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View Full Version : ब्रह्माण्ड (The Universe)


Suresh Kumar 'Saurabh'
10-02-2012, 06:56 AM
यहाँ हम ब्रह्माण्ड में निहित विभिन्न जानकारियाँ लेंगे।

Suresh Kumar 'Saurabh'
10-02-2012, 07:10 AM
मित्रों हम इस सूत्र में ब्रह्माण्ड से सम्बन्धित निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करेंगे ।
1- अंतरिक्ष
2- तारे
3- पल्सर, ब्लैक होल, क्वासकर
4- मंदाकिनियां
5- सूर्य
6- सौर मंडल तथा उनके ग्रह ( पृथ्वी कीविस्तार से चर्चा करेंगे )
7- छुद्र ग्रह
8- उल्का और उल्का पिंड
9- धूमकेतु

Suresh Kumar 'Saurabh'
10-02-2012, 07:17 AM
मित्रों हम इस सूत्र में ब्रह्माण्ड से सम्बन्धित निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करेंगे ।.1- अंतरिक्ष2- तारे3- पल्सर, ब्लैक होल, क्वासकर4- मंदाकिनियां5- सूर्य6- सौर मंडल तथा उनके ग्रह ( पृथ्वी कीविस्तार से चर्चा करेंगे )7- छुद्र ग्रह8- उल्का और उल्का पिंड9- धूमकेतु मैं 1- अंतरिक्ष 2- तारे 3- पल्सर ब्लैक, होल, क्वासकर ये सब अलग-अलग लाइनों में लिखना चाहता हूँ किन्तु सब एक ही लाइन में मिल जा रहा। कोई सहायता करे।

Dark Saint Alaick
10-02-2012, 07:37 AM
आपने एक श्रेष्ठ विचारवान और जानकारी परक सूत्र का निर्माण किया है, मित्र ! इसे निरंतर रखें तो यह और आनंददायक सिद्ध होगा ! धन्यवाद !

Suresh Kumar 'Saurabh'
10-02-2012, 07:54 AM
आपने एक श्रेष्ठ विचारवान और जानकारी परक सूत्र का निर्माण किया है, मित्र ! इसे निरंतर रखें तो यह और आनंददायक सिद्ध होगा ! धन्यवाद ! उपर लिखी समस्या का समाधान है तो बताइ तभी मैं सूत्र को गति दे पाऊँगा।

Suresh Kumar 'Saurabh'
10-02-2012, 09:40 AM
1-अंतरिक्ष (Space)
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15142&stc=1&thumb=1&d=1328852358
अंतरिक्ष एक वायुरहित क्षेत्र है, जिसकी सीमाएँ सभी दिशाओं में अनन्त तक फैली हुई हैं। हम अंतरिक्ष में चाहे जिस भी दिशा में निकल जायें, अनन्तकाल तक चलने के बाद भी अन्तिम सीमा तक नहीं पहुँच सकते हैं। अंतरिक्ष अंतहीन ऐसा क्षेत्र है जिसमें सौरमण्डल, असंख्य तारे,तारकीय धूल और मंदाकिनियां सभी विद्यमान हैं। सम्पूर्ण अंतरिक्ष में न तो हवा है और न ही बादल हैं। दिन हो या रात अंतरिक्ष में घनघोर अंधकार रहता है, बिल्कुल काला। अंतरिक्ष में प्राणी जगत के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। अंतरिक्ष में कोई प्राणी नहीं रहता है।अंतरिक्ष कहाँ से शुरू होता है यह आज भी रहस्य बना हुआ है क्योंकि इस तथ्य की कोई जानकारी नहीं है। अंतरिक्ष तो हमें चारो ओर से घेरे हुए है। समझने के लिए हम इतना ही कह सकते हैं कि अंतरिक्ष वहां से शुरू होता है जहां पृथ्वी का वायुमण्डल समाप्त होता है।आज के वैज्ञानिक तथा विद्वान शक्तिशाली रेडियो दूरबीनों, राकेटों, कृत्रिम उपग्रहों, अंतरिक्ष यानें और प्रोबों की सहायता से अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को जाननें में लगे हुए हैं। नये आविष्कारों से अंतरिक्ष सम्बन्धी कुछ नये तथ्य सामने आ भी रहें हैं।

Suresh Kumar 'Saurabh'
10-02-2012, 06:50 PM
2-तारे (Stars)

शाम होते ही धीरे-धीरे अंधकार छाने लगता है। जब हम आकाश में दृष्टि डालते हैं तो देखते हैं कि कई चमकीले बिन्दुओं की तरह तारे नजर आने लगते है। ये छोटे-छोटे इसलिए दिखते है क्योंकि ये हमसे बहुत ही अधिक दूरी पर स्थित होते हैं। सूर्य भी एक प्रकार का तारा ही है, किन्तु यह दूसरे तारों की तरह छोटा नहीं दिखता, क्योंकि यह अन्य तारों की अपेक्षा हमारे बहुत निकट है। यदि हम तारों के कुछ नजदीक पहुँच जाएं तो वे भी हमें सूर्य की भांति दिखाई देंगे। तारे चमकती हुई गैस के विशाल पिण्ड हैं। इनमें से कुछ तो सूर्य से भी बङे हैं और चमकीले हैं, तथा दूसरे कुछ छोटेतथा धुंधले हैं। 'रीगल, नील-सफेद दानव' तारे का व्यास सूर्य से 80 गुना अधिक है। तारे सफेद दिखाई देते हैं, किन्तु सभी तारे सफेद नहीं होते हैं, कुछ नारंगी, लाल या नीले रंग के भी होते हैं। अत्यधिक गर्म तारों का रंग नीला होता है और ठण्डे तारों का लाल। सूर्य पीला-सफेद तारा है यानी इसका तापमान औसत दर्जे का है। लेकिन ठंडे तारों का तापमान भी 1000 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होता, इसलिए कोई भी अंतरिक्ष यात्री कभी भी किसी तारे के आस-पास भी नहीं पहुँच सकता है। किसी अंतरिक्ष यान को चन्द्रमा तक जाने के लिए तीन दिन का समय लगता है। सूर्य तक जाने में कई महीनें चाहिए। अंतरिक्ष यान को सबसे नजदीकी तारे के निकट पहुँचने में हजारों वर्ष लग सकतेहैं।इतनी दूरी को कि.मी. में मापना एक कठिन समस्या है। इसलिए वैज्ञानिक तारों की दूरी मापने के लिए प्रकाश वर्ष और पारसेक इकाइयों का प्रयोग करते हैं। प्रकाश वर्ष वह दूरी है जिसे प्रकाश तीन लाख किमी. प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से चलकर एक वर्ष में तय करता हैयानी 9.4607x1000000000000 किमी.। एक पारसेक (pc) 3.6 प्रकाशवर्ष के बराबर होता है यानी 30.857x1000000000000 किमी.।चन्द्रमा से आने वाले प्रकाश को हम तक पहुँचने में लगभग 1.3 सेकंड का समय लगता है। सूर्य से चलने वाला प्रकाश हम तक 8 मिनट 18 सेकंड में पहुँचता है। लेकिन सूर्य के बाद सबसे नजदीकी तारे ' प्रोक्सिमा सेन्टोरी ' से आने वाले प्रकाश को हम तक पहुँचने में 4.2 प्रकाश वर्ष लगते हैं। हमारी मंदाकिनी में सबसे दूर के तारे की दूरी लगभग 63000 प्रकाश वर्ष ( 19.325 pc ) है।

Suresh Kumar 'Saurabh'
11-02-2012, 08:57 AM
3-पल्सर, ब्लैक होल तथा क्वासर

पल्सर (Pulsars)

पल्सर, घूर्णन करते हुए ऐसे तारे है जिनसे नियमबद्ध रूप से विकिरण स्पन्द आते रहते है । पल्सर शब्द पल्सेटिंग रेडियों स्टार के लिए प्रयुक्त होता है । जब किसी बङे तारे में विस्फोट होता है तब उसका बाहरी भाग छिटककर नेबुला (nebula) का रूप धारण कर लेता है और क्रोड घटकर छोटा सघन तारा बन जाता है जिसे 'न्यूट्रान तारा कहते हैं' । इसमें न्यूट्रान बहुत पास-पास होते हैं तथा इनका घनत्व भी बहुत अधिक होता है । ये बहुत ही छोटे तथा धुंधले होते हैं । एक न्यूट्रान तारे का औसत व्यास 10 किमी. तक का होता है । ये न्यूट्रान तारे ही पल्सर कहलाते हैं। रेडियो दूरबीन पर पल्सर से आता किरणपुंज 'टिक' जैसी आवाज उत्पन्न करता है । तेजी से घूमते हुए ये तारे लाइट हाउसों की तरह हैं । साधारण पल्सरों के फ्लैश के बीच का अंतराल एक या आधा सेकंड होता है । अति तीव्रता सेस्पन्दन करने वाला पल्सर NP-0532 है, जो 'क्रेब नेबुला' में स्थित है। यह एक सेकंड में तीस बार स्पन्दन करता है । सबसे पुराना और मंद गति से घूर्णन करने वाला पल्सर NP 0527 है जिसके स्पन्दों के बीच का अन्तराल 3.7 सेकंड है । सभी पल्सर 0.03 सेकंड से 4 सेकंड की अवधि में एक स्पन्द पैदा करते हैं । सामान्यत: पल्सरों को प्रकाशीय दूरबीन से नहीं देखा जा सकता है । पहला NP0532 क्रेब नेबुला में है और दूसरा PSR 0833-45 गम नेबुला में है। अब तक वैज्ञानिक 100 से अधिक पल्सरों का पता लगा चुके हैं।

Suresh Kumar 'Saurabh'
11-02-2012, 09:21 PM
धन्यवाद डार्क जी! बहुत ही सुन्दर सम्पादन किया है।

Sikandar_Khan
11-02-2012, 09:25 PM
सुरेश भाई जी, बहुत ही ज्ञानवर्धक सूत्र का निर्माण किया है |

Suresh Kumar 'Saurabh'
11-02-2012, 09:27 PM
ब्लैक होल (Black Hole)

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=15159&stc=1&d=1329020066

बहुत सारे तारे सूर्य से बहुत बङे होते हैं। सूर्य से लगभग तीन गुने विशाल तारे जब समाप्त हो जाते हैं तब अंतरिक्ष में कुछ काले क्षेम बन जाते हैं जिसे ब्लैंक होल कहते हैं।ब्लैक होल का गुरूत्वाकर्षण बल अत्यन्त प्रचण्ड होता है। इन गुरूत्वाकर्षण बल के क्षेत्र के सम्पर्क में जो कोई भी वस्तु आता है वोब्लैक होल में चला जाता है और एक बार ब्लैक होल में जाने के बाद कभी भी बाहर नहीं आ सकता है। यहाँ तक कि प्रकाश भी इस गुरूत्वाकर्षण के कारण बाहर नहीं आ पाता है। सन् 1972 ई. में पहली बार ब्लैक होल की पहचान की गई थी। यह सिग्नस एक्स-1 के दुहरे तारे में था। यह दुहरा तारा एक्स-किरणों का स्रोत है। यह उसका एक छोटा साथी है जो बिल्कुल काला है। यह न्यूट्रान तारा नहीं है इसलिए इसको ब्लैक होल कहते हैं। सामान्यत: ब्लैक होल से एक्स- किरणों और अवरक्त विकिरण (infrared radiation) निकलते हैं। इन्हीं विकिरणों के आधार पर अंतरिक्ष में ब्लैक होलों का पता लगाया जाता है ब्लैक होलों का द्रव्यमान 10 करोङ सूर्य के बराबर तक हो सकता है।

anoop
12-02-2012, 06:12 AM
इस विषय में मेरी भी काफ़ी रूचि है, आप निरन्तरता बनाए रखें

Suresh Kumar 'Saurabh'
12-02-2012, 07:28 AM
क्वासर (Quasars)

क्वासर शब्द 'क्वासी-स्टैलर रेडियो सोर्सेज' का संक्षिप्त रूप है। क्वासर एक तारे की तरह दिखाई देते हैं। प्रकाशीय दूरबीन से ये साधारण धुंधले तारों जैसे दिखाई देते हैं, किन्तु रेडियो दूरबीन परीक्षण से पता चला है कि ये रेडियो तरंगों के स्रोत हैं। मार्टेन श्मिट ने सन् 1962 में 3C-273 क्वासर का पता लगाया। इसमें अवरक्त विस्थापन Z का मान 0.158 था। यह तरंग गति का एक प्रभाव है, जो गतिशील वस्तुओं के साथ देखने को मिलता है। इसमें पास आने वाले प्रकाश के स्रोत के स्पेक्ट्रम का विस्थापन बैंगनी रंग की तरफ और दूर जाने वाले प्रकाश स्रोत के स्पेक्ट्रम का विस्थापन लाल रंग की ओर होता है। अवरक्त विस्थापन, प्रकाश स्रोत के दूर जाने को दर्शाता है। क्वासर से हमें प्रकाश के साथ-साथ रेडियो तरंगे और एक्स किरणें भी मिलती हैं। एक क्वासर का आकार हमारी मंदाकिनी का एक लाखवां हिस्सा होता है, किन्तु इसकी चमक 100-200 गुना अधिक होती है। अभी तक 1500 क्वासरो की खोज की जा चुकी है।

Suresh Kumar 'Saurabh'
14-02-2012, 09:58 AM
मंदाकिनियां (Galaxies)

रात को आकाश में प्रकाश की एक दूधिया नदी-सी दिखाई देती है, जिसे मिल्की वे या आकाशगंगा कहते हैं। इटली के खगोलवेत्ता गैलीलियो ने सबसे पहले अपनी दूरबीन से इसको देखकर बताया था कि यह वास्तव में करोङों टिमटिमाते तारों का विशाल पुँज है। यह एक मंदाकिनी है। हमारा सौर परिवार इसी का एक सदस्य है। न जाने इसमें और कितने सौर मंडल हैं। सभी मंदाकिनियां तारों के विशाल पुँज हैं। ये पुँज इतने विशाल हैं कि कुछ लोग इन्हें 'ब्रह्माण्ड प्रायद्वीप' भी कहते हैं। समस्त ब्रह्माण्ड में मंदाकिनियां फैली हुई हैं। शक्तिशाली दूरबीनों से 100 करोङ मंदाकिनिया देखी जा सकती हैं, जिनकी दूरी 1000 प्रकाश वर्ष से एक करोङ प्रकाश वर्ष तक है। अधिकां मंदाकिनियां आकाश में बिखरी हुई दिखाई देती हैं।

anoop
17-02-2012, 06:25 PM
वाह अच्छा सुत्र है, आगे बढ़ाएँ...

Suresh Kumar 'Saurabh'
27-03-2012, 08:07 AM
---------------- सूर्य -----------------

http://farm2.static.flickr.com/1155/918166425_84089352ec.jpg


सूर्य आकाशगंगा का एक तारा है जो हमें अन्य तारों से बहुत बड़ा दिखाई देता है, क्योंकि यह हमारी पृथ्वी के अधिक निकट है। कुछ तारों की तुलना में यह बहुत छोटा है। बीटेलजूज तारा सूर्य से से 800 गुना बङा है।पृथ्वी से सूर्य की दूरी 14,95,97,900 किमी है। इसका व्यास लगभग 1,400,000 किमीं है यानि पृथ्वी के व्यास का 109 गुना। इसका गुरूत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना में 28 गुना अधिक है।आकाशगंगा के केन्द्र से सूर्य की दूरी आधुनिक अनुमान के आधार पर 32000 प्रकाश वर्ष है। 250 किमी/से. की औसत गति से केन्द्र के चारो ओर एक चक्कर पूरा करने में सूर्य को 22.5 करोङ वर्ष लगते हैं। यह अवधि 'ब्रह्माण्ड वर्ष' कहलाती है। सूर्य पृथ्वी की तरह अपने अक्ष पर भी घूमता है। सूर्य गैस का बना है इसलिअ विभिन्न अक्षांशों पर विभिन्न गति से घूम सकता है। ध्रुवों पर उसके घूमने की अवधि लगभग 24-26 दिन है और भूमध्य रेखा पर 34-37 दिन है।सूर्य चमकती हुई गैसों का एक महापिंड है। इसको एक विशाल हाइड्रोजन बम कह सकते हैं, क्योंकि इसमें नाभिकीय संलयन द्वारा अत्यधिक उष्मा और प्रकाश उत्पन्न होते हैं। इसमें आने वाले प्रकाश और गर्मी से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है।सूर्य की दिखाई देने वाली बाहरी सतह को 'फोटोस्फियर' कहते हैं, जिसका तापमान लगभग 6000 डिग्री सेल्सियस है, किन्तु केन्द्र का तापमान 15000000 डिग्री सेल्सियस है।सूर्य की सतह या फोटोस्फियर से चमकती हुई लपटें उठती रहती हैं, जिन्हें 'सौर-ज्वालाएँ' कहते हैं। ये लगभग 10 लाख किमी. ऊँचाई तक पहुँचती हैं।सूर्य की सतह पर काले धब्बे भी दिखाई देते हैं। ये सूर्य की सतह के तापमान (6000 डिग्री सेल्सियस) से अपेक्षाकृत लगभग 1500 डि. से. ठंडे होते हैं। इन धब्बों का जीवन कुछ घण्टों से लेकर कई सप्ताह तक होता है। एक धब्बे का तापमान 4000-5000 डिग्री. से. तक हो सकता है। कुछ धब्बे तो हमारी पृथ्वी से भी कई गुने बङे होते हैं।सूर्य के धब्बे जब अधिक समय तक रहते हैं तो सौर-विस्फोट और सौर-ज्वालाएँ अधिक उठने लगती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि आयनमंडल में उथल-पुथल हो जाती है और पृथ्वी पर रेडियो संचारों में बाधाएँ पङती हैं।

Sikandar_Khan
27-03-2012, 09:02 AM
अतिउत्तम सूत्र है !इसे निरन्तर गतिमान रखेँ |

Suresh Kumar 'Saurabh'
29-03-2012, 11:12 AM
अतिउत्तम सूत्र है !इसे निरन्तर गतिमान रखेँ | धन्यवाद! भाई जी।

Suresh Kumar 'Saurabh'
30-03-2012, 11:46 AM
----------- सौर मंडल ----------आकाशगंगा के केन्द्र से लगभग 30,000 से लेकर 33,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक कोने में हमारा सौर मंडल स्थित है। सौर मंडल के के केन्द्र में सूर्य है। सौर मंडल मे सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल मे एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। ये सभी पिण्ड सूर्य के परिवार हैं। इसी सौर परिवार को 'सौर मंडल' कहते हैं। सौर परिवार या सौर मण्डल में जो पिंड सम्मिलित हैं उनमें आठ ग्रह , उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों मे क्षुद्रग्रह , बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु , उल्कायें , और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं।सौर मंडल के सनदी क्षेत्रों मे सूर्य, चार पार्थिव (स्थलीय) आंतरिक ग्रह, क्षुद्रग्रह घेरा‎ , चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है।सूर्य से होने वाला प्लाज्मा का प्रवाह(सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम मे एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। सौर मंडल में वह पिंड जो हमारी पृथ्वी की भांति ही सूर्य का चक्कर लगाते हैं उन्हें ग्रह कहा जाता है। ग्रहों की चर्चा हम आगे करेंगे।

DevRaj80
30-03-2012, 12:06 PM
achha prayas hai

laddi
04-11-2012, 12:45 AM
सुरेश भाई जी, बहुत ही ज्ञानवर्धक सूत्र का निर्माण किया है |
बढिया सूत्र और जानकारी दे
मेरा मनपसंद विषय