरमाएं ! आपकी यह सृजन-यात्रा निरंतर रहे, ऎसी दुआएं हैं ! आभार !

Dr. Rakesh Srivastava
13-12-2011, 12:53 PM
माशाअल्लाह, बहुत ही उम्दा पंक्तियां हैं कविवर ! मेरी ओर से इस श्रेष्ठ सृजन पर मुबारक क़ुबूल फरमाएं ! आपकी यह सृजन-यात्रा निरंतर रहे, ऎसी दुआएं हैं ! आभार !

महोदय ,
पढ़ने व पसन्द करने के लिये
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
13-12-2011, 09:54 PM
माननीय मलेथिया जी ,
पढ़ने व पसंद करने हेतु
आपका शुक्रिया .