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View Full Version : शौकीन अपने शौक को पूरा करने के लिए किस हद तक &


sombirnaamdev
26-01-2012, 05:38 PM
शराब के शौकीन अपने शौक को पूरा करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसकी मिसाल हाल ही में देखने को मिली जब व्हिस्की पीने के शौकीन दो लोगों ने ग्लासगो में डलमोर 64 ट्रिनिटास व्हिस्की की दो बोतल खरीदने के लिए दो लाख पौंड (करीब 1.4 करोड़ रुपए) खर्च किए।

64 साल पुरानी इस शराब की केवल तीन बोतलें तैयार की गई थीं, जिसमें से एक बोतल अमेरिका के एक व्यक्ति ने, जबकि दूसरी बोतल ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित व्हिस्की निवेशक ने एक-एक लाख पौंड में खरीदी।

डलमोर व्हिस्की तैयार करने वाली कंपनी व्हाइट एंड मैके के युनाइटेड स्प्रिट्सि तीसरी बोतल अक्टूबर के अंत में लंदन (http://analytics.webdunia.com/tracklinks.php?linkid=123) में होने वाले एक व्हिस्की शो में रिकॉर्ड कीमत में बेचने की योजना बनाई है।

sombirnaamdev
26-01-2012, 05:40 PM
फिनलैंड,अगर आप खाने की बर्बादी या उसका अपमान करते हैं तो हो जाइए सावधान क्योंकि इसके शौकीन अपनी मनपसंद डिश के अपमान के लिए किस हद तक जा सकते हैं इस बात का शायद आपको अंदाजा नही है।फूड लिबरेशन आर्मी नामक संगठन के सदस्य इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि मैकडोनल्ड के खाने को दुनिया के अमीर और लापरवाह लोग बर्बाद कररहे हैं। इसी गुस्से में संगठन ने मैकडोनाल्ड को किडनैप कर लिया है। संगठन ने धमकी दी है कि अगर उनकी बान नही सुनी गई तो आगे वो और भी गंभीर कदम ऊठा सकते हैं।ग्रुप ने अपनी बात यू-ट्यूब पर जारी एक वीडियो के माध्यम से कही है। इस वीडियो में रोनेल्ड मैकडोनल्ड के स्टेच्यू को नकाबपोश आतंकवादियों ने घेर रखा है। उस पुतले के पीछे संगठन का एक सदस्य खडा है जिसके हाथ में सवाल छपा एक पोस्टर है जो उन्होने विश्व के इस सबसे बडे फूड प्रोडक्शन चेन के कर्णधारों से पूछा है।विडियाें में फिनिश भाषा में बोलते हुए एक सदस्य कहता है कि वो मैकडोनल्ड में बने डिशेज के प्रेमी हैं और इतने लजीज खाने की हो रही बर्बादी को अब वो शांति से नही देख सकते। संगठन के दो सदस्यों ने एक रेस्त्रां के मेनटेनेन्स स्टाफ का हिस्सा बनकर इसस्टेच्यू की चोरी की है। और धमकी दी है कि अगर उनकी सुनवाई नही हुई तो आगे वो और ज्यादा गंभीर कदम उठा सकते हैं।

sombirnaamdev
26-01-2012, 05:43 PM
चौंकिये मत यह बात किसी हद तक बिलकुल सच है कि देश के विभाजन में एक गुजराती दिमाग ने अहम भूमिका निभाई थी? आप ने उस नाम को बार बार सुना होगा क्या अभी भी वह नाम आप को याद नहीं आ रहा है? चलिए मैं ही आप को बता देता हूं | यह वही नाम है जिस के चलते कुछ समय पहले अडवाणी जी को अपनी अध्यक्षता पद से हाथ धोना पड़ा था कियूं कि उन्होंने पाक की धरती पर उस व्यक्ति को सेकुलर की पदवी से नवाज़ दिया था!
जी हाँ मोहम्मद अली जिन्ना जिनके पिता जिन्नाभाई एक संपन्न गुजराती व्यापारी थे जिन्हें देश के विभाजन का सब से बड़ा ज़िम्मेदार माना जाता है! भले ही पाकिस्तान में उन्हें बड़ी उपाधि दी जाती हो पर हमारे देश में आज तक उन्हें कोसा जाता है! उनका नाम आते ही ढोल बजने शुरू हो जाते हैं? मुझे अच्छी तरह याद है कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में “जिन्ना का ज़हर” नाम से कई किस्तों का एपिसोड प्रसारित (लेख प्रकाशित) हुआ था!
बात सिर्फ इतनी ही है कि क्या जिन्ना अकेले देश के विभाजन में ज़िम्मेदार थे? क्या उनके अकेले के चाहने पर देश के टुकड़े हो गए? आखिर परदे के पीछे और कौन कौन से मस्तिष्क काम कर रहे थे? जिनका नाम इस विभाजन से आज तक कोसों दूर रहा है? उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आज़ाद महात्मा गांधी एवं दूसरी गणमान्य हस्तियाँ क्या कर रही थीं? उन्हों ने जिन्ना के अकेले के इस मुद्दे को इतना महत्त्व कियूं दिया? बात आइने की तरह साफ़ है कि परदे के पीछे कुछ न कुछ तो ज़रूर रहा होगा? जिस के चलते जिन्ना अपने मकसद में अकेले होने के बाद भी बड़ी आसानी से कामियाब हो गए? वर्ना क्या मजाल थी की जिन्ना को सफलता मिल जाती?

ndhebar
26-01-2012, 06:22 PM
चौंकिये मत यह बात किसी हद तक बिलकुल सच है कि देश के विभाजन में एक गुजराती दिमाग ने अहम भूमिका निभाई थी? आप ने उस नाम को बार बार सुना होगा क्या अभी भी वह नाम आप को याद नहीं आ रहा है? चलिए मैं ही आप को बता देता हूं | यह वही नाम है जिस के चलते कुछ समय पहले अडवाणी जी को अपनी अध्यक्षता पद से हाथ धोना पड़ा था कियूं कि उन्होंने पाक की धरती पर उस व्यक्ति को सेकुलर की पदवी से नवाज़ दिया था!
जी हाँ मोहम्मद अली जिन्ना जिनके पिता जिन्नाभाई एक संपन्न गुजराती व्यापारी थे जिन्हें देश के विभाजन का सब से बड़ा ज़िम्मेदार माना जाता है! भले ही पाकिस्तान में उन्हें बड़ी उपाधि दी जाती हो पर हमारे देश में आज तक उन्हें कोसा जाता है! उनका नाम आते ही ढोल बजने शुरू हो जाते हैं? मुझे अच्छी तरह याद है कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में “जिन्ना का ज़हर” नाम से कई किस्तों का एपिसोड प्रसारित (लेख प्रकाशित) हुआ था!
बात सिर्फ इतनी ही है कि क्या जिन्ना अकेले देश के विभाजन में ज़िम्मेदार थे? क्या उनके अकेले के चाहने पर देश के टुकड़े हो गए? आखिर परदे के पीछे और कौन कौन से मस्तिष्क काम कर रहे थे? जिनका नाम इस विभाजन से आज तक कोसों दूर रहा है? उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आज़ाद महात्मा गांधी एवं दूसरी गणमान्य हस्तियाँ क्या कर रही थीं? उन्हों ने जिन्ना के अकेले के इस मुद्दे को इतना महत्त्व कियूं दिया? बात आइने की तरह साफ़ है कि परदे के पीछे कुछ न कुछ तो ज़रूर रहा होगा? जिस के चलते जिन्ना अपने मकसद में अकेले होने के बाद भी बड़ी आसानी से कामियाब हो गए? वर्ना क्या मजाल थी की जिन्ना को सफलता मिल जाती?


जहाँ तक मुझे लगता है इस लेख का सूत्र से कोई सम्बन्ध प्रतीत नहीं होता है

sombirnaamdev
26-01-2012, 10:01 PM
To sir ise aap apni jagah par pahuncha dijiye plz

Ranveer
28-01-2012, 07:48 PM
चौंकिये मत यह बात किसी हद तक बिलकुल सच है कि देश के विभाजन में एक गुजराती दिमाग ने अहम भूमिका निभाई थी? आप ने उस नाम को बार बार सुना होगा क्या अभी भी वह नाम आप को याद नहीं आ रहा है? चलिए मैं ही आप को बता देता हूं | यह वही नाम है जिस के चलते कुछ समय पहले अडवाणी जी को अपनी अध्यक्षता पद से हाथ धोना पड़ा था कियूं कि उन्होंने पाक की धरती पर उस व्यक्ति को सेकुलर की पदवी से नवाज़ दिया था!
जी हाँ मोहम्मद अली जिन्ना जिनके पिता जिन्नाभाई एक संपन्न गुजराती व्यापारी थे जिन्हें देश के विभाजन का सब से बड़ा ज़िम्मेदार माना जाता है! भले ही पाकिस्तान में उन्हें बड़ी उपाधि दी जाती हो पर हमारे देश में आज तक उन्हें कोसा जाता है! उनका नाम आते ही ढोल बजने शुरू हो जाते हैं? मुझे अच्छी तरह याद है कि शिवसेना के मुखपत्र सामना में “जिन्ना का ज़हर” नाम से कई किस्तों का एपिसोड प्रसारित (लेख प्रकाशित) हुआ था!
बात सिर्फ इतनी ही है कि क्या जिन्ना अकेले देश के विभाजन में ज़िम्मेदार थे? क्या उनके अकेले के चाहने पर देश के टुकड़े हो गए? आखिर परदे के पीछे और कौन कौन से मस्तिष्क काम कर रहे थे? जिनका नाम इस विभाजन से आज तक कोसों दूर रहा है? उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना आज़ाद महात्मा गांधी एवं दूसरी गणमान्य हस्तियाँ क्या कर रही थीं? उन्हों ने जिन्ना के अकेले के इस मुद्दे को इतना महत्त्व कियूं दिया? बात आइने की तरह साफ़ है कि परदे के पीछे कुछ न कुछ तो ज़रूर रहा होगा? जिस के चलते जिन्ना अपने मकसद में अकेले होने के बाद भी बड़ी आसानी से कामियाब हो गए? वर्ना क्या मजाल थी की जिन्ना को सफलता मिल जाती?


साम्प्रदायिक विचारधारा मे एक gravity होती है , जिसे हल्के ढकेलने पर भी लोग पागलोँ की तरह खीचेँ चले जातेँ हैँ । विभाजन इसी gravity का परिणाम था । जिन्ना ने इसका इस्तेमाल किया था ।

sombirnaamdev
12-02-2012, 02:23 PM
Ranchi: शौक तो भई शौक होता है और शौकीन कोई भी हो सकता है. कुछ मजबूरियों की वजह से अपने शौक को दबा देते हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपने शौक को पूरा करने की राह में आने वाली मुश्किलों को मात दे देते हैं.


आज हम आपको ऐसे ही एक शौकीन शख्स से मिलवा रहे हैं, जो यूं तो दूसरों को चाय की चुस्की का मजा देते हैं, मगर खुद शिकार हो गए हैं एक चस्के का. इनको लगा है एक ऐसे खेल का चस्का, जो महंगा खेल माना जाता है. यह महंगा शौक पालने वाले इस शख्स का नाम है सुमित कुमार महतो और जिस महंगे खेल का इन्हें चस्का लगा है, वह है गोल्फ.

आज सुमित टॉप के गोल्फर हैं. गोल्फ में अगर इनकी रैंकिंग की बात की जाए, तो आज यह माइनस वन हैंडिकैप के प्लेयर बन चुके हैं. साथ ही एमेचर्स रैंकिंग क्वालिफाइंग राउंड में सुमित इंडिया के टॉप टेन में शामिल हो चुके हैं. लेकिन, यहां तक का सफर तय करने में इन्होंने काफी पापड़ बेले हैं. एक चाय वाला से टॉप का गोल्फर बनने का यह सफर इतना आसान नहीं था.
कई मुश्किलें, स्पेशली ऑड फाइनेंशियल कंडीशन सुमित के इस महंगे शौक और दीवानगी की राह में आड़े आईं. इसके बावजूद सुमित ने गोल्फर बनने का सपना नहीं छोड़ा.

नौकरी करते हुए पूरी की पढ़ाई
बरियातू स्थित पंचवटीपुरम में रहने वाले सुमित कुमार महतो ने पढ़ाई के दौरान ही जॉब करना शुरू कर दिया था. जाहिर है, इनकी फैमिली की इकोनॉमिक कंडीशन अच्छी नहीं थी. पिता दिलेश्वर महतो खेती करते थे, जिससे घर का गुजारा मुश्किल से होता था. सिल्ली हाई स्कूल से 10वीं पास करने के बाद सुमित ने रांची में ही एक डॉक्टर के पास कंपाउंडर का काम करना शुरू किया.
बतौर कंपाउंडर 10 साल काम करने के दौरान ही उन्होंने इंटर और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इस बीच सरायकेला कोर्ट में क्लर्क की नौकरी भी लगी.एक साल तक जॉब करने के बाद कुछ पर्सनल रीजन्स की वजह से उन्होंने रिजाइन कर दिया और रांची लौट आए. रांची आने के बाद जब अर्निंग का कोई रास्ता नहीं दिखा, तोडॉ केके सिन्हा के क्लिनिक के पास चाय की दुकान खोल ली.

2006 से लगा गोल्फ का चस्का
चाय की दुकान चलाते-चलाते एक दिन इनके दूर के रिश्तेदार सुखलाल महतो, जो पिछले 20 सालों से गोल्फ के प्लेयर थे, इन्हें अपने साथ रांची के कोकरेल गोल्फ क्लब ले गए. यहां के मेंबर बीके श्रीवास्तव ने सुमित को देखते ही कहा कि भाई तुम गोल्फ क्यों नहीं खेलते. तुम बहुत अच्छा खेल सकते हो, बहुत आगे जाओगे. चूंकि इस खेल को खेलने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं, इसलिए सुमित को थोड़ी हिचकिचाहट हुई.
http://images.jagran.com/inext/inext_p_lnwz_ranchi-golfer.jpg
मेंबर बीके श्रीवास्तव ने इनकी मदद की और पैसे बाद में देने को कहा. इसके बाद सुमित की मॉर्निंग प्रैक्टिस शुरू हो गई. चार-पांच घंटे डेली प्रैक्टिस करने के बाद साल 2006 में आर्मी गोल्फ कप में हुए बीके श्रीवास्तव मेमोरियल टूर्नामेंट में विनर का खिताब मिला.

..और आ गए आल इंडिया टाप टेन में
एक बार टूर्नामेंट में विनर बनने के बाद सुमित का हौसला बढ़ता गया. इसके बाद उन्होंने कई टूर्नामेंट्स में अपना जलवा दिखाया. 2007 में हुए गोल्फ टूर्नामेंट में इन्हें बेस्ट गोल्फर का अवार्ड मिला. जबकि ओडि़शा में हुए गोल्फ टूर्नामेंट में भी विनर और लांग ड्राइव (काफी दूर तक शॉट लगाने वाला प्लेयर) बने. यह खिताब उन्हें जब मिला, उस वक्त उनकी रैंकिंग 13 से 18 हैंडिकैप के बीच थी. बिहार के जमालपुर में 2010 में हुए 33वें जमालपुर ओपेन गोल्फ टूर्नामेंट में भी सुमित को ही विनर का खिताब मिला.
इस साल भुवनेश्वर में हुए नालको ईस्ट जोन गोल्फ में बेस्ट ग्रॉस एंड रनर-अप की उपाधि मिली. कामयाबी का कारवां यहीं नहीं थमा. इसी साल एशिया के नंबर दो का गोल्फ कोर्स कहे जाने वाले ऑक्सफोर्ड क्लब में हुए डेक्कन ओपेन वेस्ट जोन क्वालिफायर में टॉप टेन में सुमित ने अपनी जगह बनाई.

मुश्किलों में भी नहीं हारी हिम्मत
सुमित कुमार महतो एक किसान के बेटे हैं. वहीं, गोल्फ बहुत ही कॉस्टली है. इसके बावजूद इन्होंने हिम्मत नहीं हारी. चाय की दुकान चलाते-चलाते एक और दुकान के साथ इन्होंने गोल्फ खेलना शुरू कर दिया था. लेकिन, महंगा गेम होने के कारण पैसे की कमी हो जाती थी. इसके बावजूद अपने पुराने किट से ही प्रैक्टिस जारी रखी. धीरे-धीरे इन्होंने चार दुकानें खोल लीं.
बरियातू में ही डॉ केके सिन्हा के क्लिनिक के बगल में ही लॉज भी बना लिया.अपने मकान के ऊपर वाले भाग को किराए पर लगा दिया. इसी आमदनी को इन्होंने अपने गोल्फ के शौक को पूरा करने में लगाया. सुमित अब अपने बेटे को भी गोल्फ की ट्रेनिंग देते हैं और इनका बेटा सुशांत भी 16 हैंडिकैप लेवल का प्लेयर बन गया है.

sombirnaamdev
12-02-2012, 02:24 PM
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन
वर्ष 1998 में 17 अगस्त के दिनअमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने व्हाइट हाउस की एक पूर्व कर्मचारी मोनिका लेविंस्की के साथ अपने अनुचित रिश्तों की बात स्वीकार की थी। टेलीविज़न पर दिए अपने संदेश में उन्होंने इस पूरे मामले में अपनी ज़िम्मेदारी कबूल की।

उन्होंने कहा कि वास्तव में मेरे मोनिका के साथ ऐसे संबंध थे, जो अनुचित थे, ग़लत थे। लेकिन कई महीनों तक बिल क्लिंटन इससे इनकार करते रहे कि उनके मोनिका लेविंस्की के साथ यौन संबंध हैं।

वर्ष 1998 में छह अगस्त को मोनिका लेविंस्की ने जूरी के सामने यह स्वीकार करके हलचल मचा दी कि 18 महीनों तक उनके और बिल क्लिंटन के रिश्ते रहे। बाद में क्लिंटन ने अपने संबंधों की बात स्वीकार की और देश की जनता के साथ-साथ अपनी पत्नी हिलेरी क्लिंटन से भी माफ़ी मांगी।

sombirnaamdev
12-02-2012, 02:24 PM
कर्नाटक के जिन तीन मंत्रियों पर विधानसभा सदन के भीतर कथित तौर पर 'पॉर्न' देखने का आरोप लगा था उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
इस तरह के मामले दुनिया में अकेले नहीं है बल्कि इससे पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के राजनेताओं ने सेक्स स्कैंडलों में नाम आने के बाद न सिर्फ पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं बल्कि उन्हें समय पूर्व अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा।

इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी,अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के बारे में तो इनके कार्यकाल के दौरान ही सेक्स संबंधों को लेकर जमकर हंगामा मचा। हाल में एक किताब में अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन ऍफ़ केनेडी के व्हाइट हाउस की पूर्व इंटर्न के साथ सेक्स संबंधों का खुलासा हुआ है।

इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी
इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी लगातार नाबालिग यौनकर्मियों के साथ अपने संबंधों और सेक्स पार्टियों के अपने शौक को लेकर आरोपों से घिरते रहे हैं। बर्लुस्कोनी पर आरोप है कि उन्होंने नाबालिक यौनकर्मियों के साथ संबंध बनाए और ऐसी पार्टियों का आयोजन किया जिनमें नग्नता का प्रचार होता था।

इन मामलों को लेकर विपक्ष उनसे इस्तीफ़े की मांग भी की। हालांकि उनका कहना है कि उनके निजी जीवन में दख़ल देकर विरोधी उनकी छवि ख़राब करने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ.केनेडी
डेली मेल ने एक नए किताब के हवाले से कहा है कि अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ.केनेडी ने व्हाइट हाउस में एक महिला प्रशिक्षु के कौमार्य को भंग किया था। उन्होंने एक कमरे में इस महिला के साथ यौन संबंध बनाए। उस वक़्त इसी कमरे से कुछ फीट की दूरी पर व्हाइट हाउस के कर्मचारी काम खत्म होने के बाद आयोजित एक पार्टी में शराब पी रहे थे।

दादी बन चुकी मिमी अल्फोर्ड नाम की यह महिला अब 69 साल की हैं। मिमी ने बताया कि केनेडी उन्हें एक निजी दौरे के दौरान अपनी पत्नी के रूम में ले गए और वहां उन्होंने उनके साथ सेक्स किया।

sombirnaamdev
12-02-2012, 02:27 PM
पब व बार में वैसे तो आपने इंसानों को देखा,लेकिन अब जान लीजिए कि जानवर भी यहां आने को बेताब रहते हैं.
चना और घास का शौकीन हार्स ब्रिटेन के एक पब में जाना पसंद करता है.

ब्रिटेन के पश्चिमी मिडलैंड के शहर स्टेफोर्डशायर के एक पब में इस जानवर के अनोखे व्यवहार के दर्शन भी हो सकते हैं. बेसिल नाम का यह घोड़ा शराब पीने का शौकीन है.

अपने इस शौक को पूरा करने के लिए वह हर रविवार को नियमित तौर पर पब जाता है और वहां अपने इस शौक को पूरा करता है. यहां उसे उसका पसंदीदा शराब मार्सन्स पैडीग्री परोसा जाता है.

पब के मैनेजर गे वैलिस ने बताया, 'बेसिल हमारे यहां कई साल से शराब पीने आ रहा है. वह स्वभाव से बहुत शांत है। उसे खास गिलास में शराब परोसी जाती है. उसे पीते देखकर लगता है जैसे थकान उतारने के लिए वह शराब पीने का शौक रखता है.

यही नहीं पब में मौजूद अन्य लोगों को भी उसका साथ देने में बहुत मजा आता है. ये लोग बेसिल को देखकर चौंकते नहीं है क्योंकि बाकी लोगों की तरह वह भी ग्राहक है.

नौ साल के बेसिल का मालिक यहां पिछले दस साल से आ रहा है और वह अपने घोड़े को भी अंदर लाता है. वह अपने मालिक के साथ पिछले कुछ साल से लगातार पब में आ रहा है.

पब के मैनेजर ने बताया कि हम उसे शराब के साथ खाने के लिए कुछ सब्जियां भी देते हैं.

बेसिल के मालिक विलनेस ने बताया, 'एक बार जब मैं शराब पी रहा था तो बेसिल ने उसे पीने की कोशिश की. मैंने उसे भी उसका स्वाद चखा दिया. उसके बाद जब उसे भी पीने का चस्का लग गया. हालांकि हम उसे सीमित मात्रा में ही शराब देते

dipu
13-02-2012, 06:54 PM
nice .................................

sombirnaamdev
10-03-2012, 08:17 PM
नीदरलैंड की एक महिला ने अपने प्रेमी के प्यार के जुनून में एक साल के भीतर उसे 65,000 बार फोन किया.
इस महिला पर प्रेमी का पीछा करने और उसे परेशान करने को लेकर कार्रवाई की जा रही है और ज़ाहिर है वो इससे खुश नहीं.
मामला रॉटरडैम शहर का है जहां एक व्यक्ति ने लगातार मिल रहे फोन, ईमेल और मोबाइल संदेशों से परेशान होकर पुलिस से संपर्क किया.
जांच करने पर 42 वर्षीय एक महिला के घर छापा मारा गया जहां से कई मोबाइल फोन बरामद हुए. इन सभी फोन से केवल एक ही नंबर पर फोन किया गया था.
बीबीसी संवाददाता एना हूलीगन के मुताबिक इस महिला पर अपने पुरुष मित्र के इस फोन नंबर पर 65,000 बार फोन करने का आरोप है.
हर दिन 178 बार फोन

इस महिला ने पिछले एक साल में अपने मित्र को हर दिन 178 बार फोन किया यानि लगभग 7 फोन-कॉल हर घंटे.
हालांकि जिस व्यक्ति को यह महिला अपना पुरुष-मित्र बता रही है उनका कहना है कि इस महिला के साथ उनका कोई भावनात्मक या शारीरिक संबंध नहीं.
इस मामले में शुरुआती कार्रवाई के तौर पर महिला को हिरासत में लेकर उन्हें हिदायत दी गई वो इस तरह फोन न करें लेकिन अदालत से बाहर आने के कुछ ही घंटों बाद इस महिला ने फिर उसी नंबर पर फोन करना शुरु कर दिया.
मामला अब फिर अदालत में है और दोनों पक्ष न्याय की उम्मीद कर रहे हैं.

sombirnaamdev
10-03-2012, 08:21 PM
दामोदर व्यास
मुंबई।। मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स बचाने को लेकर पुणे के घोड़ा व्यापारी हसन अली पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। चार्जशीट में आयकर विभाग द्वारा हसन अली की इनकम का आंकड़ा दिया गया है 110, 412, 68, 85, 303 रुपये, शायद ठीक से पढ़ने के लिए तीन-चार बार गिनना पड़े। ये सभी रुपये अगर वैध होते, तो शायद 'फोर्ब्स' लिस्ट में हसन अली का नंबर काफी आगे होता। लेकिन, उस पर लगे सभी आरोप कहीं न कहीं हसन अली के शौकीन मिजाज को बयां करते हैं।

ऐल्बम में कैद थी निजाम की जूलरी
चार्जशीट के अनुसार हसन अली ने एक बार काशीनाथ तापडि़या को गंगटोक के किसी होटेल के लॉन में हैदराबाद के निजाम फैमिली से की बेशकीमती जूलरी दिखाई। काशीनाथ तापडि़या के बयान के अनुसार यह पहली बार था, जब उन्हें हसन अली के जूलरी और डायमंड प्रेम का पता चला। हसन अली ने उस वक्त सूटकेस में से एक फोटोग्राफ ऐल्बम से निकालकर तापडि़या को दिखाया। फोटो हसन अली के पत्नी रीमा खान की थी, जिसने बेशकीमती जूलरी पहन रखी थी। तापडि़या ने ईडी को बयान दिया कि हसन अली उस जूलरी को बेचना चाहता था और उनको ग्राहक ढूंढने के लिए कहा। हसन ने बताया तापडि़या को बताया कि जूलरी हैदराबाद के निजाम परिवार की है।

खान की पहुंच म्यूजियम में भी थी
चार्जशीट के अनुसार काशीनाथ तापडि़या ने ईडी को दिए बयान में आगे बताया कि 1995 में हसन अली ने उनको हैदराबाद बुलाया, जहां उसने एमराल्ड जूलरी और रूबी का एक बड़ा हीरा दिखाया, लगभग 50 कैरेट का। इसके अलावा वो उन्हें सलरजंग म्यूजियम में ले गया और नसीम बेग नाम के शख्स से मिलवाया, जो म्यूजियम का मैनेजर था। इस म्यूजियम में हसन ने काशीनाथ को निजाम फैमिली से जुड़ी कई दुर्लभ चीजें दिखाई और कहा कि उनमें से कोई भी चीज कौडि़यों के दाम पर बेच सकता है, बशर्ते कोई ग्राहक मिले।

लॉकर में रखा था निजाम का धन
चार्जशीट के अनुसार 2002 में ज्यूरिख में हसन अली ने काशीनाथ को बताया था कि यूबीएस बैंक के लॉकर में उसने दुर्लभ जूलरी रखी हुई है , जिसे वो किसी नए लॉकर में ट्रांसफर करना चाहता है। काशीनाथ ने ईडी को अपने बयान में बताया कि इसके लिए उसने फिलिप आनंदराज से संपर्क किया। यह जूलरी एलबम में रखी फोटोग्राफ जैसी ही थी।

हसन का ' हेरिटेज ' प्रेम
चार्जशीट के अनुसार स्विट्जरलैंड स्थित जिस होटेल शैटो गुत्श को हसन अली खरीदना चाहता था वह एक हेरिटेज बिल्डिंग थी। उसे खरीदने के लिए हसन अली बेताब था और डील के लिए काशीनाथ तापडि़या और फिलिप आनंदराज और अपनी पत्नी रीमा खान को लेकर गया था। मीटिंग में होटेल के मालिक और उसके वकील ने रुपये के इंतजाम करने पर सवाल उठाया , तब हसन ने अपने आप को निजाम फैमिली से संबंधित बताकर और यूबीएस बैंक के अकाउंट में होटेल खरीदने के लिए पर्याप्त धन होने की बात कहकर अपनी प्रामाणिकता दी। इस होटेल को भी हसन अपने शौक के कारण खरीदना चाहता था।

शौकीन हसन अली दुर्लभ चीजों के चीजों का इतना दीवाना था , जिसके चलते उस पर निजाम फैमिली की जूलरी और अन्य ऐंटिक चीजों की चोरी का आरोप है। हसन पर लगे सारे आरोपों में कहीं न कहीं उसका शौकीन मिजाज भी सामने आ या।

sombirnaamdev
16-03-2012, 12:48 AM
रिकॉर्ड तो नहीं बना पाया लेकिन अस्पताल जरूर पहुंच गया यह बेचारा !!

आजकल खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने के लिए व्यक्ति क्या कुछ नहीं करता. स्कूल में पढ़ने वाला छात्र अपनी सभी इच्छाओं को छोड़कर दिन-रात सिर्फ पढ़ाई करता है ताकि वह अन्य सहपाठियों से ज्यादा अंक ला सके. खेल में अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकलने के लिए व्यक्ति खाना-पीना तक छोड़कर सिर्फ और सिर्फ प्रैक्टिस में जुट जाता है. यह सब तो ठीक था लेकिन जब से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स प्रचलन में आए हैं तब से तो शायद सभी लोग यह ख्वाहिश रखने लगे हैं कि पहले के बने हुए रिकॉर्ड्स को तोड़कर अपना नाम इस किताब में दर्ज करवा सकें, फिर चाहे इस काम को पूरा करने के लिए उन्हें अपनी जान से ही क्यों ना खेलना पड़े.


कोलंबो (श्रीलंका) में रहने वाले एक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के दीवाने की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. फिल्मों में या फिर जादूगरी से संबंधित कार्यक्रमों में आपने यह कारनामा जरूर देखा होगा जिसमें जादूगर एक बड़े से बक्से, जिसमें ना तो बाहर निकलने का कोई रास्ता होता है और ना ही सांस लेने का माध्यम, में घंटों समय बिताने के बाद जीवित और सकुशल बाहर निकलता है. इस व्यक्ति ने भी ऐसा ही कुछ करने की ठानी लेकिन उसकी बक्से में सबसे ज्यादा समय तक रहने और जीवित बाहर निकलने का विश्व रिकॉर्ड बनाने की चाहत तो पूरी नहीं हो सकी. इसके उलट वह अस्पताल जरूर पहुंच गया.



वर्तमान में यह रिकॉर्ड ब्रिटेन के रहने वाले एक व्यक्ति के नाम है जिसे तोड़ने की मजबूत इच्छा लिए यह व्यक्ति बंद बक्से में बैठने के लिए तैयार हो गया, इतना ही नहीं उसने बाहर से ताला भी लगवा लिया. लेकिन जब कुछ देर बाद बक्से में होने वाली हलचल और उस व्यक्ति की आवाज आनी बंद हो गई तो मजबूरन उस बक्से को खोला गया. लेकिन तब तक वह व्यक्ति अचेत हो चुका था. आनन-फानन में उसे अस्पताल पहुंचाया गया जहां अब भी अपनी जान पर खेलकर वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने पर उतारू इस व्यक्ति का इलाज चल रहा है.