View Full Version : सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्में
सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्में
'Achhoot Kanya' 1936 की इस फिल्म में दलितों की समस्याओं पर प्रकाश डाला गया था।
यह फिल्म youtube पर आप देख सकते है।
http://manishamishra.files.wordpress.com/2011/06/achhut_kanya-jpg.jpeg
2 बीघा जमीन
1953 की इस फिल्म को विमल रॉय ने निर्देशित किया था और मुख्य भूमिका में थे बलराज शाहनी। इसमें जमींदारी प्रथा के दुस्प्रभावो को दिखाया गया था।
यह फिल्म भी YouTube पर है।
http://nehamalude.files.wordpress.com/2010/05/dobighazameen.jpg
Mother India.
मदर इण्डिया १९५७ में बनी भारतीय फ़िल्म है जिसे महबूब खान द्वारा लिखा और निर्देशित किया गया है। फ़िल्म में नर्गिस, सुनील दत्त, राजेंद्र कुमार और राज कुमार मुख्य भूमिका में है।
http://wondersinthedark.files.wordpress.com/2011/11/mi-1.png
यह गरीबी से पीड़ित गांव में रहने वाली औरत राधा की कहानी है जो कई मुश्किलों का सामना करते हुए अपने बच्चों का पालन पोषण करने और बुरे जागीरदार से बचने की मेहनत करती है। उसकी मेहनत और लगन के बावजूद वह एक देवी-स्वरूप उदहारण पेश करती है व भारतीय नारी की परिभाषा स्थापित करती है और फिर भी अंत में भले के लिए अपने गुण्डे बेटे को स्वयं मार देती है।
-q_8vu6j4jo
malethia
15-10-2012, 01:34 PM
बहुत ही सुंदर प्रस्तुती है अमोल जी।..............
देखा जाये तो पुरानी सभी फ़िल्में हमें किसी ना किसी तरह का मेसेज ही देती है ..........
ndhebar
15-10-2012, 09:20 PM
Wo ek alag hi daud tha....
ab bhi kuchh filmkar hain jo muddon par aadharit filmen banate hain, par behad kam.
नया दौर के डायरेक्टर थे बी R Chopra.
आदमी और मशीन के बीच की कशमकश इस फिल्म में बहुत ही अच्छे तरह दिखाया गया है।
http://im.rediff.com/movies/2007/jul/10naya.jpg
डाकुओ की ज़िन्दगी पर यह काफी अच्छी फिल्म थी।
जिस देश में गंगा बहती है
http://roughinhere.files.wordpress.com/2008/09/jis-desh-41.jpg
मंथन, यह फिल्म मिलावट के ऊपर बनी थी। स्मिता पाटिल ने इसमें यादगार भूमिका निभाई थी।
http://1.bp.blogspot.com/-vceeg9P9QqU/TtelftFLl8I/AAAAAAAABM4/72EbX6XnM6U/s1600/mirchmasala.jpg
'Kissa Kursi Ka' Corruption के ऊपर यह एक काफी अच्छी फिल्म थी।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=18996&stc=1&d=1350959893
'किस्सा कुर्सी का' अमृत नहाता द्वारा निर्देशित एक 'बेहतरीन' फिल्म है. फिल्म इमरजेंसी के दौरान बनाई गई थी और 1977 में भारत सरकार ने फिल्म के सारे प्रिंट्स (जितने हो सके) जला डाले थे. वजह साफ़ थी, फिल्म पहले राजनीति का कच्चा चिट्ठा खोल कर रखती है और फिर उसे फ्रेम-दर-फ्रेम उधेड़ कर उसकी धज्जियां उड़ाती है. हालाँकि गुड़गाँव में मारुती फैक्ट्री में फिल्म के प्रिंट जला देने के बाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि फिल्म के प्रिंट सुरक्षित किए जाएं और उसे रिलीज़ किया जाए, और इसी कृपा से फिल्म लोगों तक पहुँच सकी.
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=18997&stc=1&d=1350959893
फिल्म साफ़ है, सुथरी है, दुखी करने वाली है, Depressing है और बेहद जबरदस्त है... क्यूंकि 'किस्सा कुर्सी का' एक इमानदार सिनेमा है. फिल्म संजय गाँधी के मारुती उद्योग केस, कॉन्ग्रेस और राजनीति के समूचे सिस्टम पर पर एक उम्दा व्यंग है.
फिल्म की पृष्ठभूमि और सन्दर्भ से आपको परिचित करने के लिए यह बता दूं की 'मारुती उद्योग' को संजय गांधी ने जन्म दिया था, जो की एक उम्दा बात थी, लेकिन गौर-तलब बात ये भी थी की उनके रहते मारुती उद्योग ने एक भी गाड़ी नहीं बनाई थी और इसी सिलसिले में उन पर भ्रष्टाचार के आक्षेप भी लगाए गए थे . जब यह फिल्म आई तो उसमें प्रतीकों के ज़रिये इस बात पर करारा व्यंग कसा गया था. (मसलन फिल्म में प्रेसिडेंट गंगू का चुनाव चिन्ह 'People's Car' थी जो की संजय गांधी का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट था).
मुंबई के सडको पर रहने वाले बच्चो पर सलाम बॉम्बे एक काफी उम्दा फिल्म थी। इस फिल्म का निर्देशन मीरा नाईर ने किया था
http://25.media.tumblr.com/tumblr_lp99mr0Y911qk9q2ho1_500.jpg
बॉम्बे बाबरी मस्जिद दंगो के ऊपर आधारित थी।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=18998&stc=1&d=1350960796
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