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View Full Version : बौद्ध धर्म की शिक्षा


dipu
18-01-2013, 06:26 PM
भारत की पवित्र भूमि पर ऐसे कई महापुरुषों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने कृत्यों और सिद्धांतों के बल पर मानव जीवन के भीतर छिपे गूढ़ रहस्यों को उजागर किया. इन्हीं में से एक हैं महात्मा बुद्ध, जिन्होंने सामान्य मनुष्य के रूप में जन्म लेकर अध्यात्म की उस ऊंचाई को छुआ जहां तक पहुंचना किसी आम व्यक्ति के लिए मुमकिन नहीं है. ऐसे महान पुरुष के दिखलाए गए मार्ग को लोगों ने एक धर्म के रूप में ग्रहण किया जिसके परिणामस्वरूप भारत समेत सभी बड़े देशों में बौद्ध धर्म एक प्रमुख धर्म के रूप में स्वीकृत कर लिया गया.

महात्मा बुद्ध का वास्तविक नाम सिद्धार्थ था किंतु गौतमी द्वारा पाले जाने के कारण उन्हें गौतम भी कहा गया. बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद उनके नाम के आगे बुद्ध उपसर्ग जोड़ दिया गया और धीरे-धीरे वे महात्मा बुद्ध के तौर पर प्रख्यात हो गए. गौतम बुद्ध के आदर्शों और बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए आज का दिन बेहद खास है. मान्यताओं के अनुसार बैसाख मास की पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध पृथ्वी पर अवतरित हुए थे और इसी दिन उन्हें बुद्धत्व के साथ-साथ महापरिनिर्वाण की भी प्राप्ति हुई थी.

महात्मा बुद्ध का जीवन
सिद्धार्थ का जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन के घर हुआ था. जन्म के सात दिन के भीतर ही सिद्धार्थ की मां का निधन हो गया था. उनका पालन पोषण शुद्धोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती ने किया. सिद्धार्थ के जन्म के समय ही एक महान साधु नेब यह घोषणा कर दी थी कि यह बच्चा या तो एक महान राजा बनेगा या फिर एक बेहद पवित्र मनुष्य के रूप में अपनी पहचान स्थापित करेगा.

इस भविष्यवाणी को सुनकर राजा शुद्धोधन ने अपनी सामर्थ्य की हद तक सिद्धार्थ को दुःख से दूर रखने की कोशिश की. लेकिन छोटी सी आयु में ही सिद्धार्थ जीवन और मृत्यु की सच्चाई को समझ गए. उन्होंने यह जान लिया कि जिस प्रकार मनुष्य का जन्म लेना एक सच्चाई है उसी प्रकार बुढ़ापा और निधन भी जीवन की कभी ना टलने वाली हकीकत है. संसार की सबसे बड़ी सच्चाई जानने के बाद महात्मा बुद्ध सांसारिक खुशियों और विलासिता भरे जीवन से पूरी तरह विमुख हो गए. राज पाठ के साथ, पत्नी और पुत्र को छोड़कर उन्होंने एक साधु का जीवन अपना लिया.

बुद्धत्व की प्राप्ति
दो अन्य ब्राह्मणों के साथ सिद्धार्थ ने अपने भीतर उपज रहे प्रश्नों के हल ढूंढ़ने शुरू किए. लेकिन समुचित ध्यान लगाने और कड़े परिश्रम के बाद भी उन्हें अपने प्रश्नों के हल नहीं मिले. हर बार असफलता हाथ लगने के बाद उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ कठोर तप करने का निर्णय लिया. छ: वर्षों के कठोर तप के बाद भी वह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाए. इसके बाद उन्होंने कठोर तपस्या छोड़कर आर्य अष्टांग मार्ग, जिसे मध्यम मार्ग भी कहां जाता है, ढूंढ़ निकाला. वह एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए और निश्चय किया कि अपने प्रश्नों के उत्तर जाने बिना वह यहां से उठेंगे नहीं. लगभग 49 दिनों तक ध्यान में रहने के बाद उन्हें सर्वोच्च ज्ञान की प्राप्ति हुई और मात्र 35 वर्ष की उम्र में ही वह सिद्धार्थ से महात्मा बुद्ध बन गए.



ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद महात्मा बुद्ध दो व्यापारियों, तपुसा और भलिका, से मिले जो उनके पहले अनुयायी भी बने. वाराणसी के समीप स्थित सारनाथ में उन्होंने अपना पहला धर्मोपदेश दिया.

बुद्ध का महापरिनिर्वाण
बौद्ध धर्म से जुड़े साहित्य के अनुसार 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध ने यह घोषित कर दिया था कि बहुत ही जल्द वह महापरिनिर्वाण की अवस्था में पहुंच जाएंगे. इस कथन के बाद महात्मा बुद्ध ने एक लुहार के हाथ से आखिरी निवाला खाया. इसके बाद वह बहुत ज्यादा बीमार हो गए. लुहार को लगा कि उसके हाथ से खाने के कारण महात्मा बुद्ध की यह हालत हुई है इसीलिए महात्मा बुद्ध ने अपने एक अनुयायी को कुंडा नामक लुहार को समझाने भेजा. वैद्य ने भी यह प्रमाणित कर दिया था कि उनका निधन वृद्धावस्था के कारण हुआ है ना कि विशाक्त खाद्य के कारण.

बौद्ध धर्म की शिक्षा
सम्यक दृष्टि – सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि जीवन में हमेशा सुख-दुख आता रहता है हमें अपने नजरिये को सही रखना चाहिए. अगर दुख है तो उसे दूर भी किया जा सकता है.
सम्यक संकल्प – इसका अर्थ है कि जीवन में जो काम करने योग्य है, जिससे दूसरों का भला होता है हमें उसे करने का संकल्प लेना चाहिए और ऐसे काम कभी नहीं करने चाहिए जो अन्य लोगों के लिए हानिकारक साबित हो.
सम्यक वचन – इसका अर्थ यह है कि मनुष्य को अपनी वाणी का सदैव सदुपयोग ही करना चाहिए. असत्य, निंदा और अनावश्यक बातों से बचना चाहिए.
सम्यक कर्मांत – मनुष्य को किसी भी प्राणी के प्रति मन, वचन, कर्म से हिंसक व्यवहार नहीं करना चाहिए. उसे दुराचार और भोग विलास से दूर रहना चाहिए.
सम्यक आजीविका – गलत, अनैतिक या अधार्मिक तरीकों से आजीविका प्राप्त नहीं करना.
सम्यक व्यायाम – बुरी और अनैतिक आदतों को छोडऩे का सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए. मनुष्य को सदगुणों को ग्रहण करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए.
सम्यक स्मृति – इसका अर्थ यह है कि हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि सांसारिक जीवन क्षणिक और नाशवान है.
सम्यक समाधि – ध्यान की वह अवस्था जिसमें मन की अस्थिरता, चंचलता, शांत होती है तथा विचारों का अनावश्यक भटकाव रुकता है.

dipu
18-01-2013, 07:32 PM
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dipu
20-01-2013, 12:19 PM
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bindujain
12-06-2013, 04:58 PM
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bindujain
12-06-2013, 05:07 PM
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bindujain
17-06-2013, 06:57 PM
“विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है. ” - बौद्ध कहावत

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bindujain
17-06-2013, 06:58 PM
केवल एक बार बुद्ध के संदेशेषों [मार्ग ]पर चलकर देखे आप संसार के सबसे सुखी स्वस्थ सम्पन्न हो सकते हे................................................ .........

In Hindi :हम जो
कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है , तो उसे कष्ट ही मिलता है. यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोडती

Quote 2 :Better than a thousand hollow words, is one word that brings peace.

In Hindi :हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.

Quote 3 :All wrong-doing arises because of mind. If mind is transformed can wrong-doing remain?

In Hindi : सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं. अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?

Quote 4: A jug fills drop by drop.

In Hindi : एक जग बूँद बूँद कर के भरता है.
Quote 5 : Do not dwell in the past, do not dream of the future, concentrate the mind on the present moment.

In Hindi :अतीत पे धयान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो.

Lord Buddha भगवान गौतम बुद्ध

Quote 6 :Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.

In Hindi :स्वस्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है

Quote 7 : Just as a candle cannot burn without fire, men cannot live without a spiritual life.

In Hindi :जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती , मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता.

Quote 8 : Three things cannot be long hidden: the sun, the moon, and the truth.

In Hindi : तीन चीजें जादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य.

Quote 9 :Work out your own salvation. Do not depend on others.

In Hindi :अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें. दूसरों पर निर्भर ना रहे.

Quote 10 : You will not be punished for your anger, you will be punished by your anger.

In Hindi : तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे.

Quote 11: An insincere and evil friend is more to be feared than a wild beast; a wild beast may wound your body, but an evil friend will wound your mind.

In Hindi : किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है.

Quote 12:Do not overrate what you have received, nor envy others. He who envies others does not obtain peace of mind.

In Hindi : आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से इर्श्या कीजिये. जो दूसरों से इर्श्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती.

Quote 13:Hatred does not cease by hatred, but only by love; this is the eternal rule.

In Hindi : घृणा घृणा से नहीं प्रेम से ख़तम होती है, यह शाश्वत सत्य है.

Quote 14:He who loves 50 people has 50 woes; he who loves no one has no woes.

In Hindi : वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है.

Quote 15:Holding on to anger is like grasping a hot coal with the intent of throwing it at someone else; you are the one who gets burned.

In Hindi : क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं.

Quote 16:However many holy words you read, however many you speak, what good will they do you if you do not act on upon them?

In Hindi : चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?

Quote 17:I never see what has been done; I only see what remains to be done.

In Hindi : मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है; मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है.

Quote 18:Without health life is not life; it is only a state of langour and suffering – an image of death.

In Hindi : बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है.

Quote 19:What we think, we become.

In Hindi : हम जो सोचते हैं , वो बन जाते हैं.

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dipu
01-07-2013, 08:43 AM
बुद्ध का मार्ग कहता है मजबूत बनो,
सिखाता है , सही ढंग से सही कार्य करो I
जिम्मेदार बनो , बहादुर बनो ,
कहता है, मार्ग का हरवक्त पालन करो I
शांति की रक्षा करो, दुष्टो का नास करो ,
हथियारों से दूर रहो ...
अपने शरीर और मन मस्तिस्क को हथियार बनाओ I
अपना भविष्य स्वयं तलासो और तरासो ,
अंतर्मन और शरीर को एक कर,..
वर्तमान में जीना शिखो I
आइये बुद्ध के मार्ग पर चले ,
फिर कभी भी इस मार्ग से हटे नहीं I
आतंक और अन्धकार से,
पत्थर या पहाड़ से डरे नहीं i
.बुद्ध का मार्ग कहता हैमजबूत बनो,.

dipu
01-07-2013, 08:43 AM
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dipu
01-07-2013, 09:22 AM
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dipu
01-07-2013, 09:25 AM
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dipu
03-07-2013, 03:58 PM
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dipu
13-07-2013, 07:46 PM
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dipu
13-07-2013, 07:51 PM
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dipu
14-07-2013, 11:34 AM
१ सभी बुरे कार्य मन के कारण होते है, अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते है ?
२ जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी अद्ध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी
सकता l
३ तीन चीजे ज्यादा देर नहीं छुप सकती- सूरज, चन्द्रमा और सत्य l
४ अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करे, दूसरो पर निर्भर न रहे l
५ मैं कभी यह नहीं देखता की क्या किया जा चुका है, मैं हमेशा देखता हु कि क्या किया जाना बाकी है l

dipu
14-07-2013, 11:36 AM
एक बार बुद्ध से मलुक्यपुत्र ने पूछा, भगवन आपने आज तक यह नहीं बताया कि मृत्यु के उपरान्त क्या होता है? उसकी बात सुनकर बुद्ध मुस्कुराये, फिर उन्होंने उससे पूछा, पहले मेरी एक बात का जबाव दो | अगर कोई व्यक्ति कहीं जा रहा हो और अचानक कहीं से आकर उसके शरीर में एक विषबुझा बाण घुस जाये तो उसे क्या करना चाहिए ? पहले शरीर में घुसे बाण को हटाना ठीक रहेगा या फिर देखना कि बाण किधर से आया है और किसे लक्ष्य कर मारा गया है ! मलुक्यपुत्र ने कहा, पहले तो शरीर में घुसे बाण को तुरंत निकालना चाहिए,अन्यथा विष पूरे शरीर में फ़ैल जायेगा | बुद्ध ने कहा, बिल्कुल ठीक कहा तुमने, अब यह बताओ कि पहले इस जीवन के दुखों के निवारण का उपाय किया जाये या मृत्युकी बाद की बातों के बारे में सोचा जाये.........मलुक्य पुत्र अब समझ चुका था और उसकी जिज्ञासा शांत हो गई|बुध्दम नमामी !

dipu
27-07-2013, 07:18 PM
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dipu
27-07-2013, 07:20 PM
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Dr.Shree Vijay
04-08-2013, 09:13 PM
अतिसुन्दर......................................... ......................

dipu
28-10-2013, 06:51 PM
अतिसुन्दर......................................... ......................

:banalama::banalama:

dipu
28-10-2013, 06:52 PM
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कहानी: खेत के बीचो-बीच पत्थर
एक किसान था. वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था. उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ
था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे.
रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा पर जो सालों से होता आ रहा था एक वही हुआ , एक बार फिर किसान
का हल पत्थर से टकराकर टूट गया.किसान बिल्कुल क्रोधित हो उठा , और उसने मन ही मन सोचा की आज जो भी हो जाए वह इस
चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा.
वह तुरंत भागा और गाँव से ४-५ लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा . ” मित्रों “, किसान बोला , ” ये देखो ज़मीन से
निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे जड़ से निकालना है और खेत के बाहर फ़ेंक देना है.”
और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर ये क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था की पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से
बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा ,” क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच
में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??” किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था !! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुक्सान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता . Friends, इस किसान की तरह ही हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाये तकलीफ उठाते रहते हैं. ज़रुरत इस बात की है कि हम बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से लडें , और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी जिसे हम आसानी से ठोकर मार कर आगे बढ़ सकते हैं.