View Full Version : धोनी ने सात युवा खिलाडि़यों के साथ किया अन
पहले इंग्लैंड, फिर ऑस्ट्रेलिया और अब पाकिस्तान, हर टीम ने धोनी के धुरंधरों का जम कर बैंड बजाया। 2011 में वर्ल्ड कप का खिताब जीतने वाली टीम इंडिया विदेशी मैदानों पर तो फ्लॉप हुई ही, घर पर भी उसे मुंह की खानी पड़ी। टीम की लगातार नाकामी के बाद चारों ओर से आवाजें उठीं बदलाव की। सेलेक्टर्स ने बहुत 'सोच-विचार' करने के बाद क्रिकेट टीम में किया सबसे बड़ा चेंज। वीरेंद्र सहवाग बाहर और रोहित शर्मा अंदर।
संदीप पाटिल की अगुवाई वाली सेलेक्शन कमेटी के इस फैसले पर फैन्स हैरान हैं। यदि खराब फॉर्म के कारण वीरेंद्र सहवाग को इंग्लैंड के खिलाफ पहले तीन वनडे मैचों से बाहर किया गया है, तो वीरू से भी ज्यादा फ्लॉप रोहित शर्मा को क्यों अंदर रखा गया?
जब रोहित शर्मा के सेलेक्शन पर सवाल उठा तो बीसीसीआई का कहना था, "क्या करते, कोई ऑप्शन ही नहीं था।" चयनकर्ताओं के इस जवाब ने भारतीय क्रिकेट को शर्मसार कर दिया है। क्या सवा करोड़ की जनता वाले देश में रोहित शर्मा से बेहतर खिलाड़ी नहीं है?
dainikbhaskar.com ने मौजूदा रणजी सीजन के आंकड़े और परफॉर्मेंसेस पर नजर फिरायी तो कुछ अलग ही तस्वीर सामने आई। चयनकर्ताओं को जहां एक बेहतर विकल्प तलाशने में मुश्किल आ रही थी, वहीं हमने रोहित शर्मा से बेहतर और कंसिस्टेंट परफॉर्मेंस वाले सात बल्लेबाजों के नाम ढूंढ निकाले।
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अभिषेक नायर
मैच खेले - 10
रन - 122.28 की औसत से 856 रन
शतक - 3
अर्धशतक - 7
इस युवा बल्लेबाज ने मौजूदा सीजन में लगातार रन बनाए हैं। लेफ्ट आर्म बल्लेबाज और राइट आर्म मध्यम तेज गेंदबाज अभिषेक मुंबई की रणजी टीम का हिस्सा हैं।
हाल ही में वडोदरा के खिलाफ जारी क्वार्टरफाइनल में उन्होंने नाबाद सैकड़ा लगा कर एक बार फिर अपनी ठोस बल्लेबाजी तकनीक का प्रदर्शन किया। इस सीजन उन्होंने निरंतरता से रन बनाए। 10 मैचों में खेली 15 पारियों में वे 8 बार नाबाद रहे। 2012-13 सीजन में भारत के लिए सर्वाधिक फर्स्ट क्लास रन बनाने के मामले में टेस्ट के हीरो चेतेश्वर पुजारा से भी आगे हैं।
नायर को जुलाई 2009 में वेस्ट इंडीज दौरे पर टीम के साथ भेजा गया था। वहां खेले तीन वनडे मैचों में से कुल एक पारी में उन्हें बल्लेबाजी का मौका मिला, जिसमें वे बिना खाता खोले नाबाद रहे। इसके बाद उन्हें टीम में फिर कभी मौका नहीं मिला।
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जीवनजोत सिंह
मैच - 8
रन - 65.41 की औसत से 785 रन
शतक - 4
अर्धशतक - 1
22 साल के इस पंजाबी पुत्तर ने इसी साल रणजी क्रिकेट में डेब्यू किया है। पटियाला के जीवनजोत ने अपनी बैटिंग टेकनीक से सभी को प्रभावित किया। हैदराबाद के खिलाफ करियर के पहले ही मुकाबले में उन्होंने 213 रन की पारी खेल कर सभी को प्रभावित किया था। बंगाल के खिलाफ अगले ही मैच में जीवनजोत ने एक बार फिर 158 रन की पारी खेली।
जीवनजोत का जौहर यहीं खत्म नहीं हुआ। स्टार सरदार ने सौराष्ट्र के खिलाफ 61 रन बनाए। उसके बाद राजस्थान के विरुद्ध नाबाद 110 और मध्य प्रदेश के खिलाफ 103 रन की बेहतरीन पारियां खेल कर उन्होंने अपने हुनर की झलक दिखाई।
महज 22 साल के जीवनजोत टीम इंडिया के मिशन 2015 वर्ल्ड कप का हिस्सा बनने का दम रखते हैं। लेकिन शायद चयनकर्ताओं का पूरा ध्यान आईपीएल पर है।
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मुरलीधरन गौतम
मैच - 10
रन - 120.50 की औसत से 964 रन
शतक - 3
अर्धशतक - 2
कर्नाटक के मुरलीधरन गौतम ने अपनी प्रतिभा से हर बार रणजी मैचों में सबको प्रभावित किया है। लेकिन शायद उनकी सबसे बड़ी कमी उनका विकेटकीपर होना है। 39 रणजी मैचों में 8 शतक और 9 अर्धशतकों समेत 52.56 की औसत से 2523 रन बनाए हैं।
महाराष्ट्र के खिलाफ मैच में गौतम ने नाबाद 264 रन की पारी खेली। उससे पहले विदर्भ के खिलाफ उन्होंने 257 रन बनाए। इन सब परफॉर्मेंस के बावजूद चयनकर्ताओं को उनके आंकड़े नजर नहीं आए।
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पारस डोगरा
मैच - 10
रन - 80 की औसत से 960 रन
शतक - 5
अर्धशतक - 1
हिमाचल प्रदेश के पारस डोगरा बल्लेबाजी में निरंतरता के अच्छे उदाहरण हैं। इस रणजी सीजन की शुरुआत लगातार तीन शतक लगा कर करने वाले पारस उपयोगी लेगब्रेक बॉलिंग भी कर लेते हैं।
62 फर्स्ट क्लास मैच खेल चुके पारस ने 45.22 की औसत से 4025 रन बनाए हैं। अभी तक वे रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर हैं।
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वी ए जगदीश
मैच - 8
रन - 72.58 की औसत से 871 रन
शतक - 4
अर्धशतक - 1
केरल रणजी टीम में जग्गू के नाम से मशहूर इस स्टार बल्लेबाज ने इस सीजन निरंतर रन बनाए हैं। असम के खिलाफ 127 रन, फिर सेना के खिलाफ नाबाद 199 रन, झारखंड के विरुद्ध 138 और फिर आंध्र के खिलाफ 117 और नाबाद 70 रन की पारियां उनकी कंसिस्टेंसी दिखाती हैं।
बेहतरीन तकनीक से उन्होंने अब तक खेले 39 मैचों में 6 शतक और 10 अर्धशतक लगाए हैं। मौजूदा सीजन में लगातार अच्छे प्रदर्शन के बावजूद चयन के लिए उनके नाम का जिक्र तक नहीं हुआ।
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मुकुल डागर
मैच - 9
रन - 39.86 की औसत से 598 रन
शतक - 3
अर्धशतक - 1
महज 22 साल के मुकुल उत्तर प्रदेश की रणजी टीम का हिस्सा हैं। इसी साल दिसंबर में डेब्यू करने वाले मुकुल ने कुल 9 मैचों में 3 शतक लगा कर अपना जलवा दिखाया। पहले ही मैच में दिल्ली के खिलाफ 116 रन की पारी खेलने के बाद मुकुल ने महाराष्ट्र के खिलाफ पुणे में 126 रन बनाए।
तमिल नाडु के खिलाफ मैच में उन्होंने 65 रन की पारी खेली थी। लगातार दो शतकों के साथ करियर का आगाज करने के बावजूद चयनकर्ताओं ने उन्हें वनडे या टी-20 में मौका नहीं दिया।
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हिकेन शाह
मैच - 8
रन - 58.09 की औसत से 639 रन
शतक - 3
अर्धशतक - 2
मुंबई के हिकेन शाह ने इस रणजी सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन कर सबका ध्यान तो खींचा ही, साथ ही वे इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच के भी स्टार रहे। मुंबई में हुए प्रैक्टिस मैच में उन्होंने इंग्लैंड के स्टार बॉलर्स का सामना करते हुए 92 रन बनाए थे।
इस रणजी सत्र की शुरुआत उन्होंने राजस्थान के खिलाफ 140 रन की पारी खेल कर की। फिर हैदराबाद के खिलाफ अगले मैच में उन्होंने 156 रन बनाए। बंगाल के विरुद्ध मैच में 118 रन बना कर उन्होंने शतकों की हैट्रिक पूरी कर ली।
अब तक 24 फर्स्ट क्लास मैच खेल चुके हिकेन ने 5 शतक और 5 अर्धशतक लगाए हैं।
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रोहित का रिकॉर्ड देख आएगी हंसी
इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में वीरेंद्र सहवाग से ऊपर तरजीह देते हुए अंदर रखे गए रोहित शर्मा का यदि पिछले 10 वनडे मैचों में प्रदर्शन देखा जाए तो उनकी कंसिस्टेंसी की तारीफ करने का मन हो जाएगा।
पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में हुई अर्धशतक लगाने की गलती के अलावा उन्होंने निरंतरता से 10 से कम का स्कोर बनाया है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में 0 पर आउट होने के बाद से चेन्नई में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे तक उनका स्कोर कुछ इस प्रकार से रहा है -
0, 4, 68, 5, 0, 0, 4, 4, 4
इस परफॉर्मेंस को उनका फोन नंबर बनाया जा सकता है।
अब तक 86 वनडे मैच खेल चुके रोहित शर्मा 81 पारियों में 2000 रन तक नहीं बना सके हैं। कुल 2 शतक और 12 अर्धशतकों समेत उन्होंने 30.43 की औसत से 1978 रन बनाए हैं।
रोहित शर्मा को देख कर अकसर कमेंटेटर रवि शास्त्री कहते हैं कि उनमें टेलेंट की कमी नहीं, बस उन्हें एक अच्छी पारी का इंतजार है। रोहित के उस छिपे टेलेंट को बाहर निकालने की कोशिश में बोर्ड कई अन्य प्रतिभावान खिलाड़ियों का रास्ता रोक देता है।
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शर्मा से बेहतर तो सहवाग ही हैं
खराब फॉर्म का हवाला देते हुए टीम से बाहर किए गए वीरेंद्र सहवाग ने अब तक खेले 251 वनडे मैचों में 35.05 की औसत से 8273 रन बनाए हैं। इसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक शामिल हैं।
पिछले 10 वनडे मैचों की बात की जाए, तो आंकड़ों के आईने में वीरू रोहित शर्मा से बेहतर ही नजर आते हैं। उन्होंने पिछली 10 पारियों में 238 रन बनाए हैं, जिसमें एक हाफ सेंचुरी शुमार है।
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शमी, भुवनेश्वर और पुजारा हैं उदाहरण
जहीर खान के गिरते फॉर्म और इरफान पठान जैसे अहम गेंदबाजों की खराब फिटनेस देख कर अकसर यह सवाल उठता रहा कि इनके बाद तेज गेंदबाजी की कमान कौन संभालेगा। बोर्ड ने युवा गेंदबाजों को मौका दिया और उन्होंने खुद को साबित करके दिखा दिया।
मेरठ के भुवनेश्वर कुमार और अमरोहा के शमी अहमद इसका अच्छा उदाहरण हैं। भुवनेश्वर ने अपनी स्विंग से सभी को प्रभावित किया। गेंद पर उनका कंट्रोल देख कर पाकिस्तान के दिग्गज वसीम अकरम भी प्रभावित हुए। पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में भुवनेश्वर भारत के अहम गेंदबाज साबित हुए।
वहीं दिल्ली वनडे में अशोक डिंडा के स्थान पर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने युवा सनसनी शमी अहमद को मौका दिया। शमी ने इस मौके को भुनाते हुए रिकॉर्डतोड़ शुरुआत की। उन्होंने अपनी 9 ओवरों की गेंदबाजी में 4 ओवर मेडन डाले। पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में जब टार्गेट 167 रन जितना छोटा हो, तब अंतिम ओवरों का दबाव दिग्गजों को भी लाइन-लेंथ भुला देता है। लेकिन शमी ने इस दबाव से उबरते हुए डेथ ओवर्स में मेडन ओवर डाला। साथ ही उन्होंने सईद अजमल का विकेट भी चटकाया।
भारतीय टीम में रिप्लेसमेंट के नाम पर कुछ घिसे पिटे नाम सामने आते हैं। जो कि अंदर आने के बाद जिसके स्थान पर वे आए हैं उससे भी घटिया प्रदर्शन करते हैं। रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और पीयूष चावला कुछ ऐसे नाम बन गए हैं जिन पर चयन होते ही फैन्स जोक्स बनाने लगते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में जडेजा ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बावजूद ट्विटर पर उनका मजाक बनता रहा।
शमी, भुवनेश्वर और चेतेश्वर पुजारा का टीम में मौका मिलने के बाद अच्छा प्रदर्शन करना इस बात की ओर इशारा करता है कि यदि खिलाड़ियों को मौके दिए जाएंगे तो वे प्रदर्शन भी करके दिखाएंगे। बिना आजमाए किसी खिलाड़ी को बाहर रख कर बोर्ड और चयनकर्ता टीम के मिशन वर्ल्ड कप 2015 का कबाड़ा कर रहे हैं।
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क्या आईपीएल है सही पैमाना?
चेतेश्वर पुजारा, शमी अहमद और भुवनेश्वर कुमार ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें या तो अधिक आईपीएल मैच खेलने के मौके नहीं मिले या फिर वे किसी आईपीएल टीम का हिस्सा नहीं। घरेलू क्रिकेट में सॉलिड परफॉर्मेंस देने के बाद ही वे इंटरनेशनल लेवल पर छाप छोड़ने में सफल हुए हैं।
वहीं यदि रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा और चावला जैसे आईपीएल स्टार्स की ओर देखा जाए तो वे ताबड़तोड़ क्रिकेट में तो बेहतर खेलते हैं, लेकिन तकनीक के मामले में गच्चा खा जाते हैं। पाकिस्तान की वर्ल्ड क्लास स्विंग के आगे भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक का पुलिंदा खुलना इसी ओर इशारा है।
इसके बावजूद चयकर्ता रणजी से अधिक तवज्जो आईपीएल परफॉर्मेंस को दे रहे हैं। टी-20 क्रिकेट में परफॉर्मेंस कभी टेस्ट और वनडे जैसे वर्ल्ड क्लास फॉर्मेट्स में चयन का आधार नहीं हो सकता। जीवनजोत सिंह, अभिषेक नायर और मुकुल डागर जैसे बेहतरीन खिलाड़ियों का नजरअंदाज होना यह जताता है कि सेलेक्टर्स रणजी से ज्यादा आईपीएल की चमक में खोए हुए हैं।
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