Suresh Kumar 'Saurabh'
10-04-2012, 05:56 PM
इस सूत्र में अपनी देशभक्ति रचनाएं प्रस्तुत करूँगा।
जय हिन्द!
Suresh Kumar 'Saurabh'
10-04-2012, 06:00 PM
बारूदों पर बिछकर शमशान हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
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हममें रक्त संचारित भारतीयता का शुद्ध,
शत्रुंजय हैं, जीत लेंगे शत्रु से हर युद्ध,
लड़ेंगे हम, जब तक न निष्प्राण हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
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निष्कलंकित विमल रहे तेरा मेरा नाता,
रण में जब लड़ें तेरे शत्रु से हे भारत माता,
मृत्यु के भय से नितान्त अन्जान हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
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वन-उपवन को रक्त से सींच हरित बनायेंगे,
वाटिका में तेरे सुरभित प्रसून खिलायेंगे,
चाहे इसके लिए अपना विरान हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
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उत्तर में गिरिराज दक्षिण में सिन्धु से घिरा है,
जिसके व्यापक धरा में वीर-यश-गाथा बिखरा है,
उसी धरा के धूलि में मिलान हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
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सुन लो हे ईश्वर! 'सौरभ' के हृदय की बात तुम,
वक्ष स्थल पर जिसके उदित किये जीवन प्रभात तुम,
साँझ भी मेरा यहीं, इसी स्थान हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
बारूदों पर बिछकर शमशान हो जाए जीवन।
मातृभूमि के हित में बलिदान हो जाए जीवन।।
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रचनाकार~ सुरेश कुमार 'सौरभ'
पता~ वार्ड नं. 24, मोहल्ला- बुद्धिपुर/ पठान टोली, जमानिया कस्बा, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
sureshkumarsaurabh@gmail.com
Suresh Kumar 'Saurabh'
11-04-2012, 07:18 AM
कहता हूँ, कहता रहूँ, जब तक है तन में प्रान।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान।।
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इंसानियत है, सबसे बङा धर्म, यहाँ सिखाया जाता
रह जाता है वो, होकर यहीं का, जो भी
यहाँ पर आता
कहातें अतिथि यहाँ पर सदा
भगवान ।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान ।।
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हरदम बङों का, सम्मान करना, शिक्षा ये मिलता यहाँ
भगवान से भी, उपर का दर्जा, पाते यहाँ बाप माँ
गुरू को भी ईश्वर से ऊँचा मिले स्थान ।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान ।।
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टूटे दिलों को, भी जोङ देना, ऐसी यहाँ की है रीत
देते हैं हम प्यार, इतना किसी को,दुश्मन भी बन जायें मीत
उदासी हृदय को है हमनें दिया
मुस्कान।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान ।।
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शेखर भगत बोस, अब्दुल हमीद, वीरों की है भरमार
भारत के बगिया, के फूल हैं सब, बापू हैं इसके बहार
ये माटी ने जब भी है माँगा, दिया सबने जान।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान ।।
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बागों में कोयल, गाती यहाँ पर, हर सुर में गंगा बहे
इठलाती नदियाँ, चंचल हवायें, हर वक्त कहती रहें
ये तो स्वर्ग से भी है सुन्दर, हमारा
जहान।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान।।
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जीवन से प्यारा, सबका दुलारा, है मेरा हिन्दोस्तान
कम पड़ जाये, जितना भी इसका, ' सौरभ ' करे गुणगान ।
जो देना जनम तो यहीं पर फिर से
भगवान ।
पहले था, अब भी है, ये मेरा भारत देश महान ।।
कहता हूँ, कहता रहूँ, जब तक है तन में प्रान।
पहले था , अब भी है, ये मेरा भारत देश महान।।
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रचनाकार~ सुरेश कुमार 'सौरभ'
पता~ वार्ड नं. 24, मोहल्ला- बुद्धिपुर/ पठान टोली, जमानिया कस्बा, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
Sureshkumarsaurabh@gmail.com
jayeshh
13-04-2012, 06:47 AM
सुरेश जी बहुत अछे लिख लेते हो किसी भी विषय पर....
khalid
13-04-2012, 11:37 AM
मस्त लिखा हैँ आपने सौरभ जी
Suresh Kumar 'Saurabh'
13-04-2012, 04:35 PM
मस्त लिखा हैँ आपने सौरभ जी
धन्यवाद खालिद भाई!
sombirnaamdev
13-04-2012, 05:22 PM
:bravo: कहता हूँ, कहता रहूँ, जब तक है तन में प्रान।
पहले था , अब भी है, ये मेरा भारत देश महान।।:bravo:
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