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View Full Version : कोई ज़ुनून ले के .....


Dr. Rakesh Srivastava
25-03-2012, 09:35 PM
अपनी मचान से जरा नीचे तो आइये
हर एक को फिर आप अपनी हद में पाइये

घर के दरो दीवार में क्यों घुट रहे हैं आप
बाहर निकल के कुल जहाँ को घर बनाइये

क्यों ग़मज़दा हैं आप कि सुनता नहीं कोई
कहने के तरीके में सलीका तो लाइये

थोड़ा ठहर - ठहर के पड़ावों का लुत्फ़ लें
रफ़्तार को ही आप न आदत बनाइये

दूजों की वाह - वाह से गफ़लत न पालिये
ख़ुद भी कभी आईने से नज़रें मिलाइये

कोई ज़ुनून ले के ज़ुदा ज़िन्दगी जियें
अपने निशान इस जहाँ में छोड़ जाइये

गर मिल सके तो गेसुओं की छाँव ढूँढ के
अँगिया - सा उनकी अपना मुकद्दर बनाइये

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 ,गोमती नगर ,लखनऊ.

khalid
25-03-2012, 09:51 PM
:bravo: बहुत अच्छे ड़ाक्टर साहब

abhisays
25-03-2012, 09:55 PM
बहुत बढ़िया..

बहुत बढ़िया..

...............

Sikandar_Khan
25-03-2012, 10:42 PM
अपनी मचान से जरा नीचे तो आइये
हर एक को फिर आप अपनी हद में पाइये

घर के दरो दीवार में क्यों घुट रहे हैं आप
बाहर निकल के कुल जहाँ को घर बनाइये :fantastic:

क्यों ग़मज़दा हैं आप कि सुनता नहीं कोई
कहने के तरीके में सलीका तो लाइये

थोड़ा ठहर - ठहर के पड़ावों का लुत्फ़ लें
रफ़्तार को ही आप न आदत बनाइये

दूजों की वाह - वाह से गफ़लत न पालिये
ख़ुद भी कभी आईने से नज़रें मिलाइये

कोई ज़ुनून ले के ज़ुदा ज़िन्दगी जियें
अपने निशान इस जहाँ में छोड़ जाइये

गर मिल सके तो गेसुओं की छाँव ढूँढ के
अँगिया - सा उनकी अपना मुकद्दर बनाइये


डॉक्टर साहब , हमेशा की तरह आपकी ये रचना भी बहुत ही खूबसूरत है |

malethia
26-03-2012, 12:46 PM
अपनी मचान से जरा नीचे तो आइये
हर एक को फिर आप अपनी हद में पाइये

घर के दरो दीवार में क्यों घुट रहे हैं आप
बाहर निकल के कुल जहाँ को घर बनाइये

क्यों ग़मज़दा हैं आप कि सुनता नहीं कोई
कहने के तरीके में सलीका तो लाइये

थोड़ा ठहर - ठहर के पड़ावों का लुत्फ़ लें
रफ़्तार को ही आप न आदत बनाइये

दूजों की वाह - वाह से गफ़लत न पालिये
ख़ुद भी कभी आईने से नज़रें मिलाइये

कोई ज़ुनून ले के ज़ुदा ज़िन्दगी जियें
अपने निशान इस जहाँ में छोड़ जाइये

गर मिल सके तो गेसुओं की छाँव ढूँढ के
अँगिया - सा उनकी अपना मुकद्दर बनाइये

रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 ,गोमती नगर ,लखनऊ.
मैं इन चार लाइनों से शत प्रतिशत सहमत हूँ,
बहुत अच्छी सीख देने वाली शानदार कविता के लिए एक बार फिर से आपका आभार !

Mahendra Singh
26-03-2012, 05:20 PM
very nice....

ndhebar
26-03-2012, 05:22 PM
गर मिल सके तो गेसुओं की छाँव ढूँढ के
अँगिया - सा उनकी अपना मुकद्दर बनाइये



अंतिम पंक्तियों ने जो रस घोला है
वाह वाह

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:28 PM
:bravo: बहुत अच्छे ड़ाक्टर साहब

मित्र खालिद जी ;
आपका बहुत आभार .

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:31 PM
बहुत बढ़िया..

बहुत बढ़िया..

...............

मित्र Abhisays जी ;
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:33 PM
डॉक्टर साहब , हमेशा की तरह आपकी ये रचना भी बहुत ही खूबसूरत है |

दोस्त सिकंदर खान जी ;
आपका हार्दिक आभार .

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:36 PM
मैं इन चार लाइनों से शत प्रतिशत सहमत हूँ,
बहुत अच्छी सीख देने वाली शानदार कविता के लिए एक बार फिर से आपका आभार !

मित्र मलेथिया जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए आपका आभारी हूँ .

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:37 PM
very nice....

मित्र महेंद्र सिंह जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ .

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:45 PM
अंतिम पंक्तियों ने जो रस घोला है
वाह वाह

मित्र n.dhebar जी ;
जानकार अच्छा लगा कि आपको अच्छा लगा .
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 08:49 PM
मित्र अरविन्द जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .

sombirnaamdev
27-03-2012, 10:55 PM
दूजों की वाह - वाह से गफ़लत न पालिये
ख़ुद भी कभी आईने से नज़रें मिलाइये

very nice bahoot khoob likha hai dr saahab

Dr. Rakesh Srivastava
27-03-2012, 11:44 PM
दूजों की वाह - वाह से गफ़लत न पालिये
ख़ुद भी कभी आईने से नज़रें मिलाइये

very nice bahoot khoob likha hai dr saahab


मित्र sombirnaamdev जी ;
पढ़ने व पसंद करने के लिए आपका शुक्रिया .

Dr. Rakesh Srivastava
30-03-2012, 03:07 PM
Abhisays जी एवं सिकंदर जी का नया अवतार देखकर अच्छा लगा . संकोच के साथ कहूँगा कि सदस्यों के अवतार यथासंभव जितने अधिक वास्तविक होंगे फोरम का कद भी उतना ही बढ़ेगा .

Mahendra Singh
04-04-2012, 04:40 PM
खुद भी कभी आईने से नज़रे मिलाइए!
बिलकुल सही लिखा है डॉ. साहब क्या गज़ब की सोच है.
बहुत अच्छी रचना लगी!:fantastic:

Sikandar_Khan
04-04-2012, 06:18 PM
abhisays जी एवं सिकंदर जी का नया अवतार देखकर अच्छा लगा . संकोच के साथ कहूँगा कि सदस्यों के अवतार यथासंभव जितने अधिक वास्तविक होंगे फोरम का कद भी उतना ही बढ़ेगा .

जी हाँ , आपने बिल्कुल सही कहा ! आपसे प्रेरित होकर मैने और अभिषेक जी ने इसे अपनाया है ! उम्मीद करता हूँ बाकि सदस्य भी इससे प्रेरणा लेँगे |