PDA

View Full Version : टुनटुन की कहानी (Tuntun's Story)


anjaan
24-11-2012, 09:39 AM
टुनटुन (उमा देवी) की कहानी

http://3.bp.blogspot.com/_ySDYrl4Wm2c/TBcamlPnS4I/AAAAAAAAAog/3xlfj-jCl4k/s1600/Tun+Tun.jpg

anjaan
24-11-2012, 09:40 AM
आज मैं लेकर आया हूँ हिंदी फ़िल्मों की जानीमानी हास्य अभिनेत्री टुनटुन जिन्होंने फिल्म जगत में उमा देवी के नाम से एक गायिका के रूप में प्रवेश लिया था. जी हाँ इन्हीं टुनटुन का असली नाम उमा देवी खत्री था. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक दूरदराज़ गाँव में हुआ था और बचपन में ही अपने माता-पिता दोनों को खो चुकी थीं. रेडियो पर गाने सुन सुन कर उन्हें गायिका बनने की चाहत मुम्बई ले आई उस समय उनकी आयु मात्र १३ साल थी.इस कहानी को लगभग सभी जानते हैं.

उनकी आवाज़ में एक कशिश थी बहुत मीठी आवाज़ की मल्लिका थीं वे. वह नौशाद साहब के लिए ही गाना चाहती थीं और उनकी यह तमन्ना १९४७ की फिल्म दर्द में पूरी हुई.यह उनका सब से अधिक लोकप्रिय गीत रहा.उनको इस क्षेत्र में वो मुकाम नहीं मिल सका जिसकी वे हक़दार थीं.उन्हीं के मुंह भोले भाई संगीतकार नौशाद साहब ने उन्हें फिल्मों में अभिनय की सलाह दी और उन्होंने बतौर हास्य अभिनेत्री फिल्म बाबुल में काम किया और उसके बाद हास्य अभिनेत्री के तौर पर सफलता के नए मुकाम हासिल किये.

उमा देवी का नया नाम टुनटुन बेहद लोकप्रिय हुआ. उनके पति मोहन की मृत्यु १९९२ में हुई और २००३ में उनका निधन हुआ था.उनकी दो पुत्रियाँ और एक पुत्र है.वे अँधेरी ,मुम्बई में रहती थीं.

anjaan
24-11-2012, 09:41 AM
टुनटुन का गाया हुआ यह दर्द फिल्म का गीत आज भी लोग याद करते हैं।

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/en/e/ec/Uma_Devi_Khatri,_Tun_Tun,_(1923_%E2%80%932003).jpg

अफ़साना लिख रही हूँ दिल-ए-बेक़रार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ

जब तू नहीं तो कुछ भी नहीं है बहार में
जी चाहता है मूँह भी न देखूँ बहार का
आँखोँ में रन्ग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ

हासिल हैं यूँ तो मुझको ज़माने की दौलतें

लेकिन नसीब लाई हूँ इक सोग़वार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ
आजा कि अब तो आँख में आँसू भी आ गये

साग़र छलक उठा मेरे सब्र-ओ-क़रार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
फ़साना लिख रही हूँ

anjaan
24-11-2012, 09:45 AM
Now I am going to post...

उमा देवी (टुनटुन) की कहानी उनकी ज़ुबानी Written by shishir krishna sharma

साभार : शिशिर कृष्ण शर्मा


उमा देवी (टुनटुन) की कहानी उनकी ज़ुबानी Written by shishir krishna sharma


हिन्दी सिनेमा के क्षेत्र में पहला कदम उन्होंने एक गायिका के रूप में रखा था. उनके पहले ही गीत ने क़ामयाबी की तमाम बुलन्दियां पार कीं. लेकिन बामुश्क़िल 40-45 गीत गाने के बाद घरेलू वजहों से उन्हें फिल्मोद्योग से अलग हो जाना पड़ा. फिर कुछ ही समय बाद पैसे की मजबूरी उन्हें वापस इस चमक-दमक भरी दुनिया में खींच लाई. लेकिन तब तक प्लेबैक के क्षेत्र का दृश्य इतना बदल चुका था कि उन्हें बतौर गायिका काम मिलना आसान नहीं रह गया था. मजबूरन उन्हें पैसा कमाने के लिए कैमरे के सामने आना पड़ा. ये था नियति का खेल !


http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=20043&stc=1&d=1353735938

अभिनेत्री टुनटुन बनकर उन्होंने जो लोकप्रियता हासिल की वैसी लोकप्रियता गायिका उमादेवी के रूप में उन्हें शायद ही मिल पाती. पचास और साठ के दशक की हिन्दी फिल्मों के दर्शक गवाह हैं इस बात के कि टुनटुन वो एकमात्र महिला कॉमेडियन थीं जिनके परदे पर आने मात्र से सिनेमाहॉल में ठहाके गूंजने लगते थे. उनकी लोकप्रियता का आलम कुछ ऐसा था कि उस दौर में वो हर दूसरी-तीसरी फिल्म में नज़र आती थीं, भले ही उनकी भूमिका नगण्य सी और एक-दो दृश्यों की ही क्यों न हो.

अक्सर कहा जाता है कि कोई ज़रूरी नहीं कि एक अभिनेता की परदे पर नज़र आने वाली छवि उसकी असल ज़िंदगी से मेल खाए. काफी हद तक ये बात सच भी है. लेकिन टुनटुन इसकी अपवाद थीं. वो असल ज़िन्दगी में भी उतनी ही मस्तमौला और हंसने-हंसाने वाली महिला थीं जितनी कि फिल्म के परदे पर नज़र आती थीं. लेकिन ये उनके व्यक्तित्व का सिर्फ एक पहलू था.

anjaan
24-11-2012, 09:48 AM
सुनहरी दौर के, समय के साथ गुमनामी में खो चुके मशहूर लोगों के बारे में जानने की उत्सुकता तो मन में हमेशा से थी ही, अब मेरे पास एक मक़सद भी था सो मैं जुट पड़ा उन खोए हुए कलाकारों की तलाश में. श्यामा, शशिकला, शारदा, महिपाल, जॉय मुकर्जी, राजेन्द्रनाथ, अनिता गुहा, दुलारी, पूर्णिमा, सुधा मल्होत्रा...ऐसे नामों की सूची अंतहीन थी.

वयोवृद्ध अभिनेता चन्द्रशेखरजी और ‘सिने एण्ड टी.वी.आर्टिस्ट एसोसिएशन’ के ऑफिस में कार्यरत अनिल गणपत गायकवाड़ और सुखदेव बापू जाधव ने इस मुहिम में मेरी भरपूर मदद की. जहां एक ओर चन्द्रशेखरजी ने ऐसे कई भूले-बिसरे कलाकारों के नाम मुझे सुझाए, वहीं अनिल और सुखदेव एसोसिएशन के रेकॉर्ड में से ढूंढकर लगातार मुझे उनके पते और फोन नम्बर देते रहे. टुनटुन उन कलाकारों में से थीं जिनके मौजूदा हालात जानने के लिए मैं

हमेशा से बेताब था. उनका इण्टरव्यू मैं ‘सहारा समय’ के प्रकाशन की शुरुआत में ही कर चुका होता अगर मेरे पास उनका सही पता होता.

anjaan
24-11-2012, 09:48 AM
एसोसिएशन के रजिस्टर में दर्ज उनके पते पर मैं अंधेरी (पश्चिम) स्थित यारी रोड के इलाक़े में पहुंचा तो पता चला वो तो साल भर पहले ही अपना फ्लैट बेचकर जा चुकी थीं. कहां गयीं, ये किसी को नहीं पता था.

सिने एण्ड टी.वी.आर्टिस्ट एसोसिएशन से भी उन्होंने लम्बे समय से सम्पर्क नहीं किया था. क़रीब चार-पांच महिने बाद अचानक अनिल ने मुझे फोन किया. बेहद उत्साहित स्वर में अनिल ने बताया कि अभी- अभी टुनटुनजी का फोन आया था,

अब वो बान्द्रा-विलेज में अपनी छोटी बेटी के साथ रहती हैं और उन्होंने जल्द ही होने जा रही एसोसिएशन की सालाना जनरल बॉडी मीटिंग में हिस्सा लेने का वादा किया है. मैं तय समय पर उस मीटिंग में पहुंचा. टुनटुन को बेहद सम्मान के साथ मंच पर बैठाया गया था. दुबली-पतली वृद्धा को सामने देखते ही उनकी वो छवि भरभराकर ढह पड़ी जिसे मैं अभी तक सिनेमा के परदे पर देखता आया था. मंच पर मौजूद दिलीप साहब, चन्द्रशेखरजी, धर्मेन्द्र, अमरीश पुरी और दारासिंह जैसे वरिष्ठ कलाकारों को उनके साथ बेहद अदब से पेश आते देखा.

anjaan
24-11-2012, 09:50 AM
इतनी उम्र हो जाने के बावजूद टुनटुन की चुहलबाज़ी, गर्मजोशी और चुटीली बातों में कोई कमी नहीं आई थी. मौक़ा देखकर मैं उनसे मिला और अपना परिचय देते हुए उनका इण्टरव्यू करने की इच्छा ज़ाहिर की तो तुरंत जवाब मिला, ‘ओए शर्मे-बेशर्मे, तू आजा कभी भी. लेकिन पहले फोन ज़रूर कर लियो’. जब कभी कहीं उनका ज़िक्र होता है तो उनके कहे ये शब्द हूबहू आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं. तय समय के अनुसार 27 अक्टूबर 2003 की शाम ठीक 6 बजे मैं अपने फोटोग्राफर साथी अनिल मुरारका के साथ टुनटुन के बान्द्रा पश्चिम स्थित घर पर पहुंचा. मस्तमौला स्वभाव्, चुटीली बातें, बात-बात पर हंसना-हंसाना भले ही उनके व्यक्तित्व का जगज़ाहिर पहलू था लेकिन वास्तव में उसके पीछे अथाह दर्द छुपा हुआ था. ज़िन्दगी में उन्होंने शायद ही कभी कोई सुख देखा हो.

उनका ये एक रेकॉर्डेड इण्टरव्यू था जो आज भी मेरे पास सुरक्षित है.

लीजिए पेश है टुनटुन की कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी -

anjaan
24-11-2012, 09:50 AM
‘मुझे याद नहीं कि मेरे माता-पिता कौन थे और कैसे दिखते थे. मैं दो-ढाई बरस की रही होंगी जब वो ग़ुज़रे थे. घर में मुझसे आठ-नौ साल बड़ा एक भाई था जिसका नाम हरि था. मुझे बस इतना याद था कि हम लोग अलीपुर नाम के गांव में रहते थे. गांव के बीच में एक तालाब था जिसमें बत्तखें तैरती रहती थीं. मेरा भाई गांव की रामलीला में भाग लेता था. एक रोज़ मैं किसी घर की छत पर बैठी रामलीला देख रही थी कि मुझे नींद आ गयी और मैं लुढ़ककर नीचे गिर पड़ी. भाई मेरा इतना ख्याल रखता था कि वो रामलीला के बीच में ही मंच छोड़कर मुझे उठाने के लिए दौड़ पड़ा था. उस वक़्त मैं तीन-चार बरस की और भाई बारह-तेरह बरस का रहा होगा. लेकिन एक रोज़ भाई भी ग़ुज़र गया और दो वक़्त की रोटी के एवज़ में रिश्तेदारों के लिए चौबीस घण्टे की नौकरानी छोड़ गया. अब रिश्तेदारी- बिरादरी में जहां कहीं भी शादी-ब्याह-जीना-मरना हो काम के लिए मुझे भेजा जाने लगा. मेरा अन्दाज़ है कि अलीपुर शायद दिल्ली के आसपास था क्योंकि अक्सर घरेलू काम के सिलसिले में मुझे दिल्ली के दरियागंज इलाक़े में किसी रिश्तेदार के घर आते-जाते रहना पड़ता था.

anjaan
24-11-2012, 09:51 AM
उसी दौरान एक रोज़ पड़ोसियों से पता चला था कि अलीपुर में हमारी काफी ज़मीनें थीं जिन्हें हड़पने के लिए पहले मेरे माता-पिता और फिर भाई का क़त्ल कर दिया गया था. गाने का शौक़ मुझे बचपन से था लेकिन गुनगुनाते हुए भी डर लगता था क्योंकि उन लोगों में से अगर कोई गाते हुए सुन लेता था तो मार पड़ती थी. उन्हीं दिनों दिल्ली में मेरी मुलाक़ात एक्साईज़ विभाग में इंस्पेक्टर अख्तर अब्बास काज़ी से हुई. उन्होंने मुझे सहारा दिया तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ने लगा.


लेकिन तभी मुल्क़ का बंटवारा हुआ और काज़ी साहब लाहौर चले गए. इधर हालात से तंग आकर फिल्मों में गाने का ख्वाब लिए मैं एक रोज़ चुपचाप मुम्बई भाग आयी. दिल्ली में किसी ने निर्देशक नितिन बोस के असिस्टेण्ट जव्वाद हुसैन का पता दिया था सो उनसे आकर मिली और उन्होंने मुझे अपने यहां पनाह दे दी. उस वक़्त मेरी उम्र चौदह बरस की थी. उधर काज़ी साहब का मन लाहौर में नहीं लगा इसलिए मौक़ा पाते ही वो भी मुम्बई चले आए और फिर हमने शादी कर ली. ये सन 1947 का मैं काम की तलाश में थी. कारदार उन दिनों फिल्म ‘दर्द’ बना रहे थे.

anjaan
24-11-2012, 09:52 AM
एक रोज़ उनके स्टूडियो में पहुंची और बेरोकटोक उनके कमरे में घुसकर बेझिझक उन्हीं से पूछ बैठी, कारदार कहां मिलेंगे, मुझे गाना गाना है. दरअसल मैं न तो कारदार को पहचानती थी और न ही फिल्मी तौर-तरीक़ों से वाक़िफ थी. शायद मेरा यही बेतक़ल्लुफी भरा अंदाज़ कारदार को पसन्द आया जो बिना नानुकुर किए उन्होंने नौशाद साहब के असिस्टेण्ट ग़ुलाम मोहम्मद को बुलाया और मेरा टेस्ट लेने को कहा. ग़ुलाम मोहम्मद ढोलक लेकर बैठे तो मैंने उनसे ठीक से बजाने को कहा. मेरे बेलाग तरीकों से वो भी हक्के-बक्के थे.

बहरहाल मैंने फिल्म ‘ज़ीनत’ का नूरजहां का गाया गीत ‘आंधियां ग़म की यूं चलीं’ गाकर सुनाया जो सबको इतना पसन्द आया कि मुझे पांच सौ रुपए महिने की नौकरी पर रख लिया गया.

anjaan
24-11-2012, 09:52 AM
पहला गीत जो मेरी आवाज़ में रेकॉर्ड हुआ था वो था साल 1947 में बनी फिल्म ‘दर्द’ का ‘अफसाना लिख रही हूं दिले बेक़रार का’. ये गीत इतना बड़ा हिट साबित हुआ कि मुझे आज तक इसी गीत से पहचाना जाता है. इस फिल्म में मेरे गाए बाक़ी तीनों गीत ‘आज मची है धूम’, ये कौन चला’ और सुरैया के साथ ‘बेताब है दिल’ भी काफी पसन्द किए गए.

उसी साल बनी फिल्म ‘नाटक’ में मैंने गीत ‘दिलवाले, जल कर ही मर जाना’ गाया. साल 1948 में बनी फिल्म ‘अनोखी अदा’ में मेरे दो सोलो गीत ‘काहे जिया डोले हो कहा नहीं जाए’ और ‘दिल को लगा के हमने कुछ भी न पाया’ थे. 1948 में प्रदर्शित हुई ‘चांदनी रात’ में मुझे उस फिल्म का शीर्षक गीत ‘चांदनी रात है, हाए क्या बात है’ गाने का मौक़ा मिला था. उसी साल बनी फिल्म ‘दुलारी’ में मैंने शमशाद बेगम के साथ मिलकर गाया था, ‘मेरी प्यारी पतंग चली बादल के संग’.

anjaan
24-11-2012, 09:53 AM
इन सभी फिल्मों के संगीतकार नौशाद साहब थे. इसके अलावा मैंने ‘चन्द्रलेखा’, ‘हीर रांझा’ (दोनों 1948), ‘भिखारी’, ‘भक्त पुण्डलिक’, ‘प्यार की रात, ‘सुमित्रा’, ‘रूपलेखा’, ‘जियो राजा’, ‘हमारी किस्मत’ (सभी 1949), ‘भगवान श्री कृष्ण’ (1950), ‘सौदामिनी’ (1950), ‘दीपक’ (1951), ‘जंगल का जवाहर’ (1952) और ‘राजमहल’ (1953) जैसी फिल्मों में भी गीत गाए. चूंकि संगीत और गायन की मैंने विधिवत शिक्षा नहीं ली थी और उधर बच्चों के जन्म के साथ घरेलू ज़िम्मेदारियां भी बढ़ने लगी थीं इसलिए बतौर गायिका मेरा करियर ज़्यादा नहीं चल पाया. मेरे गाए गीतों की कुल संख्या क़रीब 45 होगी. यहां मैं स्पष्ट कर देना चाहूंगी कि मुझे सिंदूर खिलाकर मेरी आवाज़ खराब कर देने वाली जो बात अक्सर कही-सुनी जाती है, वो महज़ अफवाह है. उसमें ज़रा भी कुछ समय मैं फिल्मों से दूर रहकर अपने परिवार में उलझी रही. पति नौकरी करते थे लेकिन परिवार बढ़ने के साथ उनका वेतन कम पड़ने लगा तो मजबूरन मुझे एक बार फिर से काम की तलाश में निकलना पड़ा. मैं नौशाद साहब से मिली जो उन दिनों फिल्म ‘बाबुल’ बना रहे थे.

anjaan
24-11-2012, 09:53 AM
उन्होंने मुझे उस फिल्म में एक हास्य भूमिका करने को कहा जिसे मैंने स्वीकार कर लिया. हालांकि इससे पहले फिल्म ‘दर्द’ में भी वो मुझे एक भूमिका ऑफर कर चुके थे लेकिन तब मैं अभिनय के लिए मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी. उमादेवी की जगह टुनटुन नाम भी मुझे फिल्म ‘बाबुल’ में नौशाद साहब ने ही दिया था. आगे चलकर यही नाम मेरी पहचान बन गया. मेरा ये रूप दर्शकों को बेहद पसन्द आया और देखते ही देखते मैं हिन्दी फिल्मों की अतिव्यस्त हास्य अभिनेत्री बन गयी. फिर तो उड़न खटोला, बाज़, आरपार, मिस कोकाकोला, मिस्टर एण्ड मिसेज़ 55, राजहठ, बेगुनाह, उजाला, कोहिनूर, नया अंदाज़, 12 ओ’क्लॉक, दिल अपना और प्रीत पराई, कभी अन्धेरा कभी उजाला, मुजरिम, जाली नोट, एक फूल चार काण्टे, काश्मीर की कली, अक़लमन्द, सी.आई.डी.909, दिल और मोहब्बत, एक बार मुस्कुरा दो और अन्दाज़ जैसी सैकड़ों फिल्में मैंने कीं.

anjaan
24-11-2012, 09:54 AM
सत्तर के दशक में मेरी सक्रियता में कमी आनी शुरु हुई और फिर क़ुर्बानी और नमक हलाल जैसी फिल्में करने के बाद मैंने खुद को अभिनय से दूर कर लिया. नब्बे के दशक की शुरुआत में काज़ी गुज़रे. अब दोनों बेटों और दोनों बेटियों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद पिछले क़रीब बीस बरस से मैं घर पर ही रहकर दिनांक 22 नवम्बर 2003 के सहारा समय में छपा टुनटुन का ये इण्टरव्यू उनका आखिरी इण्टरव्यू साबित हुआ. मैंने उन्हें फोन करके बताया कि अखबार की प्रति मैं उन्हें कुरियर से भिजवा रहा हूं. इस पर उन्होंने अपनी चिरपरिचित स्टाईल में कहा, ‘ओए शर्मे-बेशर्मे, अखबार कुरियर से भेज रहा है तो फिर इण्टरव्यू भी फोन पर ही ले लेना था’.

anjaan
24-11-2012, 09:55 AM
क़रीब आधा घण्टे के बाद उन्होंने फोन तब बन्द किया जब मैंने उनसे वादा नहीं कर लिया कि मैं दो-तीन दिन में ही उनसे मिलने आऊंगा. लेकिन मुझे इस बात का अफसोस हमेशा रहेगा कि मैं अपना वादा नहीं निभा पाया. वो अपना ये आखिरी इण्टरव्यू भी नहीं पढ़ पायीं क्योंकि अगली ही सुबह उनकी तबीयत बिगड़ी, उन्हें बान्द्रा के एक निजी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां 24 नवम्बर 2003 की सुबह उनका देहांत हो गया. टुनटुन को हमसे बिछुड़े आज 9 बरस बीत चुके हैं.

लेकिन जब कभी हिन्दी सिनेमा की महिला हास्य-कलाकारों की बात होगी, उनका नाम उस सूची में सर्वोपरि होगा. और उनका गाया ये सदाबहार गीत भी सुनने वालों को हमेशा लुभाता रहेगा – ‘अफसाना लिख रही हूं दिले बेक़रार का......!’

anjaan
24-11-2012, 09:56 AM
Tuntun's filmography ::

1990 Kasam Dhande Ki Prema
1989 Shehzaade Hitler's Bride (uncredited)
1988 Ek Aadmi
1987 Deewana Tere Naam Ka
1986 Khel Mohabbat Ka House Maid
1985 Lover Boy Phoolmati
1985 Ghar Dwaar
1985 Salma Lady Singer - 'Mumtaz's marriage'
1984 Shorgol
1984 Kamla
1984 Raja Aur Rana Havaldar's wife (as Tuntun)
1984 Unchi Uraan
1983 I Coolie Mother of 7 babies
1983 Haadsaa Ladies Health Club Member
1983 Painter Babu Koyal
1982 Disco Dancer Bride (uncredited)
1982 Meharbaani
1982 Haathkadi
1982 Apradhi Kaun? Nurse
1982 Maine Jeena Seekh Liya Miss Tun Tun
1982 Namak Halaal Female guest with a dog
1982 Samraat Woman abroad ship (uncredited)
1982 Yeh To Kamaal Ho Gaya
1981 Sannata
1981 Biwi O Biwi Mrs. Singh's friend - Faints at swimming pool (uncredited)
1981 Saajan Ki Saheli Maria
1980 Andhera
1980 Qurbani Fat woman in car
1980 Gori Dian Jhanjran Bulbul's mom
1980 Saajan Mere Main Saajan Ki
1980 Yari Dushmani
1979 Lok Parlok Sundari
1979 Baton Baton Mein Imaginary Nancy's mom
1979 Sarkari Mehmaan Bank employee
1978 Dil Aur Deewaar Madame
1978 Phandebaaz
1978 Ankhiyon Ke Jharokhon Se Fat lady in the theatre
1978 Satyam Shivam Sundaram: Love Sublime Fat Lady
1978 Nasbandi Tonica
1978 Ankh Ka Tara
1978 Heeralal Pannalal
1978 Premi Gangaram
1977 Pandit Aur Pathan Champakali
1977 Aap Ki Khatir Dancer/Singer
1977 Tyaag
1977 Aafat
1977 Agar... If Champakali (Agarwal housemaid)
1977 Amaanat Referee (uncredited)
1977 Chacha Bhatija Kesto's bride
1977 Do Sholay Guest Appearance
1977 Gayatri Mahima
1977 Paapi Laila (as Tuntun)
1977 Taxi Taxie Mother of 9 children (as Tuntun)
1976 Hera Pheri Mrs. Dhaniram
1976 Nagin Maid
1976 Aap Beati Customer at Lord's Shoes
1976 Bhagwan Samaye Sansar Mein (as Tuntun)
1976 Bundal Baaz Rajaram's customer
1976 Rangila Ratan
1975 Aag Aur Toofan (as Tuntun)
1975 Dhoti Lota Aur Chowpatty Film heroine's mom (as Tun-Tun)
1975 Stree Purush
1974 Amir Garib Governess
1974 Naya Din Nai Raat Mental Patient
1974 Dil Diwana
1974 Hamrahi
1974 Hum Rahi (as Tuntun)
1974 Maa Bahen Aur Biwi
1974 My Friend
1974 Sacha Mera Roop Hai
1974 Shaitaan Meena Advani (uncredited)
1974 Thokar Mukhti's wife
1973 Kuchhe Dhaage Ramaswanti Bharose
1973 Bandhe Haath Kavita
1973 Heera
1973 Jalte Badan Chameli
1973 Naag Mere Saathi
1972 Gomti Ke Kinare Petrol Pump owner's wife
1972 Lalkar (The Challenge) Danko
1972 Aankhon Aankhon Mein Mrs. Pereira
1972 Apradh Mrs. Fernandes
1972 Be-Imaan
1972 Bindiya Aur Bandook
1972 Chori Chori
1972 Dil Daulat Duniya Baby's Mother
1972 Ek Hasina Do Diwane Phool Kumari
1972 Garam Masala Queen Khatoria
1972 Mele Mitran De
1972 Mome Ki Gudiya Daisy's mom
1972 Sabse Bada Sukh
1972 Samadhi Kalavati
1971 Hungama Jagdeep's Mother (as Tuntun)
1971 Upaasna
1971 Ek Paheli Lily
1971 Hulchul Philomena D'Costa
1971 Johar Mehmood in Hong Kong Sonia's Aunt
1971 Preet Ki Dori
1971 Shri Krishna Leela Rasili's Chachi
1971 Tulsi Vivah Senapati's mother-in-law
1971 Woh Din Yaad Karo
1970 Heer Raanjha Allah Rakhi
1970 I The Train (Guest Appearance)
1970 Aansoo Aur Muskan Bhagwanti
1970 Ehsan Mrs. Chaturmukh
1970 Geet Champavati 'Champa'
1970 Himmat Tiger's mom
1970 Pehchan Ganga's prospective bride
1970 Rootha Na Karo Neeta's maidservant (as Tuntun)
1970 Sharafat Champakali (as Tuntun)
1969 Do Raaste Swimming pool attendant
1969 Anjaana Mrs. Kapoor (Cooper)
1969 Anmol Moti
1969 Badi Didi
1969 Shart Obese Lady at the Bombay Massage House
1969 Talash Kamini
1968 Duniya Chabeli (uncredited)
1968 Aabroo (as Tuntun)
1968 Abhilasha Fat Lady (song "Yaaron Hamara Kya")
1968 Baharon Ki Manzil Glory D'Silva
1968 Dil Aur Mohabbat
1968 Har Har Gange
1968 Kanyadaan Bansi's mother-in-law
1968 Kismat
1968 Parivar Sitaram's employee
1968 Sadhu Aur Shaitaan Sundari
1968 Suhaag Raat Titli Banu
1967 Pind De Kuri
1967 Aag Phoolmati
1967 Badrinath Yatra Maid at brothel (uncredited)
1967 C.I.D. 909 Julie Fernandes D'Silva Ghobewali
1967 Dil Ne Pukara Kamla (uncredited)
1967 Duniya Nachegi
1967 Gunahon Ka Devta
1967 Hare Kanch Ki Chooriyan Julie's Mother (as Tuntun)
1967 Upkar Lakhpati's Wife (as Tuntun)
1966 Aakhri Khat
1966 Afsana[disambiguation needed]
1966 Dil Diya Dard Liya Mrs. Murlidhar
1966 Dillagi
1966 Kunwari
1966 Ladka Ladki Rajkumari Nirmala Devi
1966 Phool Aur Patthar Mrs. Alopinath (Guddki) (as Tuntun)
1966 Sagaai Anarkali
1966 Tarzan Aur Jadui Chirag
1966 Thakur Jarnail Singh
1965 Johar-Mehmood in Goa Simmi's Cellmate
1965 Ek Sapera Ek Lutera Bindu
1965 Jab Jab Phool Khile Mary (Guest Appearance)
1965 Kaajal Amba
1965 Lutera
1965 Maharaja Vikram
1965 Mohabbat Isko Kahete Hain Baby (as Tuntun)
1965 Raaka
1965 Rustom-E-Hind
1965 Saheli Mother of 5 children
1964 Cha Cha Cha Mohan's Mother (uncredited)
1964 Rajkumar Champakali
1964 Aaya Toofan Maha Dasi
1964 Darasingh: Ironman Rangili's mom
1964 Fariyad
1964 Ganga Ki Lahren Maid
1964 Kashmir Ki Kali Rama Devi
1964 Khufia Mahal
1964 Mr. X in Bombay Kamini
1963 Bluff Master Lajwanti
1963 Ek Dil Sao Afsane Wedding Guest who requested for Laddu
1963 Ek Raaz Champakali
1963 Gehra Daag Sundari (as Tuntun)
1963 Godaan
1963 Jab Se Tumhe Dekha Hai Kitty's servant
1963 Kaun Apna Kaun Paraya
1963 Naag Rani Chand's friend (uncredited)
1963 Phool Bane Angaare Kamla's sister-in-law
1963 Shikari
1963 Ustadon Ke Ustad Hostess of Qawwali contest
1962 China Town Mahakali
1962 Half Ticket Real Munna's Mother (as Tuntun)
1962 Jhoola Mother
1962 Professor Phool Rani
1962 Son of India Gopal's foster mom
1962 Ummeed
1962 Vallah Kya Baat Hai
1961 Chaudhvin Ka Chand Naseeban (as Uma Devi)
1961 Gunga Jumna Bhajiwali (uncredited)
1961 Passport Woman who offers shelter to Reeta & Shekhar (as Tuntun)
1961 Shama Vee Aapa
1960 Bombai Ka Babu
1960 Dil Apna Aur Preet Parai Haseena
1960 Dil Bhi Tera Hum Bhi Tere Moti's Mother (as Tuntun)
1960 Ek Phool Char Kaante Jamnabai
1960 Jaali Note Mrs. Malik (uncredited)
1960 Kiklee
1960 Kohinoor
1959 Bank Manager
1959 Bhai-Bahen Julie
1959 Black Cat Mrs. Ramanlal (uncredited)
1959 Chacha Zindabad
1959 Jungle King
1959 Kaagaz Ke Phool Telephone Operator
1959 Kavi Kalidas Kali's step-mom
1959 Qaidi No. 911
1959 Ujala
1958 12 O'Clock Kumari Natesh Sundari (as Uma Devi)
1958/I Aakhri Dao Muthuswami's Daughter
1958 Aji Bas Shukriya
1958 Lajwanti Tun Tun (uncredited)
1958 Malik
1958 Criminal Lajwanti 'Lajo'
1958 Phil Subha Hogi Ram's Landlord (uncredited)
1958 Solva Saal Aspiring actress/Singer
1957 Pyaasa Pushplata
1957 Captain Kishore
1957 Do Roti
1957 Mirza Sahiban
1957 Ram Lakshman
1956 Anuraag (as Uma Devi)
1956 C.I.D. Complainant in police station (as Uma Devi)
1956 Fifty Fifty
1956 Jagte Raho Sati's mother (uncredited)
1956 Pocket Maar Shukal's prospective mother-in-law (uncredited)
1956 Raj Hath
1955 Shree 420 Maya's neighbor (as Uma Devi)
1955 Albeli
1955 Bahu (as Uma Devi)
1955 Hatimtai Ki Beti (as Tum Tum)
1955 Marine Drive Johny's wife (as Uma Devi)
1955 Milap Mrs. Akhrodwala (as Uma)
1955 Mr. & Mrs. '55 Lily D'Silva (as Uma Devi)
1955 Pehli Jhalak Dancer (song "Achchi Surat Huwi") (uncredited)
1955 Uran Khatola Hira's girlfriend (as Tuntun)
1954 Aar-Paar Rustom's mom (uncredited)
1954 Gul Bahar (as Uma Devi)
1953 Baaz A masseuse (uncredited)
1953 Gunah (as Uma Devi)
1951 Deedar Rai' s maidservant (as Uma Devi)
1950 Babul

anjaan
24-11-2012, 09:56 AM
http://memsaabstory.files.wordpress.com/2009/08/afsana_tuntun.jpg

anjana
24-11-2012, 11:03 AM
प्रिय मित्र अनजान जी आपने टुनटुन उर्फ़ उमा जी के जीवनसे हमें जिस तरहसे परिचित करवाया है.
वाकई काबिले तारीफ है...बोहत ख़ुशी होती अपने किसी पसंदीदा कलाकार के बारे में जानकर...आपसे निवेदन है की अगर आपके पास और भी अगर किसी कलाकार केबरे में जानकरी है तो अवश्य हमसे रूबरू कराये.........
धन्यवाद......

aadhirasharma
04-12-2012, 02:53 PM
I like this movie.

Deep_
10-07-2013, 07:01 PM
टुनटुनजी की जीवनकथा वाकई बड़ी उतार-चढ़ाववाली है...अवज्ञत कराने के लिई बहुत धन्यवाद!:bravo:

dipu
10-07-2013, 09:36 PM
very nice