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View Full Version : महीनों के नाम कैसे पड़े


~VIKRAM~
19-05-2012, 07:27 PM
महीने के नामों को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महीनों के यह नाम कैसे पड़े एवं किसने इनका नामकरण किया। नहीं न! तो जानिए......

जनवरी : रोमन देवता 'जेनस' के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ। मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं। एक से वह आगे तथा दूसरे से पीछे देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं। एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है तथा दूसरे से अगले वर्ष को। जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया। जेनस जो बाद में जेनुअरी बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया।

फरवरी : इस महीने का संबंध लेटिन के फैबरा से है। इसका अर्थ है 'शुद्धि की दावत।' पहले इसी माह में 15 तारीख को लोग शुद्धि की दावत दिया करते थे। कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं। जो संतानोत्पत्ति की देवी मानी गई है इसलिए महिलाएं इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं ताकि वे प्रसन्न होकर उन्हें संतान होने का आशीर्वाद दें।

मार्च : रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। मार्स मार्टिअस का अपभ्रंश है जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। सर्दियां समाप्त होने पर लोग शत्रु देश पर आक्रमण करते थे इसलिए इस महीने को मार्च नाम से पुकारा गया।

अप्रैल : इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' से हुई। इसका अर्थ है खुलना। रोम में इसी माह कलियां खिलकर फूल बनती थीं अर्थात बसंत का आगमन होता था इसलिए प्रारंभ में इस माह का नाम एप्रिलिस रखा गया। इसके पश्चात वर्ष के केवल दस माह होने के कारण यह बसंत से काफी दूर होता चला गया। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सही भ्रमण की जानकारी से दुनिया को अवगत कराया तब वर्ष में दो महीने और जोड़कर एप्रिलिस का नाम पुनः सार्थक किया गया।

मई : रोमन देवता मरकरी की माता 'मइया' के नाम पर मई नामकरण हुआ। मई का तात्पर्य 'बड़े-बुजुर्ग रईस' हैं। मई नाम की उत्पत्ति लैटिन के मेजोरेस से भी मानी जाती है।

जून : इस महीने लोग शादी करके घर बसाते थे। इसलिए परिवार के लिए उपयोग होने वाले लैटिन शब्द जेन्स के आधार पर जून का नामकरण हुआ। एक अन्य मतानुसार जिस प्रकार हमारे यहां इंद्र को देवताओं का स्वामी माना गया है उसी प्रकार रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं एवं उनकी पत्नी का नाम है जूनो। इसी देवी के नाम पर जून का नामकरण हुआ।


जुलाई : राजा जूलियस सीजर का जन्म एवं मृत्यु दोनों जुलाई में हुई। इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया।


सौजन्य से :- वेबदुनिया

~VIKRAM~
19-05-2012, 07:28 PM
अगस्त : जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर दिया जो बाद में केवल अगस्त रह गया।

सितंबर : रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था। सेप्टैंबर में सेप्टै लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है सात एवं बर का अर्थ है वां यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवां किन्तु बाद में यह नौवां महीना बन गया।

अक्टूबर : इसे लैटिन 'आक्ट' (आठ) के आधार पर अक्टूबर या आठवां कहते थे किंतु दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा।

नवंबर : नवंबर को लैटिन में पहले 'नोवेम्बर' यानी नौवां कहा गया। ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला एवं इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा।

दिसंबर : इसी प्रकार लैटिन डेसेम के आधार पर दिसंबर महीने को डेसेंबर कहा गया। वर्ष का 12वां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला।
सौजन्य से :- वेबदुनिया

ndhebar
20-05-2012, 12:15 PM
बहुत अच्छे अकेला भाई

khalid
20-05-2012, 02:51 PM
मस्त जानकारी हैँ विक्रम भाई

abhisays
20-05-2012, 03:50 PM
बहुत ही रोचक जानकारी है।

Sikandar_Khan
20-05-2012, 11:13 PM
विक्रम जी ,जानकारी बढ़ाने के लिए धन्यवाद |

sombirnaamdev
28-05-2012, 07:02 PM
jankari ek dum mast hai, bhai lage raho

rajnish manga
21-11-2012, 05:41 PM
jankari ek dum mast hai, bhai lage raho

विक्रम जी, सोम जी की बात को दोहराता हूँ ---- लगे रहो. मैं चाहता हूँ कि आप हमें अलग अलग महीनों में अलग दिनों का क्या रहस्य है, यह बतायें. फ़रवरी में २८ दिन क्यों? पुराने केलेंडरों का क्या इतिहास है? धन्यवाद.

preetisharma40
24-11-2012, 09:43 AM
बहुत ही बढ़िया जानकारी है...... धन्यवाद.

anjana
18-12-2012, 10:27 PM
विक्रम जी, सोम जी की बात को दोहराता हूँ ---- लगे रहो. मैं चाहता हूँ कि आप हमें अलग अलग महीनों में अलग दिनों का क्या रहस्य है, यह बतायें. फ़रवरी में २८ दिन क्यों? पुराने केलेंडरों का क्या इतिहास है? धन्यवाद.

aspundir
19-12-2012, 09:36 PM
विक्रम जी, सोम जी की बात को दोहराता हूँ ---- लगे रहो. मैं चाहता हूँ कि आप हमें अलग अलग महीनों में अलग दिनों का क्या रहस्य है, यह बतायें. फ़रवरी में २८ दिन क्यों? पुराने केलेंडरों का क्या इतिहास है? धन्यवाद.
February has always had 28 days, going back to the 8th century BC, when a Roman king by the name of Numa Pompilius established the basic Roman calendar. Before Numa was on the job the calendar covered only ten months, March through December. December, as you may know, roughly translates from Latin as "tenth." July was originally called Quintilis, "fifth," Sextilis was sixth, September was seventh, and so on. ************************************************** ******************************** To meticulous persons such as ourselves, having the calendar run out in December and not pick up again until March probably seems like a pretty casual approach to timekeeping. However, we must realize that 3,000 years ago, not a helluva lot happened between December and March. The Romans at the time were an agricultural people, and the main purpose of the calendar was to govern the cycle of planting and harvesting. ************************************************** ******************************** Numa, however, was a real go-getter-type guy, and when he got to be in charge of things, he decided it was going to look pretty stupid if the Romans gave the world a calendar that somehow overlooked one-sixth of the year. So he decided that a year would have 355 days--still a bit off the mark, admittedly, but definitely a step in the right direction. Three hundred fifty five days was the approximate length of 12 lunar cycles, with lots of leap days thrown in to keep the calendar lined up with the seasons. Numa also added two new months, January and February, to the end of the year. Since the Romans thought even numbers were unlucky, he made seven of the months 29 days long, and four months 31 days long. ************************************************** ******************************** But Numa needed one short, even-numbered month to make the number of days work out to 355. February got elected. It was the last month of the year (January didn't become the first month until centuries later), it was in the middle of winter, and presumably, if there had to be an unlucky month, better to make it a short one. ************************************************** ******************************** Many years later, Julius Caesar reorganized the calendar yet again, giving it 365 days. Some say he made February 29 days long, 30 in leap year, and that Augustus Caesar later pilfered a day; others say Julius just kept it at 28. None of this changes the underlying truth: February is so short mainly because it was the month nobody liked much.