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View Full Version : समय और सितारे


jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:15 PM
साइंस के अनुसार दूरी का सीधा सम्बन्ध् उस रास्ते से होता है जिसपर चलकर कोई एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक पहुंचता है। उदाहरण के तौर पर दो शहर अ और ब हैं। अ और ब को आपस में जोड़ने वाले तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता सौ किलोमीटर लंबा है, दूसरा अस्सी किलोमीटर और तीसरा साठ किलोमीटर लंबा है। तो पहले रास्ते से अ और ब के बीच दूरी हुई सौ किलोमीटर और तीसरे रास्ते से अ और ब के बीच दूरी हुई साठ किलोमीटर। यह नियम पूरे यूनिवर्स पर लागू होता है।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:16 PM
इस तरह यह कहा जा सकता है कि कोई चीज़ एक ही समय में हमारे पास भी हो सकती है और हमसे दूर भी। जैसा कि हम जानते हैं पृथ्वी गोल है। इसपर मान लिया दो शहर हैं जो एक ही देश के अन्दर हैं। अगर इन दो शहरों के बीच देश के अन्दर बनाये गये रास्तों में यात्रा करें तो यह दूरी कम होगी, और अगर एक शहर से उल्टी दिशा में चलकर पूरी पृथ्वी की गोलाई तय करते हुए दूसरे शहर में पहुचें तो यह दूरी बहुत ज्यादा होगी। और इस तरह एक ही समय में दोनों शहरों के बीच दूरी बहुत कम भी कही जा सकती है और बहुत ज्यादा भी। और साथ ही ‘कम’ वाली दूरी जितनी कम से कम होगी (यानि दोनों शहर जितने करीबतर होंगे) उतनी ही ‘ज्यादा’ वाली दूरी ज्यादा से ज्यादा होगी (यानि दोनों शहर उतने ही दूरस्थ होंगे)। ऐसा संभव है पृथ्वी के गोल होने की वजह से। तो इस तरह दूरी उस सतह पर भी निर्भर करती है जिसपर वह दूरी तय होती है।
अब बात करते हैं गणित की एक शाखा की जिसका नाम है कैलकुलस ऑफ वैरिएशंस (Calculus of Variations)। इसकी शुरुआत 18 वीं सदी के मशहूर गणितज्ञ लिओन्हार्ड यूलर और लाग्रांज ने की थी। इस गणित के द्वारा हम कुछ चीज़ों की ऊंचाई या गहराई की सीमा (Maxima or Minima) मालूम करते हैं। इन चीज़ों में ’शामिल हैं दूरी, समय या फिर ऊर्जा इत्यादि। इस गणित के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।
माना किसी ऊंची जगह से किसी निचली जगह को जोड़ने के लिये एक रास्ता बनाना है, और उस रास्ते पर कोई गेंद लुढ़काई जानी है। तो गेंद को नीचे पहुंचने में कम से कम समय लगे, इसके लिये रास्ते का आकार विशेष रूप का बनाना होगा। और इस आकार का नाम है सायक्लॉयड। इसे कैलकुलस ऑफ वैरियेशन्स से मालूम किया गया है।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:16 PM
मान लिया आपके पास एक निश्चित लम्बाई की रस्सी है। उस रस्सी से आपको एक मैदान इस तरह घेरना है कि मैदान का ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रफल अन्दर समा जाये। ऐसी हालत में रस्सी से जो आकार बनेगा वह एक वृत्त होगा। इसी तरह अगर दो अलग अलग तरह की सतहें हैं (जैसे कि एक घड़े जैसी है और दूसरी गिलास जैसी) तो एक सतह से दूसरी सतह तक कम से कम दूरी एक ऐसी रेखा के रास्ते पर होगी जो दोनों सतहों को 90 डिग्री के कोण पर काटेगी।
भौतिकी की समस्याएं भी कैलकुलस ऑफ वैरियेशन्स से हल की जाती हैं। मान लिया अंतरिक्ष में किसी कण को एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा करनी है। मान लिया कि अंतरिक्ष में कण की गतिज व स्थितिज ऊर्जा हर बिंदु पर अलग अलग है। इस हालत में कण एक ऐसे रास्ते को चुनेगा जहाँ गतिज व स्थितिज ऊर्जा का अन्तर न्यूनतम हो जाये।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:17 PM
इस तरह कैलकुलस ऑफ वैरिये’शन्स के द्वारा हम किसी वस्तु की ‘न्यूनतम’ (Minimum) और अधिकतम (Maximum) दशा ज्ञात कर सकते हैं। लेकिन इस कैलकुलस में एक कमी है। जब किसी वस्तु की न्यूनतम दशा मालूम की जाती है तो आमतौर पर अधिकतम दशा मालूम नहीं हो पाती, या फिर ये दशा अनन्त आती है। इसी तरह अधिकतम दशा मालूम करते समय न्यूनतम दशा मालूम नहीं हो पाती या फिर ये ऋणात्मक अनन्त आती हैं।
लेकिन अगर उपरोक्त धारणा को ध्यान में रखा जाये कि एक न्यूनतम दूरी किसी और पथ के द्वारा अधिकतम भी होती है तो इसे कैलकुलस ऑफ वैरिये’शन्स के साथ जोड़ने पर कुछ महत्वपूर्ण परिणाम निकल सकते हैं।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:17 PM
एक महत्वपूर्ण परिणाम यह होगा कि एक अधिकतम दशा किसी और पथ के द्वारा न्यूनतम दशा भी होगी। जैसा कि इससे पहले पृथ्वी पर दो बिन्दुओं के उदाहरण में देखा गया। अगर ये दो बिन्दु एक दूसरे को छू रहे हों तो एक रास्ते से इनके बीच दूरी शून्य हो गयी। लेकिन अगर उल्टा रास्ता लिया जाये जो पहली लोके’शन से निकलकर पूरे ग्लोब को घूमते हुए दूसरी लोके’शन पर आकर मिले तो इस रास्ते पर दूरी अधिकतम हो जायेगी। यानि हम कह सकते हैं कि दोनों एक्सट्रीमम यानि अधिकतम व न्यूनतम की सिचुएशन एक ही है, जबकि हम रास्तों को परिभाषित कर रहे हैं। और अगर ये रास्ते किसी बन्द सतह पर हैं (जैसे कि गोल ज़मीन) तो अधिकतम-न्यूनतम का साथ होना पूरी तरह स्पष्ट है।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:18 PM
अब एक दूसरी परिस्थिति की बात करें। मान लिया दो लोके’शन के बीच हम सिर्फ ‘न्यूनतम’ दूरी ही चाहते हैं। तो ये दूरी भी उस सतह पर निर्भर करेगी जो दोनों लोके’शन के बीच में है। अगर ये सतह बदल दी जाये तो न्यूनतम भी बदल जायेगा। हो सकता है कभी ये दूरी शून्य हो जाये तो कभी अनन्त। यही बात अधिकतम के लिये भी लागू होगी। इस तरह हम देखते हैं कि दो लोकेशन के बीच दूरी अलग अलग सिचुएशन में कई तरीकों से अधिकतम और न्यूनतम होती है।

ये बात न सिर्फ दूरी के लिये बल्कि समय, ऊर्जा, गति जैसी कई भौतिक राशियों के लिये लागू होती है। फिर अगर सतह भी रफ्तार में हो या लोके’शन बदल रही हो तो अधिकतम-न्यूनतम की एक पूरी चेन बन जायेगी जिनमें एक अधिकतम कुछ समय के बाद न्यूनतम हो जायेगा और एक न्यूनतम कुछ समय के बाद अधिकतम हो जायेगा।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:18 PM
कुछ इसी तरह की सिचुएशन आइन्स्टीन के सामने भी आयी थी जब उसने सापेक्षता का सिद्धांत दुनिया के सामने रखा। और तब उसने ये स्टेटमेन्ट दिया था, The most incomprehensible thing about the world is that it is comprehensible. सापेक्षता के सिद्धांत में जिस गणित का इस्तेमाल हुआ है वह कैलकुलस ऑफ वैरिये’शन्स से ही विकसित हुई है। आज हम उसे डिफरें’शियल ज्योमेट्री के नाम से जानते हैं। डिफरें’शियल ज्योमेट्री यूनिवर्स को समझने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है और आज गणित की इसी शाखा पर सबसे ज्यादा काम हो रहा है। लेकिन इस ज्योमेट्री का जो अहम नतीजा है वह यही है कि ‘जो चीज़ जितनी दूर होती है वह उतनी ही करीब भी हो सकती है।’ और यह वाक्य केवल कोरी फिलास्फी नहीं है बल्कि वार्महोल (Wormholes) के रूप में एक संभाव्य भौतिक सच्चाई है।
जब आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सिद्धान्त को डिफरें’शियल ज्योमेट्री की समीकरणों के द्वारा प्रस्तुत किया तो वैज्ञानिकों ने उन समीकरणों का हल ज्ञात करने की कोशिश की। इन समीकरणों का हल सबसे पहले पेश किया शिवर्ज़चाइल्ड नाम के वैज्ञानिक ने। इस हल के द्वारा जो चौंका देने वाले नतीजे सामने आये उनमें शामिल थे ब्लैक होल और वार्महोल । वार्महोल स्पेस टाइम में बने ऐसे रास्तों को कहते हैं जो यूनिवर्स के दो बिन्दुओं या दो यूनिवर्स के बीच शार्ट कट्*स होते हैं। यानि ज़ाहिरी तौर पर दोनों जगहें एक दूसरे से निहायत दूर होती हैं और एक जगह से दूसरी जगह पहुंचना लगभग नामुमकिन होता है। लेकिन वार्महोल के द्वारा ये दूरी बहुत ही कम वक्त में तय हो जाती है।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:18 PM
वार्महोल्स बनना कैसे मुमकिन हो सकता है, इसे समझ पाना निहायत मुश्किल है। क्योंकि सब कुछ गणितीय समीकरणों में सिमटा हुआ है। लेकिन मोटे तौर पर यह इस नियम ‘जो चीज़ जितनी दूर होती है वह उतनी ही करीब भी होती है।’ का ही समीकरणीय रूप होता है।
इसे भौतिक रूप में समझने के लिये एक उदाहरण पर विचार कीजिए। मान लिया हमारी ज़मीन से कुछ दूर पर एक तारा मौजूद है। उस तारे की रो’शनी हम तक दो तरीके से आ सकती है। एक सीधे रास्ते के द्वारा, और दूसरे एक भारी पिण्ड से गुजरकर जो किसी और दिशा में जाती हुई तारे की रो’शनी को अपनी उच्च ग्रैविटी की वजह से मोड़ कर हमारी ज़मीन पर भेज देता है। जबकि तारे से आने वाली सीधी रोशनी की किरण एक ब्लैक होल द्वारा रुक जाती है जो कि पृथ्वी और तारे के बीच में मौजूद है। अब पृथ्वी पर मौजूद कोई दर्शक जब उस तारे की दूरी नापेगा तो वह वास्तविक दूरी से बहुत ज्यादा निकल कर आयेगी क्योंकि यह दूरी उस किरण के आधार पर नपी होगी जो पिण्ड द्वारा घूमकर दर्शक तक आ रही है। जबकि ब्लैक होल के पास से गुजरते हुए उस तारे तक काफी जल्दी पहुंचा जा सकता है। बशर्ते कि इस बात का ध्यान रखा जाये कि ब्लैक होल का दैत्याकार आकर्षण यात्री को अपने लपेटे में न ले ले। इस तरह की सिचुएशन ऐसे शार्ट कट्*स की संभावना बता रही है जिनसे यूनिवर्स में किसी जगह उम्मीद से कहीं ज्यादा जल्दी पहुंचा जा सकता है। इन्ही शार्ट कट्*स को वार्म होल्स (Wormholes) कहा जा सकता है।
ये एक आसान सी सिचुएशन की बात हुई। स्थिति तब और जटिल हो जाती है जब हम देखते हैं कि ज़मीन, पिण्ड, तारा, ब्लैक होल सभी अपने अपने पथ पर गतिमान हैं। ऐसे में कोई नतीजा निकाल पाना निहायत मुश्किल हो जाता है।

jai_bhardwaj
03-02-2013, 07:19 PM
हालांकि वार्महोल्स का कांसेप्ट अभी सिर्फ थ्योरी की हद तक है। सापेक्षता सिद्धांत की गणितीय समीकरणें इसको मुमकिनात में से दिखाती हैं और ये मुमकिन मालूम होता है एक तरीके से बहुत ज्यादा दिखने वाली दूरियां वार्महोल के तरीकों में बहुत कम हो सकती हैं। लेकिन प्रायोगिक रूप से अभी इनका सिद्ध होना बाकी है। लेकिन ये भी तय है कि अगर वार्महोल की हकीकत साइंस ने देख ली तो यूनिवर्स का हज़ारों मील का सफर मिनटों में तय होना मुमकिन हो जायेगा।
’शिवर्जचाइल्ड वार्महोल ऐसे रास्तों की बात भी करता है जो दो ऐसी कायनातों को जोड़ता है जिनमें से एक खत्म हो रही हो और दूसरी पैदा हो रही हो। दोनों कायनातों को अलग करने की खाई है ब्लैक होल। और वार्महोल इसी ब्लैक होल को पार करने का पुल है। ये अलग बात है कि फिलहाल ’शिवर्जचाइल्ड की मैथेमैटिक्स इस वार्महोल के ज़रिये एक यूनिवर्स से दूसरे तक पार होने को नामुमकिन बताती है क्योंकि उससे पहले ही ये वार्महोल खत्म हो जायेगा और उससे गुज़रने वाला ब्लैक होल में गिर जायेगा।
वार्महोल टाइम मशीन का बनना भी मुमकिन बताते हैं जिसके ज़रिये इंसान बीते हुए कल में या आने वाले कल का सफर कर सकता है।

bindujain
03-02-2013, 07:52 PM
nice thread

aspundir
03-02-2013, 09:04 PM
excellent ...........................

rajnish manga
03-02-2013, 10:29 PM
:bravo:

एक गूढ़ विषय की बोलचाल की भाषा में बहुत सुन्दर व्याख्या प्रस्तुत करने के लिए आपका आभार.

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:10 PM
प्रस्तुत वर्ष में निम्नांकित 10 नवीन खोजें चर्चा में बनी रह सकती हैं:-

1 कालाजार की नई वैक्सीन

पिछले महीने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बॉयोलॉजी के वैज्ञानिक नाहिद अली ने 10 वर्षों की कडी मेहनत के बाद कालाजार की नई वैक्सीन विकसित की। प्रतिष्ठित साइंस मैगजीन जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर फार्मास्यूटिक्स में प्रकाशित इस खोज से पश्चिम बंगाल समेत उत्तर व पूर्वी भारत के कालाजार प्रभावित क्षेत्रों को काफी उम्मीदें हैं।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:11 PM
2 बॉयो-एब्जार्बेबल स्टेंट्स

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने हाल ही में बॉयो-एब्जार्बेबल स्टेंट्स के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। इससे हृदय रोगियों को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि जाम धमनियों में मेटल स्टेंट्स से परेशानी होती है। वहीं बॉयो-एब्जार्बेबल स्टेंट्स 18 महीने के आसपास खुद ही गल जाती है।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:11 PM
3 कैंसररोधी फिजेटिन

जेएनयू कैंसर बॉयोलॉजी लैबोरेटरी में कैंसररोधी तत्व फिजेटिन पर चल रहे रिसर्च के और भी लाभकारी नतीजे मिल सकते हैं। इसके पिछले शोध से पता चला है कि सेब, प्याज व कुछ सब्जियों में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व फिजेटिन से कैंसर रोकने में मदद मिलती है।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:11 PM
4 आंख की कृत्रिम कोशिका

चैन्नई स्थित संकारा नेत्रालय के वैज्ञानिकों के अनुसार कार्नियल ट्रांसप्लांट के लिए दी गई आंख के अवशेष से ऐसी रेटिना सेल्स विकसित की जा सकती है, जो आंखों के अंधेपन और खराब होती रेटिना का इलाज कर सकता है। आने वाले समय में यह महत्वपूर्ण खोज उन लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है, जो न ठीक होने वाले अंधेपन व खराब होती रेटिना की बीमारी से ग्रस्त हैं।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:11 PM
5 मलेरिया ड्रग सिनरियाम

भारत द्वारा विकसित प्रभावशाली मलेरिया ड्रग सिनरियाम भविष्य में बहुप्रचलित आर्टिमिसिनिन ड्रग का विकल्प हो सकता है। यह कृत्रिम ड्रग है, जिसे लैब में रासायनिक प्रक्रिया से तैयार किया गया है, जबकि आर्टिमिसिनिन पौधों से तैयार किया जाता है।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:12 PM
6 नेचुरल हार्ट-पेसमेकर

एक स्पेशल जीन को इंजेक्ट कर पेसमेकर सेल्स से हृदय गति की खामियों को दूर करने की बॉयोलॉजिकल थिरेपी इस साल काफी चर्चा में रह सकती है।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:12 PM
7 तेरह अरब वर्ष पुरानी गैलेक्सी

नासा के हब्बल टेलीस्कोप की मदद से अब तक के सबसे दूरस्थ आकाशगंगाओं की खोज हुई है। इसमें 13 अरब वर्ष पुरानी 7 गैलेक्सियां शामिल हैं। इस साल भी हब्बल टेलीस्कोप की ये और अन्य खोजें काफी चर्चा में रहेंगी।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:12 PM
8 हृदय रोग बताने वाला ट्रेडमिल टेस्ट एक्सरसाइज ट्रेडमिल टेस्ट से महिलाओं के हृदय की स्थिति का पता लगाना संभव होगा। इस टेस्ट के दौरान दो स्पेसिफिक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम से महिलाओं के हृदय की शक्ति का अनुमान लगाना आसान होगा।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:12 PM
9 दस हजार गुना तेज ट्रांजिस्टर

शोधकर्ताओं ने 10,000 गुना तेज ट्रांजिस्टर तैयार किया है। लेजर पल्सेज से चलने वाला यह ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रानिक जगत में काफी उपयोगी साबित होगा।

jai_bhardwaj
09-02-2013, 08:12 PM
10 पसर्नलाइज्ड मेडिसिन

डीएनए की सिक्वेंसिंग कर ब्रिटेन में आम लोगों के लिए पसर्नलाइज्ड मेडिसिन शीघ्र ही शुरू होने वाली है, जिससे कैंसर व कुछ विशेष रोगियों को काफी लाभ मिलेगा। इस तरह की पसर्नलाइज्ड मेडिसिन अन्य देशों में भी शुरू हो सकती है।