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View Full Version : लुत्फ़ ग़र मौत तक का लेना हो


Dr. Rakesh Srivastava
29-02-2012, 09:36 PM
ख़ुद की सूरत पे ही न इतराओ
थोड़ा सीरत से भी संवर जाओ

अगर ऊंचाइयों की ख़्वाहिश हो
तो तुम मचान से उतर जाओ

ग़र ज़माने से निभाना चाहो
तो कभी ख़ुद से भी झगड़ जाओ

क्यों सिमट कर के ख़ुद में जीते हो
बन के ख़ुश्बू - सा तुम बिखर जाओ

अपनी किस्मत अगर न रास आये
तो इरादों के सफ़र पर जाओ

क्यों ठिठक कर खड़े हो साहिल पे
आग के दरिया में उतर जाओ

हार या जीत की मत फ़िक्र करो
बस तज़ुर्बात से गुज़र जाओ

ख़्वाब को आँख से मिटने मत दो
चाहे आईने - सा बिखर जाओ

जो असल हुक्मरान बनना हो
तो ख़ुद पे हुक्मरानी कर जाओ

लुत्फ़ ग़र मौत तक का लेना हो
तो किसी नाज़नीं पे मर जाओ

रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ ,

Sikandar_Khan
29-02-2012, 09:42 PM
ख़ुद की सूरत पे ही न इतराओ
थोड़ा सीरत से भी संवर जाओ

अगर ऊंचाइयों की ख़्वाहिश हो
तो तुम मचान से उतर जाओ

ग़र ज़माने से निभाना चाहो
तो कभी ख़ुद से भी झगड़ जाओ

क्यों सिमट कर के ख़ुद में जीते हो
बन के ख़ुश्बू - सा तुम बिखर जाओ

अपनी किस्मत अगर न रास आये
तो इरादों के सफ़र पर जाओ

क्यों ठिठक कर खड़े हो साहिल पे
आग के दरिया में उतर जाओ

हार या जीत की मत फ़िक्र करो
बस तज़ुर्बात से गुज़र जाओ

ख़्वाब को आँख से मिटने मत दो
चाहे आईने - सा बिखर जाओ

जो असल हुक्मरान बनना हो
तो ख़ुद पे हुक्मरानी कर जाओ

लुत्फ़ ग़र मौत तक का लेना हो
तो किसी नाज़नीं पे मर जाओ


डॉक्टर साहब ,आपने अत्यंत प्ररेणादायक रचना रची है |
आपके मेहनत को मेरा सेल्यूट |

naman.a
02-03-2012, 10:24 AM
बहुत ही सुन्दर रचना हैं डॉक्टर साहेब, आपको और आपकी लेखनी को धन्यवाद

Dr. Rakesh Srivastava
02-03-2012, 01:19 PM
आदरणीय abhisays ji ;
आपने पढ़ा व पसंद किया '
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

ndhebar
02-03-2012, 04:00 PM
yun to apne achchha likha hai, hamesha ki tarah
par main antim panktiyon se ittefaq nahi rakhta hun
bade bhaai maja to jindagi men hai, maut bhi bhala koi maje wali chij hai

Dr. Rakesh Srivastava
07-03-2012, 08:28 PM
सम्माननीय Dark Saint Alaick जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
07-03-2012, 08:30 PM
सम्माननीय जितेन्द्र गर्ग जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
07-03-2012, 08:37 PM
डॉक्टर साहब ,आपने अत्यंत प्ररेणादायक रचना रची है |
आपके मेहनत को मेरा सेल्यूट |

सम्माननीय सिकंदर जी ;
रचना ने आपको प्रभावित किया ,
मेरी मेहनत सफल हुई .
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
07-03-2012, 08:40 PM
बहुत ही सुन्दर रचना हैं डॉक्टर साहेब, आपको और आपकी लेखनी को धन्यवाद

सम्माननीय नमन जी ;
रचना आपको पसंद आयी ,
मेरा उत्साहवर्धन हुआ .
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
07-03-2012, 09:01 PM
yun to apne achchha likha hai, hamesha ki tarah
par main antim panktiyon se ittefaq nahi rakhta hun
bade bhaai maja to jindagi men hai, maut bhi bhala koi maje wali chij hai

सम्माननीय n dhebar जी ;
प्रजातंत्र में सभी को अपनी सोच बनाने अथवा मत भिन्नता व्यक्त करने का अधिकार है .
फिलहाल मैं सन्दर्भ विशेष में अपनी इसी सोच पर कायम रहते हुए , आपकी सोच का भी सम्मान करता हूँ ,
भविष्य में अपनी सोच का विश्लेषण पुनः करूंगा . आशा है आप आगे भी इतने ही ध्यान से मुझे पढ़कर अपनी बेबाक टिप्पणियां प्रस्तुत करते रहेंगे .
बेबाक राय प्रस्तुत करने के लिए आपका विशेष धन्यवाद .

Dark Saint Alaick
07-03-2012, 09:37 PM
सम्माननीय dark saint alaick जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

प्रियवर, कृपया आप मुझे 'सम्माननीय' और 'आदरणीय' जैसा संबोधन नहीं दिया करें ! मैं आपके सृजन कर्म के कारण आपका अत्यंत आदर करता हूं और एक समान सृजनधर्मा मुझे यह संबोधन दे यह मुझे गवारा नहीं है ! आप मुझे मित्र अथवा दोस्त लिखेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा ! सादर !