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View Full Version : पंजाबी गायक हनी सिंह और अश्लीलता


jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:18 PM
इस लेख की लेखिका अंजलि सिन्हा और लेखक सिद्धार्थ शंकर गौतम स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं| यह लेख समृद्ध अंतरजाल से लेकर इस मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है। इस लेख की मूल लेखिका और लेखक एवं इसके मूल स्थान के हम आभारी हैं।:hello:

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:19 PM
पंजाबी मूल के गायक हनी सिंह विवादित हो गए हैं। वैसे तो उनकी शोहरत कम नहीं हैं, लेकिन अपने खासे आपत्तिजनक गाने के कारण पूरे देश के निशाने पर आ गए हैं। इसके बाद विवाद इस कदर बढ़ा कि उनके गानों को लेकर उनके खिलाफ केस दायर हो गए। नए साल की पूर्वसंध्या पर गुड़गांव के एक बड़े होटल में आयोजित उनके कार्यक्रम को जनदबाव के चलते रद करना पड़ा। उनके गानों पर पाबंदी लगाने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम भी चलती दिखती है। उन्होंने अश्लील तथा महिलाओं को अपमानित करने वाले, उनके खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने वाले गाने गाए हैं। वैसे बाद में हनी सिंह ने यह कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि ये गीत उनके लिखे नहीं हैं। इनमें से एक गाने में वह बाकायदा किसी अनजान युवती के साथ जबरन बनाए रिश्ते को सुनाते हैं और अपने आप को रेपिस्ट कहकर खुद की तारीफ करते हैं। यह विरोध पहली बार नहीं है।

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:19 PM
दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म की जघन्य घटना से पहले पंजाब के कुछ महिला तथा प्रगतिशील संगठनों ने भद्दे गानों को गाने वाले तथा ऐसे कुछ बैंड्स के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी। जालंधर जैसी जगहों पर इन गीतों को बेचने वालों को अपनी दुकान समेटनी पड़ी। समय-समय पर विरोध होता रहा है, लेकिन बड़े पैमाने पर इसका आनंद उठाने वाले मौजूद हैं। यानी इन गानों का अपना बाजार है। लोग तरह तरह से इसका विश्लेषण कर रहे हैं और कारणों पर अपनी समझदारी साझा कर रहे हैं कि आखिर हमारा समाज महिलाओं के प्रति हिंसक क्यों हो गया है? मुद्दा महज कुछ हजार दुष्कर्मियों का नहीं है और न ही अभी तक अनसुलझे एक लाख से अधिक मामलों का है, बल्कि मुद्दा महिलाओं के प्रति व्यवहार का है। चाहे सार्वजनिक स्थल हो या निजी दायरा, महिला को भोग की वस्तु समझने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। दुष्कर्र्मो की तुलना में कई गुना अधिक वह हिंसा होती है जो मुद्दा भी नहीं बन पाती। मसलन छींटाकशी, घूरना तथा भद्दा, अनचाहा स्पर्श करना आदि। इसमें भी महिलाओं को चोट पहुंचाई जाती है। यौन हिंसा जिसे हल्के रूप में छेड़छाड़ कहा जाता है की घटनाएं जितनी दर्ज होती हैं उससे कई गुना अधिक घटित होती हैं। बाहर आती दबी हुई कुंठा विचार-विमर्श में यह बात भी उभरी है कि यौन हिंसा क्या महज कानून एवं व्यवस्था का मसला है। क्या कानूनों के सख्त होने से सारी समस्या हल हो जाएगी? यह सही है कि प्रभावी तथा सख्त कानूनी प्रक्रिया का अभाव तो है ही और उसे तत्काल दुरुस्त किए जाने की जरूरत है।

इन नारी विरोधी व्यवहारों को वैधता प्रदान करने वाला दूसरा स्तर मानसिकता का है। ऐसी सोच जो दूसरों के अधिकारों का हनन करे, उन्हें अपमानित करे और उसे मुसीबत में डालकर भी आत्ममुग्ध हो। लिहाजा इस पर बात करना भी जरूरी है कि ऐसे लोगों की ऐसी मानसिकता कैसे और किन-किन चीजों के प्रभाव में बनती है? सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार के माध्यम एक सशक्त हथियार हैं जो व्यक्ति को भीतर तक प्रभावित करते हैं। हमारे देश में फिल्म और टीवी के लिए तो सेंसर बोर्ड है, लेकिन ऐसे एल्बम प्रकाशित करने या स्वतंत्र रूप से गायकी करने पर उचित निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है। जो है भी वह इतनी ढीली-ढाली है कि ऐसे मामले उसमें उठते ही नहीं हैं। जिस तरह हनी सिंह लोकप्रिय हो गए हैं, उसी तरह मैथिली, हरियाणवी, भोजपुरी या कई अन्य स्थानीय भाषाओं के गायक भी चर्चित हुए हैं। तकनीक के सस्ता होने से सीडी-डीवीडी बनाना आसान हुआ है। ऐसे गानों के बाजार को देखते हुए ऐसे कई गायक वहां उभरे हैं। इसीलिए मौजूं मुद्दा यह भी है कि उस बाजार की पहचान की जाए। यह समझने की जरूरत है कि पुरुषों का एक पूरा वर्ग तरह तरह की कुंठाएं पाल कर बड़ा होता है। ऊपर से सभ्य सुसंस्कृत दिखने वाला भी एक प्रकार की भड़ास अंदर भरे हुए होता है और मौका मिलते ही उसकी कुंठा उजागर हो जाती है।

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:20 PM
हनी सिंह की बात थोड़ी देर के लिए भूल जाएं और जायजा लें कि हास्य रस की कविताओं में भी यौनिक रिश्तों की बात

की जाती है। पुरुष के परस्त्री से लुकाछिपी रिश्तों की बात की जाती है। वाराणसी जिसे भारतीयों का एक हिस्सा पवित्र

नगरी कहता है, में होली के अवसर पर अस्सी घाट पर होने वाले कवि सम्मेलनों में शिरकत करने पर आप अंदाजा

लगा सकते हैं कि किसी प्रोफेसर के किसी अन्य स्त्री के साथ रिश्तों या ऐसे ही तमाम फूहड़, अश्लील गीत और कविताएं

सुनने के लिए कितने हजार लोग जुटते हैं। वहां न पहुंचने वाले लोगों तक यह मनोरंजन पहुंचाने के लिए दूर-दूर तक

स्पीकर लगाए जाते हैं। पार्टियों में मौजमस्ती के नाम पर जिनमें हनी सिंह मार्का लोग गाने के लिए आमंत्रित किए

जाते हैं और इसके लिए उन्हें लाखों का भुगतान भी किया जाता है। आइटम ग*र्ल्स के ठुमके देखने सुनने के लिए टिकट

खरीद में भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि खेल की मार्केटिंग करने के लिए भी चीयरलीडर्स का

जलवा बिखेरा जाने लगा है। असली बाजार की पहचान जरूरी कौन हैं वे लोग जो इस मनोरंजन का बाजार बना रहे हैं

और इसके लिए बड़ी रकम चुकाने को भी तैयार रहते हैं? शहरों में, छोटे कस्बों तथा गांवों में सवारियां ढोने वाले वाहनों

में लोकधुन तथा स्थानीय भाषाओं में दोहरे मतलब वाले फूहड़ गाने कोई भी आसानी से सुन सकता है।

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:21 PM
जब ऐसे गाने बजते हैं तो सवारियों और ड्राइवर-कंडक्टर के बीच मानो एक प्रकार का संवाद स्थापित हो जाता है और

वे उन गानों से चार कदम आगे जाकर आपस में हंसी-मजाक में जुट जाते हैं। ऐसे मौकों पर हम कितने लोगों की

गिनती कर सकते हैं जो यह सब नापसंद करेंगे? कितने लोग उस सार्वजनिक वाहन में ऐसे गाने न बजाने के लिए

दबाव डालेंगे? निश्चित ही मसला सिर्फ ऐसे गीतों, संवादों या चुटकुलों को न सुनने या देखने का ही नहीं है। यह सब

लोगों की मन:स्थिति को प्रभावित और निर्मित करता है। ऐसे लोग जरूर अधिक संख्या में मौजूद हैं जिन्हें वह सब

देखना-सुनना अच्छा लगता है। यही वे लोग हैं जिनका हवाला देकर वह सब परोसने वाले कहते हैं कि चाहने वाले

चाहते हैं तभी तो वे परोसते हैं, लेकिन इससे परोसने वालों पर नियंत्रण की आवश्यकता खत्म नहीं हो जाती। कोई न

कोई सीमारेखा हमें अपने भीतर भी खींची जानी चाहिए।

इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन के निदेशक प्रमोद कुमार का यह कथन सही है कि कला की अभिव्यक्ति या

हल्के-फुल्के मनोरंजन के नाम जो लोग इन संस्कृतियों को चलने देने के पक्ष में होते हैं, वे दरअसल समाज में गहरे

पैठी पितृसत्तात्मक सोच एवं कुंठाओं को अभिव्यक्त करने की छूट चाहते हैं। कुछ लोग इस मानसिकता का फायदा

उठाकर खुद मालामाल हो जाना चाहते हैं। वे जिस तरह कोई वस्तु बेचते हैं, वैसे ही असभ्यता भी बेचते हैं। उनके इस

कारोबार में अबोध अपरिपक्व बालक भी यह सब आत्मसात करते हुए परिपक्व होते हैं। फिर ऐसे लोगों की संख्या क्यों

न बढ़े जो राह चलते अपनी इस मानसिकता और कुंठा को अभिव्यक्त कर दें? कहा जाता है कि हमारे यहां सामाजिक

निगरानी व्यवस्था अधिक मजबूत है। असल में सामाजिक निगरानी की यह व्यवस्था भी स्त्री जाति की गरिमा के

खिलाफ ही रही है। यहां नैतिक पहरेदारी की व्यवस्था रही है, जिसमें किन्हीं दो लोगों का प्यार करना अनैतिक समझा

जाता है, हाथों में हाथ डाले घूमना अश्लील हो जाता है। इन्हीं नैतिक मान्यताओं में अपनी मर्जी की शादी मंजूर नहीं

होती और ऐसा करने पर सर कलम को वैधता मिलती है। दूसरी तरफ, पहले के समय में भी गांवों, कस्बों या शहरों में

नौटंकी में या धार्मिक सामाजिक आयोजनों में भी उसी तरह महिलाएं परोसी जाती थीं, जिस तरह आज फिल्मों में

आइटम गर्ल ठूंसी जाती हैं, जो किसी उत्तेजक गाने पर भावभंगिमाओं के साथ दर्शकों को लुभाती हैं और हनी सिंह के

गाने लोकप्रियता के पायदान पर नए मुकाम हासिल करते हैं।

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:25 PM
अब प्रश्न उठता है कि इस प्रकरण में मात्र हनी सिंह ही क्यों दोषी ??

मशहूर पंजाबी पॉप गायक पंजाबी पॉप गायकपंजाबी पॉप गायक हनी सिंह पिछले कुछ दिनों से विवाद का केंद्र बने हुए

हैं। उनके गानों में अपशब्दों के प्रयोग और अश्लीलता के चलते लखनऊ के आईपीएस अधिकारी अमिताभ सिंह ने उनके

खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। हनी सिंह कोई आज के गायक नहीं हैं। वह पिछले तीन सालों से गाने गा रहे हैं।

लिहाजा, यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब वह इतने लंबे समय से समाज में बेशर्मी से अश्लीलता परोसने का काम

बेधड़क करते जा रहे थे तब किसी का ध्यान उस तरफ क्यों नहीं गया? मैं हनी सिंह का प्रशंसक नहीं हूं और न ही

अमिताभ ठाकुर के प्रति कोई दुराभाव रखता हूं, लेकिन ऐसे समय में जब देश में दुष्कर्म से जुड़े कानूनों और इस

जघन्य अपराध की सजा निर्धारित करने को लेकर बहस छिड़ी हो, क्या हनी सिंह को इतनी तवज्जो देना सही है? हनी

सिंह पर पुलिस केस दर्ज होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक वर्ग उनके विवादित विडियो को बार-बार दिखाकर

क्या साबित करना चाहता है? आखिर क्यों हनी सिंह को इस तरह पेश किया जा रहा है, जैसे वह कोई मशहूर हस्ती

हों? एक इंसान दो कौड़ी की शब्द रचना को गाकर अचानक युवा वर्ग में लोकप्रियता की सीमाएं लांघ जाता है और उसे

रोकने वाला कोई व्यक्ति या संगठन सामने नहीं आता।



यह अपने आप में गंभीर मसला है जिस पर सोचना जरूरी है। इन तीन वर्र्षो तक क्या हमारे समाज और सूचना एवं

प्रसारण विभाग ने कानों में रुई ठूस रखी थी या दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी हनी सिंह के गानों पर

थिरकना रास आ रहा था? विडंबना यही है कि सरकारी व्यवस्थाएं और संस्थाएं इसी तरह काम करती हैं। देखा जाए तो

इस पूरे प्रकरण में हनी सिंह की कोई गलती नहीं है। उन्होंने वही गाया जो युवा वर्ग में लोकप्रिय हुआ। इन दिनों तमाम

समाचार चैनलों पर, हर गली-नुक्कड़ पर सोच बदलने की बात की जा रही है, लेकिन इस पर कोई बात नहीं कर रहा है

कि इस सोच में बदलाव आखिर आएगा कैसे। एक ओर तो युवा दिल्ली सहित पूरे देश में दुष्कर्म की शिकार पीडि़ता के

पक्ष में रैलियां, जलसे और शांति मार्च निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी और वही युवा हनी सिंह के गाने यूट्यूब पर 10 लाख

से ज्यादा बार देख रहे हैं। ट्विटर पर हनी सिंह के फॉलोअर्स की संख्या 50,000 को पार कर रही है। फेसबुक पर हनी

सिंह की फ्रेंड लिस्ट लगातार लंबी हो रही है। ऐसे में अकेले हनी सिंह को ही दोष क्यों दिया जाए? क्या ऐसा नहीं लगता

कि देश का युवा वर्ग दिग्भ्रमित है? युवाओं ने खुद को भीड़ तंत्र में बदलकर सरकार को झुकाना और उससे टकराना तो

सीख लिया है, लेकिन नैतिकता, संस्कार और संस्कृति के मामले में यही युवा वर्ग पश्चिम का अंधानुकरण कर रहा है,

जिसकी परिणति हनी सिंह जैसे व्यक्तित्व को ऊंचाइयों पर स्थापित करा रही है।

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:26 PM
एक तरफ युवा वर्ग इंडिया गेट पर लाठियां खाता है तो दूसरी तरफ क्रिसमस पार्टी में भी झूमता है। युवा वर्ग में हनी

सिंह और उनके अश्लील गानों की लोकप्रियता का आलम यह है कि वह जहां भी जाते हैं, उनसे बलात्कारी गाने की

फरमाइश की जाती है। इन कार्यक्रमों में लड़कियों की भी अच्छी खासी तादाद होती है। इसका मतलब यही है कि लड़के

हों या लडकियां, उन्मुक्तता ने उनमें सोई कामुकता को जगा दिया है। सोचने वाली बात है कि जब लड़के-लडकियां एक

साथ हनी सिंह का बलात्कारी सुन सकते हैं तो यदि आज यही शब्द उनके जीवन में घर कर गया है तो बदलाव की

उम्मीद कैसे की जाए? वर्तमान में एक भी ऐसी शादी या एक भी ऐसी अभिजात्य वर्ग की पार्टी नहीं दिखती जिसमें हनी

सिंह के गानों पर रोक हो। युवा उनके गानों पर जमकर थिरकते हैं और जहां हनी सिंह के गाने नहीं बजते वहां भी

उनकी मांग होती है। हनी सिंह को बढ़ावा दिया है युवा वर्ग ने, हमारे समाज ने। हनी सिंह पर पुलिस केस दर्ज करने के

बाद क्या युवा वर्ग पर कोई केस दर्ज होगा? क्या समाज इस बात की नैतिक जिम्मेदारी लेगा कि उसकी अनदेखी ने ही

हनी सिंह को मर्यादा की सीमाएं लांघने का अभयदान दिया है या सरकारी तंत्र इस बात को लेकर जरा भी शर्रि्मदा होगा

कि उसने हनी के गानों और उनमें व्याप्त अश्लीलता को नजरअंदाज किया, जिसने इस गायक को आज देश की ज्वलंत

समस्याओं से इतर एक मुद्दा बना दिया? हनी सिंह जैसों को हमारा समाज ही पैदा करता है और जब वे उसी के लिए

नासूर बन जाते हैं तब उनका शोक मनाया जाता है। लगता है आज भी हमारे समाज ने इतिहास से सबक लेना नहीं

सीखा है।

jai_bhardwaj
11-01-2013, 06:26 PM
एक तरफ युवा वर्ग इंडिया गेट पर लाठियां खाता है तो दूसरी तरफ क्रिसमस पार्टी में भी झूमता है। युवा वर्ग में हनी

सिंह और उनके अश्लील गानों की लोकप्रियता का आलम यह है कि वह जहां भी जाते हैं, उनसे बलात्कारी गाने की

फरमाइश की जाती है। इन कार्यक्रमों में लड़कियों की भी अच्छी खासी तादाद होती है। इसका मतलब यही है कि लड़के

हों या लडकियां, उन्मुक्तता ने उनमें सोई कामुकता को जगा दिया है। सोचने वाली बात है कि जब लड़के-लडकियां एक

साथ हनी सिंह का बलात्कारी सुन सकते हैं तो यदि आज यही शब्द उनके जीवन में घर कर गया है तो बदलाव की

उम्मीद कैसे की जाए? वर्तमान में एक भी ऐसी शादी या एक भी ऐसी अभिजात्य वर्ग की पार्टी नहीं दिखती जिसमें हनी

सिंह के गानों पर रोक हो। युवा उनके गानों पर जमकर थिरकते हैं और जहां हनी सिंह के गाने नहीं बजते वहां भी

उनकी मांग होती है। हनी सिंह को बढ़ावा दिया है युवा वर्ग ने, हमारे समाज ने। हनी सिंह पर पुलिस केस दर्ज करने के

बाद क्या युवा वर्ग पर कोई केस दर्ज होगा? क्या समाज इस बात की नैतिक जिम्मेदारी लेगा कि उसकी अनदेखी ने ही

हनी सिंह को मर्यादा की सीमाएं लांघने का अभयदान दिया है या सरकारी तंत्र इस बात को लेकर जरा भी शर्रि्मदा होगा

कि उसने हनी के गानों और उनमें व्याप्त अश्लीलता को नजरअंदाज किया, जिसने इस गायक को आज देश की ज्वलंत

समस्याओं से इतर एक मुद्दा बना दिया? हनी सिंह जैसों को हमारा समाज ही पैदा करता है और जब वे उसी के लिए

नासूर बन जाते हैं तब उनका शोक मनाया जाता है। लगता है आज भी हमारे समाज ने इतिहास से सबक लेना नहीं

सीखा है।

bharat
16-01-2013, 02:11 PM
No doubt he had done some very vulgar songs before he even officially entered in music industry.. Bt still he doing the same thing.. blaming him only is nt fair.
he makes music n (so called ) cool dudes like it too... So just him is nt the only one to accuse..

dipu
16-01-2013, 08:03 PM
oh? nice