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View Full Version : एक गीत : संकल्प


Suresh Kumar 'Saurabh'
29-04-2012, 09:12 AM
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---------------संकल्प--------------

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संकल्प कर लें आज ही, जीवन के अन्तिम वर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
दु:ख आयेगा तो आये न, स्वागत करेंगे प्यार से
हों न सफल तो न सही, कुछ सीख लेंगे
हार से
बाज़ी लड़ेंगे फिर से हम, निश्चिन्त होकर हर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
कठिनाई से टकराना ही, अपना बना लें अब धरम
जिस कार्य में लग जायेंगे, पूरा ही करके लेंगे दम
पाये बिना हटना नहीं, पीछे हमें निष्कर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
पर्वत हो पथ में सोचेंगे, न ये कोई अवरोध है
बादल भी हम बन सकते हैं, अच्छी तरह से बोध है
चढ़ जायेंगे नहिं उतरेंगे, नीचे कभी उत्कर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
हाथों की रेखा देख मत, कर कर्म ईश्वर साथ हैं
तुझको नहीं ये ज्ञात कि, पारस ये तेरे
हाथ हैं
लोहा को कर सकता है तू, सोना बस इक स्पर्श से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
रूकना नहीं रोके कोई, देखो समय बतला रहा
रवि-चन्द्र-सरि-बहता पवन, चलने को कहता जा रहा
प्राकृति के हर तत्व ही, 'सौरभ' लगें आदर्श से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
संकल्प कर लें आज ही, जीवन के अन्तिम वर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।

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सुरेश कुमार 'सौरभ'/जमानिया कस्बा, जिला गाजीपुर, उ.प्र.
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Sikandar_Khan
29-04-2012, 01:47 PM
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---------------संकल्प--------------

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संकल्प कर लें आज ही, जीवन के अन्तिम वर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
दु:ख आयेगा तो आये न, स्वागत करेंगे प्यार से
हों न सफल तो न सही, कुछ सीख लेंगे
हार से
बाज़ी लड़ेंगे फिर से हम, निश्चिन्त होकर हर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
कठिनाई से टकराना ही, अपना बना लें अब धरम
जिस कार्य में लग जायेंगे, पूरा ही करके लेंगे दम
पाये बिना हटना नहीं, पीछे हमें निष्कर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
पर्वत हो पथ में सोचेंगे, न ये कोई अवरोध है
बादल भी हम बन सकते हैं, अच्छी तरह से बोध है
चढ़ जायेंगे नहिं उतरेंगे, नीचे कभी उत्कर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
.
हाथों की रेखा देख मत, कर कर्म ईश्वर साथ हैं
तुझको नहीं ये ज्ञात कि, पारस ये तेरे
हाथ हैं
लोहा को कर सकता है तू, सोना बस इक स्पर्श से।:fantastic:
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
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रूकना नहीं रोके कोई, देखो समय बतला रहा
रवि-चन्द्र-सरि-बहता पवन, चलने को कहता जा रहा
प्राकृति के हर तत्व ही, 'सौरभ' लगें आदर्श से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।
संकल्प कर लें आज ही, जीवन के अन्तिम वर्ष से।
जब तक रहेगी ज़िन्दगी, जीयेंगे हम संघर्ष से।।

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सुरेश कुमार 'सौरभ'/जमानिया कस्बा, जिला गाजीपुर, उ.प्र.
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सौरभ जी , बहुत ही सुन्दर रचना रची है |

ndhebar
29-04-2012, 07:38 PM
बहुत अच्छे सुरेश जी
प्रेरणादायक रचना है

Suresh Kumar 'Saurabh'
29-04-2012, 07:49 PM
बहुत अच्छे सुरेश जी
प्रेरणादायक रचना है

आपका बहुत-बहुत स्वागत तथा धन्यवाद!