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View Full Version : 21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म?


Awara
17-12-2012, 05:02 PM
21/12/2012 क्या सही में दुनिया होगी खत्म? डर तो नहीं लग रहा, अपनी राय जरुर दे, तब तक मैं इन्टरनेट से कुछ और मसाला यहाँ पेस्ट कर दू। :devil:



http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=21715&stc=1&d=1355751694


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Awara
17-12-2012, 05:07 PM
नास्त्रेदमस फ्रांस के 16वीं (1503-1566) सदी के भविष्य वक्ता थे। नास्त्रेदमस केवल भविष्य वक्ता ही नहीं थे बल्कि डॉक्टर और शिक्षक भी थे। ये प्लेग जैसी बीमारियों का इलाज करते थे। इन्होंने ने अपनी कविताओं द्वारा भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन किया था।

पेश है उनकी कविता का एक अंश

सात दिन और सात रातों के लिए आदमी यह भयानक दृष्टि देखेंगे, ज्वार अपने केन से परे वृद्धि होगी दूर किनारे तो काटने और एक उग्र अजगर आकाश पार हो जाएगा, इस पृथ्वी से पहले छह बार मर जाएगा, मानवता और भयभीत हो काप इस भविष्यवाणी में छठे के लिए, महान सितारा सात दिनों के लिए जला देगा, बादल दो सूर्य प्रकट करने के लिए कारण होगा, बड़ा बड़ा कुत्ता चीख सारी रात महान पोप देश बदल जाएगा।

अधिकाश शैक्षणिक और वैज्ञानिक सूत्रों का कहना है कि दुनिया की घटनाओं और नास्त्रेदमस के शब्दों के बीच दिखाए गए संबंध काफी हद तक गलत व्याख्याओं या गलत अनुवाद का परिणाम है या फिर इतने कमजोर हैं कि उन्हें वास्तविक भविष्य बताने की शक्ति के साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना बेकार है। हालांकि बीसवीं और इक्कीस वीं शताब्दी में नास्त्रेदमस की कथित भविष्यवाणियां आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गईं हैं और दुनिया में हुईं कई घटनाओं की भविष्यवाणी का श्रेय उन्हें दिया गया।

भविष्य की बातों को हजारों साल पहले घोषणा करने के लिए मशहूर मिशेल दी नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की थी कि इसी साल के 21 दिसंबर को दुनिया का अंत हो जाएगा।

प्रसिद्ध भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस की एक पहेली को भी 2012 के महाविनाश से जोड़कर देखा जा रहा है। तिब्बत के कुछ बौद्ध भिक्षुओं ने भी अपने भविष्य के आकलन में 2012 में किसी बड़ी अनहोनी घटने की आशका जताई है।

2012 और नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी

कुछ लोग मानते हैं कि 16वीं सदी के फ्रेंच भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस ने अपनी मशहूर किताब द प्रोफेसीज में भी 2012 में घटने वाली घटनाओं का ब्योरा अपने पहेलीनुमा पदों में दिया है।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के मुताबिक धनु राशि का तीर एक स्याह हलचल की ओर इशारा कर रहा है, विनाश की शुरुआत से पहले तीन ग्रहण पड़ेंगे और तब सूरज और धरती पर तीव्र भूकंप आएंगे। उनका कहना है कि जैसे-जैसे हम 2012 के करीब पहुंचते जाएंगे आपदाएं भी बढ़ने लगेंगी।

सूरज पर भूकंप से विकिरण के तीव्र तूफान उठेंगे जो धरती को इस कदर गरमा देंगे कि ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने लगेगी। जब ऐसा होगा तब धरती के ध्रुव भी बदल जाएंगे। कुंभ राशि के युग की शुरुआत में आसमान से एक बड़ी आफत धरती पर आ टूटेगी। धरती का ज्यादातर हिस्सा प्रलयकारी बाढ़ की चपेट में आ जाएगा और तब जान और माल की भारी क्षति होगी।
हैरानी की बात ये है कि नास्त्रेदमस ने कुंभ राशि के जिस युग की शुरुआत की बात की है वो वक्त है 21 दिसंबर 2012 के बाद का ही है।

हाल में घटी कई ऐसी घटनाएं हैं लोग जिनके सूत्र 500 साल पहले की गई नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों में खोज सकते हैं। लेकिन साथ ही कई ऐसी बातें भी हैं जो नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को गलत भी साबित करती हैं। मिसाल के तौर पर सूरज पर भूकंप नहीं आ सकता, इस आपदा के लिए पथरीली जमीन का होना जरूरी है जो सूरज पर नहीं है। हा, सौर विकिरण के तूफान जरूर कहर बरपाते हैं लेकिन छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो अबतक सौर विकिरण की कोई ऐसी घटना नहीं हुई जिससे पूरी दुनिया एकसाथ प्रभावित हो जाए। रही बात आसमानी आफत टूटने की तो धरती पर किसी उल्का के आ गिरने की आशका हमेशा से रही है।

लेकिन इस खतरे की निगरानी और बचाव दोनों पर हमारा ध्यान है। नासा का नियर अर्थ ऑब्जेक्ट प्रोग्राम और यूरोपियन स्पेस एजेंसी लगातार ऐसी उल्काओं की निगरानी में जुटे हैं जिनसे धरती को खतरा हो सकता है।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणिया पहेलीनुमा हैं, जिससे हर कोई अपने-अपने अर्थ निकाल सकता है। जेनेवा में मौजूद सेर्न प्रयोगशाला में ब्रह्माड के राज जानने में जुटी भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहे वैज्ञानिक प्रो. वाई पी वियोगी कहते हैं अमेरिकी लोगों को कुछ ज्यादा ही डर लगता है। इसलिए वो हमारी दुनिया को नए-नए खतरों की आशकाएं जाहिर करते रहते हैं।

जन्म और मृत्यु जीवन का सत्य है, उसी प्रकार आशा और आशका हमारे मन मस्तिष्क के सत्य हैं। जिस तरह गर्भ में एक नन्हीं सी जान के आते ही नौ महीने हमारे अंदर आशा का संचार होता रहता है,वैसे ही किसी बीमारी या अन्य किसी परिस्थिति में बुरी आशका भी हमारा पीछा नहीं छोड़ती हैं। मन मस्तिष्क में आशा के संचार के लिए हमारे सामने उतने बहाने नहीं होते, पर आशका के लिए हम पुख्ता सबूत तक जुटा लेते हैं। समय से यह बहस का विषय बन गया है कि क्या 21 या 23 दिसम्बर, 2012 को दुनिया समाप्त हो जायेगी। पृथ्वी की आयु समाप्त हो जायेगी? क्या प्रलय आएगा? इस पर भिन्न-भिन्न मत हैं। माइकल दी नास्त्रेदमस (1503-1566) की भविष्यवाणी के चलते इस बात पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

नास्त्रेदमस ने कहा कि सूर्य 2012 में अपने मूल पथ से विचलित होकर 300 ऊपर आकाश गंगा के दक्षिण स्थित मृत्यु राशि-डार्क रिफ्ट (काला घेरा) को स्पर्श करेगा और पुन अपनी मूल राशि में नहीं लौटेगा। इससे सृष्टि विनाश की आशका है, क्योंकि यह एक अनहोनी घटना होगी।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के अनुसार नास्त्रेदमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है जो धरती से मानव की विलुप्ति का कारण बन सकता है। ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार 2012 को ऐसा होने की घोषणा करते हैं।

ऐसा तब होगा जबकि तृतीय विश्व युद्ध चल रहा होगा तब आकाश से एक उल्का पिंड हिंद महासागर में गिरेगा और समुद्र का सारा पानी धरती पर फैल जाएगा जिसके कारण धरती के अधिकाश राष्ट्र डूब जाएंगे या यह भी हो सकता है कि इस भयानक टक्कर के कारण धरती अपनी धूरी से ही हट जाए और अंधकार में समा जाए। 21 दिसम्बर 2012 यही वह दिन है, जिसके बारे में भयानक प्राकृतिक आपदा के उपस्थित होने की आशका बन रही है।

नास्त्रेदम की भविष्यवाणी को सुलझाने का दावा करने वाले लोग भी 21 दिसंबर, 2012 की तारीख को महत्वपूर्ण मानते हैं, परन्तु पृथ्वी की आयु इतनी अधिक है कि इस दिन पृथ्वी के नष्ट हो जाने या प्रलय आ जाने की कोई भी संभावना नहीं है।

bindujain
17-12-2012, 05:40 PM
फालतू बातो पर भरोशा नहीं करना चाहिए . अपने भगवान पर विश्वाश कीजिए . अभी इस दुनिया के हालात इतने खराव नहीं हुए है की बनाने बाला अपनी रचना को नष्ट कर दे .

malethia
17-12-2012, 07:12 PM
भविष्यवानियाँ तो की ही इसलिए जाती है की कुछ लोग डरे और नया रोमांच भी पैदा होता रहे !
आज तक किस भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी सच साबित हुई है !

abhisays
18-12-2012, 07:15 AM
मुझे तो नहीं लगता कुछ ऐसा वैसा होने वाला, मगर उत्सुकता तो रहेगी ही।

anjana
18-12-2012, 12:01 PM
भारत में तो मैंने इतना नहीं देखा । पर 2012 को लेकर अमेरिका आदि कुछ विकसित देशों मे हल्ला मचा हुआ है । हाल ही में हुये मेरे एक परिचित स्नेहीजन त्रयम्बक उपाध्याय साफ़्टवेयर इंजीनियर ने अमेरिका ( से ) में 2012 को लेकर मची खलबली के बारे में बताया । उन्होनें इस सम्बन्ध में मेरे एक अन्य मित्र श्री विनोद दीक्षित द्वारा लिखी पोस्ट end of the world.. 2012 को भी पढा था । इस तरह की बातों में मेरा नजरिया थोङा अलग रहता है । मेरे द्रष्टिकोण के हिसाब से यह पोस्ट भ्रामक थी । लिहाजा इस ज्वलन्त मुद्दे को लेकर मेरे पास जब अधिक फ़ोन आने लगे ।तो मैंने वह पोस्ट ही हटा दी । पहले तो मेरे अनुसार यह उस तरह सच नहीं है । जैसा कि लोग या विनोद जी कह रहे हैं । दूसरे यदि इसमें कुछ सच्चाई है भी तो " डाक्टर भी मरणासन्न मरीज से ये कभी नहीं कहता कि तुम कुछ ही देर ( या दिनों ) के मेहमान हो " यदि हमारे पास किसी चीज का उपाय नहीं है । तो " कल " की चिन्ता में " आज "को क्यों खराब करें । यदि प्रलय होगी भी । तो होगी ही । उसको कौन रोक सकता है । जब हम " लैला " सुनामी " हैती " के आगे हाथ जोङ देते है । तो प्रलय तो बहुत बङी " चीज " है ।

anjana
18-12-2012, 12:03 PM
हाँ इस या इन आपदाओं से बचने के उपाय अवश्य है । और वे किसी को भी सहर्ष बताये जा सकते हैं । पर यदि कोई माने तो ? क्योंकि जगत एक अग्यात नशे में चूर है । " झूठे सुख से सुखी हैं , मानत है मन मोद । जगत चबेना काल का कछू मुख में कछु गोद । " जीव वैसे ही काल के गाल में है । उसकी कौन सी उसे परवाह है । तो खबर नहीं पल की और बात करे कल की । वाला रवैया चारों तरफ़ नजर आता है । खैर..जगत व्यवहार और विचार से साधुओं को अधिक मतलब नहीं होता । फ़िर भी एक अति आग्रह रूपी दबाब में जब बार बार ये प्रश्न मुझसे किया गया । तो मुझे संकेत में इसका जबाब देना पङा ।
ये जबाब मैंने " श्री महाराज जी " और कुछ गुप्त संतो से प्राप्त किया था । अलौकिकता के " ग्यान काण्ड " और " बिग्यान काण्ड " में जिन साधुओं या साधकों की पहुँच होती है । वे इस चीज को देख सकते हैं । 2012 में प्रलय की वास्तविकता क्या है । आइये इसको जानें ।

anjana
18-12-2012, 12:08 PM
जी हां वह दिन अब दूर नहीं जिसे तथाकथित जानकारों ने प्रलय का दिन घोषित कर रखा है। साथ ही माया सभ्यता केलेण्डर के अनुसार तो 21 दिसंबर 2012 को सृष्टि के अंतिम दिन की तारीख भी तय कर दी है। कुछ समाचार चैनल्स ने इसे महाप्रलय का नाम दे डाला है। हालांकि प्रलय शब्द ही अपने आपमें पर्याप्त है फिर महाप्रलय कहने की आवश्यकता नहीं थी। प्रलय संस्कृत का शब्द है। ‘लय’ में ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर इस शब्द की व्युत्पत्ति हुई है। प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपनेमूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टि का सर्वनाश, सृष्टि का जलमग्नहो जाना। हिन्दू दर्शन तथा आध्यात्मिक चिन्तन के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तब प्रलय होती है। अर्थात हर चार युग पूरे होने के बाद प्रलय की घटना निरन्तर होती रहती है। हिंदू मान्ताओं के अनुसार इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुनः निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है। कलियुग उन चारों युगों मे से अंतिम युग है अत: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस युग के बाद प्रलय होनी है लेकिन धर्मग्रन्थ भविष्योक्त पुराण के अनुसार कलियुग 4,32,000 वर्षों का है लेकिन कलियुग की शुरुआत हुए अभी 6000 वर्ष भी नहीं हुए है और ऐसे में प्रलय का आ जाना धर्म सम्मत तो कदापि नहीं है। लेकिन जिस तरह से यह विषय पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है उसे देखते हुए इसे शिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। जहां धुंआ उठ रहा हो वहां आग तो होती है, हां आग कितनी मात्रा में है यह जानना जरूरी है।


एक विदेशी वैज्ञानिक के अनुसार तो प्रत्येक 11 वर्षों में एक बार मौत का मौसम आता है। सूर्य पर हर 11 साल में सोलर गतिविधिया तेज होने लगाती हैं। जिसके कारण उसके बाहरी आवरण में, आतंरिक विस्फोटो के कारण बदलाव होने लगता हैं। सूर्य पर होने वाले विस्फोट इतने विशाल होते हैं की उनका परिणाम हमारे पृथ्वी पर भी देखने को मिलते हैं। सन 1859 में भी इसी प्रकार के "सोलर तूफ़ान" धरती पर आए थे। उस समय अमेरिका ओर यूरोप में आग लगने की घटनाये हुई थी। वहां टेलीग्राफ की तारे जल गयी थीं। 11 वर्ष पहले 2001 में कई मौते हुई थी। 2012 में भी मौत का मौसम आयेगा। चलिए इन वैज्ञानिक महोदय की बात मान भी ली जाय तो इस तथ्य में ध्यान देने वाली बात यह हैं की ऐसा हमारे भारत में कही भी देखने को नहीं मिला है।

क्या इस बार ऐसा हो सकता है? यह सवाल हम सबसे मन में आना स्वाभाविक है। आइए जानते हैं इस बारे में ज्योतिष का क्या नजरिया है? 21 दिसंबर 2012 के दिन महाप्रलय होने की बात कही जा रही है। आइए सबसे पहले हम वर्ष या सम्वत्सर के फल के बारे में जानते हैं। इस समय विश्वावसु नामक सम्वत्सर रहेगा। इसके फल कुछ इस प्रकार कहे गए है कि इस सम्वत्सर में भूमि पर बहुत रोग फैलता है और मनुष्य अपने कार्यों को करने में समर्थ नहीं होते। 21 दिसंबर 2012 को हिन्दी महीना मार्गशीर्ष रहेगा। जिसका नामकरण मृगशिरा नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। विनाश या जनहानि में मंगल की अहं भूमिका रहती है। 21 दिसंबर 2012 के दिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि होगी। इस तिथि की देवी दुर्गा जी मानी गई हैं। जो दुष्टो की संहारिका मानी गई हैं लेकिन सदाचरियों की रक्षा करती हैं।

आइए उस दिन के ग्रह गोचर पर विचार कर लिया जाय- 21 दिसंबर 2012 के दिन सूर्योदय सुबह ७:१४ पर हो रहा है। उस समय धनु लग्न उदित है। लग्नेश बृहस्पति छठे भाव में केतू के साथ है, सूर्य लग्न पर, मंगल दूसरे, चन्द्रमा चौथे, शनि ग्यारहवें और बुध, शुक्र, राहू बारहवें भाव में स्थित हैं। चन्द्रमा शनि नक्षत्र में है और शनि राहू के नक्षत्र में होकर उस दिन चन्द्रमा से अष्टम हैं। यानी यह दिन लोगों में भय व्याप्त करने वाला रहेगा। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जिस तरह इतने दिनों से इस बात को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है उस कारण से लोग उस दिन भयभीत रहें। इस समय गुरु-शुक्र का सम सप्तक योग रहेगा जो राजनीति के स्तर में गिरावट, इस समय होने वाले चुनावों में सत्ता पक्ष को लाभ लेकिन किसी बडे राजनेता को कष्ट का संकेतक है।

दिसंबर 2012 में 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 सोमवार एक साथ पड़ रहे हैं। शनिवार शनि ग्रह का दिन है, वहीं रविवार सूर्य का दिन है जबकि सोमवार चन्द्रमा का दिन माना गया है। इस प्रकार सूर्य और चन्द्रमा पर शनि का प्रभाव रहेगा। शनि और सूर्य स्वभाव से उग्र ग्रह हैं। शनि पर सूर्य का प्रभाव धरती के लिए अच्छा नहीं माना गया है वहीं सूर्य पर शनि के प्रभाव के कारण राजनैतिक उठापटक तेज हो सकती है जबकि चन्द्रमा के पीडित होने की अवस्था में समुद्री या जलीय माध्यमों से हानि सम्भव है। इनके आपसी प्रभाव के कारण जनता को कष्ट और महंगाई सम्भव है। इस महीन एक पंचग्रही दुर्योग भी बन रहा है। यह पंचग्रही योग 11 दिसंबर की शाम से बनेगा और 13 दिसंबर की शाम तक रहेगा। इसके बाद चतुर्ग्रही योग रहेगा जो 15 दिसम्बर की रात तक रहेगा। फलस्वरूप ठंड बढेगी और फसलों को कुछ हद तक नुकसान हो सकता है। हांलाकि इन योगों योगों पर बृहस्पति की दृष्टि रहेगी जो इस बात का संकेत कर रही है कि दुराचारियों, अत्याचारियों, दूसरों को परेशान करने वाले, दूसरों का हक मारने वाले एवं आतंकवादियों के लिए समय कष्टकारी हो सकता है वहीं धार्मिक लोगों, गुरुओं, ज्ञानियों व कलाकारों के लिए समय अच्छा रहेगा। लेकिन 23 दिसम्बर को शनि और राहू की युति होने जा रही है जो किसी उत्पात की ओर संकेत कर रही है।

यदि अंक ज्योतिष के अनुसार देखें तो 21-12-12 अर्थात 3-3-3 यानी कि तीन बृहस्पति के अंक मिल रहे हैं इनका योग 9 आ रहा है जो बुद्धिजीवी वर्ग में आक्रोश का संकेत तो कर रहा है लेकिन किसी भी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है। यदि हम 21-12-2012 को लेकर विचार करते हैं तो 3-3-5 आता है जिसका योग 11 यानी 2 होता है यह भी किसी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है।

कुल मिलाकर परिणाम यही निकलता है कि 21 दिसम्बर 2012 को अथवा उसके आसपास के दिनों में कुछ अप्रिय होने के संकेत तो मिल रहे हैं लेकिन प्रलय या महाप्रलय जैसी घटना नहीं होगी।

anjana
18-12-2012, 12:37 PM
महाभारत


महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।

anjana
18-12-2012, 12:38 PM
बाइबिल


इस ग्रंथ में भी प्रलय का उल्लेख है जब ईश्वर, नोहा से कहते हैं कि महाप्रलय आने वाला है। तुम एक बड़ी नौका तैयार करो, इसमें अपने परिवार, सभी जाति के दो-दो जीवों को लेकर बैठ जाओ, सारी धरती जलमग्र होने वाली है।

anjana
18-12-2012, 12:39 PM
इस्लाम


इस्लाम में भी कयामत के दिन का जिक्र है। पवित्र कुरआन में लिखा है कि कयामत का दिन कौन सा होगा इसकी जानकारी केवल अल्लाह को है। इसमें भी जल प्रलय का ही उल्लेख है। नूह को अल्लाह का आदेश मिलता है कि जल प्रलय होने वाला है, एक नौका तैयार कर सभी जाती के दो-दो नर-मादाओं को लेकर बैठ जाओ।

anjana
18-12-2012, 12:39 PM
पुराण


हिदू धर्म के लगभग सभी पुराणों में काल को चार युगों में बाँटा गया है। हिंदू मान्ताओं के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तो प्रलय होती है। इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुन: निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है।

anjana
18-12-2012, 12:43 PM
माया कैलेंडर की भविष्यवाणी


माया कैलेंडर भी कुछ ऐसी ही भविष्*यवाणी कर रहा है। साउथ ईस्ट मेक्सिको के माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। कैलेंडर उसके बाद पृथ्वी का अंत बता रहा है।
माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्*म हो जाएगी। करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।ऐसी मान्यता है कि माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ था। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फर्क निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं।

anjana
18-12-2012, 12:46 PM
U.S.A lost many lives on --11-09-01


+


JAPAN lost many lives on 11-03-11

=

22-12-12

anjana
18-12-2012, 12:55 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=21731&stc=1&d=1355820962

anjana
18-12-2012, 12:56 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=21732&d=1355820906

anjana
18-12-2012, 12:56 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=21729&d=1355820906

anjana
18-12-2012, 12:57 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=21730&d=1355820906

anjana
18-12-2012, 12:57 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=21733&d=1355820906

anjana
18-12-2012, 01:02 PM
विज्ञान की दृष्टी में "पृथ्वी " का अंत


विज्ञान के नजर में पृथ्वी की प्रलय (जीवन का विनाश) सिर्फ सूर्य या उल्कापिंड या फिर सुपर बाल्कैनो (महाज्वालामुखी) ही कर सकते हैं. इसमें भी सुपर बाल्कैनों पृथ्वी से संपूर्ण जीवन का विनाश करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि कितना भी बड़ा ज्वालामुखी होगा वह अधिकतम 70 फीसदी पृथ्वी को ही नुकसान पहुंचा सकता है. रही बात उल्कापिंड की तो अभी तक पृथ्वी के घूर्णन कक्षा या इसके आसपास ऐसी कोई उल्कापिंड अभी तक नहीं दिखी है जो पृथ्वी को प्रलय के मुहाने पर ला दे, न ही अभी दूर-दूर तक ऐसी कोई संभावना है. तीसरा है सूर्य- तो सूर्य जब अपनी चरम अवस्था में पहुंचेगा तभी वह पृथ्वी मे प्रलय ला सकता है. दरअसल सूर्य एक तारा है. हर तारे की मौत तय होती है.

जब यह मरता है तो अपने सारे ग्रहों के साथ मरता है. तारा खत्म होने से पहले लाल दानव तारा या श्वेत बामन तारे में बदलता है. इस प्रक्रिया में उसका द्रव्यमान काफी कम होता जाता है जिससे उसकी प्रचंडता और गुरुत्वाकर्षण में बढ़ोत्तरी होती जाती है. इसके प्रभाव से वह अपने ग्रहों को अपनी ओर खींच कर उन्हें जला देता है फिर स्वयं ब्लैक होल में बदल जाता है. ब्लैक होल इस लिये कहा जाता है क्योंकि इसका गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि अपने पास से गुजरने वाले प्रकाश जिसकी गति तीन लाख किलो मीटर प्रति सेकेण्ड होती है उसे भी अपनी ओर खीच लेता है. इस कारण वहां काला धब्बा ही नजर आता है. लेकिन अभी सूर्य को इस अवस्था में आने में अरबों वर्ष लगेंगे. दूसरी ओर कुछ का कहना है 2012 में सूर्य अपने चरम पर होगा और पृथ्वी झुलस जाएगी. हां यह सही है इस दौरान सूर्य अपने चरम पर होगा. लेकिन यह हर 11 वर्ष में होने वाली सतत प्रक्रिया है. जिसे इलेवन इयर साइकिल के नाम से जाना जाता है. इस दौरान सूर्य में सन स्पाट ज्यादा बनते हैं, सौर आंधिया चलती हैं तथा सौर लपटें ज्यादा बडी बनती है. जिससे सौर विकरण काफी तीव्र गति से बनते है. यहां यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि सौर लपटें पृथ्वी तक नहीं आ सकती न ही आंधी. हां यहां सौर विकरण का प्रभाव होता है तथा इलेक्ट्रोमैग्नेट� �क प्रभाव जरूर असर करता है. वह भी ध्रुवों पर ज्यादा. लेकिन इसके प्रभाव कृत्रिम उपग्रहों, विमानों, अंतरिक्ष यानों तथा यान से बाहर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ता है.

कास्मिक रे पर काम कर रहे विश्व के तीसरे सबसे बड़े वैज्ञानिक डॉ एस.पी. अग्रवाल ने इन बातों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव जीवन पर इसका प्रभाव इतना मात्र होगा कि पक्षी यदा कदा अपना रास्ता बदल देते हैं तथा नगण्य संख्या में हृदय रोगी परेशानी में आ सकते हैं. इसके अलावा मानव जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. उन्होंने कहा कि यह कहना कि 2012 में पृथ्वी में प्रलय होगी पूर्णतः गलत है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जैसे लोग कहते हैं कि प्रलय में पृथ्वी डूब जाएगी तो वह भी गलत है क्योंकि यदि समुद्र का पूरा पानी तथा आसमान में व्याप्त पूरी वाष्प का पानी तथा पृथ्वी में मौजूद पूरी बर्फ भी यदि पिघल कर पानी बन जाए और पूरी पृथ्वी पर फैले तो वह पूरी धरती से महत ढाई फीट उंचाई तक ही पानी भर सकती है और यह पूरा पानी सत्रह दिन में सतह द्वारा सोख लिया जाएगा.

anjana
18-12-2012, 01:02 PM
यह कोई नहीं जानता कि पृथ्वी पर जनजीवन का अंत कैसे होगा, लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे पहले कि पाँच अरब वर्ष में सूर्य पृथ्वी को जला डाले बुध या मंगल ग्रह के साथ टक्कर से हमारा ग्रह नष्ट हो सकता है।

दो अलग-अलग अध्ययनों में पाया गया है कि सौरमंडल के ग्रह अपने कक्षों में करीब चार करोड़ वर्ष तक सूर्य की लगातार परिक्रमा करते रहेंगे, लेकिन उसके बाद संभावना है कि अगले पाँच अरब वर्ष में बुध ग्रह की कक्षा अव्यवस्थित हो जाए।

अध्ययन में दावा किया गया है कि इससे पूरी सौर प्रणाली अस्थिर हो जाएगी परिणास्वरूप बुध या मंगल ग्रह की पृथ्वी से टक्कर हो सकती है जिससे उस समय तक मौजूद किसी भी तरह का जनजीवन समाप्त हो जाएगा।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता के हवाले से न्यू साइंटिस्ट ने कहा है कि मंगल ग्रह के साथ टक्कर की स्थिति में तुरंत ही सारा जनजीवन नष्ट हो जाएगा और पृथ्वी किसी रेड जॉइंट के तापमान पर करीब एक हजार साल तक दहकती रहेगी।

दूसरे अध्ययन में जॉक लस्कर पेरिस की वेधशाला में कंप्यूटर पर सौर प्रणाली की प्रक्रिया की अनुकृति का अध्ययन इस नतीजे पर पहुँचे कि एक या दो फीसदी में वृहस्पति ग्रह के गुरुत्वाकर्षणीय खिंचाव के कारण कुछ समय के लिए बुध की कक्षा काफी लंबी हो गई।

anjana
18-12-2012, 01:13 PM
हैं मानव------------------
जिसका जन्म हे उसकी मृत्यु भी निश्चीत हे तो फिर डर काहे का , सन १९७५ में रामगढ नामक जगह में जलते हुए शोलो के बिच जय, वीरू ,ठाकूर साहब और अन्य गाँव वालो की उपस्तिथि में परम पूज्य बाबाजी श्री गब्बरसिंह जी ने अपने प्रवचन में मनमोहक वचनों में कहा था की " जो डर गया समजो वो मर गया "
जय बाबा श्री गब्बरसिंह जी की | (हैं मानव-आज इस बात को पुरे ३५ वर्ष बीत चुके फिरभी हैं ये बात तेरी खोपड़ी में नही आई )

abhisays
18-12-2012, 01:17 PM
अनजान जी आपने तो काफी रोचक जानकारी दी है। :rep::rep::rep:

anjana
18-12-2012, 01:26 PM
अनजान जी आपने तो काफी रोचक जानकारी दी है। :rep::rep::rep:
धन्यवाद मित्र उंगलिया घिसने का कुछ फायदा हुवा या नहीं................:rulez:

abhisays
18-12-2012, 01:28 PM
धन्यवाद मित्र उंगलिया घिसने का कुछ फायदा हुवा या नहीं................:rulez:


बिलकुल होगा मित्र, बिलकुल होगा। :hug:

Dark Saint Alaick
18-12-2012, 02:33 PM
कोई प्रलय होने नहीं जा रही
खगोलविद ने खारिज की 21 दिसंबर को प्रलय की भविष्यवाणी

प्रसिद्ध खगोलविद डी. पी. दुरई ने 21 दिसंबर को दुनिया के खात्मे की भविष्यवाणी को महज अफवाह करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगला शुक्रवार भी एक सामान्य दिन होगा। नासा के शिक्षाविद और एम. पी. बिरला तारामंडल (कोलकाता) के निदेशक दुरई ने कहा कि 21 दिसंबर को कुछ अलग माना जाएगा क्योंकि यह शीत संक्रांति का दिन होगा और दुनिया इस दिन खत्म नहीं होने वाली। उन्होंने कहा, ‘21 दिसंबर 2012 भी एक अन्य सामान्य दिन ही होगा। इसकी खासियत बस इतनी होगी कि इस दिन शीत संक्रांति होगी। इस अवसर पर सूर्य आकाश में दक्षिणतम बिंदू पर होगा और दिन की लंबाई सबसे छोटी होगी।’ दुरई ने कहा कि प्रलय की ये कहानियां इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए हाल के हफ्तों में दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं और भारत भी इनसे कुछ अछूता नहीं है। दुनियाभर में फैली इस अफवाह के बारे में खगोलविद ने कहा कि इस अफवाह के पीछे कई लोगों का यह यकीन है कि लातिन अमेरिका की माया सभ्यता के कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 को अंतिम दिन के रूप में दर्शाया गया है और इसके बाद धरती पर जीवन चक्र खत्म हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि धरती के नष्ट होने के बारे कई अन्य सिद्धांत भी प्रचलन में हैं। उनमें से एक यह है कि धरती और ‘निबुरू’ नामक सौरमंडल के एक ग्रह के बीच की टक्कर से यह नष्ट होगी। यह सौरमंडल अब तक खोजा नहीं जा सका है। उन्होंने कहा, ‘खगोलविदों ने दूरबीनें और अंतरिक्ष संसूचकों की मदद से सौर मंडल का व्यापक सर्वेक्षण किया है। हमारे सौरमंडल में ऐसी कोई चीज नहीं मिली है जिसे हम परिकल्पित एक्स ग्रह या निबुरू कह सकें।’ उन्होंने कहा कि दिसंबर 2012 में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की ध्रुवीयता के उल्टे हो जाने और सौर उच्चिष्ठता होने के दावे के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उन्होंने अन्य खगोलविदों के हवाला से कहा कि इस बार सौर उच्चिष्ठता में ज्यादा प्रबलता नहीं होगी इसलिए भूचुंबकीय क्षेत्र में किसी गड़बड़ी की आशंका नहीं है। उन्होंने यह भी कहा, ‘यह बात तय मानिए कि एक प्रबल सौर तूफान पृथ्वी की चुंबकीय ध्रुवीयता को उल्टा नहीं कर सकता।’
दुरई ने कहा, एक अन्य सिद्धांत में पृथ्वी, सूर्य और पृथ्वी की आकाशगंगाओं के केंद्र के एक ऐसे दुर्लभ संकेंद्रण की बात कही गई है, जो बहुत ज्यादा गुरूत्वीय अस्थिरता पैदा कर देगा, लेकिन अभी तक ऐसी किसी व्यवस्था की खोज नहीं की जा सकी है। इसे विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि हर साल में एक बार पृथ्वी, सूर्य और आकाशगंगाओं केंद्र लगभग एक सीधी रेखा में आते हैं लेकिन इससे सूर्य के चारों ओर पृथ्वी या आकाशगंगाओं के चारों ओर सूर्य की गति की व्यवस्था में कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी कहा, ‘1998 में ऐसी व्यवस्था एक बार बन चुकी है। ऐसा फिलहाल दोबारा नहीं होने जा रहा। इसलिए ऐसे किसी संरेक्षण से पृथ्वी के नष्ट होने की घटना भी बिल्कुल असंभव है।’ दुरई ने आगे कहा, ‘माया कलैंडर के द्वारा दर्शाया गया 21 दिसंबर 2012 दुनिया के अंत का दिन नहीं है। इसकी बजाय यह माया सभ्यता के लोगों के अनुसार एक युग का अंत है, जो कि 5,125 वर्षों के अंतराल या 13 बख्तुनों का था। एक बख्तुन लगभग 393 साल का होता है।’ उन्होंने बताया कि माया सभ्यता के लोग मानते थे कि 13 बख्तुन खत्म होने के बाद एक नया युग शुरू होगा। आगे उन्होंने कहा, ‘इसलिए कुछ लोगों की ओर से 21 दिसंबर 2012 को धरती का आखिरी दिन बताने की बात को तो माया सभ्यता का भी समर्थन प्राप्त नहीं है।’

Awara
18-12-2012, 02:37 PM
मुझे भी लगता है कुछ नहीं वाला, सब ऐसे ही गीधर भब्किया हैं। :giggle:

Dark Saint Alaick
18-12-2012, 02:56 PM
विश्व का अंत होने संबंधी अफवाहे फैलाने वाले 101 लोग गिरफ्तार

चीन की पुलिस ने लगभग 101 लोगों को गिरफ्तार किया है जो 21 दिसंबर को दुनिया का अंत होने संबंधी अफवाहें फैलाकर लोगों को भयभीत कर रहे थे। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने आज बताया कि पुलिस ने आठ राज्यों से इन लोगों को गिरफ्तार करके उनके कब्जे से ढेरों पर्चे, डी वी डी और अन्य सामग्री बरामद की। गिरफ्तार किए गए लोगों में से 50 लोगों का संबंध 'अलमाइटी गॉड' समूह से हैं।

ravi sharma
19-12-2012, 09:00 AM
रजनी और 21 दिसंबर
जानते हैं 21 दिसंबर 2012 को दुनिया क्यों खत्म नहीं हो सकती ?

क्योंकि रजनीकांत ने एक नया लैपटॉप लिया है, जिसकी वॉरंटी 3 साल की है।

bindujain
19-12-2012, 05:06 PM
भारत में तो मैंने इतना नहीं देखा । पर 2012 को लेकर अमेरिका आदि कुछ विकसित देशों मे हल्ला मचा हुआ है । हाल ही में हुये मेरे एक परिचित स्नेहीजन त्रयम्बक उपाध्याय साफ़्टवेयर इंजीनियर ने अमेरिका ( से ) में 2012 को लेकर मची खलबली के बारे में बताया । उन्होनें इस सम्बन्ध में मेरे एक अन्य मित्र श्री विनोद दीक्षित द्वारा लिखी पोस्ट end of the world.. 2012 को भी पढा था । इस तरह की बातों में मेरा नजरिया थोङा अलग रहता है । मेरे द्रष्टिकोण के हिसाब से यह पोस्ट भ्रामक थी । लिहाजा इस ज्वलन्त मुद्दे को लेकर मेरे पास जब अधिक फ़ोन आने लगे ।तो मैंने वह पोस्ट ही हटा दी । पहले तो मेरे अनुसार यह उस तरह सच नहीं है । जैसा कि लोग या विनोद जी कह रहे हैं । दूसरे यदि इसमें कुछ सच्चाई है भी तो " डाक्टर भी मरणासन्न मरीज से ये कभी नहीं कहता कि तुम कुछ ही देर ( या दिनों ) के मेहमान हो " यदि हमारे पास किसी चीज का उपाय नहीं है । तो " कल " की चिन्ता में " आज "को क्यों खराब करें । यदि प्रलय होगी भी । तो होगी ही । उसको कौन रोक सकता है । जब हम " लैला " सुनामी " हैती " के आगे हाथ जोङ देते है । तो प्रलय तो बहुत बङी " चीज " है ।



लोग अपना कल नहीं बता सकते बो दूसरो का भविष्य बताने का दावा करते है :giggle:

bindujain
19-12-2012, 05:14 PM
घर
चाहे कैसा भी हो
उसके एक कोने में
खुलकर हंसने की
जगह रखना.

सूरज
कितना भी
दूर हो
उसको घर आने का
रास्ता देना.

कभी कभी
छत पर चढ़कर
तारे
अवश्य गिनना.
हो सके तो
हाथ बढा कर
चाँद को
छूने की
कोशिश करना.

अगर हो
मिलना- जुलना तो
घर के पास
पड़ोस ज़रूर रखना.

भीगने देना
बारिश में
उछल कूद भी
करने देना
हो सके तो
बच्चों को
एक कागज की किस्ती
चलाने देना.

कभी हो फुरसत
आसमान भी साफ हो
तो एक पतंग
आसमान में चढ़ाना
हो सके तो
एक छोटा सा
पेच भी लड़ाना.

घर के
सामने रखना
एक वृक्ष
उस पर बैठे
पक्षियों की बातें
अवश्य सुनना.

घर एक कोने में
खुलकर हँसने की
जगह रखना.
----


नरेश मेहन की कविता - घर

sagar -
19-12-2012, 06:52 PM
मुझे भी लगता है कुछ नहीं वाला, सब ऐसे ही गीधर भब्किया हैं। :giggle:
कुछ नहीं होने वाला सब बकवास बाते हे ! आश्चर्य हे सब पढ़े लिखे लोग भी इन बातों में विस्वाश करने लगे हे !

jitendragarg
19-12-2012, 11:06 PM
bas ek din aur, phir duniya tabaah! kaash 2012 movie jaise ho, agar ho to! main to pahadi ke paas rehta to bach jaunga. aap log bhi aise hi kisi jagah chale jana. agar tufaan aaya to bach jaoge. nahi aaya to picnic to ho hi jayegi! :dance:
































just joking! kuch bhi nahi hoga. sab time paas hai! :grouphug:

abhisays
20-12-2012, 05:34 AM
लेकिन जिस तरह यह दुनिया चल रही है मुझे नहीं लगता, यह 2100 तक टिक पाएगी। इसके कई कारण हैं

1. धरती की जनसँख्या 7 अरब हो गई है। लोग बढ़ते जा रहे हैं।
2. पेड़ काटे जा रहे हैं, कई प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं।
3. प्रदुषण से लोगो का बुरा हाल होता जा रहा है।
4. चारो तरफ कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं।
5. अगले विश्व युद्ध की संभावना भी बन रही, कई देशो के पास परमाणु बम भी है।

और भी कई कारण हैं, मुझे भी लगता है कुछ ऐसा होगा, एक प्रलय आएगा और सब कुछ नस्त हो जाएगा और फिर से सृष्टि का पुर्ननिर्माण होगा।

malethia
21-12-2012, 11:25 AM
हेलो कोई धरती पर जिंदा है. यहाँ स्वर्ग से सभी दोस्तों को सादर नमस्कार, भई स्वर्ग वाकई अच्छा बना रखा है. तैयारियाँ भी पूरी हैं. क्योकिं आज बहुत से लोगो को यहाँ आना है धरती से जो आज (21-12-12) को खत्म हो रही है.

ndhebar
21-12-2012, 12:13 PM
आज तो धरती समाप्त हो जाने वाली है।
फिर कल की क्या चिंता है।
आज जम कर ऐश कर लो भाई।
दुनिया खत्म हो गयी तो ठीक।
नहीं तो जिनके पैसों पर ऐश करोगो, वो कल तुम्हे ख़त्म कर ही डालेंगे।

~VIKRAM~
21-12-2012, 02:44 PM
इस खबर को फ़ैलाने में मीडिया का एहम रोल रहा है जिसे हर चैनल वालों ने प्रचारित किया ।

Con. by:IBN

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने कहा है कि 21 दिसंबर 2012 को दुनिया का आखिरी दिन नहीं होगा। इसको गलत साबित करने के लिए वैज्ञानिकों ने पांच मिथकों पर से पर्दा उठाया है।
मिथक- काफी लोगों का मानना है कि माया कैलेंडर में 21 दिसंबर आखिरी तारीख है जिससे दुनिया खत्म हो जाएगी।

21 दिसंबर आज: चिंता न करें, नहीं होगी दुनिया खत्म

तथ्य- भारतीय कैलेंडर 31 दिसंबर के बाद 1 जनवरी दिखाता है। उसी तरह माया कैलेंडर एक चक्र की तरह चलता है। इसके बाद माया कैलेंडर अगली तारीख दिखाएगा। अंत साल का होता है कैलेंडर का नहीं।

मिथक- निबरू ग्रह जो पृथ्वी से चार गुना बड़ा है वह पृथ्वी के काफी करीब आ जाएगा। इस के कारण सारी आपदा पृथ्वी पर आ गिरेगी।

तथ्य- अगर ऐसा होता तो खगोलशास्त्री इस बात की जानकारी काफी पहले लगा लेते। अगर यह ग्रह अदृश्य है तो इसके पृथ्वी से पास आने का असर पृथ्वी और बाकी के ग्रहों पर साफ देखा जा सकता है। हर दिन इस बात की जांच कर रहे खगोलशास्त्री हर दिन आसमान की जांच करते हैं।

मिथक- 21 दिसंबर को सौर तूफान आएगा जो सब कुछ उड़ा कर ले जाएगा।
तथ्य- सौर तूफान ब्रह्मंड में होते है लेकिन 21 दिसंबर को किसी सौर तूफान की जानकारी नहीं आयी है। अगला सौर तूफान मई 2013 में दिख सकता है लेकिन इससे दुनिया खत्म हो जाएगी यह नहीं कहा जा सकता। हर ग्यारह साल बाद सूर्य की उर्जा चर्म पर हो जाती है उससे सौर तूफान उत्पन्न होता है।

मिथक- 21 दिसंबर को पृथ्वी समेत सभी ग्रह सीधी रेखा में रहेंगे। जिससे ज्वारीय प्रभाव उत्पन्न होगा। यह पृथ्वी को नष्ट कर देगा।
तथ्य- दिसंबर माह में कोई भी ग्रह सीधी रेखा में नहीं आएगा। अगर ऐसा होता भी है तो पृथ्वी पर कोई ज्वारीय प्रभाव नहीं देखेने को मिलेगा।

मिथक- पृथ्वी की धुरी 21 दिसंबर को अपनी वास्तिविक जगह से हट जाएगी।
तथ्य- चंद्रमा के ग्रहपथ के कारण ऐसा संभव नहीं हो सकता। जिसके कारण पृथ्वी की धुरी अपनी जगह पर काबिज रहेगी।