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View Full Version : जान लेने पे क्यों अमादा हो !


Dr. Rakesh Srivastava
19-02-2012, 09:53 PM
मुझपे अब ध्यान क्यों नहीं देते
रोज इल्ज़ाम क्यों नहीं देते

इस कदर क्यों मुझे सताते हो
दिल को आराम क्यों नहीं देते

जान लेने पे क्यों अमादा हो
अब नए ज़ख्म क्यों नहीं देते

वो जो शहद से हैं , ज़हर भी हैं
इश्क के जाम क्यों नहीं देते

हसीन गफलतों में जीने के
नए सामान क्यों नहीं देते

नींद क्यों बख्श दी है रातों को
आँख को अश्क क्यों नहीं देते

कुछ रहम तो करो कलम पे मेरी
इसको जज़्बात क्यों नहीं देते

सलीब पर भी जिन्हें गा मैं सकूं
ऐसे नगमात क्यों नहीं देते

मेरा कातिल मेरा सुकून भी हो
ऐसे लम्हात क्यों नहीं देते

रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .

sombirnaamdev
19-02-2012, 10:35 PM
मुझपे अब ध्यान क्यों नहीं देते
रोज इल्ज़ाम क्यों नहीं देते

इस कदर क्यों मुझे सताते हो
दिल को आराम क्यों नहीं देते

जान लेने पे क्यों अमादा हो
अब नए ज़ख्म क्यों नहीं देते

वो जो शहद से हैं , ज़हर भी हैं
इश्क के जाम क्यों नहीं देते

हसीन गफलतों में जीने के
नए सामान क्यों नहीं देते

नींद क्यों बख्श दी है रातों को
आँख को अश्क क्यों नहीं देते

कुछ रहम तो करो कलम पे मेरी
इसको जज़्बात क्यों नहीं देते

सलीब पर भी जिन्हें गा मैं सकूं
ऐसे नगमात क्यों नहीं देते

मेरा कातिल मेरा सुकून भी हो
ऐसे लम्हात क्यों नहीं देते

रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ . rakesh ji aap bhi hamariजान लेने पे क्यों अमादा हो ji , vaah janab kya likha hai kasam se?

Sikandar_Khan
20-02-2012, 08:28 AM
डॉक्टर साहब
हमेशा की तरह बहुत ही खूब लिखा है |:fantastic:

MANISH KUMAR
20-02-2012, 05:15 PM
आहा...... बहुत खूब.:cheers:

jayeshdave101
22-02-2012, 10:26 AM
कुछ रहम तो करो कलम पे मेरी
इसको जज़्बात क्यों नहीं देते

सलीब पर भी जिन्हें गा मैं सकूं
ऐसे नगमात क्यों नहीं देते waahhh... Bahut sundar

Ranveer
24-02-2012, 07:26 PM
डाक्टर साहब चोट खाए हुए आशिक लगतेँ हैँ ।

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 11:50 AM
आदरणीय abhisays ji ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए आपका आभारी हूँ .

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 11:51 AM
सम्माननीय अरविन्द जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए आपका आभारी हूँ .

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 11:56 AM
डॉक्टर साहब
हमेशा की तरह बहुत ही खूब लिखा है |:fantastic:

सम्माननीय सिकंदर जी ;
रचना आपको पसंद आयी ,
मेरी मेहनत सफल हुई .
शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 12:54 PM
आहा...... बहुत खूब.:cheers:

सम्माननीय मनीष कुमार जी ;
आपने पसंद किया ,
आपका बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 12:56 PM
कुछ रहम तो करो कलम पे मेरी
इसको जज़्बात क्यों नहीं देते

सलीब पर भी जिन्हें गा मैं सकूं
ऐसे नगमात क्यों नहीं देते waahhh... Bahut sundar


सम्माननीय जयेश देव जी ;
आपने पसंद किया ,
आपका बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 01:01 PM
rakesh ji aap bhi hamariजान लेने पे क्यों अमादा हो ji , vaah janab kya likha hai kasam se?

सम्माननीय सोमवीर नामदेव जी ;
अगर आपकी जान लेने की बेवकूफी कर बैठा
तो भविष्य में मुझे पढ़ेगा कौन !
आपका बहुत शुक्रिया .
कृपया आगे भी स्नेह बनाए रखियेगा .

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 01:12 PM
डाक्टर साहब चोट खाए हुए आशिक लगतेँ हैँ ।

सम्माननीय रणवीर जी ;
लगता है कि वरिष्ट लोगों में भी
बचपना शेष रह ही जाता है .
भविष्य में भी रचनाओं के सन्दर्भ में
आपकी प्रतिक्रियाओं की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी .
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .