Dr. Rakesh Srivastava
13-06-2012, 10:40 AM
हमनें जिन्हें चुना था कभी पेट के ख़ातिर ;
वो हमको ही खाने लगे हैं पेट के ख़ातिर .
धरती निचोड़ कर के बढ़े हो तो छाँव दो ;
क्यों ताड़ बन खड़े हो महज़ पेट के ख़ातिर .
माँ - बाप ने जिनको पढ़ाया पेट काट के ;
बच्चे पहुँच से दूर बसे पेट के ख़ातिर .
मैं जिसके दिल - दिमाग में बसता था रात - दिन ;
वो इक धनी से ब्याह उठी पेट के ख़ातिर .
जो भी उसूल हमनें बनाए थे जोश में ;
सब धीरे - धीरे बिकते गए पेट के ख़ातिर .
ग़र नींद उसे ख़्वाब में दावत खिलाये तो ;
सोता रहे गरीब सदा पेट के ख़ातिर .
आँखों में भूख ले के भटकती थी दर - ब - दर ;
पगली का पेट फूल गया पेट के ख़ातिर .
रचयिता ~ ~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .
वो हमको ही खाने लगे हैं पेट के ख़ातिर .
धरती निचोड़ कर के बढ़े हो तो छाँव दो ;
क्यों ताड़ बन खड़े हो महज़ पेट के ख़ातिर .
माँ - बाप ने जिनको पढ़ाया पेट काट के ;
बच्चे पहुँच से दूर बसे पेट के ख़ातिर .
मैं जिसके दिल - दिमाग में बसता था रात - दिन ;
वो इक धनी से ब्याह उठी पेट के ख़ातिर .
जो भी उसूल हमनें बनाए थे जोश में ;
सब धीरे - धीरे बिकते गए पेट के ख़ातिर .
ग़र नींद उसे ख़्वाब में दावत खिलाये तो ;
सोता रहे गरीब सदा पेट के ख़ातिर .
आँखों में भूख ले के भटकती थी दर - ब - दर ;
पगली का पेट फूल गया पेट के ख़ातिर .
रचयिता ~ ~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव
विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ .