PDA

View Full Version : टीम चयन पर उठते 5 सवाल


dipu
11-02-2013, 05:03 PM
ऑस्ट्रेलिया के साथ इस महीने शुरू हो रही टेस्ट सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम का ऐलान हो गया है। संदीप पाटील की अगुवाई में चयनकर्ताओं ने एक बड़ा फैसला तो जरूर लिया है। गौतम गंभीर को टेस्ट टीम से बाहर करने का फैसला कोई सहज और झटके से लेने वाला फैसला नहीं है। अगर ऐसा संभव होता तो बीते तीन सालों से वे एक टेस्ट शतक नहीं बना पाए हैं और इस दौरान उनकी बल्लेबाजी का औसत 30 से भी कम रहा है। मतलब गौतम गंभीर अपनी ओर से वह सब कर चुके थे, जो उन्हें टेस्ट टीम से बाहर कराने के लिए काफी था लेकिन चयनकर्ताओं को गौतम गंभीर की अहमियत मालूम थी, लिहाजा वे खेलते रहे। दिल्ली के इस क्रिकेटर की बीसीसीआई पर पकड़ का ही नतीजा था कि इन्हें भविष्य का कप्तान माना जाने लगा था। इतना ही नहीं, इंडियन प्रीमियर लीग की मौजूदा चैंपियन टीम के कप्तान को टीम में बनाए रखने का दबाव भी कम नहीं होता।

इन सबके बावजूद दिल्ली के एक अन्य युवा क्रिकेटर शिखर धवन ने गौतम गंभीर की जगह छीन ली है। अब उस जगह को फिर से हासिल करने के लिए गौतम गंभीर को जोरदार बल्लेबाजी करनी होगी। उम्मीद है कि इस बार गंभीर कहीं ज्यादा मजबूत बल्लेबाज के तौर पर वापसी करेंगे। लेकिन संदीप पाटील की टीम के एक अच्छे फैसले के साये में कई ऐसे फैसले हैं, जिन पर सवाल उठ रहे हैं।

dipu
11-02-2013, 05:17 PM
सबसे बड़ा सवाल सुरेश रैना को लेकर उठा है। ईरानी ट्रॉफी की पहली पारी में जोरदार शतक और दूसरी पारी में 71 रनों की बेहतरीन पारी खेलने के बावजूद सुरेश रैना चयनकर्ताओं को प्रभावित नहीं कर पाए। इतना ही नहीं, इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में लगातार चार हॉफ सेंचुरी बनाकर सुरेश रैना मैन ऑफ द सीरीज भी रहे थे। यानी वे पूरी तरह फॉर्म में हैं लेकिन अब उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज दर्शक दीर्घा में देखकर बिताना होगा। जबकि इसी ईरानी ट्रॉफी के मैच की एक पारी में शतक बनाकर मुरली विजय टेस्ट टीम में शामिल हो गए हैं। मुरली विजय को सलामी बल्लेबाज के तौर पर शामिल किया गया है।

मुरली विजय ने घरेलू सीजन में भी बेहतर प्रदर्शन जरूर किया है लेकिन उनके मुकाबले वसीम जाफर का दावा कहीं ज्यादा मजबूत था। 34 साल के वसीम जाफर भारतीय क्रिकेट के सबसे बदकिस्मत खिलाडिय़ों में हमेशा गिने जाएंगे। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच पांच साल पहले खेला था। लेकिन बीते पांच साल के दौरान जाफर का बल्ला हमेशा रन बटोरता दिखा है। इसी ईरानी ट्रॉफी के मैच में पहली पारी में 80 रन बनाने के बाद उन्होंने दूसरी पारी में नाबाद शानदार शतक बना दिया। इसी सीजन में खेले गए ग्यारह फर्स्*ट क्लास मैचों में जाफर ने चार शतक और सात अर्धशतक बनाए हैं। लेकिन यह सब उनके लिए भारतीय टीम में वापसी के दरवाजे नहीं खोल पाया। तकनीक के लिहाज से वे मौजूदा दौर के सबसे बेहतरीन भारतीय बल्लेबाजों में एक हैं लेकिन उनकी हमेशा अनदेखी की जाती है। इसकी वजह क्या हो सकती है?

dipu
11-02-2013, 05:19 PM
इसकी वजह क्या हो सकती है, इसको लेकर बीसीसीआई के अंदरखाने कई तरह की चर्चा होती रहती है। भारत की ओर से सालों तक टेस्ट क्रिकेट खेल चुके मुंबई के एक पूर्व क्रिकेटर की राय तो यहां तक है कि वसीम जाफर कुछ भी कर लें, उन्हें चयनकर्ता टीम में नहीं लेंगे। ऐसी चर्चाओं में कई तरह की बातें होती हैं, सच क्या है यह तो वसीम जाफर को भी नहीं मालूम होगा। वे बेचारे तो सालों साल से घरेलू क्रिकेट में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर ही रहे हैं।

एक तर्क यह हो सकता है कि भविष्य की टीम इंडिया को ध्यान में रखते हुए वसीम जाफर बढ़ती उम्र के चलते ही नहीं चुने जाते लेकिन 34 साल से ज्यादा की उम्र में सचिन तेंदुलकर और जैक कैलिस जैसे खिलाड़ी तो अच्छा कर ही रहे हैं। इसलिए यह कोई दमदार तर्क नहीं दिखता। इसके अलावा अजिंक्य रहाणे भी अब तक मिले मौके का पूरा फायदा नहीं उठा पाए हैं, उनमें काबिलियत तो है लेकिन क्या उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का मौका मिलेगा, यह दावे से नहीं कहा जा सकता। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट टीम में रविंद्र जडेजा का चयन भी चौंकाने वाला है। रविंद्र जडेजा वनडे और टी20 क्रिकेट के लिहाज से एक उपयोगी ऑलराउंडर जरूर हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट के स्तर को देखते हुए उन्हें आजमाना तर्क से परे दिखता है। इससे ज्यादा बेहतर तो यह होता कि जडेजा की जगह सुरेश रैना और युवराज सिंह जैसे बल्लेबाज को आजमाया जाता। कम से कम टीम की बल्लेबाजी तो मजबूत होती ही।

dipu
11-02-2013, 05:23 PM
टेस्ट मैचों में कामचलाऊ गेंदबाजी से बहुत ज्यादा फायदा होता नहीं, लिहाजा जडेजा टेस्ट मैचों के लिए कितने उपयोगी साबित होंगे, ये देखने की बात होगी।

बल्लेबाजों में वीरेंद्र सहवाग के बीते दिनों के प्रदर्शन को देखें तो, उन्हें भी बाहर होना चाहिए लेकिन लगता है उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम मौका मिला

है। वैसे सहवाग, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा पर ही ऑस्ट्रेलियाई टीम से सामना करने का दारोमदार होगा। इन बल्लेबाजों के बूते ही

टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चुनौती पेश करेगी। सचिन तेंदुलकर अगर इस सीरीज में अच्छा करते हैं तो निश्चित तौर पर 200 टेस्ट खेलने का सपना

पूरा करना चाहेंगे। अगर ये चारों बल्लेबाज नहीं चले तो फिर ऑस्ट्रेलिया के तूफानी गेंदबाजों को रोकना असंभव होगा।

dipu
11-02-2013, 05:24 PM
टीम की गेंदबाजी पर भी सवाल उठ रहे हैं। हरभजन सिंह ने घरेलू क्रिकेट में बहुत अच्छा नहीं किया है लेकिन भारतीय मैदान पर ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ

उनका रिकॉर्ड बेमिसाल है। महज 12 टेस्ट मैचों में 81 विकेट लेने वाले हरभजन सिंह को अनुभव के आधार पर टीम में जगह मिली है। उम्मीद की जानी

चाहिए कि उनके अनुभव का फायदा टीम इंडिया को मिले और हरभजन सिंह अपने करियर का सौवां टेस्ट खेल पाएं।

हरभजन, आर अश्विन और प्रज्ञान ओझा के सहारे ही टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को टक्कर देने की कोशिश करेगी क्योंकि तेज गेंदबाजी में भारत कमजोर दिख

रहा है। ईशांत शर्मा जरूर लय में हैं लेकिन अशोक डिंडा और भुवनेश्वर कुमार की तेजी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर अंकुश लगा पाएगी, इसमें संदेह है।

इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया की हार के बाद भारत को टेस्ट टीम में जीत की जरूरत है। ऑस्ट्रेलियाई टीम की ताकत को देखते हुए भारत के लिए ये चुनौती

बेहद मुश्किल दिख रही है।