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View Full Version : 'तिलक' और हिन्दू धर्म


jai_bhardwaj
19-02-2013, 10:06 PM
हमारे भारतीय संस्कृति में तिलक लगाने की परंपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है.. ऐसी मान्यता है कि माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति का गौरव बढ़ता है और समाज में मस्तिष्क हमेशा गर्व से ऊंचा रहता है... गौरतलब है कि तिलक हमारे हिंदू संस्कृति में एक प्रकार से पहचान चिन्ह का भी काम करता है... हिन्दू आध्यात्म की असली पहचान तिलक से ही होती है.. हिंदू परिवारों में किसी भी शुभ कार्य में "तिलक या टीका" लगाने का विधान हैं.. यह तिलक कई वस्तुओ और पदार्थों से लगाया जाता हैं.. इनमें हल्दी, सिन्दूर, केशर, भस्म और चंदन आदि प्रमुख हैं|

jai_bhardwaj
19-02-2013, 10:07 PM
आपको बता दें कि हिंदु धर्म में माथे पर तिलक लगाना न केवल धार्मिक मान्यता है बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं.. माथे पर तिलक लगाने के कई तरीके हैं... हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग तिलक होते हैं.. हमारे सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं..

jai_bhardwaj
19-02-2013, 10:08 PM
शैव परंपरा में ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाया जाता है तो शाक्त परंपरा में सिंदूर का तिलक लगाया जाता हैं क्योंकि सिंदूर उग्रता का प्रतीक है और यह साधक की शक्ति या तेज बढ़ाने में सहायक माना जाता है.. वहीं वैष्णव परंपरा में चौंसठ प्रकार के तिलक बताए गए हैं.. इनमें प्रमुख- लालश्री तिलक है इसमें आसपास चंदन की व बीच में कुंकुम या हल्दी की खड़ी रेखा बनी होती है.. वहीं विष्णुस्वामी तिलक- इसमें तिलक माथे पर दो चौड़ी खड़ी रेखाओं से बनता है.. यह तिलक संकरा होते हुए भोहों के बीच तक आता है.. रामानंद तिलक- विष्णुस्वामी तिलक के बीच में कुंकुम से खड़ी रेखा देने से रामानंदी तिलक बनता है.. श्यामश्री तिलक- इसे कृष्ण उपासक वैष्णव लगाते हैं.. इसमें आसपास गोपीचंदन की तथा बीच में काले रंग की मोटी खड़ी रेखा होती है.. अन्य तिलक- गाणपत्य, तांत्रिक, कापालिक आदि के भिन्न तिलक होते हैं.. कई साधु व संन्यासी भस्म का तिलक लगाते हैं..

jai_bhardwaj
19-02-2013, 10:08 PM
तिलक के बारे में पुराणों में वर्णित है कि संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.. यही कारण है की स्नान करने के बाद पंडों द्वारा विशेष तिलक अपने भक्तों को लगाया जाता है..
आपको मालुम हो कि हमारे शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो अपार शक्ति के भंडार हैं.. इन्हें चक्र कहा जाता है, माथे के बीच में जहां तिलक लगाते हैं, वहीं आज्ञाचक्र होता है.. यह चक्र हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, जहां शरीर की प्रमुख तीन नाड़िया- इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना आकर मिलती हैं इसलिए इसे त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है..

jai_bhardwaj
19-02-2013, 10:09 PM
यह स्थान गुरु का स्थान कहलाता है.. यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है.. यहीं हमारी चेतना का मुख्य स्थान भी है, इसी को मन का घर भी कहा जाता है.. इसी कारण यह स्थान शरीर में सबसे ज्यादा पूजनीय भी है.. योग में ध्यान के समय इसी स्थान पर मन को एकाग्र किया जाता है..

jai_bhardwaj
19-02-2013, 10:11 PM
तिलक लगाने से एक तो स्वभाव में सुधार आता हैं व देखने वाले पर सात्विक प्रभाव भी पड़ता हैं.. इतना ही नहीं तिलक जिस भी पदार्थ का लगाया जाता हैं उस पदार्थ की ज़रूरत अगर शरीर को होती हैं तो वह भी पूर्ण हो जाती हैं.. तिलक किसी खास प्रयोजन के लिए भी लगाये जाते हैं जैसे यदि मोक्षप्राप्ती करनी हो तो तिलक अंगूठे से, शत्रु नाश करना हो तो तर्जनी से, धनप्राप्ति हेतु मध्यमा से तथा शान्ति प्राप्ति हेतु अनामिका से लगाया जाता हैं.. आमतौर पर तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं.. तिलक के साथ चावल लगाने से मां लक्ष्मी आकर्षित होती है तथा ठंडक एवं सात्विकता मिलता हैं.. अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए.

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