sombirnaamdev
09-04-2012, 01:35 AM
दोस्तों आज मैं देश की दो बड़ी समस्याओं का जिक्र यहाँ पर करूँगा ,
देश की दो बड़ी समस्याएँ है अनपढ़ता और बाल मजदूरी
अगर देखा जाये तो ये दोनों समस्याएँ ही एक दूसरी की पूरक और जनक है .
आज हमारे देश में अगर बाल मजदूरी की समस्या है
तो उसके पीछे मां बाप का अनपढ़ होना है .क्यू की जो माँ बाप खुद अनपढ़ हैं
उन्हें पढाई की कीमत का पता नहीं होता और अपने बचों से बाल मजदूरी करवाते है
वहीँ बाल मजदूरी बढ़ने के कारन अनपढ़ता की समस्या बढ़ जाती है क्यू की मजदूरी के लोभ में
माँ बाप अपने बच्चों को स्कूल में नहीं भेजते जिसके कारन अन्पधता को बढ़ावा मिलता है
अगर हम अनपढ़ता की समस्या से उबरना चाहते है तो बाल मजदूरी को रोकना होगा ,
तभी बच्चे स्कूल जा सकेंगे और बाल मजदूरी दूर हो पायेगी खली सरकारी योजनायें
बना लेने से कुछ नहीं होने वाला
बल्कि उन माँ बाप को भी अपने बच्चो को
स्कूल भेजना होगा जो अपने बचों से मजदूरी करवाते है वैसे हमारे देश में बाल मजदूरी गैर कानूनी है
पर क्या कभी कानून ने या क़ानूनी अधिकारीयों ने सडकों पर और ढाबों पर काम करते
छोटे 2 बच्चों को नहीं देखा ?
अगर देखा तो उन्हें रोका क्यू नहीं क्यू कानून के नुमयिन्दों के पास जवाब है इस बात का ?
क्या कभी उन्होंने ढाबे पर बैठ कर ये आवाज नहीं लगायी (ओय छोटू चाय ले के आ )?
अंत में मैं यही कहना चाहूँगा की बाल मजदूरी का यह गोरख धधा कानून की देखरेख में तो नहीं चल रहा
देश की दो बड़ी समस्याएँ है अनपढ़ता और बाल मजदूरी
अगर देखा जाये तो ये दोनों समस्याएँ ही एक दूसरी की पूरक और जनक है .
आज हमारे देश में अगर बाल मजदूरी की समस्या है
तो उसके पीछे मां बाप का अनपढ़ होना है .क्यू की जो माँ बाप खुद अनपढ़ हैं
उन्हें पढाई की कीमत का पता नहीं होता और अपने बचों से बाल मजदूरी करवाते है
वहीँ बाल मजदूरी बढ़ने के कारन अनपढ़ता की समस्या बढ़ जाती है क्यू की मजदूरी के लोभ में
माँ बाप अपने बच्चों को स्कूल में नहीं भेजते जिसके कारन अन्पधता को बढ़ावा मिलता है
अगर हम अनपढ़ता की समस्या से उबरना चाहते है तो बाल मजदूरी को रोकना होगा ,
तभी बच्चे स्कूल जा सकेंगे और बाल मजदूरी दूर हो पायेगी खली सरकारी योजनायें
बना लेने से कुछ नहीं होने वाला
बल्कि उन माँ बाप को भी अपने बच्चो को
स्कूल भेजना होगा जो अपने बचों से मजदूरी करवाते है वैसे हमारे देश में बाल मजदूरी गैर कानूनी है
पर क्या कभी कानून ने या क़ानूनी अधिकारीयों ने सडकों पर और ढाबों पर काम करते
छोटे 2 बच्चों को नहीं देखा ?
अगर देखा तो उन्हें रोका क्यू नहीं क्यू कानून के नुमयिन्दों के पास जवाब है इस बात का ?
क्या कभी उन्होंने ढाबे पर बैठ कर ये आवाज नहीं लगायी (ओय छोटू चाय ले के आ )?
अंत में मैं यही कहना चाहूँगा की बाल मजदूरी का यह गोरख धधा कानून की देखरेख में तो नहीं चल रहा