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View Full Version : काश, साइना यह मेडल स्वीकार नहीं करतीं...


dipu
05-08-2012, 07:35 PM
नीरेंद्र नागर Sunday August 05, 2012

साइना नेहवाल के आज के मैच को लेकर हम भारतीयों में काफी उत्सुकता थी। क्या वह चीनी खिलाड़ी को हरा पाएंगी? क्या वह देश को बैडमिंटन में पहला ओलिंपिक मेडल दिला पाएंगी?

मैच शुरू हुआ और सब सांस रोककर देखते रहे। साइना ने पहले गेम में शुरुआती बढ़त भी ले ली लेकिन बाद में चीनी खिलाड़ी शिन वांग ने उनको पार किया और लगातार आगे बनी रहीं। साइना ने गेम के आखिरी हिस्से में अच्छा खेल दिखाया लेकिन शिन वांग ने पहला गेम 21-18 से जीत लिया। हम भारतीय मायूस हो गए। लगा कि मेडल अब हाथ से गया।

यही वह समय था, बल्कि 21वें पॉइंट से ठीक पहले शिन को घुटने में मोच आई या चोट लगी जिसकी वजह से वह कोर्ट से बाहर आ गईं। उस समय करोड़ों भारतीयों की तरह मेरे मन में भी यह ख्याल आया कि काश, इसकी चोट इतनी बुरी हो कि यह आगे नहीं खेल पाए! ऐसे में मैच साइना के नाम हो जाएगा और उन्हें मेडल मिल जाएगा।

वैसा ही हुआ भी। शिन पैरों में पट्टा बांधकर आईं, दूसरे गेम में पहला पॉइंट भी जीता लेकिन तब उनको लगा कि वह आगे नहीं खेल पाएंगी और उन्होंने खेल अधूरा छोड़ दिया। मैच साइना द्वारा जीता मान लिया गया।



खेल के इस अप्रत्याशित अंत से साइना भी हैरान थीं। ब्रॉन्ज मेडल जीतने के कारण उनके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी, लेकिन बस हल्की-सी। वह जानती थीं कि यह मेडल उन्होंने अपनी काबिलियत के बल पर नहीं बल्कि किस्मत के बल पर जीता है।

अगर साइना पहला गेम जीत चुकी होतीं, या कम-से-कम आगे भी होतीं तो यह फैसला उतना नहीं अखरता। लेकिन यह तो चीनी खिलाड़ी के साथ अन्याय लगता है – तकदीर का अन्याय।

मैच के बाद मेरे दिमाग में यह ख्याल आया – क्या होता अगर साइना यह फैसला मानने से इनकार कर देतीं? या यह कहतीं कि मैं इस अधूरे मैच को बाद में पूरा करना चाहूंगी जब शिन ठीक हो जाएंगी? क्या उनका यह स्टैंड उनका कद ऊंचा नहीं करता? उसके बाद वह जीततीं तो दुनिया मानती कि वाकई उन्होंने मेडल जीता है। और अगर हार भी जातीं तो उनका नाम गर्व के साथ लिया जाता कि उन्होंने मुफ्त में हाथ में आई विजय को स्वीकार नहीं किया।

बाकी खेलों का तो पता नहीं, लेकिन क्रिकेट में अक्सर ऐसा हुआ है कि अंपायर द्वारा विरोधी खिलाड़ी को गलत आउट दे दिेए जाने पर कैप्टन ने अपनी अपील वापस ली है। एक ताज़ा मामला तो पिछले साल का ही है जब रन आउट घोषित किए गए इंग्लैंड के खिलाड़ी इयान बेल के खिलाफ अपील कप्तान धोनी ने वापस ले ली थी। ऐसे और भी कई मामले हुए हैं क्रिकेट में और शायद इसीलिए इसे जेंटलमेंस गेम कहा जाता है।

साइना क्या यही जेंटलवुमन वाली भावना बैडमिंटन में भी नहीं दिखा सकती थीं? मुझे नहीं पता कि ओलिंपिक्स के नियम क्या कहते हैं... लेकिन जब एक विजेता मुक्केबाज को अपील के बाद पराजित घोषित किया जा सकता है (विकास कृष्ण का मामला) तो इस मामले में भी साइना की अपील के बाद फैसला पलटा जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि कोई मुकाबला अगले दिन नहीं हो सकता। कल ही हमने देखा कि पेस-सानिया का मैच खराब रोशनी के कारण रोक दिया गया और वह आज पिछले स्कोर से आगे खेला गया। ऐसा ही साइना-शिन मैच में भी हो सकता था।

साइना इस तरह की अपील के बाद हुए मैच में अगर हार भी जातीं तो भी सारी दुनिया में उनके कद और कद्र में बढ़ोतरी ही होती। तब बैडमिंटन में भारत को पहला मेडल दिलाने का इतिहास भले ही वह नहीं रच पातीं लेकिन देश को गुडमिंटन में पहला गोल्ड मेडल मिलने का इतिहास वह अवश्य रच जातीं।

SOURCE (http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/ekla-chalo/entry/%E0%A4%95-%E0%A4%B6-%E0%A4%B8-%E0%A4%87%E0%A4%A8-%E0%A4%A8-%E0%A4%AE-%E0%A4%A1%E0%A4%B2-%E0%A4%B2-%E0%A4%A8-%E0%A4%B8-%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A4%95-%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%A6-%E0%A4%AF-%E0%A4%B9-%E0%A4%A4)

arvind
06-08-2012, 06:39 PM
ओलंपिक मेडल के लिए सायना ने ठुकराये करोड़ो के डील।

सायना ने लिए ओलंपिक में मेडल जीतना ज्यादा महत्वपूर्ण था न कि डेढ करोड कमाना. इस बात की पुष्टि की है उनके पिता ने. उन्होंने बताया कि सायना स्वर्ण पदक जीतना चाहती थी लेकिन यह संभव नहीं हुआ हालांकि उसने कडी मेहनत की थी.

भारत की स्टार बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल ने लंदन ओलंपिक में कांस्य पदकर जीतकर इतिहास रच दिया. साइना के पिता डॉक्टर हरवीर सिंह ने बताया कि पांच से छह ब्रांड साइना को साइन करना चाहते थे.

ये सभी ब्रांड लंदन ओलंपिक से पहले साइना से डील करना चाहते थे लेकिन उनकी बेटी ने यह ऑफर ठुकरा दिया क्योंकि वह ओलंपिक की तैयारी पर प्रभाव नहीं पड़ने देना चाहती थी. तीन मल्टीनेशलन कंपनियों ने साइना को ऑफर दिया था. इनमें इलेक्ट्रोनिक,ऑटोमोबाइल और कोल्ड ड्रिंक कंपनी शामिल थी. हर कंपनी ने साइना को 50-50 लाख का ऑफर दिया था.

साइना के कमर्शियल कमिटमेंट को मैनेज करने वाले एच मंजुला ने बताया कि कई छोटी कंपनियों ने भी साइना से डील की इच्छा जताई थी लेकिन साइना ने सभी ऑफर ठुकरा दिए. कुछ फर्म साइना से एक दिन में छह घंटे की शूटिंग करवाना चाहती थी तो कुछ आठ से 10 घंटे तक की शूटिंग करवाना चाहती थी लेकिन साइना ने इन सभी को अपना कीमती वक्त देने से मना कर दिया.