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View Full Version : लॉ कॉलेज के क्लास रूप में सरे आम सेक्स


dipu
15-01-2013, 03:39 PM
दिल्*ली में गैंगरेप की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा और सम्*मान के लिए जो लड़ाई शुरू हुई है, उसके बाद बलात्*कार या छेड़खानी की शिकार कई लड़कियों और महिलाओं ने अपने अनुभव दुनिया के सामने बांटे हैं। ऐसी ही आपबीती एक लड़की ने मीडिया के जरिए दुनिया को बताई है। उसने वाकया कुछ इस तरह बयां किया है...

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मेरी उम्र 22 साल है। मैं दिल्ली के एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज में पढ़ती हूं। एक संस्थान, जहां देश के बेहतरीन दिमाग श्रेष्ठ शिक्षकों के मार्गदर्शन में पढ़ते हैं। एक स्थान, जहां शिक्षित परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं और आप उम्मीद करते हैं कि वहां लड़कों और लड़कियों के बीच में स्वस्थ वार्तालाप होगा। ऐसी जगह, जहां आप उम्मीद करते हैं कि स्टूडेंट जेंटलमैन बनने की प्रक्रिया से गुजरेंगे। लेकिन हकीकत आश्चर्यजनक तौर पर इसके उलट है।

यह घटना मेरे सेकेंड ईयर की है। हमारी क्लास चल रही थी। अचानक हमने पीछे की बेंच से एक लड़के की तेज आवाज, (सक माय... ) सुनी। पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया और हम सब भौंचक रह गए। यह गाली एक लड़की को दी गई थी। लड़की ने कानूनी तौर तरीकों के अनुसार लड़के के खिलाफ सेक्सुअल हरैसमेंट की लिखित शिकायत संस्थान प्रमुख से की। बताने की जरूरत नहीं है कि लड़की को अपराधी के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद थी। हम सब भी उस लड़के के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की उम्मीद कर रहे थे लेकिन जल्द ही हमें पता चला कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।

लड़की के लिखित शिकायत करने पर अपराधी लड़का लोगों की नजर में पीड़ित बन गया और पीड़ित लड़की विलेन। हमें क्लास में न्याय और कानून का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षकों ने लड़की से शिकायत वापस लेने को कहा। और तो और जिस लेडी टीचर की क्लास में यह सब हुआ उसने भी लड़की से शिकायत वापस लेने को कहा। लड़की इस पर सहमत नहीं हुई लेकिन शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया गया। मैं इस मामले का जिक्र नहीं करती अगर यह अपने आप में अलग घटना न होती।

संस्थान प्रमुख लड़की के एफआईआर कराने को लेकर चिंतित था कि इससे संस्थान की बदनामी होगी। अंततः संस्थान प्रमुख ने क्लास में आकर लड़के की तरफ से माफी मांगी। यह देश के एक प्रतिष्ठित लॉ स्कूल का हाल है। यह घटना उन मामलों से कितना अलग है जब पुलिस किसी महिला की एफआईआर दर्ज करने के बजाए उस पर समझौता करने का दबाव बनाती है। इन लड़कों का व्यवहार उन अशिक्षित लोगों से किस तरह अलग है जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह भी नही देखा है। मेरा मकसद इस घटना का जिक्र कर अपने कॉलेज की बदनामी कराना नहीं है बल्कि लोगों को यह बताना है कि गांव हो या शहर महिलाओं के प्रति एक ही मानसिकता काम करती है।

मैं अपनी घृणा जाहिर करने के लिए लिखती हूं। लॉ कॉलेज में सीखी गई सारी बातें बेकार लग रही हैं। मेरे कॉलेज ने दंड का नया तरीका ढूंढा है- माफी मांगना। हमारे कानून किस काम के हैं। अगर देश के शीर्ष लॉ कॉलेज में सेक्सुअल हरैसमेंट से इस तरीके से निपटा जाता हो तो क्या हमें शहरों और गावों में ऐसे या इससे बदतर तरीके सामने आने पर आश्चर्य होना चाहिए।

dipu
15-01-2013, 03:42 PM
मुंबई पुलिस कमिश्*नर सत्*यपाल सिंह का मानना है कि सेक्*स एजुकेशन से महिलाओं के प्रति अपराध के मामले बढ़ते हैं। उन्*होंने बताया कि जिन देशों में सिलेबस में सेक्*स एजुकेशन शामिल है, वहां महिलाओं के प्रति अपराध ज्*यादा होते हैं। इसलिए सेक्*स एजुकेशन दिए जाने को लेकर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। उन्*होंने कहा कि वैसे तो सिलेबस में सेक्*स एजुकेशन को शामिल किया जाता है, लेकिन छात्रों को बस इतना बताया जाता है कि शारीरिक संबंध कैसे बनाएं। सिंह ने महिलाओं की सुरक्षा पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।

सिंह ने यह भी कहा कि एक सर्वे के मुताबिक रेप की घटनाएं धूम्रपान से ज्यादा होती हैं। उन्*होंने नैतिक शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यौन हिंसा सिर्फ शारीरिक न होकर, इससे कहीं ज्यादा मनोवैज्ञानिक हिंसा है। ऐसी घटनाएं बढ़ने की वजह स्कूली पाठ्यक्रमों से नैतिक शिक्षा को हटाया जाना और लोगों की मानसिकता दूषित होना है। उन्होंने सिनेमा और टेलीविजन की भी आलोचना की। कमिश्नर का कहना था कि टेलीविजन सीरियल में खुले तौर पर प्री-मैरिटल और एक्सट्रा-मैरिटल सेक्स के मामले दिखाए जाते हैं और कोई भी इसकी निंदा नहीं करता है। इसके अलावा आज की पीढ़ी की पहुंच आसानी से पोर्नोग्राफी वेबसाइटों तक है। मोबाइल फोनों में इंटरनेट की सहूलियत से इन तक पहुंच और भी आसान हो गई है।

करीब दस दिन पहले भी पुलिस कमिश्*नर का एक बयान चर्चा में आया था। तब उन्होंने कहा था, 'अंग्रेजी माध्यम में पढ़े लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी गई है।'