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View Full Version : रामसेतु की महिमा


DevRaj80
01-04-2012, 08:00 AM
रामसेतु की महिमा

रामसेतु (तमिल: இராமர் பாலம் रामर पालम , मलयालम: രാമസേതു, रामसेतु, अंग्रेजी: Adam's Bridge; आदम का पुल), तमिलनाडु, भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य चूना पत्थर से बनी एक शृंखला है। भौगोलिक प्रमाणों से पता चलता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू मार्ग से आपस में जोड़ता था।[1]

DevRaj80
01-04-2012, 08:00 AM
यह पुल ३० किलोमीटर (१८ मील) लम्बा है।[2] तथा मन्नार की खाड़ी (दक्षिण पश्चिम) को पाक जलडमरूमध्य (उत्तर पूर्व) से अलग करता है। कुछ रेतीले तट शुष्क हैं तथा इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है, कुछ स्थानों पर केवल ३ फुट से ३० फुट (१ मीटर से १० मीटर) जो नौगमन को मुश्किल बनाता है।[1][3][4] यह कथित रुप से १५ शताब्दी तक पैदल पार करने योग्य था जब तक कि तूफानों ने इस वाहिक को गहरा नहीं कर दिया। मन्दिर के अभिलेखों के अनुसार रामसेतु पूरी तरह से सागर के जल से ऊपर स्थित था, जब तक कि इसे १४८० ई० में एक चक्रवात ने तोड़ नहीं दिया।

DevRaj80
01-04-2012, 08:03 AM
http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4813&d=1333076637

आकाश से रामसेतु का दृश्य

DevRaj80
01-04-2012, 08:03 AM
रामसेतु की महिमा

भारत के दक्षिण में रामेश्वरम नामक स्थान से श्री लंका तक समुद्र की एक उथली भूभाग की छोटे छोटे द्वीपों की रेखा चली गयी है,पुराने जमाने से ही लोगों की मान्यता रही है कि किसी भी विज्ञान को याद करने के लिये उसकी कहानी बनायी जाती थी,लेकिन कहानी का हकीती जीवन में जो मूल्य होता है,वह स्थान व्यक्ति या समुदाय से कोई अपना आस्तित्व नही रखता है,जिस प्रकार से जीवन में कर्म के तीन अर्थ माने गये है,मनसा,वाचा और कर्मणा,मन का सोचा जाना है,वाचा से कहा जाना है,लेकिन वाचा एक ही प्रकार की नही होती है,जीभ से बोलकर बात की जाती है,गले से आवाज निकालकर आवाज दी जाती है,नाक से गुनगुनाकर बात की जाती है,आंखों से इशारे से बात के जाती है,शरीर से हाथ का इशारा दिया जाता है,पैर से भी लात दिखाकर बात की जाती है,पेट को हिलाकर और पीठ को दिखाकर भे बात की जाती है,कन्धों को मटकाकर,बाजुओं को लहराकर,और चाल को थिरकर चेहरे से हाव भाव बनाकर भी बात की जाती है,यह कल्पना अधिकतर नृत्य आदि मे देखी जा सकता है,उसी प्रकार से कर्म करने के लिये शरीर से काम किया जाता है,पूरे शरीर से काम करने के लिये मन,बुद्धि और ज्ञान का सहारा लिया जाता है,यह बात समझने के लिये संसार के अन्दर जितने भी सहायक कारण है उनका भी प्रयोग किया जाता है,घर परिवार,दोस्त,और समाजिकता से जितने भी लोग जुडे होते है,किसी न किसी प्रकार से सहायता करते है,उसी तरह से जो कहानी वेदों में लिखी गयी है,उनका उद्देश्य केवल शरीर और शरीर से जुडे कार्यों का विवेचन करना ही मान जा सकता है,बाकी सब मानसिक कल्पना से बनायी गई तस्वीरों से अधिक और कुछ नही होता है,

DevRaj80
01-04-2012, 08:03 AM
हिन्दी के जितने भी अक्षर है,उनको अगर सजाकर और संवारकर अगर लिखा जावे तो जो भी देवता है,सबके रूप सामने आ आजाते है,अक्षर ’अ’ को ही देख लीजिये,उसको अगर सजाया जाये तो हाथ में धनुष लिये हुए ’राम’का रूप बन जाता है,अक्षर ’शं’ को अगर संवारा जाये तो श्रीकृष्ण का रूप बन जाता है,अक्षर ’श्र’को लिखा सजाया जाये तो लक्षमी का रूप बन जाता है,उसी प्रकार से अक्षर ’श’ के ऊपर अगर छोटी ’इ’ की मात्रा लगाये जावे तो अक्षर ’शि’ का रूप बन जाता है,जिसे अक्सर भगवान ’शिव’ के लिये प्रयोग किया जाता है,जिसमे कल्पना की जाती है कि उनके सिर से गंगा की धारा निकलती है,और शब्द ’शव’ जो कि एक मुर्दे के रूप मे है उसके ऊपर चोटी ’इ’ की मात्रा लगाते ही शब्द ’शिव’ बनजाता है,जिसमे छोटी ’इ’ को शक्ति का रूप दिया गया है,इसी लिये अक्षर इ और ई को शक्ति का कारक कहा जाता है,शब्द ’जव’जो कि छिलका चढा हुआ,एक अनाज है और उसे अगर भूमि के अन्दर डालकर प्राक्रुतिक कारकों को समावेशित किया जाये,तो बडी ई की मात्रा लगाते ही वह शब्द ’जव’ शब्द ’जीव’ बन जाता है.

DevRaj80
01-04-2012, 08:04 AM
छोटी ’इ’ और छोटा ’अ’ हर शब्द के अन्दर जो भी पुल्लिन्ग या स्त्रीलिन्ग है,और जीव से आच्छादित है,अपनी उपस्थिति प्रस्तुत करते है,और जो भी शब्द नपुसिन्गलिन्ग है,वे अपना इशारा भी इसी प्रकार से प्रस्तुत करते है,बडा ’आ’ और बडी ’ई’अपनी शक्ति की पूर्णता प्रदान करती है,बडे ’आ’ और बडी ’ई’ की मात्रा किसी भी शब्द को जोडने का काम करते है,शब्द ’रम’का अर्थ होता है,समाया हुआ,और बडे ’आ’ की मात्रा ही अक्षर ’र’और ’म’ को जोडकर शब्द ’राम’ का निर्माण करता है,जो कारक ’रम’ से ’राम’ को बनाने में सहायक हुआ है,वही ’रामसेतु’ कहलाता है.

DevRaj80
01-04-2012, 08:04 AM
<b> राम ही विश्व का धरातल है

विश्व का नक्शा सामने फ़ैलाकर अगर हिन्दी के शब्द ’राम’ को देखा जाये तो बडी आसानी से विश्व का सम्पूर्ण धरातल शब्द "राम’ की शक्ल का दिखाई देगा,उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका को अक्षर ’र’ से देखा जाये सम्पूर्ण अफ़्रीका को ’र’ के ऊपर लगी बडे आ की मात्रा को देखा जाये,तथा भारत और चीन आदि को अक्षर ’म’ के रूप मे देखा जाये,तथा आस्ट्रेलिया को ’राम’ के नीचे लगी बिन्दु बाली अभिव्यक्ति से देखा जाये तो सम्पूर्ण विश्व ही ’राम’ नाम के रूप में चित्रित किया जा सकता है.तो विश्व का अक्षर ’र’ और अक्षर ’म’ को जोडने का काम अफ़्रीका का ही भूभाग है न कि श्रीलंका और भारत को जोडने का ’रामसेतु’.

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DevRaj80
01-04-2012, 08:04 AM
http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4814&d=1333077213

सतेलिते पिक्चर

DevRaj80
01-04-2012, 08:05 AM
रामसेतु राष्ट्रीय धरोहर है या नहीं, 'सोचकर' बताएगी सरकार

नई दिल्ली। रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को और वक्त दे दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने या न देने के मुद्दे पर फैसले के लिए उसे और वक्त की जरूरत है।
http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4815&d=1333077352
अडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल ने कोर्ट को कहा कि इस मुद्दे पर सक्षम अधिकारी के साथ मशविरे की जरूरत है। उन्होंने इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए और वक्त दिए जाने की मांग की। इस पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते दे दी मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।

DevRaj80
01-04-2012, 08:05 AM
<b> रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने के लिए केंद्र को मोहलत

नई दिल्ली।। पौराणिक रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को और समय दे दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने या न देने के मुद्दे पर फैसले के लिए उसे और वक्त की जरूरत है।

जस्टिस एच.एल. दत्तु की बेंच के सामने पेश होकर अडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) हरेन रावल ने कहा कि इस मुद्दे पर सक्षम अधिकारी के साथ विचार-विमर्श की जरूरत है। उन्होंने इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए और वक्त दिए जाने की मांग की। इस पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते की मोहलत देते हुए बेंच ने कहा, 'ऐसा करना है या नहीं इस पर फैसला करें।'

बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को करने का फैसला किया है। बेंच जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किए जाने को लेकर कोर्ट के निर्देश की मांग की गई है।

</b>

DevRaj80
01-04-2012, 08:05 AM
“क्या रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा सकता है?”

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह जानना चाहा कि क्या विवादित पौराणिक और पुरातात्विक महत्व के रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा सकता है।

न्यायालय ने रामसेतु क्षेत्र में जल परिवहन की सेतुसमुद्रम परियोजना के वैकल्पिक मार्ग के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी गई विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सौंपने का आज केंद्र सरकार को निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति एच. एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली दो-सदस्यीय खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 29 मार्च की तारीख मुकर्रर करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल को इस बारे में केंद्र सरकार से राय लेने के लिए एक दिन का समय दिया।

DevRaj80
01-04-2012, 08:05 AM
रामसेतु “राष्ट्रीय धरोहर” नहीं: सरकार


इस मामले के एक पक्षकार जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने न्यायालय के समक्ष दलील दी कि खंडपीठ के निर्देश के बावजूद केंद्र सरकार ने पर्यावरणविद आर. के. पचौरी की अध्यक्षता में गठित छह-सदस्यीय समिति ने वैकल्पिक मार्ग के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं पेश की है।

इसके बाद खंडपीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह भारत और श्रीलंका के बीच स्थित समुद्री जलक्षेत्र में परियोजना के वर्तमान मार्ग के बजाय धनुषकोटि से कोई मार्ग तलाशने के लिए पचौरी समिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष यथाशीघ्र पेश करे।

परियोजना के प्रस्तावित मार्ग से रामसेतु को उत्पन्न खतरे के कारण विभिन्न हिन्दू संगठनों ने देशव्यापी आंदोलन छेड़ा था। सरकार ने भारत के पाक जलडमरुमध्य और श्रीलंका की मन्नार की खाड़ी के बीच रामसेतु या ‘आदम का पुल’ के नाम से चर्चित भौगोलिक खंडों से होकर गुजरने वाली सेतुसमुद्रम शिपिंग चैनल प्रोजेक्ट (एसएससीपी) शुरू करने की योजना 2005 में बनाई थी, लेकिन देश में इसका कड़ा विरोध हुआ तथा धार्मिक संगठनों और पर्यावरणविदों ने न्यायालय में इसे चुनौती दी थी।

DevRaj80
01-04-2012, 08:06 AM
राम ने ही तोड़ दिया था रामसेतु: केन्द्र


उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इस परियोजना का काम रोक दिया गया था।

उच्चतम न्यायालय ने इस परियोजना के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का पता लगाने के लिए 21 अप्रैल 2010 को स्थगनादेश जारी किया था।

DevRaj80
01-04-2012, 08:06 AM
कुछ चित्र ........................

http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4816&d=1333077739

DevRaj80
01-04-2012, 08:06 AM
http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4817&d=1333077829

एक और चित्र .................

DevRaj80
01-04-2012, 08:07 AM
http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4818&d=1333077870


देखिये राम सेतु भारत और श्रीलंका के बीच

DevRaj80
01-04-2012, 08:07 AM
http://sagargsm.com/attachment.php?attachmentid=4819&d=1333077925

कुछा ऐसा लगता होगा राम सेतु

वर्तमान समय में श्रीरामसेतु सर्वत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा 8 अक्टूबर 2002 को रामेश्वरम के समीप भारत और श्रीलंका के मध्य समुद्र में एक सेतु खोज लेने के बाद श्रीरामसेतु को काल्पनिक कहकर इसके अस्तित्व को नकार सकना संभव नहीं है। सीताहरण के बाद श्रीराम की वानरसेना ने लंका पर चढाई करने के लिए समुद्र पर सेतु बनाया था। राम-नाम के प्रताप से पत्थर पानी पर तैरने लगे।

DevRaj80
01-04-2012, 08:07 AM
रामसेतुका धार्मिक महत्व केवल इससे ही जाना जा सकता है कि स्कन्दपुराण के ब्रह्मखण्ड में इस सेतु के माहात्म्य का बडे विस्तार से वर्णन किया गया है। नैमिषारण्य में ऋषियों के द्वारा जीवों की मुक्ति का सुगम उपाय पूछने पर सूत जी बोले-
दृष्टमात्रेरामसेतौमुक्ति: संसार-सागरात्।
हरे हरौचभक्ति: स्यात्तथापुण्यसमृद्धिता।

DevRaj80
01-04-2012, 08:07 AM
रामसेतु के दर्शनमात्र से संसार-सागर से मुक्ति मिल जाती है। भगवान विष्णु और शिव में भक्ति तथा पुण्य की वृद्धि होती है। इसलिए यह सेतु सबके लिए परम पूज्य है। सेतु-महिमा का गुणगान करते हुए सूतजी शौनक आदि ऋषियों से कहते हैं- सेतु का दर्शन करने पर सब यज्ञों का, समस्त तीर्थो में स्नान का तथा सभी तपस्याओं का पुण्य फल प्राप्त होता है। सेतु-क्षेत्र में स्नान करने से सब प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा भक्त को मरणोपरांत वैकुण्ठ में प्रवेश मिलता है। सेतुतीर्थ का स्नान अन्त:करण को शुद्ध करके मोक्ष का अधिकारी बना देता है। पापनाशक सेतुतीर्थमें निष्काम भाव से किया हुआ स्नान मोक्ष देता है। जो मनुष्य धन-सम्पत्ति के उद्देश्य से सेतुतीर्थ में स्नान करता है, वह सुख-समृद्धि पाता है। जो विद्वान चारों वेदों में पारंगत होने, समस्त शास्त्रों का ज्ञान और मंत्रों की सिद्धि के विचार से सर्वार्थसिद्धिदायक सेतुतीर्थ में स्नान करता है, उसे मनोवांछित सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है। जो भी सेतुतीर्थ में स्नान करता है, वह इहलोक और परलोक में कभी दु:ख का भागी नहीं होता। जिस प्रकार कामधेनु, चिन्तामणि तथा कल्पवृक्ष समस्त अभीष्ट वस्तुओं को प्रदान करते हैं, उसी प्रकार सेतु-स्नान सब मनोरथ पूर्ण करता है।

DevRaj80
01-04-2012, 08:08 AM
रामसेतु के क्षेत्र में अनेक तीर्थ स्थित हैं अत: स्कन्दपुराण में सेतुयात्रा का क्रम एवं विधान भी वर्णित है। सेतुतीर्थ में पहुंचने पर सेतु की वन्दना करें-
रघुवीरपदन्यासपवित्रीकृतपांसवे।
दशकण्ठशिरश्छेदहेतवेसेतवेनम:॥
केतवेरामचन्द्रस्यमोक्षमार्गैकहेतवे।
सीतायामानसाम्भोजभानवेसेतवेनम:॥

श्रीरघुवीर के चरण रखने से जिसकी धूलि परम पवित्र हो गई है, जो दशानन रावण के सिर कटने का एकमात्र हेतु है, उस सेतु को नमस्कार है। जो मोक्षमार्ग का प्रधान हेतु तथा श्रीरामचन्द्रजी के सुयश को फहरानेवाला ध्वज है, सीताजी के हृदयकमल के खिलने के लिए सूर्यदेव के समान है, उस सेतु को मेरा नमस्कार है।

DevRaj80
01-04-2012, 08:08 AM
श्रीरामचरितमानसमें स्वयं भगवान श्रीराम का कथन है-
मम कृत सेतु जो दरसनुकरिही।
सो बिनुश्रम भवसागर तरिही॥

जो मेरे बनाए सेतु का दर्शन करेगा, वह कोई परिश्रम किए बिना ही संसाररूपी समुद्र से तर जाएगा। श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के युद्धकाण्ड के 22वें अध्याय में लिखा है कि विश्वकर्मा के पुत्र वानरश्रेष्ठ नल के नेतृत्व में वानरों ने मात्र पांच दिन में सौ योजन लंबा तथा दस योजन चौडा पुल समुद्र के ऊपर बनाकर रामजी की सेना के लंका में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। यह अपने आपमें एक विश्व-कीर्तिमान है। आज के इस आधुनिक युग में नवीनतम तकनीक के द्वारा भी इतने कम समय में यह कारनामा कर दिखाना संभव नहीं लगता।

DevRaj80
01-04-2012, 08:08 AM
महÃ*ष वाल्मीकि रामसेतु की प्रशंसा में कहते हैं- अशोभतमहान् सेतु: सीमन्तइवसागरे।

वह महान सेतु सागर में सीमन्त (मांग) के समान शोभित था।
सनलेनकृत: सेतु: सागरेमकरालये।
शुशुभेसुभग: श्रीमान् स्वातीपथइवाम्बरे॥

मगरों से भरे समुद्र में नल के द्वारा निÃ*मत वह सुंदर सेतु आकाश में छायापथ के समान सुशोभित था। नासा के द्वारा अंतरिक्ष से खींचे गए चित्र से ये तथ्य अक्षरश: सत्य सिद्ध होते हैं।

स्कन्दपुराणके सेतु-माहात्म्य में धनुष्कोटितीर्थ का उल्लेख भी है-
दक्षिणाम्बुनिधौपुण्येरामसेतौविमुक्तिदे।
धनुष्कोटिरितिख्यातंतीर्थमस्तिविमुक्तिदम्॥

DevRaj80
01-04-2012, 08:08 AM
दक्षिण-समुद्र के तट पर जहां परम पवित्र रामसेतु है, वहीं धनुष्कोटिनाम से विख्यात एक मुक्तिदायक तीर्थ है। इसके विषय में यह कथा है- भगवान श्रीराम जब लंका पर विजय प्राप्त करने के उपरान्त भगवती सीता के साथ वापस लौटने लगे तब लंकापति विभीषण ने प्रार्थना की- प्रभो! आपके द्वारा बनवाया गया यह सेतु बना रहा तो भविष्य में इस मार्ग से भारत के बलाभिमानी राजा मेरी लंका पर आक्रमण करेंगे। लंका-नरेश विभीषण के अनुरोध पर श्रीरामचन्द्रजीने अपने धनुष की कोटि (नोक) से सेतु को एक स्थान से तोडकर उस भाग को समुद्र में डुबो दिया। इससे उस स्थान का नाम धनुष्कोटि हो गया। इस पतितपावन तीर्थ में जप-तप, स्नान-दान से महापातकों का नाश, मनोकामना की पूर्ति तथा सद्गति मिलती है। धनुष्कोटिका दर्शन करने वाले व्यक्ति के हृदय की अज्ञानमयी ग्रंथि कट जाती है, उसके सब संशय दूर हो जाते हैं और संचित पापों का नाश हो जाता है। यहां पिण्डदान करने से पितरों को कल्पपर्यन्त तृप्ति रहती है। धनुष्कोटितीर्थ में पृथ्वी के दस कोटि सहस्र (एक खरब) तीर्थो का वास है।

DevRaj80
01-04-2012, 08:09 AM
वस्तुत:रामसेतु महातीर्थ है। विद्वानों ने इस सेतु को लगभग 17,50,000 साल पुराना बताया है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में निर्दिष्ट काल-गणना के अनुसार यह समय त्रेतायुगका है, जिसमें भगवान श्रीराम का अवतार हुआ था। सही मायनों में यह सेतु रामकथा की वास्तविकता का ऐतिहासिक प्रमाण है। समुद्र में जलमग्न हो जाने पर भी रामसेतुका आध्यात्मिक प्रभाव नष्ट नहीं हुआ है।

DevRaj80
01-04-2012, 08:09 AM
स्कंदपुराण, कूर्मपुराण आदि पुराणों में भगवान शिव का वचन है कि जब तक रामसेतु की आधारभूमि तथा रामसेतु का अस्तित्व किसी भी रूप में विद्यमान रहेगा, तब तक भगवान शंकर सेतुतीर्थ में सदैव उपस्थित रहेंगे। अत: श्रीरामसेतु आज भी दिव्य ऊर्जा का स्रोत है। पुरातात्विक महत्व की ऐसी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण प्रदान करते हुए हमें उसकी हर कीमत पर रक्षा करनी चाहिए। यह सेतु श्रीराम की लंका- विजय का साक्षी होने के साथ एक महातीर्थभी है।

DevRaj80
14-12-2014, 10:07 AM
Thanking You Very Much


for Giving me Status of


Diligent Member


मेहनती


and


* * * * *



:egyptian::egyptian::egyptian::egyptian::egyptian: :egyptian:

:gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm::gm:

DevRaj80
16-12-2014, 08:01 PM
:banalama::banalama::banalama:

मैं आया हूँ घोड़े पे सवार ...तेज ...तेज ...


:banalama::banalama::banalama:


:thinking::thinking::thinking:

सोच रहा हूँ १००० पोस्ट पूरे होने पर एक भी बधाई नहीं दी किसी ने अभी तक


:cry::cry::cry::cry:


:thinking::thinking::thinking:

अच्छा भाई ...लोग काम पर बीजी हैं


:egyptian::egyptian::egyptian:

मैं खुद ही बधाई ...दे लेता हूँ खुद को ....सबकी और से ....

१००० पोस्ट

वो भी इतनी जल्दी

पूरे होने पर

देवराज जी को

हार्दिक बधाइयां