View Full Version : मुहब्बत मेरी आज सिक्कों में तुल गई
sombirnaamdev
02-05-2012, 10:56 PM
मुहबत मेरी आज सिक्कों में तुल गयी ,
बरसों पुराने प्यार को इक पल में भूल गयी !
चांदी के चंद सिक्के ईमान डिगाने को काफी हैं ,
सोने की इक खनक प्यार भुलाने को काफी है ,
छोड़ के बाँहों के झूले आज वो चांदी के झूलों में झूल गयी!
ऊँचे - ऊँचे महलों की वो रानी हो गयी ,
गुजरे ज़माने की बातें मेरी कहानी हो गयी ,
बेमोल मुहबत मेरी आज कोडी के मूल (mulya )गयी !
गाड़ियों में बैठ कर वो अजनबी सी हो गयी ,
मेरी जिन्दगी की कहानी गजनवी सी हो गई ,
अपनी तो छोड़ो यारो उसकी तो किस्मत खुल गयी
नामदेव जिन्दगी में में रोना ही पड़ गया ,
उम्र सारी दुखों से लड़ना ही पड़ गया ,
जिन्दगी मेरी पूरी की पूरी पत्थरों में रुल गयी!
ndhebar
03-05-2012, 10:06 AM
फिर कोशिश करो बंधू
ये वाली तो समझदार निकली
abhisays
03-05-2012, 11:28 AM
:bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:
Dr. Rakesh Srivastava
03-05-2012, 12:19 PM
बिरादर ,
" आपकी , मेरी कहानी एक है
अब बताएं क्या पढ़ूँ और क्या कहूं ."
समझ नहीं आता , ये कवियों के साथ ही होता है
या जिनके साथ होता है , वो कवि हो जाते हैं .
जो भी हो , आप हमें भी अपनी यूनियन का सदस्य समझें .
आखिर कभी तो इन हरजाइयों को समझ आएगी .
व्यथा को बहुत अच्छे से उड़ेलने का प्रयास किया है बंधू .
~VIKRAM~
03-05-2012, 12:31 PM
फिर कोशिश करो बंधू
ये वाली तो समझदार निकली
निशांत भाई ये काम मुस्किल है ,दिल दिमाग में जो बस जाए उसे से हटाना बड़ा कठिन है !
सबसे बढ़िया तो ये होगा साधारण जिन्दगी जीए, किसी और के चक्कर में कही वो इससे भी ज्यादा दागे दे दे !
sombirnaamdev
03-05-2012, 08:36 PM
फिर कोशिश करो बंधू
ये वाली तो समझदार निकली
कोई बात नहीं मित्र,कमेन्ट तो सभी मारते हैं आप तो ताने मारने लगे
sombirnaamdev
03-05-2012, 08:45 PM
बिरादर ,
" आपकी , मेरी कहानी एक है
अब बताएं क्या पढ़ूँ और क्या कहूं ."
समझ नहीं आता , ये कवियों के साथ ही होता है
या जिनके साथ होता है , वो कवि हो जाते हैं .
जो भी हो , आप हमें भी अपनी यूनियन का सदस्य समझें .
आखिर कभी तो इन हरजाइयों को समझ आएगी .
व्यथा को बहुत अच्छे से उड़ेलने का प्रयास किया है बंधू .
आपका बहूत आभारी रहूँगा श्री मान जी ,जो आपने हमें इस काबिल समझा
sombirnaamdev
03-05-2012, 08:47 PM
:bravo::bravo::bravo::bravo::bravo:
आपका बहूत आभारी रहूँगा, अभी जी
sombirnaamdev
03-05-2012, 08:51 PM
निशांत भाई ये काम मुस्किल है ,दिल दिमाग में जो बस जाए उसे से हटाना बड़ा कठिन है !
सबसे बढ़िया तो ये होगा साधारण जिन्दगी जीए, किसी और के चक्कर में कही वो इससे भी ज्यादा दागे दे दे !
निशांत जी , कविता पढ़ने और मेरे दर्द को समझने के लिए आपका बहूत बहूत धन्यवाद
Sikandar_Khan
03-05-2012, 11:15 PM
अमां मियाँ ,जाने दीजिए छोकरी और नौकरी किसी के लिए नही रुकती है ! लेकिन एक बात याद रखना लड़की और बस के पीछे कभी मत भागना ! एक जाती है तो दूसरी आ जाती है |
वैसे आपकी "रचना" बहुत सुन्दर है |
sombirnaamdev
03-05-2012, 11:32 PM
अमां मियाँ ,जाने दीजिए छोकरी और नौकरी किसी के लिए नही रुकती है ! लेकिन एक बात याद रखना लड़की और बस के पीछे कभी मत भागना ! एक जाती है तो दूसरी आ जाती है |
वैसे आपकी "रचना" बहुत सुन्दर है |
bus bhai humko to apni racnna me sunderta chahiye
jo sirf or sirf aap logo ke sath se aa sakti hai
aawara
09-05-2012, 08:57 PM
मुहबत मेरी आज सिक्कों में तुल गयी ,
बरसों पुराने प्यार को इक पल में भूल गयी !
चांदी के चंद सिक्के ईमान डिगाने को काफी हैं ,
सोने की इक खनक प्यार भुलाने को काफी है ,
छोड़ के बाँहों के झूले आज वो चांदी के झूलों में झूल गयी!
ऊँचे - ऊँचे महलों की वो रानी हो गयी ,
गुजरे ज़माने की बातें मेरी कहानी हो गयी ,
बेमोल मुहबत मेरी आज कोडी के मूल (mulya )गयी !
गाड़ियों में बैठ कर वो अजनबी सी हो गयी ,
मेरी जिन्दगी की कहानी गजनवी सी हो गई ,
अपनी तो छोड़ो यारो उसकी तो किस्मत खुल गयी
नामदेव जिन्दगी में में रोना ही पड़ गया ,
उम्र सारी दुखों से लड़ना ही पड़ गया ,
जिन्दगी मेरी पूरी की पूरी पत्थरों में रुल गयी!
bahut badhiya... hai..
peepa
17-10-2012, 03:24 PM
फिर कोशिश करो बंधू
ये वाली तो समझदार निकली
hehehheehheeh .
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