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View Full Version : 55 साल के पुजारी ने मंदिर में चेले की पत्नी से


dipu
08-01-2013, 11:30 AM
चलती बस में गैंग रेप की शर्मनाक घटना पर मचे बवाल के बाद भी देश की राजधानी दिल्ली और अन्य शहरों में रेप की घटनाएं कम नहीं होती दिख रही हैं। रविवार रात पूर्वी दिल्ली में रेप के दो मामले सामने आए। पहला मामला पांडव नगर का है जिसमें अपने शिष्य की पत्नी से रेप करने के आरोप में पुजारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दूसरा मामला मयूर विहार पुलिस स्टेशन का है जहां एक नाबालिग लड़की से रेप के मामले में पड़ोसी को गिरफ्तार किया गया। (आसाराम ने अब महिलाओं को बताया 'बाजारू', गुस्साए लोगों ने फूंका पुतला)

पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त वी. प्रभाकर के अनुसार पांडव नगर के एक मंदिर के पुजारी मदन मोहन (55) ने प्रसाद बनवाने के बहाने अपने शिष्य की पत्नी को मंदिर में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीडि़ता के अनुसार वारदात के बाद पुजारी ने महिला से इस करतूत को किसी से बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी। पीडि़ता ने घर आकर अपने पति से आपबीती बताई। पीडि़ता के पति ने इसकी सूचना पुलिस को दी। दुष्कर्म की पुष्टि हो जाने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी पुजारी को गिरफ्तार कर लिया।

jai_bhardwaj
08-01-2013, 10:49 PM
बापू आशाराम जी के संदर्भित विवेचना पर मुझे भी घोर हैरानी हुई थी कि अंततः क्या विचार कर के बापू जी ने ऐसी टिप्पणी की थी। पिछले दिनों उन्होंने कहा था, "यदि (बलात्कार) पीड़ित लडकी बलात्कार के प्रयास के समय उन आरोपियों को 'भाई' शब्द से संबोधित करती तो कदाचित उसकी मर्यादा और जीवन दोनों ही बच जाते। क्या लडकी ने सरस्वती मन्त्र पढ़ा था? लडकी को रात्रि में अपने पुरुष मित्र के साथ सिनेमा देखने के बाद बस पर नहीं बैठना चाहिए था। बलात्कार के लिए जितना आरोपी लड़के दोषी हैं उतनी ही दोषी यह लडकी भी थी।" ऐसे भाषण पर सामान्य जनता के साथ साथ राजनैतिक दलों में भी निंदा-पाठ हो रहा है।
न जाने क्यों बाबाओं को प्रभु-कथा अथवा प्रभु-चर्चा के बजाय सामाजिक और राजनैतिक चर्चाओं में अधिक रूचि जाग उठती है:thinking:। न जाने कौन सी अभिलाषा है जिसकी प्राप्ति के लिए उन्हें ऐसे अनावश्यक कथ्य कहने पड़ते हैं?:think::cry::help:

rajnish manga
09-01-2013, 03:05 PM
न जाने क्यों बाबाओं को प्रभु-कथा अथवा प्रभु-चर्चा के बजाय सामाजिक और राजनैतिक चर्चाओं में अधिक रूचि जाग उठती है। न जाने कौन सी अभिलाषा है जिसकी प्राप्ति के लिए उन्हें ऐसे अनावश्यक कथ्य कहने पड़ते हैं?:think::cry::help:
:iagree:
ये ऐसे बाबा हैं जिनका खुद का चरित्र पिछले बीस वर्षों से संदेह के घेरे में रहा है और जिनके ऊपर तरह तरह के आरोप और मुक़द्दमें चल रहे है. इस बार का इनका बयान शर्मनाक और घोर आपत्तिजनक है. इनके बयान से न सिर्फ आततायियों से संघर्ष करने वाली पीड़िता, जिसने अंततः अपनी जान दे कर पूरे राष्ट्र को जगा दिया, की बहादुरी का अपमान है, बल्कि उसके परिवार जनों का भी अपमान है जो इस सदमे से उभर नहीं पाए हैं और उन हज़ारों लाखों बच्चों, युवक-युवतियों, बहन भाइयों का अपमान है जो पिछले पच्चीस दिनों से हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में सड़कों पर उतर कर व्यवस्था में निर्णायक परिवर्तन की अलख जगाये हुए हैं. दोस्तों, यह प्रिंट मीडिया और विजुअल मीडिया द्वारा किये गए उल्लेखनीय कार्यों का भी अपमान है. इस प्रकार के संवेदनहीन व्यक्ति को, चाहे वह स्वयं को कितना ही बड़ा गुरु (घंटाल) क्यों न समझता हो, इसका बराबर उत्तर मिलना चाहिए.
एक बार इन्हीं बाबा ने करनाल में हुए एक कार्यक्रम में सरदारों के बारे में अभद्र चुटकुला सुनाया. वहां उपस्थित सिखों ने खड़े हो कर इसका पुरज़ोर विरोध किया तो बाबा को माफ़ी मांग कर अपनी जान छुड़ानी पड़ी.