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View Full Version : राज्यों में विधान सभा की बैठकें


rajnish manga
09-01-2013, 03:13 PM
कुछ दिन पूर्व मेल टुडे अखबार ने विभिन्न राज्यों में वहां की विधान सभाओं की सन् 2012 के दौरान कुल बैठक-दिवसों के बारे में चोंकाने वाली जानकारी प्रकाशित की थी. ये आंकड़े चौंकाने के साथ हमें सोचने पर भी मजबूर करते हैं कि विधान सभा के हर सत्र पर जनता के खून पसीने की कमाई, जो टैक्स के रूप में सरकारी खाते में अदा की जाती है, के करोड़ों रूपए विधायकों के ग़ैर-जिम्मेदाराना रवैय्ये के कारण खर्च किये जाते हैं उसका आखिर क्या फायदा है और उससे क्या मकसद पूरा हो रहा है? (कुछ) राज्यवार आंकड़े इस प्रकार हैं:
१. जम्मू-कश्मीर = ४३ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ८०३००/- रूपए)
२. आन्ध्र प्रदेश = ३७ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = १०७०००/- रूपए)
३. दिल्ली ........ = २२ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ९००००/- रूपए)
४. झारखंड ....... = २८ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ७००००/- रूपए)
५. पंजाब .......... = १५ दिन*(एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ८००००/- रूपए)* नयी विधान सभा
६. राजस्थान .... = २४ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ६२५००/- रूपए)
७. उत्तर प्रदेश ..= २६ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ५००००/- रूपए)
८. बिहार .......... = ३८ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ५५०००/- रूपए)
९. उड़ीसा .......... = ७१ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ६००००/- रूपए)
१०. पश्चिम बंगाल =४१ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन आंकड़े उपलब्ध नहीं)
११. तमिल नाडु ...= ३९ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ७००००/- रूपए)
उपरोक्त वेतन के अतिरिक्त साल भर में मिलने वाले लाखों रूपए के भत्तों तथा मुफ्त प्राप्त होने वाली सुविधाओं का भी विधायक गण उपभोग करते हैं. एक आम कर्मचारी यदि हड़ताल पर जाता है या अनाधिकृत रूप से काम से ग़ैर-हाजिर रहता है तो ‘नो वर्क नो पे’ के सिद्धांत के अनुसार उसको इस अवधि का वेतन नहीं दिया जाता. क्या हमारे आदरणीय विधायकों पर इस प्रकार की कोई पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए? यदि हाँ तो बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा?

vijayverma
09-01-2013, 03:43 PM
अँधा बांटे रेवड़ी ,मुड मूड अपनों को दे .............

jai_bhardwaj
09-01-2013, 07:24 PM
रोचक सारिणी प्रस्तुत की है आपने रजनीश जी ... विचार करने योग्य बात यह है कि शीघ्र ही इन जनप्रतिनिधियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी करने के सुझाव आये हैं जिन्हें जल्द ही सदन में पारित करने की योजना है।
अंधेर नगरी ... चौपट राजा .... टके सेर भाजी .. टके सेर खाजा ..
जिसकी लाठी .... उसकी भैंस ...... जिसकी भैंस ... उसी को दूध ..

aksh
09-01-2013, 10:50 PM
कुछ दिन पूर्व मेल टुडे अखबार ने विभिन्न राज्यों में वहां की विधान सभाओं की सन् 2012 के दौरान कुल बैठक-दिवसों के बारे में चोंकाने वाली जानकारी प्रकाशित की थी. ये आंकड़े चौंकाने के साथ हमें सोचने पर भी मजबूर करते हैं कि विधान सभा के हर सत्र पर जनता के खून पसीने की कमाई, जो टैक्स के रूप में सरकारी खाते में अदा की जाती है, के करोड़ों रूपए विधायकों के ग़ैर-जिम्मेदाराना रवैय्ये के कारण खर्च किये जाते हैं उसका आखिर क्या फायदा है और उससे क्या मकसद पूरा हो रहा है? (कुछ) राज्यवार आंकड़े इस प्रकार हैं:
१. जम्मू-कश्मीर = ४३ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ८०३००/- रूपए)
२. आन्ध्र प्रदेश = ३७ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = १०७०००/- रूपए)
३. दिल्ली ........ = २२ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ९००००/- रूपए)
४. झारखंड ....... = २८ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ७००००/- रूपए)
५. पंजाब .......... = १५ दिन*(एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ८००००/- रूपए)* नयी विधान सभा
६. राजस्थान .... = २४ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ६२५००/- रूपए)
७. उत्तर प्रदेश ..= २६ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ५००००/- रूपए)
८. बिहार .......... = ३८ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ५५०००/- रूपए)
९. उड़ीसा .......... = ७१ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ६००००/- रूपए)
१०. पश्चिम बंगाल =४१ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन आंकड़े उपलब्ध नहीं)
११. तमिल नाडु ...= ३९ दिन (एम्.एल.ए. का मासिक वेतन = ७००००/- रूपए)
उपरोक्त वेतन के अतिरिक्त साल भर में मिलने वाले लाखों रूपए के भत्तों तथा मुफ्त प्राप्त होने वाली सुविधाओं का भी विधायक गण उपभोग करते हैं. एक आम कर्मचारी यदि हड़ताल पर जाता है या अनाधिकृत रूप से काम से ग़ैर-हाजिर रहता है तो ‘नो वर्क नो पे’ के सिद्धांत के अनुसार उसको इस अवधि का वेतन नहीं दिया जाता. क्या हमारे आदरणीय विधायकों पर इस प्रकार की कोई पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए? यदि हाँ तो बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा?

ये तो सभी जानते है कि ये लोग काम करने के लिये विधायक थोडे ही बनते है...?? ये तो विधायक बनते है उस रसूख के लिये जिसको पाने के बाद इनके लिये कुछ भी पा लेना मुश्किल नही रह जाता है और ये उस रसूख के चलते फिरते कैसा भी काम चुट्की बजाते करवा देते है और नोट छापने की मशीन बन जाते है...!!

बहुत ही अच्छी जानकारी इकट्ठा की है मित्र..!! धन्यवाद.