View Full Version : जितना मुमकिन हो तेरे पास जियूँ
Dr. Rakesh Srivastava
02-04-2012, 03:20 PM
मैं समन्दर जियूँ या प्यास जियूँ ;
जितना मुमकिन हो तेरे पास जियूँ .
ज़िक्र मेरा जुबाँ पे रखना तुम ;
ताकि दुनिया में बन के ख़ास जियूँ .
हमसफ़र आज मेरे बन जाओ ;
चाहे फिर उम्र भर बनवास जियूँ .
हो सके , मेरा भरम मत तोड़ो ;
कुछ नतीजा नहीं तो आस जियूँ .
कम से कम ख़्वाब पे करम करना ;
नींद तक में तेरा एहसास जियूँ .
इतने ज़ख्मों से नवाजो मुझको ;
ग़ज़लगो बन के तेरी बास जियूँ .
ग़र करो तर्के मोहब्बत , फिर भी ;
तेरे ज़ेहन के आस पास जियूँ .
रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
( शब्दार्थ -- बास = smell , तर्के मोहब्बत = प्रेम की समाप्ति )
ndhebar
02-04-2012, 04:09 PM
हो सके , मेरा भरम मत तोड़ो ;
कुछ नतीजा नहीं तो आस जियूँ .
अति सुन्दर बड़े भाई :fantastic:
arvind
02-04-2012, 05:17 PM
मैं समन्दर जियूँ या प्यास जियूँ ;
जितना मुमकिन हो तेरे पास जियूँ .
ज़िक्र मेरा जुबाँ पे रखना तुम ;
ताकि दुनिया में बन के ख़ास जियूँ .
हमसफ़र आज मेरे बन जाओ ;
चाहे फिर उम्र भर बनवास जियूँ .
हो सके , मेरा भरम मत तोड़ो ;
कुछ नतीजा नहीं तो आस जियूँ .
कम से कम ख़्वाब पे करम करना ;
नींद तक में तेरा एहसास जियूँ .
इतने ज़ख्मों से नवाजो मुझको ;
ग़ज़लगो बन के तेरी बास जियूँ .
ग़र करो तर्के मोहब्बत , फिर भी ;
तेरे ज़ेहन के आस पास जियूँ .
रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
( शब्दार्थ -- बास = smell , तर्के मोहब्बत = प्रेम की समाप्ति )
अति उत्तम, बेहतरीन, लाजवाब......
khalid
02-04-2012, 06:06 PM
बहुत उम्दा लिखा आप ने:fantastic:
Sikandar_Khan
02-04-2012, 08:44 PM
मैं समन्दर जियूँ या प्यास जियूँ ;
जितना मुमकिन हो तेरे पास जियूँ .
ज़िक्र मेरा जुबाँ पे रखना तुम ;
ताकि दुनिया में बन के ख़ास जियूँ .
हमसफ़र आज मेरे बन जाओ ;
चाहे फिर उम्र भर बनवास जियूँ .
हो सके , मेरा भरम मत तोड़ो ;
कुछ नतीजा नहीं तो आस जियूँ .
कम से कम ख़्वाब पे करम करना ;
नींद तक में तेरा एहसास जियूँ :fantastic:
इतने ज़ख्मों से नवाजो मुझको ;
ग़ज़लगो बन के तेरी बास जियूँ .
ग़र करो तर्के मोहब्बत , फिर भी ;
तेरे ज़ेहन के आस पास जियूँ .
रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
( शब्दार्थ -- बास = smell , तर्के मोहब्बत = प्रेम की समाप्ति )
चंद मुख्तसर लफ्ज़ोँ मे बहुत ही गहरी बात बयाँ कर दी |
abhisays
02-04-2012, 10:41 PM
:fantastic::fantastic::fantastic:
sombirnaamdev
02-04-2012, 11:34 PM
मैं समन्दर जियूँ या प्यास जियूँ ;
जितना मुमकिन हो तेरे पास जियूँ .
ज़िक्र मेरा जुबाँ पे रखना तुम ;
ताकि दुनिया में बन के ख़ास जियूँ .
हमसफ़र आज मेरे बन जाओ ;
चाहे फिर उम्र भर बनवास जियूँ .
हो सके , मेरा भरम मत तोड़ो ;
कुछ नतीजा नहीं तो आस जियूँ .
कम से कम ख़्वाब पे करम करना ;
नींद तक में तेरा एहसास जियूँ .
इतने ज़ख्मों से नवाजो मुझको ;
ग़ज़लगो बन के तेरी बास जियूँ .
ग़र करो तर्के मोहब्बत , फिर भी ;
तेरे ज़ेहन के आस पास जियूँ .
रचयिता ~~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
( शब्दार्थ -- बास = smell , तर्के मोहब्बत = प्रेम की समाप्ति ) ye lo ji dr saab ke sir ke taaj ka ek or nayaab heera
Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 03:46 PM
अति सुन्दर बड़े भाई :fantastic:
आपका बहुत आभार भाई .
Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 03:48 PM
अति उत्तम, बेहतरीन, लाजवाब......
शुक्रिया अरविन्द जी .
Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 03:50 PM
बहुत उम्दा लिखा आप ने:fantastic:
खालिद भाई , आपका बहुत - बहुत शुक्रिया .
Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 03:53 PM
चंद मुख्तसर लफ्ज़ोँ मे बहुत ही गहरी बात बयाँ कर दी |
आपको बात पसंद आयी . आपका शुक्रिया सिकंदर भाई .
Dr. Rakesh Srivastava
08-04-2012, 03:56 PM
:fantastic::fantastic::fantastic:
शुक्रिया abhishays जी .
Suresh Kumar 'Saurabh'
08-04-2012, 04:43 PM
मजा आ गया श्री राकेश जी। वाह-वाह!
Dr. Rakesh Srivastava
09-04-2012, 09:44 PM
मजा आ गया श्री राकेश जी। वाह-वाह!
आपका शुक्रिया सौरभ जी .
naman.a
09-04-2012, 10:33 PM
Bahut khub rakesh ji
Dr. Rakesh Srivastava
10-04-2012, 08:02 PM
bahut khub rakesh ji
शुक्रिया नमन जी .
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