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View Full Version : गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण


abhisays
11-12-2011, 08:51 AM
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

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abhisays
11-12-2011, 08:52 AM
सादा जीवन, उच्च विचार:

उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो.
जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं.

और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.

abhisays
11-12-2011, 08:52 AM
दयालु प्रवृत्ति:


ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी.
अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.

abhisays
11-12-2011, 08:53 AM
नृत्य-संगीत का शौकीन:


'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है.
अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.

abhisays
11-12-2011, 08:53 AM
अनुशासनप्रिय नायक:


जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.

abhisays
11-12-2011, 08:54 AM
हास्य-रस का प्रेमी:


उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' था.

abhisays
11-12-2011, 08:54 AM
नारी के प्रति सम्मान:


बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.

abhisays
11-12-2011, 08:56 AM
भिक्षुक जीवन:


उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.

abhisays
11-12-2011, 08:57 AM
सामाजिक कार्य:


डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं.

सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.

abhisays
11-12-2011, 08:58 AM
महानायकों का निर्माता:


अगर गब्बर नहीं होता तो जय और वीरू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.

bhoomi ji
11-12-2011, 09:00 AM
अति सुनदर चरित्र चित्रण..............आज के साहित्यकार भी झक मारेंगे इस चित्रण के सामने

abhisays
11-12-2011, 09:02 AM
अति सुनदर चरित्र चित्रण..............आज के साहित्यकार भी झक मारेंगे इस चित्रण के सामने


भूमि जी, यह आज के किसी अनाम लेखक ने किया है.

Sikandar_Khan
11-12-2011, 12:27 PM
भूमि जी, यह आज के किसी अनाम लेखक ने किया है.

जो भी है लाजवाब चरित्र चित्रण किया गया है |:fantastic: