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View Full Version : मेरी रखैल बन जा


Dark Saint Alaick
22-11-2012, 02:59 AM
केहर-कंवल की प्रेम कहानी
'मेरी रखैल बन जा, तुझे दो लाख रूपये सालाना की जागीर दूंगा'

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19940&stc=1&d=1353538738

रोमियो-जूलियट, शीरी-फरहाद, लैला-मजनूं, सोहनी-माहिवाल और ना जाने ऐसे कितने गुमनाम जोड़े जो इश्क के दरियां में फना हो गए एक दूजे की खातिर। लेकिन महबूब के प्रति इनका समर्पण दुनिया वालों के दिलों में बस गया और आज उनकी कहानी लोगों की जुबां पर तैरती हैं। हालांकि इन किस्सों के बारे में प्रमाण जुटाना खासा मुश्किल हैं। इसके बावजूद पढि़ए राजस्थान की चर्चित प्रेम कहानियों में से एक केहर-कंवल की प्रेम कहानी...

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:01 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19941&stc=1&d=1353538865

गुजरात का बादशाह महमूद शाह अपने अहमदाबाद के किले में मारवाड़ से आई जवाहर पातुर की बेटी कंवल को लालच दे रहा था, मेरी बात मान ले, मेरी रखैल बन जा। मैं तुझे दो लाख रूपये सालाना की जागीर दूंगा और तेरे सामने पड़े ये हीरे-जवाहरात भी तेरे। जिद मत कर मेरा कहना मान और मेरी रखैल बनना स्वीकार कर ले। इतना कहने के बाद बादशाह ने एक हीरों का हार कंवल के गले में डालने की कोशिश की, लेकिन कंवल ने बादशाह की बात ठुकराते हुए हीरों का हार तोड़कर फेंक दिया।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:03 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19942&stc=1&d=1353538959

कंवल की माँ जवाहर पातुर ने बेटी की हरकत पर बादशाह से माफी मांगते हुए बेटी को समझाने के लिए थोड़ा समय माँगा। माँ ने कंवल को बहुत समझाया कि बादशाह की बात मान ले और उसकी रखैल बन जा तू गुजरात पर राज करेगी। लेकिन कंवल ने माँ से साफ़ कह दिया कि वह केहर को प्यार करती है और उसकी हो चुकी है इसलिए गुजरात तो क्या, अगर कोई दुनियां का बादशाह भी आ जाये तो उसके किस काम का..

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:05 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19943&stc=1&d=1353539096

कँवर केहर सिंह चौहान महमूद शाह के अधीन एक छोटीसी जागीर 'बारिया' का जागीरदार था और कंवल उसे प्यार करती थी। कंवल की माँ ने उसे खूब समझाया कि तू एक वेश्या की बेटी है, एक पातुर है, तुने किसी एक की चूड़ी नहीं पहन रखी है, लेकिन कंवल ने साफ कह दिया कि 'केहर जैसे शेर के गले में बांह डालने वाली उस गीदड़ महमूद के गले कैसे लग सकती है'। पास के ही कमरे में उपस्थित महमूद के कानों में जब ये शब्द पड़े तो वह गुस्से से भर गया। उसने कंवल को महल में कैद करने के आदेश देने के साथ ही कंवल से कहा, 'अब तू देखना तेरे शेर को पिंजरे में मैं कैसे कैद करके रखूँगा।'

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:07 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19944&stc=1&d=1353539216

बादशाह ने अपने सिपहसालारों को बुलाकर एलान कर दिया कि केहर को कैसे भी कैद करने वाले को जागीर बारिया जब्त कर दे दी जाएगी। लेकिन केहर जैसे योद्धा से कौन टक्कर ले, दरबार में उपस्थित उसके सामन्तों में से एक जलाल आगे आया। उसके पास छोटी सी जागीर थी। सो लालच में उसने यह बीड़ा उठा लिया। प्लान के मुताबिक साबरमती नदी के तट पर शीतला माता के मेले के दिन महमूद शाह ने जलक्रीड़ा आयोजित की, जलाल एक तैराक योद्धा आरबखां को जलक्रीड़ा के समय केहर को मारने हेतु ले आया।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:08 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19945&stc=1&d=1353539301

जलक्रीड़ा शुरू हुई और आरबखां केहर पर पानी में ही टूट पड़ा, लेकिन केहर भी तैराकी व जल युद्ध में निपुण था। दोनों के बीच इस युद्ध में केहर ने आरबखां को मार डाला। केहर द्वारा आरबखां को मारने के बाद मुहमद शाह ने बात सँभालने हेतु केहर को शाबासी के साथ मोतियों की माला पहना शिवगढ़ की जागीर भी दी।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:11 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19946&stc=1&d=1353539462

बादशाह द्वारा आरबखां को मौत के घाट उतारने के बावजूद केहर को सम्मानित करने की बात केहर के सहयोगी सांगजी व खेतजी के गले नहीं उतरी। वे समझ गए कि बादशाह कोई षड्यंत्र रच रहा है उन्होंने केहर को आगाह भी कर दिया, लेकिन केहर को बादशाह ने यह कह कर रोक लिया कि दस दिन बाद फाग खेलेंगे और फाग खेलने के बहाने उसने केहर को महल के जनाना चौक में बुला लिया। इसके बाद षड्यंत्र पूर्वक उसे कैद कर एक पिंजरे में बंद कर कंवल के महल के पास रखवा दिया, ताकि वह अपने प्रेमी की दयनीय हालत देख दुखी होती रहे।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:13 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19947&stc=1&d=1353539609

कंवल रोज पिंजरे में कैद केहर को खाना खिलाने खुद आती और मौका देख केहर से निकलने के बारे में चर्चा करती। एक दिन कंवल ने एक कटारी व एक छोटी आरी केहर को लाकर दी। उसी समय केहर की दासी टुन्ना ने वहां सुरक्षा के लिए तैनात फालूदा खां को जहर मिली भांग पिला बेहोश कर दिया। इस बीच मौका पाकर केहर पिंजरे के दरवाजे को काट आजाद हो गया और किसी तरह महल से बाहर निकल अपने साथियों सांगजी व खेतजी के साथ अहमदाबाद से बाहर निकल आया।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:15 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19948&stc=1&d=1353539738

केहर की जागीर बारिया तो बादशाह ने जब्त कर जलाल को दे दी थी सो केहर मेवाड़ के एक सीमावर्ती गांव बठूण में आ गया और गांव के मुखिया गंगो भील से मिलकर आपबीती सुनाई। गंगो भील ने अपने अधीन साठ गांवों के भीलों का पूरा समर्थन केहर को देने का वायदा किया। अब केहर बठूण के भीलों की सहायता से गुजरात के शाही थानों को लुटने लगा, सारा इलाका केहर के नाम से कांपने लगा। केहर को मारने के लिए बादशाह ने कई योद्धा भेजे पर हर मुठभेड़ में बादशाह के योद्धा ही मारे जाते, महमूदशाह का कोई सामंत केहर के आगे आने की हिम्मत नहीं करता सो वह बार बार जलाल को ख़त लिखता कि केहर को ख़त्म करे। लेकिन एक दिन बादशाह को समाचार मिला कि केहर की तलवार के एक वार से जलाल के टुकड़े टुकड़े हो गए।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:16 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19949&stc=1&d=1353539809

कंवल केहर के ज्यों ज्यों किस्से सुनती, उतनी ही खुश होती और उसे खुश देख बादशाह को उतना ही गुस्सा आता पर वह क्या करे, बेचारा बेबस था। केहर को पकडऩे या मारने की हिम्मत उसके किसी सामंत व योद्धा में नहीं थी। कंवल महमूद शाह के किले में तो रहती पर उसका मन हमेशा केहर के साथ होता। वह महमूद शाह से बात तो करती पर ऊपरी मन से। केहर की वीरता का कोई किस्सा सुनती तो उसका चेहरा चमक उठता और वह दिन रात किले से भागकर केहर से जा मिलने के मनसूबे बनाती।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:18 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19950&stc=1&d=1353539872

छगना नाई की बहन कंवल की नौकरानी थी। एक दिन कंवल ने एक पत्र लिख छगना नाई के हाथ केहर को भिजवाया। केहर ने कंवल का सन्देश पढ़ा- मारवाड़ के व्यापारी मुंधड़ा की बारात अजमेर से अहमदाबाद आ रही है। रास्ते में आप उसे लूटना मत और उसी बारात के साथ वेष बदलकर अहमदाबाद आ जाना। पहुँचने पर मैं दूसरा सन्देश आपको भेजूंगी। ईश्वर ने चाहा तो आपका और मेरा मनोरथ सफल होगा।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:18 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19951&stc=1&d=1353539930

अजमेर-अहमदाबाद मार्ग पर मुंधड़ा की बारात में केहर और उसके चार साथी बारात के साथ हो लिए केहर जोगी के वेश में था। उसके चारों राजपूत साथी हथियारों से लैस थे। मुंधड़ा भी खुश था कि हथियारों से लैस बांके राजपूतों को देख रास्ते में बारात को लुटने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ेगी।

Dark Saint Alaick
22-11-2012, 03:19 AM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=19952&stc=1&d=1353539975

दासी टुन्ना ने केहर व कंवल को पालकी में बैठा पर्दा लगाया और कहारों और सैनिकों को हुक्म दिया कि- जवाहरबाई की पालकी तैयार है उसे उनके डेरे पर पहुंचा दो और बादशाह आज रात यही बुलंद गुंबज में कंवल के साथ विराजेंगे। कहार और सैनिक पालकी ले जवाहरबाई के डेरे पहुंचे वहां केहर का साथी सांगजी घोड़ों पर जीन कस कर तैयार था। केहर ने कंवल को व सांगजी ने टुन्ना को अपने साथ घोड़ों पर बिठा एड लगाईं और बठूण गांव की ओर बैठ लिए। जवाहरबाई को छोडऩे आये कहार और शाही सिपाही एक दुसरे का मुंह ताकते रह गए।

rajnish manga
25-11-2012, 05:36 PM
:thumbup: :thumbup:

सेंट अलैक जी, केहर – कँवल की प्रेम कहानी मनोरंजक व मन को छू लेने वाली है और लोक कथा का भरपूर आनन्द देती है. कथा के साथ साथ एक दर्जन से अधिक नयनाभिराम चित्र दे कर आपने कथा में चार चाँद लगा दिए हैं. अनेकानेक धन्यवाद.