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View Full Version : पाकिस्तानी शियाओं का सबसे बड़ा दुश्मन?


Awara
13-01-2013, 10:00 AM
कौन है पाकिस्तानी शियाओं का सबसे बड़ा दुश्मन?

http://www.hrw.org/sites/default/files/media/images/photographs/2009_Pakistan_shiamuslims.jpg

Awara
13-01-2013, 10:03 AM
लश्कर ए झांगवी पाकिस्तान के उन सबसे हिंसक सुन्नी चरमपंथी समूहों में से एक है जिसका नाम ज़्यादातर शिया विरोधी हमलों में सामने आता है.

इसका नाम रखा गया है एक सुन्नी धार्मिक नेता हक़ नवाज़ झांगवी के नाम पर.

हक़ नवाज़ झांगवी ने लंबे समय तक पाकिस्तान में क्लिक करें शिया विरोधी आंदोलन की अगुवाई की है. पाकिस्तान में शिया विरोधी आन्दोलन करीब 30 साल पहले ईरान में क्रांति के बाद शुरू हुआ था.

झांगवी पाकिस्तान के एक दूसरे चरमपंथी संगठन सिपाह ए साहबा के संस्थापकों में से भी एक थे. बहुत से लोग सिपाह ए साहबा को पाकिस्तान में सांप्रदायिक हिंसा को शुरू करने वाला मानते हैं.

पाकिस्तान के इतिहास पर शोध करने वालों का कहना है कि देश में 1980 से 1985 के बीच जनरल जिया उल हक़ की सरकार के दौर में देश का इस्लामीकरण हुआ और सिपाह ऐ साहबा जैसे संगठनों को फैलने का अवसर मिला.

सिपाह ए साहबा ने अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही शिया संप्रदाय के लोगों पर हमले करना शुरू कर दिया था.

हिंसा का रास्ता

पाकिस्तान में शिया विरोधी हमले उस वक़्त और अधिक खूनी हो गए जब एक शिया संगठन तहरीक-ए-निफाज़-ए-फिकाह-जाफरिया ने सुन्नी संगठनों को चुनौती दी. उस परस्पर संघर्ष में दोनों पक्षों के कई लोग मारे गए जिनमें एक सुन्नी नेता झांगवी भी थे.

अपने जन्म के दस सालों के अंदर-अंदर सिपाह ए साहबा में फूट पड़ गई और साल 1996 में लश्कर ए झांगवी रियाज़ बसरा के नेतृत्व में टूट कर अलग हो गया.

रियाज़ बसरा ने शिया सम्प्रदाय पर हमले करते रहना तय किया और उन तमाम सुन्नी नेताओं का विरोध किया जो शियाओं पर हमलों को कम करने और देश में मुख्यधारा की राजनीति करने की बात कर रहे थे .

सिपाह ए साहबा से अलग होने के तत्काल बाद तथाकथित रूप से झांगवी समर्थकों का यह संगठन तालिबान के नज़दीक हो गया. जिस वक़्त वह तालिबान के नज़दीक गया वो वही काल था जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था.

तालिबान और लश्करे झांगवी दोनों ही अति कट्टरपंथी देवबंदी इस्लाम को मानने वाले हैं.
तालिबान के साथ अपने संबंधों की वजह से रियाज़ बसरा और उनके साथियों को अफगानिस्तान में छुपने की जगह मिल गई.

पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसियों के अनुसार लश्कर ऐ झांगवी के कई ट्रेनिंग कैम्प अफगानिस्तान में चल रहे हैं. उनके अनुसार अफगानिस्तान में केवल शिया विरोधी ही नहीं बल्कि आम अपराधी भी इन ट्रेनिंग कैम्पों में शरण ले रहे हैं.

बढ़ता नेटवर्क

साल 2001 के अगस्त में पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने कई चरमपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था जिनमे लश्कर ए झांगवी प्रमुख था.

साल 2002 के मई में रियाज़ बसरा को क़त्ल कर दिया गया. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि लश्कर ए झांगवी का संबंध ओसामा बिन लादेन के अल कायदा से स्थापित हो गया था.
साल 2007 में हुई तीन बड़ी चरमपंथी घटनाओं में विशेषज्ञों के भय साकार हो गए और अल कायदा तथा लश्कर ऐ झांगवी के संबंध साफ़ हो गए.

अमरीकी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और बाद में उनका सर कलम करना अलकायदा और लश्कर का मिला जुला कारनामा था. इसी तरह से दोनों संगठनों ने कराची से एक फ्रांसीसी इंजिनीयर का भी अपहरण कर लिया था और इस्लामबाद के एक चर्च पर भी दोनों में मिल कर ही हमला बोला था.

dipu
13-01-2013, 10:04 AM
nice topic .........................