View Full Version : पंचमढ़ी: प्राकृतिक सौन्दर्य और पौराणिक और
bindujain
16-02-2013, 04:23 AM
मध्यप्रदेश का पंचमढ़ी एक खूबसूरत हिल स्टेशन है. यह सदाबहार सतपुड़ा के पर्वत श्रेणी पर सुंदर पहाड़ियों से घिरा पठार है. पंचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है.
यहां पर्यटकों को आकर्षत करने की हर चीज मौजूद है. खूबसूरत वाटरफॉल्स, शांत कलकल बहती नदी, खूबसूरत घाटियां जैसे प्रकृतिक के अद्भुत सौन्दर्य है. इसके अलावा पंचमढ़ी का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी है.
मान्यता है कि पचमढ़ी या पंचमढ़ी पांडवों की पांच गुफाओं से बना है. कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान ज्यादा समय यही बिताया था.
ऐतिहासिक दृष्टि से अंग्रेजों के शासन काल में पंचमढ़ी मध्यप्रदेश की राजधानी थी. अभी भी मध्यप्रदेश के मंत्रियों और उच्च शासकीय अधिकारियों के दफ्तर, कुछ दिनों के लिए पचमढ़ी में लगते हैं.
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16-02-2013, 04:24 AM
पंचमढ़ी का धार्मिक महत्व
पंचमढ़ी का ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है. यहां की धार्मिक गुफाएं और मंदिरों ने पंचमढ़ी को हिंदुओं का पसंदीदा पर्यटन स्थल बना दिया है. वहीं ऐतिहासिक और ब्रिटिश कालीन धरोहरें भी हैं. यहां ब्रिटिश आर्किटेक्चर के घर दिख जाएंगे और खूबसूरत स्टैंड ग्लास खिड़कियों वाले चर्च भी.
यहां के फेयरी पूल तक छोटे ट्रैक के माध्यम से पहुंच सकते हैं. जमुना प्रपात शहर से 3 किमी की दूरी पर है, जो पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है.
हसीन बैकड्रॉप और बेदिंग पूल्स के लिए यह जगह फेमस है. यहां स्नान करने से शरीर के साथ ही आत्मा भी प्रफुल्लित हो जाती है. डचेज फॉल तक कम लोग ही जाते हैं. यहां तक पहुंचने के लिए 4 किमी चलना पड़ता है. इसकी आवाज दूर से ही सुनी जा सकती है.
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16-02-2013, 04:27 AM
जटाशंकर
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पंचमढ़ी नगर से डेढ किमी. की दूरी पर स्थित जटाशंकर एक पवित्र गुफा है। इसके ऊपर एक बिना किसी सहार का झूलता हुआ विशाल शिलाखंड रखा है। यहां शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है। जटाशंकर मार्ग पर एक हनुमान मंदिर है जहां हनुमान की मूर्ति एक शिलाखंड पर उकेरी गई है। जटाशंकर गुफा के नजदीक ही हारपर्स गुफा है। इस गुफा में वीणा बजाते हुए एक व्यक्ति का चित्र है।
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16-02-2013, 04:30 AM
पांडव गुफाएं-
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एक छोटी पहाड़ी पर यह पांच प्राचीन गुफाएं बनी हैं। इन्हीं पांच गुफाएं के कारण की इस स्थान को पंचमढ़ी कहा जाता है। कहा जाता है पांडव अपने वनवास के दौरान यहां ठहर थे। सबसे साफ सुथरी और हवादार गुफा को द्रोपदी कुटी कहा जाता है जबकि सबसे अंधेरी गुफा भीम कोठरी के नाम से लोकप्रिय है। पुरातत्वेत्ताओं का मानना है कि इन गुफाओं को 9वीं और 10 वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बौद्धों द्वारा बनवाया गया था।
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16-02-2013, 04:30 AM
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16-02-2013, 04:31 AM
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16-02-2013, 04:31 AM
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16-02-2013, 04:33 AM
अप्सरा विहार-
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पांडव गुफा के साथ ही अप्सरा विहार या परी ताल को मार्ग जाता है जहां पैदल चाल द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। यह तालाब एक छोटे झरने से बना है जो 30 फीट ऊंचा है। अधिक गहरा न होने की वजह से यह तालाब तैराकी और ग़ोताख़ोरी के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। इस तालाब को पंचमढ़ी का सबसे सुन्दर ताल माना जाता है।
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16-02-2013, 04:34 AM
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कुदरती खूबसूरती का खजाना पचमढ़ी
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16-02-2013, 04:35 AM
महादेव गुफा
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नगर से 10 किमी. दूर स्थित महादेव हिन्दुओं के लिए पूजनीय स्थल है। यह पवित्र गुफा भगवान शिव को समर्पित है। यह गुफा 30 मीटर लंबी है और यहां सदैव पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं पर छिपे थे। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिस के सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। गुफा के भीतर एक शिवलिंग बना हुआ है। शिवरात्रि यहां पूर जोश के साथ मनाई जाती है। महादेव पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है।
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16-02-2013, 04:37 AM
प्रियदर्शिनी प्वाइंट
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यह सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसी स्थान से कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 में इस खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की गई थी। इस प्वाइंट का मूल नाम फोरसिथ प्वाइंट था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया। यहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद मनमोहक लगता है। चौरादेव, महादेव, धूपगढ़ नामक सतपुड़ा की तीन प्रमुख चोटियां यहां से देखी जा सकती हैं।
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16-02-2013, 04:39 AM
रजत प्रपात-
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अप्सरा विहार से आधा किमी. पूर्व दिशा में रजत प्रपात है। इस प्रपात की ऊंचाई 350 फीट है। झरने से गिरता जल यहां तरल चांदी के समान प्रतीत होता है। झरने तक पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है। केवल साहसिक पर्यटक ही ट्रैकिंग के माध्यम से झरने तक पहुंच सकते हैं।
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16-02-2013, 04:40 AM
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16-02-2013, 04:43 AM
राजेन्द्र गिरी-
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इस पहाड़ी ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को बहुत लुभाया था। वे यहां की खूबसूरती से प्रभावित होकर कई बार आए थे। उनके नाम पर ही इस पहाड़ी नाम रखा गया है। उनके ठहरने के यहां रवि शंकर भवन बनवाया गया था। पहाड़ी के चारों ओर की दृश्यावली सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
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16-02-2013, 04:45 AM
हन्डी खो-
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यह पंचमढ़ी की सबसे गहरी और तंग घाटी है जिसकी गहराई 300 फीट है। दोनों ओर घने जंगलों से घिरी इस घाटी के नीचे बहते पानी की स्पष्ट आवाज सुनी जा सकती है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां एक असुर सर्प को दफनाया था। स्थानीय लोगों में यह घाटी अंधी खो के नाम से जानी जाती है।
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16-02-2013, 04:48 AM
चौरागढ़-
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महादेव से 4 किमी. की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं। आराम करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनी है।
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16-02-2013, 04:51 AM
मुधमक्खी झरना-
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नगर से 3 किमी. दूर स्थित मधुमक्खी झरना यमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। नदी में गिरते इस खूबसूरत झरने से पंचमढ़ी को पानी की आपूर्ति की जाती है। नहाने के लिए यह झरना काफी लोकप्रिय है। इस झरने तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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16-02-2013, 04:53 AM
तामिया
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हमेशा पर्यटकों से भरा-पूरा रहने वाला तामिया खूबसूरती के मामले में पंचमढ़ी से कम नहीं है। तामिया के सनसेट प्वाइंट में घंटों बैठकर सूर्यास्त की खूबसूरती देखी जा सकती है। सतपुड़ी की पहाड़ियों यहां अपने सुन्दरतम रूप में दिखाई देती हैं। तामिया पंचमढ़ी से 78 किमी. की दूरी पर है और यहां जीप या बसों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
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16-02-2013, 04:53 AM
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16-02-2013, 04:54 AM
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16-02-2013, 04:54 AM
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16-02-2013, 04:54 AM
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16-02-2013, 04:55 AM
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16-02-2013, 04:56 AM
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16-02-2013, 04:56 AM
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16-02-2013, 04:57 AM
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16-02-2013, 04:57 AM
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16-02-2013, 04:58 AM
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16-02-2013, 04:58 AM
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16-02-2013, 04:59 AM
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16-02-2013, 04:59 AM
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16-02-2013, 05:00 AM
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16-02-2013, 05:00 AM
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16-02-2013, 05:01 AM
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16-02-2013, 05:01 AM
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16-02-2013, 05:01 AM
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16-02-2013, 05:02 AM
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16-02-2013, 05:02 AM
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16-02-2013, 05:02 AM
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16-02-2013, 05:03 AM
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16-02-2013, 05:03 AM
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16-02-2013, 05:03 AM
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16-02-2013, 05:04 AM
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rajnish manga
16-02-2013, 06:51 PM
आपने एक अत्यंत मनोहारी पर्यटक स्थल का विवरण सहित सचित्र परिचय दे कर बहुत बड़ा काम किया है. एक बार भारी वर्षा के कारण हम वहाँ न जा पाए थे. भोपाल से जबलपुर और खजुराहो होते हुए वापिस दिल्ली आ गए थे. फिर जाने का दोबारा अवसर न मिल पाया. इस सूत्र के ज़रिये पचमढ़ी घूमने जैसा आनंद आ गया. धन्यवाद, बिन्दु जी.
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21-02-2013, 04:34 PM
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21-02-2013, 04:35 PM
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21-02-2013, 04:35 PM
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21-02-2013, 04:41 PM
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24-02-2013, 08:58 PM
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bindujain
24-02-2013, 09:00 PM
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