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View Full Version : A software engineer in Hell


priya
16-02-2010, 09:16 PM
Programmer was even more jealous & starts screaming, "I want to call my IT friends too",

He called other IT person and he talked for twenty hours about various

technologies and Project Managers, he talked & talked & talked, then he

asked "Well, devil how much do I need to pay for the call????

The devil says "Twenty dollars".

Programmer is stunned & says "Twenty dollars??? Only ??"




Devil says




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scroll down




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"Calling hell to hell is local call!!! "

abhishek
21-06-2010, 06:45 AM
* Code मैं बग आना
* Client का नाराज़ होना
* समय पर project की डिलिवरी ना होना.
* Final release मैं रुकावट होना.
* Onsite opportunity का ना मिलना.
* USA का वीसा न मिलना.
* Project manager से अनबन.
* Salary का ना बढ़ना
* मानसिक अशांति
* Conference call मैं client का परेशान होना.
* Weekends पर ऑफिस मैं आना.
* Team मैं आपसी मतभेद.

abhishek
21-06-2010, 06:51 AM
सफल नौकरी करने के कुछ नुस्खे
१. बने रहो पगला, काम करेगा अगला.
२. काम से रहो गुल, त्वन्ख्वा पाओ फुल.
३. मत लो टेंशन, वरना परिवार पायेगा पेंशन.
४. काम से डरो नही, और काम को करो नही.
५. काम करो या न करो, काम के फिक्र जरुर करो.
और फिक्र करो या न करो, जिक्र जरुर करो.

जनहित मैं जारी.

abhishek
21-06-2010, 06:53 AM
किस्मत हो झंड, तो कंहा से मीले कलाकंद.

sudhir
21-06-2010, 06:59 AM
अपने project के बोझ तले दबा जा रहा है,
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

हजारो की तन्ख्वा वाला , करोडो की जेब भरता है.
सोफ्टवेयर इंजीनियर वही बन सकता है जो जिगर रखता है.
अपने PM और TL की रोज गालिया सुनता है.
पर वीक-एंड (weekend) को रोज याद रखता है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

कोडिंग करते – करते पता ही नही पड़ा कब बग्स की प्रिओरिटी माँ -बाप से ज्यादा हो गयी.
किताब मैं गुलाब रखने वाला , कब सिगरेट के धुए मैं खो गया.
वीक-इंड्स (weekends) पर दारु पी कर जो जश्न मना रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

जीन्दगी से हारा हुआ है; पर bugs से हार नही मानता हे.
अपने application की एक-एक line ये जनता है.
दिन पर दिन , एक एक program फाईल बनाता जा रहा है;
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

दस हजार लाईन के कोड मे error ढूंड लेता हे;
लेकिन दोस्त के दिल की बात नही.
कंप्युटर पर हजार window खुली है;
पर दिल की खिडकी पर कोई दस्तक नही.
week-ends को नहाता नही; पर weekdays नहाता है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

खरचे बढ़ रहे है, बाल कम हो रहे है.
appraisal की डेट आती नही, इनकम टैक्स के सीतम हो रहे है.
लो फ़िर से company की बस (cab) छुट गयी , वो देखो आटो (auto) से आ रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

ऑफिस की खाने थाली देख अपना मुह बिगड़ता है.
माँ के खाने को रोज याद करता है.
रोज लंच मैं (sudexho) कूपन और शाम को स्नेक्स (sneks) से काम चला रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.

आपने अब तक ली होंगी बहुत सी चुटकिया,
सोफ्टवेयर इंजीनियर के जीवन का सच बताती ये कुछ आखरी पंकतिया.

” इस कविता का हर शब्द मरे दिल की गहराई से आ रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.”

sudhir
21-06-2010, 07:06 AM
क्यूं न करू स्विच ?

अंधियारी निशा का साया सप्ताह्तं संध्या पर काम का चरम दबाव
वातानुकूलित लेब मे बैठ मेरा निशाचरी दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

आउट डेटेड बोस के घिसे-पिटे वादों से क्षुब्ध आदिकालिन ख्यालों से आहत
अपने ही दोस्तों से प्रतिस्पर्द्धा करता मेरा सहज दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

काम कि तलाश जिम्मेदारी कि आस सम्मान कि कसक मे
टीम दर टीम - प़ोजेकट दर प़ोजेकट मेरा भटकता दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

नकारे माहोल मे मक्कारों के बीच विलुप्त होते प़ोजेक्टस् का साया
घटती कार्मिकों कि तादाद से, मेरा असुरक्षित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

आर & डी के लिये हायर्ड डवलपमेंट से बोझिल टेस्टिगं मे अटका
छुट्टियों को चिरकाल से प़तिक्षित मेरा कुंठित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

बहुराष्ट्रीय आय से सिंचित वित्त सरिता सी कंपनी 8% इनक़ीमेंट के चने चबाता
आनसाइट के सपने सपनो मे देखता मूल्यांकन- समीक्षा मे लताडित मेरा प़ताडित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

sudhir
21-06-2010, 07:10 AM
Om Jai Google Hare !!
Swami Om Jai Google hare
Programmers ke sankat, Developers ke Sankat,
Click main door kare!!
Om Jai Google Hare !!

Jo Dhyawe vo pawe,
dukh bin se man ka, Swami dukh bin se man ka,
Homepage ki sampatti lawe, Homework ki sampatti karave
kasht mite work ka,
Swami Om Jai Google hare!!

Tum puran search engine
Tum hi internet yaami, Swami Tum hi internet yaami
Par karo hamari Salari, Par karo hamari apprisal,
Tum dunia ke swami,
Swami Om Jai Google hare.

Tum information ke saagar,
Tum palan karta, swami Tum palan karta,
Main moorakh khalkamii, Main Searcher tum Server-ami
Tum karta dhartaa !!
Swami Om Jai Google hare!!

Din bandhu dukh harta,
tum rakshak mere, Swami tum thakur mere,
Apni search dikhaao, sare reasearch karao
Site par khada mein tere,
Swami Om Jai Google hare!!

Google devta ki aarti jo koi programmer gaawe,
Swami jo koi bhi programmer gaawe,
Kehet SUN swami, MS hari har swami,
Manwaanchhit fal paawe.
Swami Om Jai Google hare.

sudhir
21-06-2010, 07:11 AM
Updated Newton’s New Software Laws

Law 1: Every Software Engineer continues his state of chatting or forwarding mails unless he is assigned work by manager.

Law 2: The rate of change in the software is directly proportional to the payment received from client and takes place at the quick rate as when deadline force is applied.

Law 3: For every Use Case Manifestation there is an equal but opposite Software Implementation.

Bonus: Law 4: Bugs can neither be created nor be removed from software by a developer. It can only be converted from one form to another. The total number of bugs in the software always remains constant

jitendragarg
02-07-2010, 10:41 AM
सफल नौकरी करने के कुछ नुस्खे
१. बने रहो पगला, काम करेगा अगला.
२. काम से रहो गुल, त्वन्ख्वा पाओ फुल.
३. मत लो टेंशन, वरना परिवार पायेगा पेंशन.
४. काम से डरो नही, और काम को करो नही.
५. काम करो या न करो, काम के फिक्र जरुर करो.
और फिक्र करो या न करो, जिक्र जरुर करो.

जनहित मैं जारी.

Something I always followed. :)

jitendragarg
02-07-2010, 10:43 AM
अपने project के बोझ तले दबा जा रहा है,
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.


awesome one. so true, man, so true!!!


:bravo:

amit_tiwari
26-11-2010, 07:24 PM
” इस कविता का हर शब्द मरे दिल की गहराई से आ रहा है.
वो देखो एक सोफ्टवेयर इंजीनियर जा रहा है.”

:bang-head::bang-head: Pretty much true for all IT guys.

Kumar Anil
01-01-2011, 06:33 PM
क्यूं न करू स्विच ?

अंधियारी निशा का साया सप्ताह्तं संध्या पर काम का चरम दबाव
वातानुकूलित लेब मे बैठ मेरा निशाचरी दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

आउट डेटेड बोस के घिसे-पिटे वादों से क्षुब्ध आदिकालिन ख्यालों से आहत
अपने ही दोस्तों से प्रतिस्पर्द्धा करता मेरा सहज दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

काम कि तलाश जिम्मेदारी कि आस सम्मान कि कसक मे
टीम दर टीम - प़ोजेकट दर प़ोजेकट मेरा भटकता दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

नकारे माहोल मे मक्कारों के बीच विलुप्त होते प़ोजेक्टस् का साया
घटती कार्मिकों कि तादाद से, मेरा असुरक्षित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

आर & डी के लिये हायर्ड डवलपमेंट से बोझिल टेस्टिगं मे अटका
छुट्टियों को चिरकाल से प़तिक्षित मेरा कुंठित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

बहुराष्ट्रीय आय से सिंचित वित्त सरिता सी कंपनी 8% इनक़ीमेंट के चने चबाता
आनसाइट के सपने सपनो मे देखता मूल्यांकन- समीक्षा मे लताडित मेरा प़ताडित दिल सोचता हैं
क्यूं न करू स्विच ??

मशीनोँ के बीच मेँ घिरे मशीनमैन की मृतप्राय हो गयी संवेदनाओँ ने हूक भरी भी तो काहे की सिर्फ और सिर्फ अपने लिए । शायद इस भौतिकता की आँधी मेँ शीर्ष पर स्थापित करने का प्रलोभन देकर यह बहुराष्ट्रीय कम्पनी इंजीनियर्स को मोटी रकम देकर मशीन बनाने का प्रयास क्रमिक किये हैँ । या यूँ कहिये कि उनके घरवालोँ को मोटी रकम देकर मशीन खरीद ले रहे हैँ । उसकी भावनाऐँ , संवेदनायेँ केवल अपनी कम्पनी तक सीमित हुई जा रही हैँ । आखिर इन मशीनोँ के रूप परिवर्तन और खरीद फरोख्त का जिम्मेदार कौन है ?

neha
01-01-2011, 08:14 PM
मशीनोँ के बीच मेँ घिरे मशीनमैन की मृतप्राय हो गयी संवेदनाओँ ने हूक भरी भी तो काहे की सिर्फ और सिर्फ अपने लिए । शायद इस भौतिकता की आँधी मेँ शीर्ष पर स्थापित करने का प्रलोभन देकर यह बहुराष्ट्रीय कम्पनी इंजीनियर्स को मोटी रकम देकर मशीन बनाने का प्रयास क्रमिक किये हैँ । या यूँ कहिये कि उनके घरवालोँ को मोटी रकम देकर मशीन खरीद ले रहे हैँ । उसकी भावनाऐँ , संवेदनायेँ केवल अपनी कम्पनी तक सीमित हुई जा रही हैँ । आखिर इन मशीनोँ के रूप परिवर्तन और खरीद फरोख्त का जिम्मेदार कौन है ?

मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ, आप सिक्के के एक ही पहलु को देख रहे है. इन्ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण आज भारत प्रगति के शिखर पर बढ रहा है. रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे है. शायद आप किसी सरकारी नौकरी में है इसलिए इस तरह की राय रखते है. :think:

Kumar Anil
02-01-2011, 05:28 AM
मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ, आप सिक्के के एक ही पहलु को देख रहे है. इन्ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण आज भारत प्रगति के शिखर पर बढ रहा है. रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे है. शायद आप किसी सरकारी नौकरी में है इसलिए इस तरह की राय रखते है. :think:

मैँने केवल उद्धृत कविता के सन्दर्भ मेँ एक सहज प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । उस कविता के दर्द को बाँटने की कोशिश की थी । उसके अस्तित्व को एक पहलू के रूप मेँ आपके द्वारा भी स्वीकारा गया है ।हाँ दूसरा पक्ष हमारे देश की प्रगति के रूप मेँ भी मुझे स्वीकार्य है । प्रगति के फेर मेँ उस इँजीनियर के दर्द का उसके मानसिक संताप का क्या होगा , विचारणीय है ।

amit_tiwari
02-01-2011, 11:19 PM
मैं आपके विचारों से सहमत नहीं हूँ, आप सिक्के के एक ही पहलु को देख रहे है. इन्ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारण आज भारत प्रगति के शिखर पर बढ रहा है. रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे है. शायद आप किसी सरकारी नौकरी में है इसलिए इस तरह की राय रखते है. :think:

मैँने केवल उद्धृत कविता के सन्दर्भ मेँ एक सहज प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । उस कविता के दर्द को बाँटने की कोशिश की थी । उसके अस्तित्व को एक पहलू के रूप मेँ आपके द्वारा भी स्वीकारा गया है ।हाँ दूसरा पक्ष हमारे देश की प्रगति के रूप मेँ भी मुझे स्वीकार्य है । प्रगति के फेर मेँ उस इँजीनियर के दर्द का उसके मानसिक संताप का क्या होगा , विचारणीय है ।

नेहा जी आपकी ये बात सही है कि सामान्यतया सरकारी नौकरी से जुड़े लोग MNCs की जॉब को बुरा मानते हैं किन्तु इस कविता विशेस के विषय में की गयी अनिल भाई की टिपण्णी मुझे अधिक सही लगती है | मैं स्वयं भी 25 का ही हूँ और दो साल दिल्ली में आईटी फील्ड में एक MNC में ही कार्य करने के बाद खुद का छोटा सा बिजनेस स्थापित कर पाया हूँ इसलिए मैं व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूँ कि इस कविता में कही बातें अक्षरशः सही हैं |

jitendragarg
03-01-2011, 06:44 AM
@amit

नेहा जी का मानना अपनी जगह सही है! हर व्यक्ति की अपनी सोच है!

:cheers: