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View Full Version : नरेन्द्र मोदी की कहानी!


Awara
27-01-2013, 08:26 PM
नरेन्द्र मोदी की कहानी!

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Awara
27-01-2013, 08:30 PM
नरेन्द्र मोदी 7 अक्तूबर 2001 से अब तक लगातार गुजरात राज्य के मुख्यमन्त्री हैं। अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमन्त्री बने थे। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने पहले दिसम्बर 2002 और उसके बाद दिसम्बर 2007 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया। नरेन्द्र भाई मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं।

मोदी के नेतृत्व में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। मोदी ने कांग्रेस पार्टी के तमाम आरोप-प्रत्यारोपों का मुँहतोड़ उत्तर देते हुए लगातार तीसरी बार जीत दर्ज़ की और चौथी बार गुजरात की गद्दी सम्हाली। अब भारत की आम जनता उन्हें भारत के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।

बेहद साधारण परिवार में जन्में नरेन्द्र ने आजीवन अविवाहित रहकर देश-सेवा का व्रत लिया और विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये। उन्होंने पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जमकर काम किया फिर संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी के सारथी रहे नरेन्द्र मोदी पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मन्त्री फिर महामन्त्री बनाये गये। केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद उन्हें गुजरात राज्य की कमान सौंपी गयी। तब से लेकर अब तक वे तमाम आरोप-प्रत्यारोपों के बावजूद गुजरात प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने हुए हैं।

Awara
27-01-2013, 08:31 PM
नरेन्द्र मोदी का जन्म दामोदरदास मूलचन्द मोदी व उनकी पत्नी हीराबेन मोदी के बेहद साधारण परिवार में गुजरात के मेहसाणा जिले में हुआ था। यह जिला उन दिनों भारत में बम्बई राज्य के अन्तर्गत था। अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे नरेन्द्र पूर्णत: शाकाहारी हैं। उन्नीस सौ पैंसठ के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्हॉने एक तरुण स्वयंसेवक के रूप में रेलवे स्टेशनों पर सैनिकों की आवभगत में उल्लेखनीय सेवा की। युवावस्था में ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आहूत भ्रष्टाचार विरोधी अभियान नव निर्माण में सक्रिय रूप से जुट गये और खूब काम किया। तत्पश्चात वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बने और उन्हें संगठन की दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी में संघ के प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया। किसी जमाने में अपने बड़े भाई के साथ चाय की दूकान चलाने वाले युवक नरेन्द्र ने वड़नगर से स्कूली शिक्षा लेने के बाद स्वाबलम्बी रहते हुए गुजरात विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि राजनीति विज्ञान में अर्जित की।.

Awara
27-01-2013, 08:32 PM
नरेन्द्र जब विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे थे। इस प्रकार उनका जीवन संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में प्रारम्भ हुआ उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी। गुजरात में शंकरसिंह वघेला का जनाधार मजबूत बनाने में नरेन्द्र मोदी की रणनीति ही तो थी।

अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ, मोदी की मेहनत रंग लायी जब गुजरात में 1995 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली। इसी दौरान दो राष्ट्रीय घटनायें और इस देश में घटीं। पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा जिसमें आडवाणी जी के प्रमुख सारथी की मूमिका में नरेन्द्र का मुख्य सहयोग रहा। इसी प्रकार की दूसरी रथ यात्रा कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इन दोनों यात्राओं ने मोदी का राजनीतिक कद ऊँचा कर दिया जिससे चिढ़कर शंकरसिंह वघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया।केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमन्त्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया।

1995 में राष्ट्रीय मन्त्री के नाते उन्हें पाँच प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया। इस पद पर वे अक्तूबर 2001 तक काम करते रहे। भारतीय जनता पार्टी ने अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र भाई मोदी को सौंप दी।

Awara
27-01-2013, 08:33 PM
नरेन्द्र मोदी अपनी विशिष्ट जीवन शैली के लिये समूचे राजनीतिक हलकों में जाने जाते हैं। उनके व्यक्तिगत स्टाफ में केवल तीन ही लोग रहते हैं कोई भारी भरकम अमला नहीं होता। लेकिन कर्मयोगी की तरह जीवन जीने वाले मोदी के स्वभाव से सभी परिचित हैं इस नाते उन्हें अपने कामकाज को अमली जामा पहनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती। उन्होंने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मन्दिरों को भी ध्वस्त करवाने में कभी कोई कोताही नहीं बरती जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे। हालाँकि इसके लिये उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों का कोपभाजन भी बनना पड़ा परन्तु उन्होंने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की; जो उन्हें उचित लगा करते रहे। वे एक लोकप्रिय वक्ता हैं जिन्हें सुनने के लिये बहुत भारी संख्या में श्रोता आज भी पहुँचते हैं। वे स्वयं को पण्डित जवाहरलाल नेहरू के मुकाबले सरदार वल्लभभाई पटेल का असली वारिस सिद्ध करने में रात दिन एक कर रहे हैं। धोती कुर्ता सदरी के अतिरिक्त वे कभी कभार सूट भी पहन लेते हैं। गुजराती, जो उनकी मातृभाषा है के अतिरिक्त वे राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही बोलते हैं। अब तो उन्होंने अंग्रेजी में भी धाराप्रवाह बोलने की कला सीख ली है।

Awara
27-01-2013, 08:35 PM
27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात वापस लौट कर आ रहे हिन्दू तीर्थयात्रियों को गोधरा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में मुस्लिमों द्वारा आग लगाकर जिन्दा जला दिया गया। इस हादसे में 59 स्वयंसेवक भी मारे गये। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप समूचे गुजरात में हिन्दू मुस्लिम दंगे भड़क उठे। मरने वाले 1180 लोगों में अधिकांश संख्या मुस्लिमों की थी। इसके लिये न्यू यॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया। कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की माँग की। मोदी ने गुजरात की दसवीं विधान सभा भंग करने की संस्तुति करते हुए राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राज्य में दोबारा चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के नेतृत्व में विधान सभा की कुल 182 सीटों में से 127 सीटों पर जीत हासिल की।

अप्रैल 2009 में भारत के उच्चतम न्यायालय ने विशेष जाँच दल भेजकर यह जानाना चाहा कि कहीं गुजरात के दंगों में नरेन्द्र मोदी की साजिश तो नहीं। यह विशेष जाँच दल दंगें में मारे गये काँग्रेसी सांसद ऐहसान ज़ाफ़री की विधवा ज़ाकिया ज़ाफ़री की शिकायत पर भेजा गया था। दिसम्बर 2010 में उच्चतम न्यायालय ने एस०आई०टी० की रिपोर्ट पर यह फैसला सुनाया कि इन दंगों में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।

उसके बाद फरबरी 2011 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब यह आरोप लगाया कि रिपोर्ट में कुछ तथ्य जानबूझ कर छिपाये गये हैं और सबूतों के अभाव में नरेन्द्र मोदी को अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता। इंडियन एक्सप्रेस ने भी यह लिखा कि रिपोर्ट में मोदी के विरुद्ध साक्ष्य न मिलने की बात भले ही की हो किन्तु अपराध से मुक्त तो नहीं किया। द हिन्दू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ़ इतनी भयंकर त्रासदी पर पानी फेरा अपितु प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न गुजरात के दंगों में मुस्लिम उग्रवादियों के मारे जाने को भी उचित ठहराया। भारतीय जनता पार्टी ने माँग की कि एस०आई०टी० की रिपोर्ट को लीक करके उसे प्रकाशित करवाने के पीछे सत्तारूढ काँग्रेस पार्टी का राजनीतिक स्वार्थ है इसकी भी उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच होनी चाहिये।

सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई फैसला दिये अहमदाबाद के ही एक मजिस्ट्रेट को इसकी निष्पक्ष जाँच करके अबिलम्ब अपना निर्णय देने को कहा। अप्रैल 2012 में एक अन्य विशेष जाँच दल ने फिर ये बात दोहरायी कि यह बात तो सच है कि ये दंगे भीषण थे परन्तु नरेन्द्र मोदी का इन दंगों में कोई भी प्रत्यक्ष हाथ नहीं। 7 मई 2012 को उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जज राजू रामचन्द्रन ने यह रिपोर्ट पेश की कि गुजरात के दंगों के लिये नरेन्द्र मोदी पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153 ए (1) (क) व (ख), 153 बी (1), 166 तथा 505 (2) के अन्तर्गत विभिन्न समुदायों के बीच बैमनस्य की भावना फैलाने के अपराध में दण्डित किया जा सकता है। हालँकि रामचन्द्रन की इस रिपोर्ट पर विशेष जाँच दल (एस०आई०टी०) ने आलोचना करते हुए इसे दुर्भावना व पूर्वाग्रह से परिपूर्ण एक दस्तावेज़ बताया।

अभी हाल ही में 26 जुलाई 2012 को नई दुनिया के सम्पादक शाहिद सिद्दीकी को दिये गये एक इण्टरव्यू में नरेन्द्र मोदी ने साफ कहा-"2004 में मैं पहले भी कह चुका हूँ, '2002 के साम्प्रदायिक दंगों के लिये मैं क्यों माफ़ी माँगूँ?' यदि मेरी सरकार ने ऐसा किया है तो उसके लिये मुझे सरे आम फाँसी दे देनी चाहिये।" मुख्यमन्त्री ने गुरुवार को नई दुनिया से फिर कहा- “अगर मोदी ने अपराध किया है तो उसे फाँसी पर लटका दो। लेकिन यदि मुझे राजनीतिक मजबूरी के चलते अपराधी कहा जाता है तो इसका मेरे पास कोई जबाव नहीं है।"
यह कोई पहली बार नहीं है जब मोदी ने अपने बचाव में ऐसा कहा हो। वे इसके पहले भी ये तर्क देते रहे हैं कि गुजरात में और कब तक गुजरे ज़माने को लिये बैठे रहोगे? यह क्यों नहीं देखते कि पिछले एक दशक में गुजरात ने कितनी तरक्की की? इससे मुस्लिम समुदाय को भी तो फायदा पहुँचा है।

लेकिन जब केन्द्रीय क़ानून मन्त्री सलमान खुर्शीद से इस बावत पूछा गया तो उन्होंने दो टूक जबाव दिया-"पिछले बारह वर्षों में यदि एक बार भी गुजरात के मुख्यमन्त्री के खिलाफ़ एफ०आई०आर० दर्ज़ नहीं हुई तो आप उन्हें कैसे अपराधी ठहरा सकते हैं? उन्हें कौन फाँसी देने जा रहा है?"

Awara
27-01-2013, 08:39 PM
18 जुलाई 2006 को नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद पर केन्द्र सरकार की ढुलमुल नीतियों के लिये सीधा-सीधा देश के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को दोषी ठहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि केन्द्र सरकार आतंकवाद को रोकने में स्वयं को अक्षम समझती है तो वह पोटा जैसे कानून लागू करने का अधिकार सभी राज्यों को दे दे। फिर देखे आतंकवाद पर हम कैसे काबू करके दिखाते हैं। अगले ही दिन 19 जुलाई को टेलीग्राफ इण्डिया में मोदी का बयान इस प्रकार छपा-

“ आतंकवाद इस देश में युद्ध से ज्यादा खतरनाक है। युद्ध के कुछ नियम तो हैं, आतंकवाद में कोई नियम कानून नहीं। आतंकवादी स्वयं तय करता है कि कब, कहाँ और किसको मौत के घाट उतारना है। भारत में अब तक युद्ध में इतने लोग नहीं मरे जितने आतंकवाद के कारण मरे हैं।”

नरेन्द्र मोदी ने दो टूक शब्दों में साफ-साफ कहा-"यदि भारतीय जनता पार्टी अकेले अपने दम पर केन्द्र में सरकार बनाने में सक्षम हुई तो 2004 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अफज़ल गुरू को दिये गये फाँसी के निर्णय को लागू करके रहेगी।" अफज़ल गुरू को 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले के मामले में उच्चतम न्यायालय ने 2004 में फाँसी की सजा सुनायी थी। वह आज भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में मौज ले रहा है।

अब तो आम जनता खुले आम यह कहने लगी है नरेंद्र भाई मोदी यदि भारत के प्रधान मन्त्री हो जायँ तभी भारत का सर्वागीण विकास होगा।

मोदी के नेतृत्व में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। भाजपा को इस बार 115 सीटें मिलीं। कुल 182 सीटों में विपक्षी कांग्रेस को भी लगभग एक तिहाई 61 सीटें मिली। केशूभाई पटेल भी कोई करिश्मा न कर पाये। मोदी ने कांग्रेस पार्टी के तमाम आरोप-प्रत्यारोपों का मुँहतोड़ उत्तर देते हुए लगातार तीसरी बार जीत दर्ज़ की और एक बार फिर से गुजरात की गद्दी सम्हाली। अब भारत की आम जनता उन्हें भारत के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।

Awara
27-01-2013, 08:41 PM
http://www.youtube.com/watch?v=XIFJJTC9PI4

Awara
27-01-2013, 08:41 PM
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