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View Full Version : बेगाने की शादी और अब्दुल्ला की दीवानगी


ravi sharma
26-11-2012, 06:05 PM
पता नहीं अब्दुल्ला कौन था और वह बेगाना कौन था जिसकी शादी होने पर वह दीवाना सा घूम रहा था। यह किस युग की बात है यह भी मैं नहीं जानता। लेकिन पिछले तीन चार दिन से अब्दुल्ला टाइप कुछ शख्स मेरे मोहल्ले में दिख रहे हैं।
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि मेरे घर से कुछ दूरी पर रहने वाले एक शक्तिशाली युवक की भैंस पिछली गली में रहने वाले एक युवक ने खोल ली थी। इससे पूरा मोहल्ला दंग और हतप्रभ रह गया। किसी ने इस प्रकार की कल्पना तक नहीं की थी कि ऐसी भी कोई घटना हो जाएगी। लेकिन हो गई तो हो गई। खास बात यह रही कि जिसने भैंस खोली थी वह कोई हल्का पुल्का शख्स नहीं था। दूर-दूर तक उसकी ख्याति थी। कई लोगों से उसके अच्छे संबंध थे। बड़ी बात यह कि भैंस खोल लो और किसी को पता भी न चले यह विद्या उसे उसी ने सिखाई थी जिसकी भैंस इस बार खोली गई है। अब चेला ही गुरु को मात दे दे यह कोई भला कैसे बर्दाश्त करेगा। तो साहब इनको भी नहीं हुआ। उसी दिन कसम खाई कि बदला तो लेकर रहूंगा चाहे जितना वक्त लग जाए। भैंस का मालिक बदल गया लेकिन बदला लेने की भावना अभी बाकी रही। भैंस खोलने वाला तो भैंस खोलने के बाद ग्यारह-बारह-तेरह (नौ दो ग्यारह से आगे बढ़कर) हो गया लेकिन बेचार पीडि़त जगह जगह उसकी तलाश करता रहा। कई बेकसूरों को भी उसने अपनी शक्ति का शिकार बना डाला। लेकिन आरोपी नहीं मिला। इस बीच कई लोगों को शक हुआ कि अब्दुल्ला का पड़ोसी कहीं आरोपी को शरण तो नहीं दे रहा है। उसका घर भी पीडि़त से काफी दूर है, इसलिए शक और गहरा गया। लेकिन पड़ोसी डंके की चोट पर कह रहा था कि उन्होंने किसी प्रकार अपराध के आरोपी को अपने यहां शरण नहीं दी है। हालांकि अब्दुल्ला कई बार यह कह चुका था कि हमारे पास सबूत तो नहीं हैं लेकिन लगता यह है कि इसी अपराध का आरोपी नहीं बल्कि उसके यहां जो बकरियां चोरी हुईं थी उसके आरोपी भी यहीं रह रहे हैं। हालांकि इस बीच अब्दुल्ला रेडियो पर क्रिकेट की कॉमेंट्री सुनाने के लिए पड़ोसी को जरूर बुलाता था। इसका कारण यह भी था उसे पूरे मोहल्ले में दिखाना था कि वह अपने पड़ोसी से अच्छे संबंध रखना चाहता है वह तो पड़ोसी ही है जब नहीं तब बकरियां और मेमने चुरा ले जाता है। अब्दुल्ला के घर की खूबसूरत बगिया के एक पेड़ पर भी पड़ोसी ने कब्जा कर लिया था, लेकिन अब्दुल्ला अपमान का घूंट पीकर रह गया लेकिन कुछ नहीं कहा और न ही किया। अब्दुल्ला अक्सर उस भैंस चोरी के पीडि़त से जरूर कहा था कि वह उसके पड़ोसी पर नकेल कसे। उसके इरादे ठीक नहीं लग रहे। अब भला उसे क्या पड़ी की वह तुम्हारी बकरियां और मेमनों के लिए किस से पंगा ले। सो उसने नहीं किया।
घटना में उस समय बड़ा परिवर्तन आया जब पीडि़त को पता चला कि भैंस चोरी के आरोपी अब्दुल्ला के पड़ोस में ही रह रहा है। फिर क्या था आब देखा न ताब और खबर पक्की करके उसने अपनों नौकरों से कह दिया कि चढ़ाई कर दो अब्दुल्ला के पड़ोसी पर। लेकिन पड़ोसी को न तो खबर हो और न ही कोई नुकसान। बस हो गया काम। भैंस चोरी करने के आरोपी वहीं मिल गए और पकड़ कर कर दिया उनका काम तमाम। जब अब्दुल्ला को यह पता चला कि फलां व्यक्ति ने उसके पड़ोस में छापा मार कर अपनी भैंस चुराने वालों से बदला ले लिया तब से वह नाच रहा है। वह कहता फिर रहा है कि हम कहते थे न कि भैंस चोरी के आरोपी यही रहते हैं। वह पटाखे छुड़ा रहा है, जश्न मना रहा है। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। जबकि हकीकत यह है कि उस भैंस चोरी के आरोपी ने कभी भी अब्दुल्ला को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाया। यह बात अलग है कि उस आरोपी के नक्शे कदम पर चलने वालों ने भले अब्दुल्ला की बकरियां, भेंडें और मेमने खोल लिए थे। अब अब्दुल्ला कह रहा है कि हमारे यहां चोरी करने के आरोपी भी यहीं रहते हैं उन्हें भी पकड़ो, लेकिन किसी को क्या पड़ी। अब्दुल्ला के बच्चे दूसरों से पूछ रहे हैं कि क्या कभी अब्दुल्ला भी इतनी हिम्मत कर पाएगा कि पड़ोसी के घर में घुसकर अपने घर में अपराध करने वालों को पकड़ सके या मार सके। कुछ भी हो अब्दुल्ला के घर में जो भी टीवी चैनल चल रहा है उसमें खुशी का ही इजहार है। ऐसा लग रहा है जैसे अब्दुल्ला के घर इन तीन चार दिनों में कुछ हुआ ही नहीं। अखबार में भी इसी बात का जिक्र है।
अब बताइए भला। इस पूरे घटनाक्रम से अब्दुल्ला को क्या मिला। क्यों खुशी से पगलाया जा रहा है वह। मुझे तो समझ नहीं आ रहा। पता नहीं अब्दुल्ला कब अपने बकरियों और मेमनों को चोरी करने के आरोपी अपने पड़ोसी पर हमला करता है... करता भी है या नहीं..:thinking: