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View Full Version : ओछी राजनीति


balamrasia
19-03-2012, 03:20 PM
दलित और मुस्लमान नेता पिछले १०० सालों से टकराव की राजनीती कर रहें हैं .इस से उनकी नेतागिरी खूब चलती है . इन पिछड़े वर्ग के लिए भावुक कवितायेँ लिखी और पढ़ी जाती है. वाह- वाह होती है, घडियाली आंसू बहाए जाते हैं ,मुट्ठियाँ भींच जाती है. बिना पढाई किये कॉलेज में दाखिला मिल जाता है .चंद सरकारी नौकरिओं में reservation के कारण नेताओं के चमचे और परिवार वाले नौकरी पा कर भ्रस्टाचार की काली कमाई का रस उठाते हैं .कोई जगजीवन राम ,कोई मायावती मंत्री पद पाते हैं तो सभी गदगद हो निहाल महसूस करते हैं .लेकिन समाज की हालत बद से बदतर होती रहती है .
कोई भी किसी सकारात्मक ,रचनात्मक काम की नहीं सोचता . कयोंकि समाज के विकास में दिलचस्पी किसे है . पागल थोड़े ही है नेता लोग !जब तक लोग नादाँ हैं तभी तक वोट बैंक है !
हिन्दू समाज के जिस किसी भले आदमी ने दलित लोगों के लिए प्रयास किया ( महात्मा गाँधी -संघ -आर्य समाज ) दलित नेताओं ने उनका अपमान किया . जब दलित समाज दोस्ती के हाथ को काटने दौड़ेगा तो उसका भला कैसे होगा ?
कांग्रेस इस देश में मुस्लमान ,दलित और आदिवासिओं के एक मुस्त ४० प्रतिसत वोट ले के ६४ सालों से राज की है , सायद आगे भी करेगी .

ndhebar
20-03-2012, 08:29 AM
Ek udaharan
Is desh ki sabse badi dalit netri( tatkalik) mayawati ki sampati pichhale das varshon men 4 se 100 karod ho gai aur janta ka wahi haal hai.
is desh men bas vot ki rajniti hoti hai.

bharat
06-01-2013, 04:13 AM
बिलकुल सच बात कही मित्र! दलितों और अल्प संख्यकों के सबसे बड़े दुश्मन तो उनकी अगुवाई करने वाले राजनीतिज्ञ ही हैं!