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View Full Version : यहां अकेले हैं भगवान राम


DevRaj80
01-04-2012, 07:39 AM
<b> यहां अकेले हैं भगवान राम

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ढोलक की थाप, गाजेबाजे के साथ संगीत के सुरीले सुर फिजाओं में घुलते जा रहे है। भगवान राम की जयकारे से वातावारण गूंजायमान हो उठा है। श्रीराम की भक्ति से ओतप्रोत लता मंगेशकर का ये भजन -श्रीराम चंद्र कृपालु भज मन हरण भवभय दारूणम के सुर श्रद्धालुओं को भाव-विह्वल कर रहे हैं। भजन, कीर्तन और जयकारे की बेला में मंदिर में हवन के साथ हो रहे मंत्रोच्चार की ध्वनि भी सुनी जा सकती है। अब रामलला के मंदिर से निकलकर रथ पर सवार होने का समय हो गया है।



भगवान राम मंदिर से निकलकर चांदी की पालकी पर सवाल हो गए है। राम के इस अनोखे रूप का दर्शन कर भक्ति की इस धारा में श्रद्धालु बहते चले जा रहे हैं। भगवान राम की भक्ति में डूबे कुछ श्रद्धालुओं के नेत्रों से आंसुओं की अविरल धारा बह चली है।

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DevRaj80
01-04-2012, 07:39 AM
भगवान राम से जुड़ी यह धार्मिक यात्रा रामनवमी के मौके पर राजस्थान के माउंटआबू में आयोजित हो रही है। भगवान राम यहां अकेले है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जय श्री राम, भगवान राम की जय हो…के जयकारे के साथ पीछे चल रही है।



उनकी भक्ति में श्रद्धालु डूब गए है। आगे चांदी की रथ पर सवार होकर भगवान राम चल रहे है पीछे उनके जयकारे लगाते हुए उनके भक्त गण। श्रद्धालुओं में भक्ति है,उत्साह है। वो साक्षात उस भगवान राम के दर्शन कर रहे हैं जो दुनिया भर में अकेले है।रामनवमी के इस पावन अवसर पर ऐसा लगता है मानो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम माउंटआबू की नगरी में साक्षात अवतरित हो गये है। भगवान राम की यह ऐतिहासिक यात्रा रामनवमी महोत्सव के रूप में माउंटआबू में हर वर्ष मनाया जाता है।





माउंटआबू में शहर के बीचोबीच है सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर। माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में भगवान राम की 5,500 साल पुरानी स्वयंभू मूर्ति है। दुनिया भर में रघुनाथ यानि भगवान राम की यह इकलौती मूर्ति है जहां भगवान राम अकेले है। यहां रघुवर (राम) के साथ न तो उनकी सिया (सीता) और न ही उनके भाई लक्ष्मण की मूर्ति है।

DevRaj80
01-04-2012, 07:39 AM
भगवान राम की नगर परिक्रमा की ये परंपरा 400 साल पुरानी है जो अबतक चली आ रही है। 400 साल पहले जगदगुरु स्वामी रामानांदचार्य ने इस मूर्ति का जीर्णाद्धार कर इसे सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के रुप में स्थापित किया था। भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति रामानंदाचार्य ने स्थापित की और उसके बाद से ये मंदिर सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना गया। सर्वेश्वर यानि सभी के ईश्वर, पालनहार भगवान राम है।इसलिए उनका नाम सर्वेश्वर पड़ा। भगवान राम की जिस दिव्य स्वयंभू मूर्ति की मूर्ति को आप देख पा रहे हैं वह माउंटआबू के नक्ली झील से निकली है।



इसी मंदिर के प्रांगण में स्थित प्राचीन रामकुंड है। इस रामकुंड का वर्णन स्कंद पुराण में भी आता है। जिसके बारे में यह पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान राम रोज सुबह में स्नान किया करते थे।

bhopal
10-08-2012, 10:34 AM
thanks for such nice share..........i dont know how to write in hindi........plz tell me.....:)

DevRaj80
14-12-2014, 10:07 AM
Thanking You Very Much


for Giving me Status of


Diligent Member


मेहनती


and


* * * * *



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:gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm:

DevRaj80
16-12-2014, 08:02 PM
:banalama::banalama::banalama:

मैं आया हूँ घोड़े पे सवार ...तेज ...तेज ...


:banalama::banalama::banalama:


:thinking::thinking::thinking:

सोच रहा हूँ १००० पोस्ट पूरे होने पर एक भी बधाई नहीं दी किसी ने अभी तक


:cry::cry::cry::cry:


:thinking::thinking::thinking:

अच्छा भाई ...लोग काम पर बीजी हैं


:egyptian::egyptian::egyptian:

मैं खुद ही बधाई ...दे लेता हूँ खुद को ....सबकी और से ....

१००० पोस्ट

वो भी इतनी जल्दी

पूरे होने पर

देवराज जी को

हार्दिक बधाइयां

soni pushpa
20-01-2015, 02:19 PM
माउन्ट आबू के अकेले राम भगवान की बहुत अच्छी जानकारी दी आपने देवराज जी ... हमे नही मालूम था इनके बारे में जबकि ये रथयात्रा ४०० साल से निकली ज रही है बड़ी अदभुद जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ...