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View Full Version : कल्पित बाबा


ndhebar
29-04-2012, 08:43 PM
आजकल बाबाओं का जमाना है
सुबह हो दोपह़र हो या शाम
आप को किसी ना किसी टीवी चैनल पर कोई न कोई बाबा दिख ही जाएँगे
पेश है बाबाओं पर एक कल्पित कविता

ndhebar
29-04-2012, 08:44 PM
जो घटना सुनाता हूँ, पुरानी नहीं है।
मेरी कल्पना पर कहानी(झूठी) नहीं है।
एक तार बाबू और डाक अधिकारी ने,
मिलकर किया कोई घोटाला।
किसी मीडिया कर्मी की सजगता के कारण,
सरकार ने उन्हें नौकरी से निकाला।
अखबार में उनका निकल गया नाम।
अपने गाँव में भी वे हो गये बहुत बदनाम।
उनके परिवार वालों ने भी उन्हें बहुत धिक्करारा।
जब उन्हें नहीं मिला किसी का सहारा।
तो उन लोगों को निराशा ने जकड़ लिया।
घर गाँव शहर छोड़कर उन्होंने,
जंगल का रास्ता पकड़ लिया।
चलते चलते निकल आये वे बहुत दूर।
रुके तभी जब थककर हो गये चूर।
देखा तो जंगल था बहुत घनघोर।
दो साधू आश्रम बनाकर रह रहे थे उन्हीं की तरह दो चोर।
उन्होंने एक दूसरे को अपनी आप बीती सुनाई।
मिल गये शायद चोर चोर मौसेरे भाई।
उन्होंने मिलकर बनाया एक प्लान।
लोगों को ठगने के लिये खोल ली बाबागिरि की दुकान।
दो तार मशीनों का किया इंतजाम।(संदेश भेजने वाली मशीन)
बाँट लिये चारों ने अपने अपने काम।
तीन बन गये चेले, एक बन गया गुरु।
और उन्होंने अपनी दुकान कर दी शुरु।
दो बैठ गये आश्रम के बाहर और दो अंदर।
और गुरु जी को बताने लगे कि यह है ईश्वर।
बाहर बैठे ढ़ोगी,
लोगों का नाम, पता, समस्यायें पूछकर पर्ची बनाते।
सारा लेखा जोखा, तार के द्वारा अंदर भिजवाते।
जब वह अंदर पहुँचते, तो गुरु उन्हें उनके नाम से बुलाते।
तो पीड़ित व्यक्ति चौंक जाता।
और समझता कि यह गुरु तो हैं बहुत बड़े ज्ञाता।
एक शरारती ने अपना नाम और पता गलत लिखवाया।
जब वह अंदर गया तो गुरु जी ने उसे ज्यों का त्यों दुहराया।
वह चुपचाप बाहर निकला।
और उसने पुलिस तथा मीडिया को कर दी इतला।
वही हुआ जो होना चाहिये था उनका अंजाम।
सुनते हैं अब जेल में प्रवचन देते हैं बाबा जी सुबह शाम।
और चर्चा है कि २०१४ का चुनाव लड़ेगे।
अब तक जनता को ठगा, अब देश को ठगेंगे।

sombirnaamdev
29-04-2012, 08:51 PM
जो घटना सुनाता हूँ, पुरानी नहीं है।
मेरी कल्पना पर कहानी(झूठी) नहीं है।
एक तार बाबू और डाक अधिकारी ने,
मिलकर किया कोई घोटाला।
किसी मीडिया कर्मी की सजगता के कारण,
सरकार ने उन्हें नौकरी से निकाला।
अखबार में उनका निकल गया नाम।
अपने गाँव में भी वे हो गये बहुत बदनाम।
उनके परिवार वालों ने भी उन्हें बहुत धिक्करारा।
जब उन्हें नहीं मिला किसी का सहारा।
तो उन लोगों को निराशा ने जकड़ लिया।
घर गाँव शहर छोड़कर उन्होंने,
जंगल का रास्ता पकड़ लिया।
चलते चलते निकल आये वे बहुत दूर।
रुके तभी जब थककर हो गये चूर।
देखा तो जंगल था बहुत घनघोर।
दो साधू आश्रम बनाकर रह रहे थे उन्हीं की तरह दो चोर।
उन्होंने एक दूसरे को अपनी आप बीती सुनाई।
मिल गये शायद चोर चोर मौसेरे भाई।
उन्होंने मिलकर बनाया एक प्लान।
लोगों को ठगने के लिये खोल ली बाबागिरि की दुकान।
दो तार मशीनों का किया इंतजाम।(संदेश भेजने वाली मशीन)
बाँट लिये चारों ने अपने अपने काम।
तीन बन गये चेले, एक बन गया गुरु।
और उन्होंने अपनी दुकान कर दी शुरु।
दो बैठ गये आश्रम के बाहर और दो अंदर।
और गुरु जी को बताने लगे कि यह है ईश्वर।
बाहर बैठे ढ़ोगी,
लोगों का नाम, पता, समस्यायें पूछकर पर्ची बनाते।
सारा लेखा जोखा, तार के द्वारा अंदर भिजवाते।
जब वह अंदर पहुँचते, तो गुरु उन्हें उनके नाम से बुलाते।
तो पीड़ित व्यक्ति चौंक जाता।
और समझता कि यह गुरु तो हैं बहुत बड़े ज्ञाता।
एक शरारती ने अपना नाम और पता गलत लिखवाया।
जब वह अंदर गया तो गुरु जी ने उसे ज्यों का त्यों दुहराया।
वह चुपचाप बाहर निकला।
और उसने पुलिस तथा मीडिया को कर दी इतला।
वही हुआ जो होना चाहिये था उनका अंजाम।
सुनते हैं अब जेल में प्रवचन देते हैं बाबा जी सुबह शाम।
और चर्चा है कि २०१४ का चुनाव लड़ेगे।
अब तक जनता को ठगा, अब देश को ठगेंगे।
hanji srimaan ji in babao ki ye hi asliyat hai

Suresh Kumar 'Saurabh'
29-04-2012, 09:06 PM
हा हा हा हा हा हा जय हो बाबा!

Dr. Rakesh Srivastava
02-05-2012, 08:37 AM
जब मैं बहुत छोटा था तब मेरे डाक -तार विभाग में कार्य रत स्वर्गीय बड़े चाचा जी हूबहू ऐसी ही घटना का जिक्र किया करते थे . उस वक्त बाहर बैठे चमचे लोग अपने चिमटे से तार भेजने वाले उस समय के पुराने यंत्र जैसी ध्वनि निकालकर अन्दर बाबा तक जानकारी पहुंचा देते . एक बार भीड़ में एक तार - बाबू भी मौजूद था . उसने इसका भंडाफोड़ किया तो ठगों की धुलाई भी हुई थी . बाद में बाबाजी की दूकान धीरे - धीरे फिर से चल निकली . हाय री , भारत की भुलक्कड़ व धर्मांध जनता , आज वहां पर उसी बाबा के नाम पर भव्य मंदिर व व्यस्त बाज़ार बना है .

ndhebar
03-05-2012, 03:25 PM
जब मैं बहुत छोटा था तब मेरे डाक -तार विभाग में कार्य रत स्वर्गीय बड़े चाचा जी हूबहू ऐसी ही घटना का जिक्र किया करते थे . उस वक्त बाहर बैठे चमचे लोग अपने चिमटे से तार भेजने वाले उस समय के पुराने यंत्र जैसी ध्वनि निकालकर अन्दर बाबा तक जानकारी पहुंचा देते . एक बार भीड़ में एक तार - बाबू भी मौजूद था . उसने इसका भंडाफोड़ किया तो ठगों की धुलाई भी हुई थी . बाद में बाबाजी की दूकान धीरे - धीरे फिर से चल निकली . हाय री , भारत की भुलक्कड़ व धर्मांध जनता , आज वहां पर उसी बाबा के नाम पर भव्य मंदिर व व्यस्त बाज़ार बना है .
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