sombirnaamdev
25-07-2012, 11:19 PM
दिल का दर्द जब जखम बन कर कागज पर उतरता है ,
रो देती है कलम स्याही बन के ..खून के आंसू बहता है !
ढलती है तन्हाई जब शब्दों में उठती है टीस बन के सीने में ,
तेरा ही अक्श बनके उभरता है यादों के धुंधले से आईने में ,
समय बन कर फिर घुन अक्सर भर चुके जख्मों को कुतरता है !
यादों के बादल मेरी जिन्दगी पर बन गम की घटा छाये हैं ,
लहू बनके आंसू जब भी याद बन के मेरी आँखों में आये हैं ,
शब्द गंगा का सैलाब फिर बन के कविता उभरता है !
जिन्दगी भर साथ निभाने की कुव्वत ना थी गर साथी तुझमे ,
जगाई क्यू थी प्यार की प्यास .........फिर तुने साथी मुझमें ,
खाकर प्यार भरी कसमें अकेले में... अब क्यों सरेआम मुकुरता है !
तुझ को मुबारक तेरी नयी दुनिया... घर नया तुम अपना बसालो
मुझको भी इन घनी जुल्फों की के साये से ..जरा बहार निकालो
बेवफा तेरी इन जुल्फों साये में जी'' नामदेव '' का भी तो घुटता है
sombirnaamdev@gmail.com
9321083377
रो देती है कलम स्याही बन के ..खून के आंसू बहता है !
ढलती है तन्हाई जब शब्दों में उठती है टीस बन के सीने में ,
तेरा ही अक्श बनके उभरता है यादों के धुंधले से आईने में ,
समय बन कर फिर घुन अक्सर भर चुके जख्मों को कुतरता है !
यादों के बादल मेरी जिन्दगी पर बन गम की घटा छाये हैं ,
लहू बनके आंसू जब भी याद बन के मेरी आँखों में आये हैं ,
शब्द गंगा का सैलाब फिर बन के कविता उभरता है !
जिन्दगी भर साथ निभाने की कुव्वत ना थी गर साथी तुझमे ,
जगाई क्यू थी प्यार की प्यास .........फिर तुने साथी मुझमें ,
खाकर प्यार भरी कसमें अकेले में... अब क्यों सरेआम मुकुरता है !
तुझ को मुबारक तेरी नयी दुनिया... घर नया तुम अपना बसालो
मुझको भी इन घनी जुल्फों की के साये से ..जरा बहार निकालो
बेवफा तेरी इन जुल्फों साये में जी'' नामदेव '' का भी तो घुटता है
sombirnaamdev@gmail.com
9321083377