View Full Version : कुछ चमत्कारिक जगहें
aspundir
03-01-2013, 06:04 PM
देश का गुजरात राज्य विविधताओं से परिपूर्ण है और अपने विशिष्ट भौगोलिक स्थानों के लिए विश्व विख्यात है। इसीलिए यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी अन्य राज्यों से अधिक ही है। यहां कई स्थल तो अब भी ऐसे हैं, जिनकी रहस्यमयी गुत्थी वैज्ञानिक भी आज तक सुलझा नहीं सके हैं।
हालांकि विज्ञान इनके लिए अपनी-अपनी राय देता है, लेकिन अमुक लोग इसके पीछे ईश्वरीय शक्ति ही मानते हैं, क्योंकि इनके साथ कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं।
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aspundir
03-01-2013, 06:05 PM
तुलसीश्याम :
प्रसिद्ध एशियाटिक लायंस के जंगल ‘गिर’ की यात्रा के समय आप इस रहस्यमयी स्थल का मुआयना कर सकते हैं। तुलसीश्याम नामक यह जगह पहले गरम पानी के सोते के लिए प्रसिद्ध थी, लेकिन अब इससे और एक नया रहस्य जुड़ गया है। तुलसीश्याम से मात्र 3 किमी दूर एक ढलवां सड़क है। इसकी खासियत यह है कि अगर ढाल पर आप अपना वाहन बंद कर लुढ़काना शुरू कर दें तो आपका वाहन नीचे आने की बजाय ऊपर की ओर आने लगता है। इतना ही नहीं, अगर इस ढाल पर आप पानी गिरा दें तो वह भी नीचे आने की बजाय ऊपर की ओर चढ़ने लगता है।
अब यह ढलवां सड़क इतनी प्रसिद्ध हो चुकी है कि यहां सैलानियों का हर समय तांता लगा रहता है।
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aspundir
03-01-2013, 06:06 PM
काला डुंगर :
यह कच्छ की सबसे ऊंची जगह है। तुलसीश्याम की तरह यह स्थल भी अचरज से परिपूर्ण है। यहां से गुजरने वाली सड़क की खासियत यह है कि ढाल से उतरते समय अचानक ही रफ्तार बढ़ जाती है। इतना ही नहीं ढाल चढ़ते समय भी वाहन की रफ्तार बढ़ जाती है। आमतौर पर ढाल चढ़ते समय काफी परेशानी होती है, लेकिन इस रहस्यमयी जगह का मामला ठीक इसके विपरीत है।
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aspundir
03-01-2013, 06:07 PM
जादुई पत्थर :
अमरेली जिले के बाबरा शहर से मात्र 7 किमी दूर करियाणा गांव में एक पहाड़ी आकषर्ण का केंद्र हैं। इस पहाड़ी ही खासियत यह है कि यहां कई पत्थर ऐसे हैं, जिनमें से झालर बजने जैसी आवाज आती है। इस पहाड़ी पर ग्रेनाइट के पत्थर काफी मात्रा में हैं। अब तक इन पत्थरों का रहस्य भी सुलझाया नहीं जा सका है।
इन पत्थरों के साथ एक धार्मिक मान्यता भी जुड़ी हुई है कि प्राचीन समय में यहां एक बार स्वामीनारायण भगवान आए थे। कहा जाता है कि पूजा-अर्चना के समय उन्होंने यहां के पत्थरों का घंटी के रूप में उपयोग किया था।
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aspundir
03-01-2013, 06:08 PM
नगारिया पत्थर :
जूनागढ़ स्थित पवित्र गिरनार के बगल में दातार पर्वत के नगरिया पत्थर श्रद्धालुओं के आकषर्ण का केंद्र हैं। इन पत्थरों की विशेषता यह है कि इन पर ठोकर मारते ही नगाड़े बजने की आवाज आती है। दातार पर्वत गिरनार के दक्षिण में जूनागढ़ से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है।
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aspundir
03-01-2013, 06:09 PM
तुलसीश्याम :
तुलसीश्याम में स्थित एक कुंड भी आकषर्ण का केंद्र है। यह तीर्थधाम कुदरती सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस कुंड की खासियत यह है कि यह हर समय पानी से भरा रहता है और हर समय इसका पानी गर्म रहता है। इस तीर्थस्थल से भगवान विष्णु की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
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aspundir
03-01-2013, 06:10 PM
टुवा-टींबा :
गोधरा से लगभग 15 किमी दूर स्थित टुवा-टींबा प्रवासियों के लिए आकषर्ण का केंद्र है। यहां भी गर्म पानी का एक कुंड स्थित है। यहां के गर्म पानी से स्नान करने का धार्मिक महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडव और भगवान राम ने इस स्थल की यात्रा की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान राम ने संत सूरदास के उपचार हेतु गरम पानी के लिए यह जमीन अपने तीर से भेद दी थी, जिसमें से गर्म पानी का सोता निकला था।
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aspundir
03-01-2013, 06:10 PM
ऊनाई :
ऊनाई नवसारी जिले का ऐतिहासिक यात्राधाम है। यहां पर ऊष्ण अंबा माताजी का मंदिर भी है। चैत्र-पूनम के मेले में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां भी एक गर्म पानी का कुंड है, जिसमें स्नान करने का धार्मिक महत्व है।
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