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View Full Version : मौलिक शायरी


sombirnaamdev
10-01-2012, 07:04 PM
दोस्तों इस सूत्र में मैं अपनी मौलिक सायरी पोस्ट कर रहा हूँ
उम्मीद है आपको पसंद आएगी


दिल की तनहाइयों में हम उनको ढूंढते रहते हैं .
दूर होकर भी जालिम आँखों के सामने घुमते रहते हैं


सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
10-01-2012, 07:05 PM
बहकी बहकी सी जो हवा चली जो
टीस सी इक दिल में उठी है ,
लगता है जैसी इक दीवाने
की अर्थी उठी है,


सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
10-01-2012, 07:09 PM
सोडा व्हिस्सकी या रम भर दे .
साकी आज पमाने सारे गम भर दे

ndhebar
10-01-2012, 07:32 PM
काफी अच्छा प्रयास है
जारी रखें

jokesstar
10-01-2012, 11:01 PM
कैसे अजीब लोग बस्ते हैं तेरे शहर मैं,
शोक ए मोहब्त भी रखते हैं और एतबार भी नहीं करते”



अपनी आंखों के समंदर में उतर जाने दे
तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे
ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको
सोचता हूँ कि कहूँ तुझसे, मगर जाने दे

sombirnaamdev
11-01-2012, 03:10 PM
ले तो आये तो थे हम तूफानों से कश्ती निकल कर मगर
किनारों ने धोखा दे दिया ,

दुश्मनों में ताकत नहीं थी हमें मरने की
उन्हें तो अपनों ने मौका दे दिया

सोमबीर सिंह सरोया ,

sombirnaamdev
11-01-2012, 03:17 PM
गैरों के हाथों कतल हजारों बार हुए लेकिन उसका हमें कोई दुःख नहीं
ख़ुशी इस बात की है की अपने भी मुझे बरबाद करने लगे हैं
उन्ही के हाथो मौत की नींद में हम आज सो गए
जिनके लिए रात दिन जगे है

सोमबीर सिंह सरोया ,

naman.a
11-01-2012, 05:01 PM
क्या बात हैं अति सुन्दर . जारी रखे .

sombirnaamdev
11-01-2012, 09:46 PM
आँखों में आज फिर नमी सी है
जिन्दगी में कुछ कमी सी है , ,
धड़कन हैं रुकी रुकी
सांसे भी थमी सी है ,,
जिन्दगी है डरी डरी सी
मौत भी सहमी सी है
आँखों में आज फिर नमी सी है
जिन्दगी में कुछ कमी सी है ,
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
15-01-2012, 11:48 AM
वो कौन सी घडी वैरी थी जब हम हुए थे जुदा यारों ,
जग भी दुसमन हो गया न अपना रहा खुदा यारो .

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
15-01-2012, 11:54 AM
तेरा दर्द दिल में बसा कर जिन्दगी बिताएंगे
यादों को सीने से लगाकर दिल के जख्मों को भुलायेंगे
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
15-01-2012, 12:16 PM
मन चाहे खुश हो या दुखी कुछ कहता ज़रूर है.दुःख बाँटने से कम होता है और सुख बाँटने से बढ़ता है तो क्यों ना मन की बात आपसे बांटू ......

sombirnaamdev
15-01-2012, 01:12 PM
दिल जालों का क्या
जहाँ रात पड़े वहां सो जाइये
रिश्दे हुए जख्मों
पे तू ही बता क्या लाइए
सोमबीर सिंह सरोया

Dark Saint Alaick
26-01-2012, 05:45 AM
आपके रंजो-ग़म अपने से लगे हैं, इक रवायत के करम से लगे हैं
ढाल लो इसी सूरत में खुद को, रह जाओगे वरना ख़ाक में मिल कर

आपने जो दर्द साझा किया है, हमने भी इक यह वादा किया है
आप पिलाते रहें अमृत रस रोज, आते रहेंगे हम हुमा बन कर
_______________________________________

रवायत : परम्परा, हुमा : फारसी विश्वास के अनुसार मर-मर कर जी उठने वाला पक्षी !

Dark Saint Alaick
26-01-2012, 06:06 AM
दिल जालों का क्या
जहाँ रात पड़े वहां सो जाइये
रिश्दे हुए जख्मों
पे तू ही बता क्या लाइए
सोमबीर सिंह सरोया

मित्र ! आपका कलाम पुरअसर है, लेकिन बुरा न मानें, एक खरी बात कहना चाहता हूं ! आपकी शायरी के इस असर को आपकी भाषाई ग़लतियां ख़ाक में मिला देती हैं ! पोस्ट करने से पहले एक बार टाइप किए गए पर एक नज़र फिर डाल लें, तो बेहतर नतीज़ा आएगा - आपके लिए भी और हम जैसे पाठकों के लिए भी ! मसलन इसी सृजन को देखिए, एक बार मैंने पढ़ा, (यह मान कर कि संभवतः 'के' छूट गया है) दिल के जालों ... फिर समझ में आया कि यह दिलजलों है ! ... और दूसरी लाइन को आप ही बताइए, पाठक दिमाग लगा कर पढ़े तो रिश्ते पढ़े या रिसते ... लेकिन लिखा गया कैसे पढ़े ?

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:02 PM
दिल आज फिर उनको याद करके रो रहा है ,
लेकिन वो जालिम जाने कौन सी गोली खाके चैन की नींद सो रहा ,
रो रो कर दिल आंसुओ से दामन भीगो रहा है .
लेकिन वो जालिम जानेकिसके ख्वाबों में खो रहा है

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:06 PM
चलो कुछ ऐसा लिखे की जमाना रोने पे मजबूर हो जाये .
पानी बनके आँखों निकले आंसू तो बोझ दिल का दूर हो जाये .
सोमबीर सिंह सरोया .

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:09 PM
:bye:मित्र ! आपका कलाम पुरअसर है, लेकिन बुरा न मानें, एक खरी बात कहना चाहता हूं ! आपकी शायरी के इस असर को आपकी भाषाई ग़लतियां ख़ाक में मिला देती हैं ! पोस्ट करने से पहले एक बार टाइप किए गए पर एक नज़र फिर डाल लें, तो बेहतर नतीज़ा आएगा - आपके लिए भी और हम जैसे पाठकों के लिए भी ! मसलन इसी सृजन को देखिए, एक बार मैंने पढ़ा, (यह मान कर कि संभवतः 'के' छूट गया है) दिल के जालों ... फिर समझ में आया कि यह दिलजलों है ! ... और दूसरी लाइन को आप ही बताइए, पाठक दिमाग लगा कर पढ़े तो रिश्ते पढ़े या रिसते ... लेकिन लिखा गया कैसे पढ़े ?
दिल जलों का क्या
जहाँ रात पड़े वहां सो जाइये
रिसते हुए जख्मों
पे तू ही बता क्या लाइए

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:16 PM
दिल पे बोझ बन के जो छायाहै
मेरे महबूब तेरे दिए दुखों का साया है
भूल चुके थे जिसे हम
वो ज़माना फिर याद आया है
जालिम तेरी याद ने जाने कितनी बार रुलाया है

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:22 PM
भूल से हम उन्हें भूलना चाहते थे
पर ये हमारी भूल थी
क्योंकि खुदा ने
उनको ही भूल का नाम दे दिया

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:26 PM
दर्द से भरी कलम को आज कोई रोक न पायेगा ,,
जितना मिटने की कोशिश करेगा जमाना
उससे कई गुना लिखा जायेगा
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:29 PM
गैरों की बात ही छोड़ो अपनों ने क्या दिया ,
थोड़े से प्यार की थी जिनसे आस जिनसे उन्होंने ही कदम -२ पर धोखा दिया
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:32 PM
टुटा हुआ दिल क्या कहेगा बातें तो लोग कहेंगे
हम तो प्यार मरे हुए है जिन्दा तो लोग रहेंगे

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:37 PM
गैरों से क्या सिकवा जब अपनों ने साथ न दिया ,
ओरों से वफ़ा की क्या उम्मीद करें जब अपनों ने हाथ न दिया

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
27-01-2012, 10:38 PM
अपने भी आज क्यूँ जाने क्यू बेगाने से लगते है
अजनबी भी आज जाने पहचाने से लगते है
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
02-02-2012, 09:28 PM
जब जब जालिम तेरा चेहरा आँखों पे छाएगा
दिल का सुना साज तराना फिर कोई गायेगा /
उठा है भूचाल आज दिल में ,आँखों में गम की घटा छायी है
छुटा साथ ज़माने का संग मेरे परछाई है
मीठी सी कसक दिल में जो उभर के आएँगी
दर्द हमारा सुन के खुशियाँ भी रो के दिखाएंगी
याद जो उनकी रह रह के आती रहेगी
जीने की चाहत जो बाकी है दिल में
वो भी इक दिन जाती रहेगी
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
06-02-2012, 10:14 PM
काश खुदा ने हुस्न वालों अहसास ए दर्द दिया होता .
हो सकता था जालिम ने अपने से दूर न किया होता
हुस्न की अदाएं दिखाकर
मासूम दिल को अपने जाल में फंसाकर
नज़रों के फिर तीर चलाकर
दिल से दिल लगाकर फिर झट से दूर न किया होता
काश खुदा ने हुस्न वालों अहसास ए दर्द दिया होता
बाँहों की फिर पिंग झुलाकर
नए नए वो ख्वाब दिखाकर
सपनों की फिर सेज सजाकर
मीठी मीठी नींद में सुलाकर अचानक से फिर न जगा जगा दिया
काश खुदा ने हुस्न वालों अहसास ए दर्द दिया होता .


सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
06-02-2012, 10:15 PM
दिल की लगी न कभी बुझी है न बुझेगी
खुदा न झुका जिस मुहबत को वो दुनिया के रोकने से क्या रुकेगी .
प्यार की नदी को कोई रोक न पायेगा .
वो निरंतर बहती रही और बहती रहेगी

सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
06-02-2012, 10:16 PM
aaaaaaaaaaaaaaaaa

aspundir
08-02-2012, 04:10 PM
सोमबीर जी, शायरियाँ काफी चित्ताकर्षक है । मेरी ओर से शतशः साधुवाद ।

sombirnaamdev
10-02-2012, 11:37 PM
तारों का हाल क्या होगा जब चाँद ने चमकाना छोड़ दिया ,
शराब का हाल क्या होगा जब शराबी ने पीना छोड़ दिया ..
मासूक का हाल क्या होगा जब आशिकों नेबहलना छोड़ दिया

sombirnaamdev
10-02-2012, 11:40 PM
दीवाने की बस्ती में हर तरफ तन्हाई सी छायी है
मासूक के घर पे आज बारात जो आयी है

sombirnaamdev
11-02-2012, 09:53 PM
आखरी साँस तक तेरी याद बाकी है
मिलने की एक आस बाकी है

पीपल के नीचे बैठ किये थे जो वादे .
नदी किनारे की वो मीठी यादें
चौक वाले पार्क में मिलने की आस अभी बाकी है

आखरी साँस तक तेरी याद बाकी है
मिलने की एक आस बाआखरी साँस तक तेरी याद बाकी है
मिलने की एक आस बाकी है

पीपल के नीचे बैठ किये थे जो वादे .
नदी किनारे की वो मीठी यादें
चौक वाले पार्क में मिलने की आस अभी बाकी है

आखरी साँस तक तेरी याद बाकी है
मिलने की एक आस बाकी है की है

कॉलेज के कैंटीन वो चाय का स्वाद
तेरे मेरे बीच कीवो मीठी तकरार
यारों के बीच बैठ के की थी जो वो फ़रियाद बाकी है

आखरी साँस तक तेरी याद बाकी है
मिलने की एक आस बाकी है
सोमबीर सिंह सरोया

sombirnaamdev
18-02-2012, 11:31 PM
दिल की आग दिल में दबा के रखना गम को भुलाने में काम आएगी
अपने पराये की पहचान कर सही राह पर चलने के काम आएगी
गम अंधेरो को याद न कर अ दिल कभी तो खुशियों की शाम आयेगी
तेरे दिल की चोट पे वो आज लगाने दिलासों को बाम आएगी

sombirnaamdev
19-02-2012, 11:47 PM
ऐ दिल ऐ नादाँ बता तेरी रजा क्या है
दिल तोड़ ने वालों की सजा क्या है ,
जो जिन्दगी भर तडपता छोड़ गए .
एक पल में वादा ऐ वफ़ा तोड़ गए ..
खुद से जो निभा न पाए
उन की तेरे साथ वफ़ा क्या है
ऐ दिल ऐ नादाँ बता तेरी रजा क्या है
दिल तोड़ ने वालों की सजा क्या है ,
जिन्दगी भर साथ चलने का वादा कर गए .
जरा सा तूफ़ान देख के डर गए ..
ऐसे बेवफा संगदिल महबूब में
बता रखा क्या है
ऐ दिल ऐ नादाँ बता तेरी रजा क्या है
दिल तोड़ ने वालों की सजा क्या है ,
सोचा क्या था क्या हो गया
वो जालिम जाने किसके सपनों में खो गया
भूल जा उस रिश्ते को
उस रिसते में बाकी बचा क्या है
ऐ दिल ऐ नादाँ बता तेरी रजा क्या है
दिल तोड़ ने वालों की सजा क्या है ,

sombirnaamdev
20-02-2012, 04:11 PM
दिल ही दिल उनको हम चाहते रहे
उनको कुछ कहने से शरमाते रहे
हम उनका इंतजार करते रहे
और वो अपनी राहों पे जाते रहे

sombirnaamdev
26-02-2012, 03:57 PM
दिल का हाल जब बेहाल होता है
दिल को थोडा समझा लेते है
थोडा मासूम है दिल दिल का क्या ?
थोड़ी तस्सली थोड़े दिलासे दे के बहला लेते है

sombirnaamdev
26-02-2012, 04:04 PM
तेरा दर्द दिल में छुपा कर तनहा चुप बैठे रहते हैं
बात अपने दिल किस से कहे सुन ने वाला कौन है
ये सोचकर दर्द दिल का खुद से ही कहते हैं

sombirnaamdev
13-04-2012, 12:30 AM
अपनी हालत क्या है किसी से छुपी नहीं ,
ख्वाहिसें अभी हुई पूरी नहीं ,
दो कदमका फासला रहा है हमेशा
क्यू होती ये कम दुरी नहीं.

सोमबीर सिंह सरोया

Suresh Kumar 'Saurabh'
13-04-2012, 04:31 PM
बहुत सी सुन्दर सोमवीर भाई!

abhisays
13-04-2012, 06:44 PM
Bahut hi badhiya... सोमबीर ji.. :bravo::bravo::bravo:

sombirnaamdev
25-04-2012, 10:50 AM
दास्ताँ ए गम छुपाई न गयी बात दिल की बताई न गयी


हँसते देखा था हरदम जिसे आज वो फिर हमसे रुलाई न गयी

ख़ुशी उनकी में मेरा गम छुपा है

अपना गम मिटाने को उनकी खुशी मिटाई न गई'

Suresh Kumar 'Saurabh'
25-04-2012, 12:44 PM
दास्ताँ ए गम छुपाई न गयी बात दिल की बताई न गयी


हँसते देखा था हरदम जिसे आज वो फिर हमसे रुलाई न गयी

ख़ुशी उनकी में मेरा गम छुपा है

अपना गम मिटाने के उनकी ख़ुशी मिटाई न गयी

वाह-वाह सोमवीर भाई! ' अपना गम मिटाने को उनकी खुशी मिटाई न गई'
बहुत खूब!
सोम भाई जी, बहुत ही आसान भाषा में बहुत अच्छा कह लेते हैं।

Suresh Kumar 'Saurabh'
25-04-2012, 12:53 PM
इंसानियत का तुझमें दीदार नहीं होता/
तू सच में इंसान है एतबार नहीं होता/
गर तू वाकई इंसान है तो बता 'सौरभ',
क्यों किसी इंसान से तुझे प्यार नहीं होता/

Suresh Kumar 'Saurabh'
25-04-2012, 01:14 PM
नफ़रत की बेड़ी काट दो तुम/
भेद-भाव की खाई पाट दो तुम/
आग लगाने से अँधेरा नहीं जाता,
चराग़-ए-मोहब्बत जलाके अँधेरा छाँट दो तुम/

सु0 कु0 'सौरभ'

Suresh Kumar 'Saurabh'
25-04-2012, 06:24 PM
क्षोभरहित मेरी कोई निशा न थी/
चलता रहा किन्तु कोई दिशा न थी/
जागृत की जीने की आकांक्षा तुमने,
अन्यथा मेरी अब जिजीविषा न थी/

.
.
-------- सुरेश कुमार 'सौरभ'

Suresh Kumar 'Saurabh'
25-04-2012, 07:56 PM
थोड़ा हँस लिया जाये-
.

मेरे होटों से वादों का फूल झड़ता।
मेरे पीछे भी जनता का रेला उमड़ता।
काश कि मुझे भी जनता को उल्लू बनाना आता,
तो मैं भी इस बार चुनाव जरूर लड़ता।

.
.
-------- सुरेश कुमार 'सौरभ'

sombirnaamdev
25-04-2012, 10:13 PM
वाह-वाह सोमवीर भाई! ' अपना गम मिटाने को उनकी खुशी मिटाई न गई'

बहुत खूब!
सोम भाई जी, बहुत ही आसान भाषा में बहुत अच्छा कह लेते हैं।
kum padha likha hun isliye kathin bhasha samajh me nahi aati jodil me aata kaha deta bas

Suresh Kumar 'Saurabh'
26-04-2012, 08:04 AM
kum padha likha hun isliye kathin bhasha samajh me nahi aati jodil me aata kaha deta bas अच्छा मजाक है ये! हा हा हा

Suresh Kumar 'Saurabh'
26-04-2012, 08:14 AM
रहम मुझ पर ज़रा कीजिए।
सूखे ज़ख़्मों को न हरा कीजिए।
मर चुका हूँ ज़िन्दा लाश हूँ मैं,
मरे हुए पर यूँ न मरा कीजिए।

.
.
-------- सुरेश कुमार 'सौरभ'

ndhebar
26-04-2012, 03:31 PM
रहम मुझ पर ज़रा कीजिए।
सूखे ज़ख़्मों को न हरा कीजिए।
मर चुका हूँ ज़िन्दा लाश हूँ मैं,
मरे हुए पर यूँ न मरा कीजिए।

.
.
-------- सुरेश कुमार 'सौरभ'
बहुत खूब सुरेश जी
काफी अच्छा लिखते हैं

Suresh Kumar 'Saurabh'
26-04-2012, 03:42 PM
आपके विचार जानकर अतिप्रसन्नता हुई। आपका हार्दिक धन्यवाद!

Suresh Kumar 'Saurabh'
26-04-2012, 03:57 PM
5-
*****************************

कभी आकाश के चमकीले तारे लगें।
कभी प्यार से भी ज़्यादा प्यारे लगें।
लगें तो और भी बहुत कुछ लेकिन,
जब भी लगें आप सिर्फ हमारे लगें।

.
------ सुरेश कुमार 'सौरभ'
*****************************

Suresh Kumar 'Saurabh'
26-04-2012, 04:06 PM
6-
*****************************

बाग़-ए-हुस्न का कोई गुलाब नहीं हूँ।
सुहानी रात का मैं माहताब नहीं हूँ।
बुरा चेहरा देखकर मुँह न फेरिये,
मैं दिल से इतना खराब नहीं हूँ।
.
--- सुरेश कुमार 'सौरभ'
*****************************

alysweety
26-04-2012, 06:55 PM
5-
*****************************

कभी आकाश के चमकीले तारे लगें।
कभी प्यार से भी ज़्यादा प्यारे लगें।
लगें तो और भी बहुत कुछ लेकिन,
जब भी लगें आप सिर्फ हमारे लगें।

.
------ सुरेश कुमार 'सौरभ'
*****************************

6-
*****************************

बाग़-ए-हुस्न का कोई गुलाब नहीं हूँ।
सुहानी रात का मैं माहताब नहीं हूँ।
बुरा चेहरा देखकर मुँह न फेरिये,
मैं दिल से इतना खराब नहीं हूँ।
.
--- सुरेश कुमार 'सौरभ'
*****************************
वाह सुरेश जी वाह
बहुत ही खुबसूरत

Suresh Kumar 'Saurabh'
26-04-2012, 08:21 PM
7-
*****************************

मेरी सारी खुशियों की सौगात बिकी।
कौड़ी के ही मोल मेरी हर बात बिकी।
सूखा रहा ये जीवन मेरा रे 'सौरभ',
शायद किसी के हाथों ये बरसात बिकी।



.
---- सुरेश कुमार 'सौरभ'
*****************************

Suresh Kumar 'Saurabh'
27-04-2012, 06:23 PM
8-
*****************************
आओ अब दूरियाँ को बढ़ा लिया जाये।
दो राहे पर खुद को अब ला दिया जाये।
तुम एक राह पर जाओ, हम दूसरे पर,
धीरे-धीरे एक दूसरे को भूला दिया जाये।

.
------सौरभ
*****************************

Suresh Kumar 'Saurabh'
27-04-2012, 06:33 PM
9-
*****************************
अब मैं तुझे नहीं याद करता हूँ।
क़ीमती आँसू नहीं बरबाद करता हूँ।
मैं तुझे भूल गया, तू भी भूल जा ,
तुझसे बस यही फरियाद करता हूँ।
*****************************

Suresh Kumar 'Saurabh'
28-04-2012, 07:09 AM
10-
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15978&d=1335578701

Suresh Kumar 'Saurabh'
28-04-2012, 07:40 AM
11-
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15979&d=1335580729

Suresh Kumar 'Saurabh'
28-04-2012, 07:59 AM
12-
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15980&d=1335581878

Suresh Kumar 'Saurabh'
28-04-2012, 12:48 PM
13-

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15981&d=1335599247
----------------

Suresh Kumar 'Saurabh'
28-04-2012, 12:51 PM
14-
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15982&d=1335599438

Sikandar_Khan
29-04-2012, 08:09 AM
सौरभ जी , आप बहुत ही सुन्दर लिखते है !

sombirnaamdev
29-04-2012, 08:39 PM
saurabh ji sutra ko aage badhane ke liye dhanyavaad

Suresh Kumar 'Saurabh'
30-04-2012, 03:53 PM
*****************************
अब मन की चिन्ताओं की चिताएँ जलायी जाये।
दुखियों को खुशी की हथकड़ी पहनायी जाये।
ज़िन्दगी की अदालत में लाकर आँसू बहाने वालों को,
अब आजीवन हँसने की कड़ी सजा सुनायी जाये।
---- सुरेश कुमार 'सौरभ'
*****************************

Suresh Kumar 'Saurabh'
12-05-2012, 06:43 PM
उस राह से काँटे दूर करो, जिस पे चल नहीं सकते।
उस परिस्थिति को बदल दो, जिसमें ढल नहीं सकते।
कोशिश करने के बाद भी क़ामयाबी न मिले 'सौरभ',
तो ख़ुद को बदल लो, गर हालात बदल नहीं सकते।

~VIKRAM~
12-05-2012, 06:48 PM
baut achhi -2 rachnae hai aap ki saurabh ji....
lage rahiye ....

Suresh Kumar 'Saurabh'
12-05-2012, 07:20 PM
baut achhi -2 rachnae hai aap ki saurabh ji....
Lage rahiye ....

धन्यवाद विक्रम जी! आते रहिए।

sombirnaamdev
27-05-2012, 09:22 PM
दिल लगाने की सजा क्या खूब हमने पाई है ,
चैन दिन का खोया नींद रातों की गवाई है !

जिनपे भरोसा करके हम ने दुनिया को छोड़ा है ,
उसी नामुराद ने आज हमसे मुह मोड़ा है !

तस्वीर तेरी सीने से लगाये बैठे हैं ,
आप आयेंगे यही दिल को बताये बैठे है !

सामने तुम नही पर ख्याल तुम्हारा ही है ,
बेकरार हम ही नहीं खस्ता हाल तुम्हारा भी है !

सोमबीर सिंह सरोया
sombirnaamdev@gmail.com
sombirnaamdev@yahoo.com (sombirnaamdev@gmail.com)
sombirnaamdev@rediffmail.com

sombirnaamdev
27-05-2012, 10:57 PM
हम जानते हैं तुम को तो कभी नहीं आना है ,
लेकिन क्या करे फिर भी दिल को तो समझाना है !

sombirnaamdev
27-05-2012, 11:07 PM
नजर मिलके हमसे नजर चुरा मत लेना,
दोस्त बना हम हमको दुश्मन बना मत लेना ,
माना की दूर है हम ...
आपसे इसी बात को बहाना बनाकर हमको भुला मत देना

सोमबीर सिंह सरोया
sombirnaamdev@gmail.com
sombirnaamdev@yahoo.com (sombirnaamdev@gmail.com)
sombirnaamdev@rediffmail.com

sombirnaamdev
27-05-2012, 11:15 PM
यादों में हम रहे ये अहसास रखना
नज़रों से दूर सही दिल के पास रखना
हम ये नही कहते की साथ रहो दूर सही सही हमें याद रखना नजर मिलके हमसे नजर चुरा मत लेना,
सोमबीर सिंह सरोया
sombirnaamdev@gmail.com
sombirnaamdev@yahoo.com (sombirnaamdev@gmail.com)
sombirnaamdev@rediffmail.com

sombirnaamdev
02-06-2012, 12:52 AM
जिनके लिए हमने ज़माने से भी किये थे दो दो हाथ !
क्या मालूम था छोड़ देंगे एक दिन वो भी अपना साथ !!

sombirnaamdev
02-06-2012, 12:53 AM
तुम आओगे ये दिलासा हम अपने दिल को तो दिलाते हैं ,
लेकिन अपने बहते हुए आंसुओ को तो रोक नहीं पाते हैं !
बेदर्दी तुने मुझे रात दिन सताया है ,
जितना भुलाना चाहा तू उतना याद आया है !

sombirnaamdev
02-06-2012, 12:53 AM
लबों पे हँसी सीने में जलन .
जाने क्यू फिर है है मिलने की लगन !
जिनके लिए हम ज़माने से टकरा गए ,
हमें सामने पाकर आज वो जाने क्यू खुद ही घबरा गए !

sombirnaamdev
02-06-2012, 12:54 AM
याद किया था जिसको दिल ने पल पल में सौ सौ बार ,
एक पल जालिम ने जाने क्यू हमको दिया बिसार !

sombirnaamdev
02-06-2012, 12:54 AM
इतनी देर लगी जालिम तेरे आने में
तेरे इंतजार ने तब तक हमको भेज दिया मैखाने में

sombirnaamdev
02-06-2012, 12:55 AM
आपने हमें दिन रात बेक़रार किया है
फिर भी जालिम इस दिल तुमसे ही प्यार किया है !

sombirnaamdev
25-06-2012, 11:38 PM
दिलकी बात यु ही नही जुबान पे आयी है
दिल अपना जिसने लिया वो सजना हरजाई है !

बात दिलकी लैब पे यु ही तो नही आती ,
लाख भुलाना चाहू तो तेरी याद नही जाती !

दिल चीर के हम दिखा भी तो नही सकते ,
जख्म इतने दिए है तुने छिपा भी तो नही सकते !

उनके दिए हर जख्म को हमने तोहफा समझ लिया ,
उनकी हर नादानी और नासमझी पर हमने भरोसा कर लिया !
sb saroya
9321083377

sombirnaamdev
30-06-2012, 10:42 PM
महबूब के दर को यूँ निहारता रहता हूँ ,
बात अपने दिल की दिल विचारता रहता हूँ!

जब तलक न हो दीदार ए यार ना सुकून इस दिल को मिले ,
न चैन आये जब तलक ना उनका दीदार आँखों को मिले !
सोमबीर सिंह सरोया
sombirnaamdev@gmail.com
sombirnaamdev@yahoo.com (sombirnaamdev@gmail.com)
sombirnaamdev@rediffmail.com

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:32 PM
le to aaye kashti hum kinare par

ik pal me dubo li naiye humne unke ek ishare par

naamdev

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:33 PM
do line pesh kar rha hu vo bhi tuti phuti
jara gauor pharmaiyega

1 .................................................. ..........................

2................................................. ................................

kaisi lgi jaroor bataiyega

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:33 PM
दिल मर जाने ने पागल किया है मुझे यारो

और लोग मुझे राँझा समझने लग गये

dil mar jane nu kamalaa kita mainu ta yara

te loki mainu ranjha samjhan lag paye

सोमबीर''' नामदेव '''

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:33 PM
काश के आइना उन्हें ,..........
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
दिखा पाता ?

के उनके भीतर कितना जहर भरा है !

'''sombir naamdev'''

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:34 PM
तुम बिन जीवन रेगिस्तान सा हो गया है ,
हर घडी हर लम्हा परेशान सा हो गया है !

सोमबीर ''' नामदेव '''

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:34 PM
आजा के अब इन्तेहा -ऐ - इसक हो चली है ,
तेरे बिना ये जिन्दगी भी मेरी खुश्क हो चली है !

मेरी साँस भी तेरे नाम का नगमा गाती है ,
बन के कोई गीत हर वक़्त तेरे लबों पे लहराती है !

सोमबीर ''' नामदेव '''

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:34 PM
कल दिल लगाया था आज हम बदनाम हैं

लगता है अब तो मय कशी ही मेरा आगाज- ओ - अंजाम है !

'''नामदेव ''

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:35 PM
rah jindgi ki yun aasan karli maine

kamjor ko dhamka kar le liya tagde ki hami bhar maine

'''naamdev''''

sombirnaamdev
23-11-2012, 10:35 PM
वक़्त का सताया हुआ हूँ मैं यारो

बेवफा कहलाने का शौक मुझको भी नही था

''' नामदेव'''

Piratascaribon
26-11-2012, 02:55 PM
Thanks for share hindi syari

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:38 PM
aansuan te dhoke daman sare aam chalya gaya
bera naa bedardi kunsi gali ,ghar ...gam chalya gaya !

sanjh saberi ron ka deke naya kam chalya gaya .
meri ek ek vafa ke badle me lakhon daga ,deke daam chalya gaya !

sombir haryanvi

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:38 PM
कैसे कह दूँ की

तू मेरे सांसों में शामिल नहीं है !

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:39 PM
सब कुछ तो है मेरे पास

बस उनकी कमी है !

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:39 PM
Bevfayee hum bhi kar sakte the

magar hum ko vafa ne rok liya

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:40 PM
Shikar karane ka iraada to unke dil pahle
se tha itni hamein khabar thi

nishana hum par hi tha bas
hum mein itni samjh nahi thi

naamdev

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:40 PM
जागती आँखों में ख्वाब कोई समाया है .
उनकी खुशबू लेकर हवा का झोका आया है

आकर चुपके से यादो ने
आज फिर से दरवाजा दिल खट खटाया है
नामदेव

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:44 PM
साथ छुट जाता है ,साथी बदल जाते है
राह जुदा हो जाती है , रही बदल जाते .

इस बे गैरत दुनिया में अपनों को
धोखा देने के लिए लोग सूरत बदल जाते हैं

''' नामदेव ''

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:44 PM
दो पल सुस्ताने को क्या बैठे हम
.................................
...............
.......
काफिला दूर निकल गया

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:45 PM
कुछ को भंवरा बना दिया तो कुछ जुगनू बना दिया

इस इश्क ने यारो किसी राँझा तो किसी को मजनू बना दिया !

सोमबीर''' नामदेव'''

sombirnaamdev
26-11-2012, 10:46 PM
mere chehre ki hasin dikhayee de gyee duniya valon ko

seene mein dhadhkate jajbaat naa dikhayee diye

naaamdev:banalama:

sombirnaamdev
23-12-2012, 10:25 PM
छुप छुप के रोये है यादों में उनकी तडपते रहे
दिन ठंडी आंहे भर के सिसकते रहे
कौन सुने हाल ऐ दिल हमारे सोचते रहे
रात भर करके याद उनको यूँ ही कलेजा नोचते रहे

sombirnaamdev
23-12-2012, 10:25 PM
"ज़िन्दगी के नाज़ भी हमने उठायें है बहुत
बेदर्द जमाने में संगदिलों हसीनो के सताएं है बहूत ''

''करके वफ़ा हसीनो से ठोकर खाए है बहूत
लगाकर दिल अपना हम भी पछताए हैं बहूत ''

sombir naamdev
9321083377

sombirnaamdev
23-12-2012, 10:26 PM
ऐ जिन्दगी किस कद्र हाशिये पे मुझको तूने लाके खड़ा कर दिया

वो रंग दिखाए है ज़माने के तूने मुझे , मुझको मेरी उम्र से बड़ा कर दिया !

नामदेव

sombirnaamdev
23-12-2012, 10:26 PM
यूँ ही छेड़ बैठा उनकी घनी जुल्फों को मैं नादान
ना जानता था कम्बखत आस्तीन में सेकड़ों सांप पाले बैठा है !
इस मुस्कान पे मैं यूँ ही मिटता रहा मरता रहा मैं नादान
दिखाई चिकना चेहरा दिया क्या मालूम ले के दिल में काले बैठा है !!

सोमबीर '''नामदेव ''
9321083377

sombirnaamdev
24-12-2012, 10:08 PM
यूँ ही छेड़ बैठा उनकी घनी जुल्फों को मैं नादान
ना जानता था कम्बखत आस्तीन में सेकड़ों सांप पाले बैठा है !
इस मुस्कान पे मैं यूँ ही मिटता रहा मरता रहा मैं नादान
दिखाई चिकना चेहरा दिया क्या मालूम ले के दिल में काले बैठा है !!

सोमबीर '''नामदेव ''
9321083377

abhisay ji or rajnish ji aap sab ka bahoot bahoot dhanyavaad /
main aap sab ka aabhari rahunga jo aapne is mujhe kabil samjha .
pichle kuch dino se haryana gaya tha chutti par isliye aap logo ke upsthit nhi ho sak saka maafi chahunga .

sombirnaamdev
08-01-2013, 07:54 PM
दो वक़्त की की रोटी
किसी को मिल
पाती नही यहाँ पर
कोई दो करोड़
डकार के बैठा है !

किसी प्यार
बाँटने से फुर्सत
नही कोई ले
के झगडे
उधार के बैठा है

सोमबीर नामदेव

sombirnaamdev
08-01-2013, 07:54 PM
पता ही नही चला तेरा इन्तेजार !
मुझे कब मौत के करीब ले चला आया !!

पाने को गया था तेरी चाह में कुछ !
जो कुछ था मेरे पास सब छला आया !!

खुशियों की चाह में पड़ा रहा तेरे दर पे दिन रात !
कुछ ना पा सका सका ले के नयी बला आया !!

सोमबीर नामदेव

sombirnaamdev
08-01-2013, 07:58 PM
छुप छुप के रोये है यादों में उनकी तडपते रहे

दिन ठंडी आंहे भर के सिसकते रहे

कौन सुने हाल ऐ दिल हमारे सोचते रहे

रात भर करके याद उनको यूँ ही कलेजा नोचते रहे
sombir naamdev

sombirnaamdev
13-01-2013, 08:41 AM
बात अपने मन की कभी ना कही मैंने के
बहुत करीब से देखी है जिंदगी मेने

पूजा की है हर वक़्त इश्क की

आशिक की है बंदगी मैंने

naamdev

sombirnaamdev
27-01-2013, 10:08 PM
जिन की याद में आँखें बरसती रही हरदम
वो जाने किसके ख्यालों में खोये रहा

जाग कर गुजर दिया पल पल रात भर
वो जालिम चैन नींद की नींद सोता रहा

उनके चेहरे पर हंसी देने की चाह हमने पाली हरदम
वो ग़मों के समंदर में हम को भिगोता रहा
''' सोमबीर नामदेव '''

bindujain
29-01-2013, 07:58 AM
जिन की याद में आँखें बरसती रही हरदम
वो जाने किसके ख्यालों में खोये रहा

जाग कर गुजर दिया पल पल रात भर
वो जालिम चैन नींद की नींद सोता रहा

उनके चेहरे पर हंसी देने की चाह हमने पाली हरदम
वो ग़मों के समंदर में हम को भिगोता रहा
''' सोमबीर नामदेव '''
:bravo::bravo:

sombirnaamdev
02-02-2013, 10:19 PM
:bravo::bravo:

bindu ji thank you very much
.

sombirnaamdev
13-02-2013, 08:53 PM
कठपुतली है हम सब उस के हाथों की

कहाँ हमारी मर्जी के किरदार होते है !

इस दुनिया सब को मन माफिक नही मिलता सब कुछ

मिलता वही है जिसके वो हकदार होते है !


'''नामदेव'''

sombirnaamdev
13-02-2013, 08:54 PM
मेरी रुखश्ती पे ना आये दो आंसू जिनकी आँखों में

लगता है हम को जैसे की ही उनके गुनाहगार होते है

sombirnaamdev
13-02-2013, 08:55 PM
हुसन की इस ठंडी फुहार पे ना जाइये दोस्तों

हर घूँघट पीछे ही छुपे हुए कई अंगार होते है !

चेहरे रंग रबग ऐ सादगी से लबरेज मगर

अन्दर से जैसे ...........रंगे सियार होते है !

''''नामदेव ''''

sombirnaamdev
13-02-2013, 08:56 PM
मेरी रुखश्ती पे ना आये दो आंसू जिनकी आँखों में

लगता है हम को जैसे की ही उनके गुनाहगार होते है

'''नामदेव ''

sombirnaamdev
28-03-2013, 11:55 PM
ना मेरी मुहबत कद में थी

ना तेरी मुहबत हद में थी

तुझ को तो तेरी अना ले बैठी

मुझ को ये मेरी वफ़ा ले बैठी



sombir naamdev

rajnish manga
29-03-2013, 08:50 PM
ना मेरी मुहबत कद में थी

ना तेरी मुहबत हद में थी

तुझ को तो तेरी अना ले बैठी

मुझ को ये मेरी वफ़ा ले बैठी

sombir naamdev

:bravo:

बहुत सुन्दर, सोमबीर जी. किसी शायर ने इस से मिलती जुलती बात इन शब्दों में कही है:

इज़हार अपने हाल का, हम किस तरह करें
वो भी अनापरस्त हैं, खुद्दार हम भी है.

sombirnaamdev
01-04-2013, 11:51 PM
मुह फेर लिया मगर आँखे मुझको ही खोजती रही
हाय ये तेरी बेरुखी का क्या गज़ब अंदाज है !

लबो पे हो लाख इंकार भले तुम्हारे लेकिन
मैं जनता हु मगर दिल मेर लिए प्यार बेहिसाब है !

ना पढ़ सका मैं जिसको कभी भी शायद कभी
बस एक तेरा दिल ही तो वो बंद किताब है

सोमबीर नामदेव
01/04/2013

jai_bhardwaj
02-04-2013, 06:23 PM
बड़ी सुहानी ग़ज़ल है और बड़ा निराला अंदाज है
सोमवीर जी, हमें आपकी कविताओं पे नाज है

Hatim Jawed
02-04-2013, 11:17 PM
प्रयासै बहुत ही उम्दा है ! इसे जारी रखें ।:bravo:

sombirnaamdev
18-04-2013, 11:32 PM
मयकशी की दुनिया का मँझा हुआ खिलाड़ी नही हूँ साकी
बस किसी बेवफा की बेवफाई में मैखाने में लाया गया हूँ मैं !

दूर दूर तक दर्द से मुलाकात नही हुई थी आज तक मेरी कभी
मगर आज ऐसा लगता है मुद्दतों से गम का सताया गया हूँ मैं



सोमबीर '''नामदेव '''

sombirnaamdev
05-05-2013, 11:50 PM
dekar lahu jigar ka sincha hai humne apne gum ki kyari ko

kuredkar yadon ke khanjar se jakhmon ko hara rahka hai

sombirnaamdev
05-05-2013, 11:51 PM
chalo pyar ki ik choti si duniya nai basayein hum

nafrat se bhare is jahan mein kya rakha hai

sombirnaamdev
09-07-2013, 10:55 PM
समझ सका ना इतना मैं नादान आज तक

मरा नही मेरे भीतर का शैतान आज तक

लाख मन्नते की है उस खुदा की लेकिन

बदल नही पाया है मेरा ईमान आज तक

बनके अहंकार जो बैठा मर कुंडली अंतर में

गया नही है अंतर का वो मेहमान आज भी

rajnish manga
09-07-2013, 11:49 PM
समझ सका ना इतना मैं नादान आज तक

मरा नही मेरे भीतर का शैतान आज तक

लाख मन्नते की है उस खुदा की लेकिन

बदल नही पाया है मेरा ईमान आज तक

बनके अहंकार जो बैठा मर कुंडली अंतर में

गया नही है अंतर का वो मेहमान आज तक

बहुत सुंदर, सोमबीर जी. बहुत अच्छी प्रस्तुति है. मैं भी कुछ अर्ज़ करना चाहता हूँ:

रोके हैं उसको राम न रहमान आज तक.
खुले आम दनदनाता है शैतान आज तक.
इंसानियत है आज भी, बैठी लहु -लुहान,
अशरफ-उल-मखलूकात परेशान आज तक.

(अशरफ-उल-मखलूकात = सृष्टि में सर्वोत्तम अर्थात इंसान)

sombirnaamdev
10-07-2013, 11:45 PM
बहुत सुंदर, सोमबीर जी. बहुत अच्छी प्रस्तुति है. मैं भी कुछ अर्ज़ करना चाहता हूँ:

रोके हैं उसको राम न रहमान आज तक.
खुले आम दनदनाता है शैतान आज तक.
इंसानियत है आज भी, बैठी लहु -लुहान,
अशरफ-उल-मखलूकात परेशान आज तक.

(अशरफ-उल-मखलूकात = सृष्टि में सर्वोत्तम अर्थात इंसान)

rajnish ji dono sher ek se badhkar ek hain ati ,ati ,ati uttam /thank you sir

sombirnaamdev
07-08-2013, 11:23 PM
जैसा महबूब तूने मुझे ऐ खुद दिया है
कभी वैसा ही एक तू भी बना के देख !
तू भी तो खा के देख कभी चोट सीने पे
किसी जालिम से नजरे कभी लगा के देख !!

Sombir naamdev

Hatim Jawed
08-08-2013, 02:38 PM
वाह ! क्या बात है !!

sombirnaamdev
20-08-2013, 12:51 AM
तुम होते ऐसा होता
तुम ना होते तो क्या होता
तुम ना होते ना मैं हँसता
तुम ना होते तो ना आज मैं रोता
.
.
.
.
.
.
.
.
.
सच बात ये है जालिम गर तुम ना होते तो
यार चैन की नींद , मैं आज सो रहा होता

rajnish manga
20-08-2013, 10:25 AM
तुम होते ऐसा होता
तुम ना होते तो क्या होता
तुम ना होते ना मैं हँसता
तुम ना होते तो ना आज मैं रोता
......
सच बात ये है जालिम गर तुम ना होते तो
यार चैन की नींद , मैं आज सो रहा होता



रोने, सोने और उसके होने की समीकरण आपने खोज ही ली, सोमबीर जी. हास्य-व्यंग्य की इस छोटी लेकिन रोचक रचना के लिए धन्यवाद.

aspundir
20-08-2013, 06:14 PM
बहुत सुन्दर सोमबीर जी, लेकिन हास्य व्यंग्य के बीच मुकेशजी का एक गाना याद आ गया

Aw4AFuAqkLM

sombirnaamdev
28-09-2013, 10:18 PM
सँजो कर बैठा हु उनकी यादों को आज भी
बीते हुये लम्हो की माला पिरोना चाहता हूँ

sombirnaamdev
28-09-2013, 10:19 PM
सुख चुका है आंखो का तेरे इंतेजार में
मिलने की खुशी आंखे भिगोना चाहता हु

rajnish manga
28-09-2013, 10:48 PM
सँजो कर बैठा हु उनकी यादों को आज भी
बीते हुये लम्हो की माला पिरोना चाहता हूँ





सुख चुका है आंखो का तेरे इंतेजार में
मिलने की खुशी आंखे भिगोना चाहता हु



सोमबीर जी, बहुत दिन बाद आपके दर्शन हो रहे हैं. खैर, सुन्दर कविताओं के लिये हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें.

प्रिय! आपके दीदार को आँखें तरस गयीं.
सावन की रुत है बादलों जैसी बरस गयीं.
बिरहा ने अपना राग सुना कर रुला दिया
मिलने के बाद हां, मेरी आँखें सरस गयीं.

sombirnaamdev
22-12-2013, 09:29 PM
याद उसकी फिर से मुझे तड़पाने आयी
दिल के दर्द को फिर से थोडा बढ़ने आयी

डाल कर नमक आंसुओ का मेरे जख्मो पे
दुश्मनी और एक नयी वो निभाने आयी

खुद करके बेवफाई मुझसे जिंदगी भर
सबक वफ़ा का वो मुझ को सिखाने आयी

rajnish manga
22-12-2013, 10:43 PM
बहुत सुन्दर, सोमबीर जी. बहुत दिन बाद आपका आगमन सुखदायी है.

sombirnaamdev
04-01-2014, 11:34 PM
ताजमहल इक और बना देता तू जो गर मेरी हो जाती
दुनिया को कद्द्मो में तेरे झुका देता तू जो मेरी हो जाती

sombirnaamdev
20-03-2014, 10:56 PM
तेरी जिंदगी में एक वो भी दिन खुदा हो
जिस दिन तू भी अपने महबूब से जुदा हो

खुशिया से हो तू भी दूर दो पल के लिए
तेरा अपना भी कोई कभी गुमशुदा हो

#SOMBIRNAAMDEV (https://www.facebook.com/hashtag/sombirnaamdev)

rajnish manga
21-03-2014, 05:31 PM
तेरी जिंदगी में एक वो भी दिन खुदा हो
जिस दिन तू भी अपने महबूब से जुदा हो

खुशिया से हो तू भी दूर दो पल के लिए
तेरा अपना भी कोई कभी गुमशुदा हो

#sombirnaamdev (https://www.facebook.com/hashtag/sombirnaamdev)

बहुत सुन्दर, सोमबीर जी. क्या खूब कहा है - तेरा अपना भी कोई कभी गुमशुदा हो!!