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View Full Version : सक्सेस लाइफ का मंत्र


Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:29 PM
सक्सेस लाइफ का मंत्र

बेस्ट प्लानिंग

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26099&stc=1&d=1364293765

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:30 PM
हम प्लानिंग तो खूब करते हैं पर जब उसे अमल में लाने की बात होती है तो डगमगा जाते हैं। तब दिमाग हजारों सवालों से घिर जाता है और इसके चलते हम जो चल रहा है उसी में खुशी हासिल कर लेते हैं। अगर किसी काम को करने से पहले उसकी प्लानिंग कर ली जाती है और फिर शुरुआत की जाती है तो उस काम में सफलता के आसार बढ़ जाते हैं। क्योंकि उस दौरान आप उसमें आने वाली परेशानियों और दुविधाओं के बारे में अंदाजा लगा लेते हैं। साथ ही उसके निवारण के बारे में भी सोच लेते हैं। इस तरह से किए गए काम में जिस प्रकार सफलता के आसार होते हैं वहीं कुछ लोगों को निराशा भी हाथ लग जाती है। या यह कह सक ते हैं कि प्लानिंग करने के बावजूद लोग उस काम में सफल इसलिए नहीं हो पाते हैं कि उनकी नकारात्मकता आडे आ जाती है। अर्थात काम को अमल में लाने से पहले खुद को इस सवाल के घेरे में खड़ा कर लेते हैं कि अगर सफलता नहीं मिली तो! अगर मैं असफल हो गया तो! ऐसा सोचते हुए वे नए काम की शुरुआत करने से पहले उसका अंत कर देते हैं। अंतत: जो चल रहा है उसी में खुशी देखते हैं। इसलिए कुछ टिप्स अपनाकर आप अपने काम में सफलता पा सकते हैं और इससे आपका विश्वास भी बढ़ सकता है।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:31 PM
खुद पर रखें विश्वास

किसी भी काम को करने से पहले जरूरी है कि आपको उस पर विश्वास हो कि इस काम में सफलता जरूर हासिल होगी। अर्थात अगर आप सभी काम को भगवान भरोसे या फिर किस्मत पर छोड़ देंगे तो शायद सफलता की पहुंच आप तक न हो। इसलिए कभी ऐसा न सोचे की किस्मत में लिखा होगा, तो मिल ही जाएगा। यही सबसे बड़ी कमजोरी है। वैसे इससे भी जरूरी बात है कि आप पहले तो प्लान वही बनाएं, जिस पर आपको भरोसा हो और जब बना लिया, तो फिर उसे लागू करने में संकोच न करें।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:31 PM
कुछ तो करना होगा

काम को करने के लिए आपको मेहनत तो करनी ही होगी। बिना मेहनत के किया गया काम आपको सफलता दे ये कोई जरूरी तो नहीं, पर हां मेहनत से किए गए काम में सफलता के आसार और उसके प्रति आपकी उम्मीद भी बढ़ जाती है। वैसे काम को सफल बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसको आगे बढ़ाए। अर्थात मन से डर निकाल दे कि अगर आप यह काम शुरू करते हैं तो कल क्या होगा बल्कि रिस्क लेते हुए उस काम को करें। क्योंकि आगे बढ़ने के लिए रिस्क तो लेना ही पड़ता है। कोई भी आपको बैठे-बिठाए सफलता लाकर नहीं दे सकता है।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:32 PM
निराश न हों कभी

काम को शुरू करने से पहले उसकी सकारात्मकता के बारे में सोच न की नकारात्मकता के बारे में। यही सोचे की अगर आपको सफलता मिलती है तो आप कितनी ऊंचाई पर होंगे। ये नहीं सोचे की अगर आप इतनी मेहनत करते हो और उसके बाद भी सफलता नहीं मिलती है तो क्या होगा। कुछ लोगों की सबसे खास बात यह होती है कि कि वे काम को लेकर कभी निराश नहीं होते और यही सकारात्मकता उनको सफलता के चरम पर ले जाती है। इसलिए हमेशा खुद पर भरोसा करो और अपने विजन पर भरोसा करो।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:34 PM
समस्याओं का निपटारा करें

जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या के सामने आ जाने से अथवा किसी कारणवश कोई मनोवेग या भावना उत्पन्न होने पर तत्काल कुछ कह देना या कर देना दुर्बल मन मस्तिष्क का परिचायक होता है। इसी प्रकार कोई इच्छा आपके मन में जागृत हो रही है, तो उस इच्छा के उत्पन्न होने पर तत्काल उसको बिना जांचे पूरा करने में लग जाना भी एक तरह से अविकसित व्यक्तित्व का ही लक्षण होता है। पहले तो यह ठान लीजिए कि आपको अपने मन का स्वामी बनना है। इसलिए सबसे पहले अपनी समस्या, इच्छा या मनोवेग को अपने विवेक के तराजू पर पूरी संजीदगी के साथ तौलिए। उसके अच्छे और बुरे परिणामों पर भी भरपूर सोचिए। इसके बाद जो नतीजे सामने आते हैं, उन नतीजों के आधार पर कुछ कहिए या कीजिए। यदि आपको लगता है कि उस समय कुछ कहना या करना कतई उचित नहीं है, तो शांत रहिए और मौन धारण कर लीजिए और अपने काम में जुट जाइए। इससे निश्चित तौर पर आपकी इच्छा शक्ति और व्यक्तित्व का विकास होगा।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:35 PM
एक समय में एक समस्या

कई बार यह देखा गया है कि लोग अपनी समस्याओं को या कठिनाइयों को एक बार में ही निपटा देना चाहते हैं। इसका कारण यह है कि वे समस्याओं या कठिनाइयों का समूह देख कर बेहद घबरा जाते हैं और उनके उत्साह पर पानी फिर जाता है। वे बेतरतीब तरीके से उन समस्याओं के समाधान में जुटने का प्रयास करने लगते हैं, जो कतई उचित नहीं है। समस्याओं या कठिनाइयों को निपटाने का सही ढंग यह है कि सबसे पहले उन सभी को कागज पर लिख डालिए। इसके बाद उस समस्या को उसके महत्व के क्रम से लगा लीजिए। यह देखिए कि वर्तमान में सबसे महत्वपूर्ण कौन सी समस्या है, जिसका आपको सबसे पहले निपटारा करना है। फिर उस समस्या को कई छोटे-छोटे भागों में बांटिए और उसके प्रारंभिक हल में जुट जाइए। इस प्रकार एक समय में एक ही समस्या को हल करने में अपना ध्यान लगाइए। इस विधि को अपनाने से आपका मनोबल और उत्साह बढ़ेगा। आप अपना काम और कुशलता से करने के कारण सरलता से सफलता प्राप्त कर सकेंगे।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:38 PM
दूसरों से पहले खुद समझें अपनी कीमत

लोग आपको तब तक आदर नहीं देंगे, जब तक आप स्वयं को आदर नहीं देंगे। लोग आपकी कीमत तब तक नहीं समझेंगे, जब तक आप अपनी कीमत नहीं समझेंगे। लोग आपकी प्रतिभा को तब तक नहीं पहचानेंगे, जब तक आप अपनी प्रतिभा नहीं पहचानेंगे। मीडिया के वर्तमान युग में मार्केटिंग सफलता में अहम भूमिका निभाने लगी है। आप स्वयं को और अपनी प्रतिभा को किस तरह से पेश करते हैं, यह आज के दौर में बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। कुछ लोग कहते हैं कि यदि आपके अंदर योग्यता और प्रतिभा है, तो वह एक दिन अवश्य ही पहचानी जाएगी। यह एक श्रेष्ठ विचार है, परन्तु वर्तमान युग में हर किसी की प्रतिभा अपने आप पहचान ली जाए, यह संभव भी नहीं है। लाखों लोग प्रतिभावान हैं, परन्तु चंद लोग ही शिखर पर जगह बना पाते हैं। आपकी प्रतिभा और आपके गुण आपके भीतर ही दबे रह जाते हैं, यदि आप उन्हें पेश नहीं करते हैं, उन्हें प्रदर्शित नहीं करते हैं।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:40 PM
शीर्ष की सीढ़ी का रहस्य

हमें कई ऐसे लोग मिलते हैं, जो चमत्कारिक तेजी से शीर्ष पर पहुंच जाते हैं और अपने समकक्ष लोगों को काफी पीछे छोड़ देते हैं। ऐसे लोग अपने विशिष्ट गुणों के साथ जीत का कॉमनसेंस भी इस्तेमाल करते हैं अर्थात सफलता के लिए जीनियस होने से कहीं ज्यादा है, कॉमनसेंस का होना। यदि आप एक सफल गायक बनना चाहते हैं, तो आपको अपने शानदार बायोडाटा, प्रशंसा पत्र, विशिष्ट फोटोग्राफ और अपने गीतों का आडियो सीडी या कैसेट विभिन्न कंपनियों और निर्देशकों को भेजना होगा। आपको अपनी मार्केटिंग खुद करनी होगी। अपने गुणों को सर्वश्रेष्ठ रूप से प्रस्तुत करना होगा। यदि आप सोच रहे हैं कि बिना मार्केटिंग किए घर बैठे ही एक न एक दिन आपकी प्रतिभा को कोई पहचान लेगा, तो आप गलत सोच रहे हैं। जमाना मार्केटिंग का है और इसमें आपको पारंगत होना ही होगा, तभी आप अपनी प्रतिभा के दम पर वह मुकाम हासिल कर पाएंगे, जिसके सपने आपने देखे या देख रहे हैं। आज से ही यह उपक्रम शुरू कर दें कि आपको अपने दम पर ही कामयाब होना है और आपको अपनी मार्केटिंग खुद ही करनी है। तय मानें, आप जरूर जीत जाएंगे।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:42 PM
खुद को पूरी तरह पहचानें

अगर आप नियमों के खिलाड़ी बनने वाले हैं, तो आपको अपने बारे में बिल्कुल निष्पक्ष रहना होगा। बहुत से लोग ऐसा नहीं कर पाते। वे पूरी तरह से खुद पर स्पॉटलाइट नहीं घुमा सकते हैं, जितनी बारीकी से लोग उन्हें देखते हैं। मामला सिर्फ इतना ही नहीं है कि दूसरे हमें कैसे देखते हैं। मामला यह भी है कि हम खुद को कैसे देखते हैं। हम सभी के दिमाग में अपनी एक छवि होती है। हम कैसे दिखते हैं, हम कैसे बोलते हैं, हमें कौन सी चीज चलाती है, हम कैसे काम करते हैं। किन्तु यह छवि कितनी वास्तविक है? हम सोंचते हैं कि हम रचनात्मक और अजीब तरीके से काम करते हैं, जबकि दूसरे सोचते हैं कि हम अव्यवस्थित हैं। इनमें से कौन सी बात सच है? वास्तविकता क्या है? अपनी शक्तियों और कमजोरियों को समझने के लिए आपको पहले तो अपनी भूमिका समझनी होगी। अगर आपको शक है, तो सूची बना लें। जिन्हें आप अपनी शक्तियां और कमजोरियां मानते हैं, उन्हें कागज़ पर लिख लें। यह सूची किसी करीबी मित्र को दिखाएं, जिसके साथ आप काम नहीं करते हों या जिनके साथ आपके व्यावसायिक सम्बन्ध नहीं हों। उससे निष्पक्ष मूल्यांकन करने को कहें।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:44 PM
अभी से सोचना शुरू करें

यह करने के बाद इसे किसी ऐसे विश्वस्त व्यक्ति को दिखाएं, जिसके साथ आप काम करते हैं। आप सच्चाई के कितने करीब हैं? क्या इस बारे में दोनों के मूल्यांकन में फर्क है? तय मानिए, उनमें काफी फर्क होगा। ऐसा इसलिए कि दोस्ती की आपकी विशेष योग्यताएं कामकाजी रिश्तों की आपकी योग्यताओं से अलग होती है। कई लोग सोचते हैं कि उनकी शक्तियों और कमजोरियों को पहचानने का मतलब है कि उन्हें बुरी चीजों से छुटकारा पाना चाहिए और सिर्फ अच्छी चीजों के साथ ही काम करना चाहिए। यह सच नहीं है। यह इलाज भी नहीं है। यह तो असल दुनिया है। हम सभी में कमजोरियां होती हैं। गोपनीय रहस्य तो उनके साथ काम करना सीखना है। आदर्श बनने की कोशिश क्यों करें? यह तो अयथार्थवादी और गैरजरूरी है। आप अपनी कमजोरियों का बेहतर इस्तेमाल भी तो कर सकते हैं और तब वे शक्तियां बन जाएंगी, है न? तो इस बारे में आज से ही, बल्कि अभी से सोचना शुरू कर दें।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:47 PM
आप मंजिल को हमेशा पा सकते हैं

किसी भी इंसान को दूसरे उतना धोखा नहीं देते, जितना वह खुद को देता है। किसी भी इंसान की अवनति के लिए दूसरे उतने उत्तरदायी नहीं होते, जितना वह खुद होता है। कुछ विफलताओं के बाद व्यक्ति के मन में हीन भाव आ जाता है और वह कायर हो जाता है। वह इस बात पर चिंतन नहीं कर पाता कि जीत और हार तो जीवन का हिस्सा है। वह उन कारणों को नहीं ढूंढ पाता, जिनकी वजह से उसके प्रयास विफल हुए हैं। वह खुद को भाग्यहीन मान लेता है। उसे लगता है कि संसार में उसका कोई मूल्य नहीं है। वह यह मान लेता है कि दूसरे उससे बेहतर हैं और वह आम रहने के लिए पैदा हुआ है। चाहे आपके साथ जो घटा हो, आपने कितना भी बुरा जीवन क्यों न जिया हो, आपके जीवन का अभी अंत नहीं हुआ है। आपका मूल्य खत्म नहीं हुआ है। किसी को भी हक नहीं कि किसी अनुपयोगी वस्तु की तरह आपको कबाड़ में डाल दे। आप फिर खड़े हो सकते हैं। आप फिर मंजिल को पा सकते हैं। महत्व आपके अतीत का नहीं है। महत्व है, तो आपके भविष्य के प्रति आपकी सोच का।

Dark Saint Alaick
26-03-2013, 03:48 PM
हीनभावना को निकाल फेंकें

ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जिसमें दुनिया ने किसी शख्स को चुका हुआ मान लिया था, उनका तिरस्कार होने लगा था, लेकिन उनके हौसलों की उड़ान ने उन्हें फिर से खड़ा कर दिया। वे सारे लोग, जो कल तक उनका अपमान करते थे, आज फिर उनके प्रशंसक हैं और जय जयकार कर रहे हैं। रात चाहे कितनी भी गहरी हो, सूर्य को हमेशा के लिए नहीं ढक सकती। सोना चाहे कितना भी धूल से सना हो, सोना ही रहता है। यदि आप अपनी इच्छा से एक खराब और मजबूर जिंदगी चुन रहे हैं, तो कोई आपकी मदद नहीं कर सकता, लेकिन यदि आप बीती विफलताओं की वजह से डरे हुए हैं, तो उठिए। यदि आप किसी कारण से हीनभावना से घिरे हैं, तो अपने मन के अंदर उतरिए। आप पाएंगे कि बहुत से कार्य हैं, जिन्हें आप बहुत अच्छे से कर सकते हैं। आप अपने आसपास देखिए। आपको बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे, जिनमें आपके जैसी योग्यता नहीं है, फिर भी वे खुशहाल हैं। अपनी हीनभावना निकाल फेंकें । यदि दुनिया में दूसरे लोग सुखी रह सकते हैं, तो आप भी रह सकते हैं।

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:51 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26494&stc=1&d=1365778223

आइये बन्धुओं, आज हम चेतन भगत की जीवनोपयोगी एक स्पीच पढ़ें ...

Good Morning everyone , मुझे यहाँ बोलने का मौका देने के लिए आप सभी का धन्यवाद . ये दिन आपके बारे में है . आप , जो कि अपने घर के आराम ( और कुछ cases में दिक्कतों ) को छोड़ के इस college में आए हैं ताकि ज़िन्दगी में आप कुछ बन सकें . मैं sure हूँ कि आप excited हैं . ज़िन्दगी में ऐसे कुछ ही दिन होते हैं जब इंसान सच -मुच बहुत खुश होता है . College का पहला दिन उन्ही में से एक है .जब आज आप तैयार हो रहे थे , आपके पेट में हलचल सी हुई होगी . Auditorium कैसा होगा , teachers कैसे होंगे , मेरे नए classmates कौन होंगे —इतना कुछ है curious होने के लिए . . मैं इसे excitement कहता हूँ , आपके अन्दर कि चिंगारी (spark) जो आपको एकदम जिंदादिल feel कराती है . आज मैं आपसे इस चिंगारी को जलाये रखने के बारे में बात करने आया हूँ . या दुसरे शब्दों में हम अगर हमेशा नहीं तो ज्यादा से ज्यादा समय कैसे खुश रह सकते हैं ?

इस चिंगारी कि शुरआत कहाँ से होती है ? मुझे लगता है हम इसके साथ पैदा होते हैं . मेरे 3 साल के जुड़वाँ बच्चों में million sparks हैं . वो Spiderman का एक छोटा सा खिलौना देख के बिस्तर से कूद पड़ते हैं . Park में झूला झूल के वो thrilled हो जाते हैं . पापा से एक कहानी सुनके उनमे उत्तेजना भर जाती है . अपना Birthday आने के महीनो पहले से वो उलटी गिनती करना शुरू कर देते हैं कि उस दिन cake काटने को मिलेगा .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:51 PM
मैं आप जैसे students को देखता हूँ और मुझे आपके अन्दर भी कुछ spark नज़र आता है . पर जब मैं और बड़े लोगों को देखता हूँ तो वो मुश्किल से ही नज़र आता है . इसका मतलब , जैसे -जैसे हमारी उम्र बढती है , spark कम होते जाते हैं . ऐसे लोग जिनमे ये चिंगारी बिलकुल ही ख़तम हो जाती है वो मायूस , लक्ष्यरहित और कडवे हो जाते हैं . Jab We met के पहले half की करीना और दुसरे half की Kareena याद है ना ? चिंगारी बुझ जाने पे यही होता है . तो भला इस Spark को बचाएँ कैसे ?

Spark को दिए की लौ की तरह imagine कीजिये . सबसे पहले उसे nurture करने ki ज़रुरत है —उसे लगातार इंधन देने की ज़रुरत है . दूसरा , उसे आन्धी -तूफ़ान से बचाने की ज़रुरत है .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:52 PM
Nurture करने के लिए , हमेशा लक्ष्य बनाएं .यह इंसान कि प्रवित्ति होती है कि वह कोशिश करे , सुधार लाये और जो best achieve कर सकता है उसे achieve करे . दरअसल इसी को Success कहते हैं . यह वो है जो आपके लिए संभव है . ये कोई बाहरी माप -दंड नहीं है – जैसे company द्वारा दिया गया Package, कोई car या कोई घर .

हममे से ज्यदातर लोग middle-class family से हैं . हमारे लिए , भौतिक सुख -सुविधाएं सफलता की सूचक होती हैं , और सही भी है . जब आप बड़े हो जाते हैं और पसिया रोज़ -मर्रा कि ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़रूरी हो जाता है , तो ऐसे में financial freedom होना एक बड़ी achievement है .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:52 PM
लेकिन यह ज़िन्दगी का मकसद नहीं है . अगर ऐसा होता तो Mr. Ambani काम पर नहीं जाते . Shah Rukh Khan घर रहते और और -ज्यादा dance नहीं करते . Steve Jobs और भी अच्छा iPhone बनाने के लिए मेहनत नहीं करते , क्योंकि Pixar बेच कर already उन्हें कई billion dollars मिल चुके हैं . वो ऐसा क्यों करते हैं ? ऐसा क्या है जो हर रोज़ उन्हें काम पर ले जाता है ?

वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ये उन्हें ख़ुशी देता है . वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ये उन्हें जिंदादिली का एहसास करता है . अपने मौजूदा स्तर में सुधार लाना एक अच्छा अहसास दिलाता है . अगर आप मेहनत से पढ़ें तो आप अपनी rank सुधार सकते हैं . अगर आप लोगों से interact करने का प्रयत्न करें तो आप interview में अच्छा करेंगे . अगर आप practice करें तो आपके cricket में सुधार आएगा . शायद आप ये भी जानते हों कि आप अभी Tendulkar नहीं बन सकते , लेकिन आप अगले स्तर पर जा सकते हैं . अगले level पे जाने के लिए प्रयास करना ज़रूरी है .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:52 PM
प्रकृति ने हमें अनेकों genes के संयोग और विभिन्न परिस्थितियों के हिसाब से design किया है . खुश रहने के लिए हमें इसे accept करना होगा , और प्रकृति कि इस design का अधिक से अधिक लाभ उठाना होगा . ऐसा करने में Goals आपकी मदद करेंगे .

अपने लिए सिर्फ career या academic goals ही ना बनाएं . ऐसे goals बनाएं जो आपको एक balanced और successful life दे . अपने break-up के दिन promotion पाने का कोई मतलब नहीं है . कार चलाने में कोई मज़ा नहीं है अगर आपके पीठ में दर्द हो .दिमाग tension से भरा हो तो भला shopping करने में क्या ख़ुशी होगी ?

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:53 PM
आपने ज़रूर कुछ quotes पढ़े होंगे – ज़िन्दगी एक कठिन race है , ये एक marathon है या कुछ और . नहीं , जो मैंने आज तक देखा है ज़िन्दगी nursery schools में होने वाली उस race की तरह है जिसमे आप चम्मच में रखे मार्बल को अपने मुंह में दबा कर दौड़ते हैं . अगर मार्बल गिर जाये तो दौड़ में first आने का कोई अर्थ नहीं है . ऐसा ही ज़िन्दगी के साथ है जहाँ सेहत और रिश्ते उस मार्बल का प्रतीक हैं . आपका प्रयास तभी सार्थक है जब तक वो आपके जीवन में सामंजस्य लाता है .नहीं तो , आप भले ही सफल हो जायें , लेकिन ये चिंगारी , ये excited और जिंदा होने की feeling धीरे – धीरे मरने लगेगी . …..

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:53 PM
Spark को nurture करने के बारे में एक आखिरी चीज —ज़िन्दगी को संजीदगी से ना लें ….don’t take life seriously. मेरे एक योगा teacher class के दौरान students को हंसाते थे . एक student ने पूछा कि क्या इन Jokes कि वजह से योगा practice का समय व्यर्थ नहीं होता ? तब teacher ने कहा – Don’t be serious be sincere. तबसे इस Quote ने मेरा काम define किया है . चाहे वो मेरा लेखन हो , मेरी नौकरी हो , मेरे रिश्ते हों या कोई और लक्ष्य . मुझे अपनी writings पर रोज़ हज़ारों लोगों के opinions मिलते हैं . कहीं खूब प्रशंशा होती है कहीं खूब आलोचना . अगर मैं इन सबको seriously ले लूं , तो लिखूंगा कैसे ? या फिर , जीऊंगा कैसे ?ज़िन्दगी गंभीरता से लेने के लिए नहीं है , हम सब यहाँ temporary हैं .हम सब एक pre-paid card की तरह हैं जिसकी limited validity hai. अगर हम भाग्यशाली हैं तो शयद हम अगले पचास साल और जी लें . और 50 साल यानि सिर्फ 2500 weekends .क्या हमें सच -मुच अपने आप को काम में डुबो देना चाहिए ? कुछ classes bunk करना , कुछ papers में कम score करना , कुछ interviews ना निकाल पाना , काम से छुट्टी लेना , प्यार में पड़ना , spouse से छोटे -मोटे झगडे होना …सब ठीक है …हम सभी इंसान हैं , programmed devices नहीं ….

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:54 PM
मैंने आपसे तीन चीजें बतायीं – reasonable goals, balance aur ज़िन्दगी को बहुत seriously नहीं लेना – जो spark को nurture करेंगी . लेकिन ज़िन्दगी में चार बड़े तूफ़ान आपके दिए को बुझाने की कोशिश करेंगे . इनसे बचने बहुत ज़रूरी है . ये हैं निराशा (disappointment),कुंठा ( frustration), अन्याय (unfairness) और जीवन में कोई उद्देश्य ना होना (loneliness of purpose.)

निराशा तब होगी जब आपके प्रयत्न आपको मनचाहा result ना दे पाएं . जब चीजें आपके प्लान के मुताबिक ना हों या जब आप असफल हो जायें . Failure को handle करना बहुत कठिन है , लेकिन जो कर ले जाता है wo और भी मजबूत हो कर निकलता है . इस failure से मुझे क्या सीख मिली ? इस प्रश्न को खुद से पूछना चाहिए . आप बहुत असहाय feel करेंगे , आप सबकुछ छोड़ देना चाहेंगे जैसा कि मैंने चाहा था , जब मेरी पहली book को 9 publishers ने reject कर दिया था . कुछ IITians low-grades की वजह से खुद को ख़तम कर लेते हैं , ये कितनी बड़ी बेवकूफी है ? पर इस बात को समझा जा सकता है कि failure आपको किस हद्द तक hurt कर सकता है .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:54 PM
पर ये ज़िन्दगी है . अगर चुनौतियों से हमेशा पार पाया जा सकता तो , तो चुनौतियाँ चुनौतियाँ नहीं रह जातीं. और याद रखिये — अगर आप किसी चीज में fail हो रहे हैं,तो इसका मतलब आप अपनी सीमा या क्षमता तक पहुँच रहे हैं. और यहीं आप होना चाहते हैं.

Disappointment का भाई है frustration, दूसरा तूफ़ान . क्या आप कभी frustrate हुए हैं? ये तब होता है जब चीजें अटक जाती हैं. यह भारत में विशेष रूप से प्रासंगिक है. ट्राफिक जाम से से लेकर अपने योग्य job पाने तक. कभी-कभी चीजें इतना वक़्त लेती हैं कि आपको पता नहीं चलता की आपने अपने लिए सही लक्ष्य निर्धारित किये हैं.Books लिखने के बाद, मैंने bollywood के लिखने का लक्ष्य बनाया, मुझे लगा उन्हें writers की ज़रुरत है. मुझे लोग बहुत भाग्यशाली मानते हैं पर मुझे अपनी पहली movie release के करीब पहुँचने में पांच साल लग गए.

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:54 PM
Frustration excitement को ख़त्म करता है, और आपकी उर्जा को नकारात्मकता में बदल देता है, और आपको कडवा बना देती है.मैं इससे कैसे deal करता हूँ? लगने वाले समय का realistic अनुमान लगा के. . भले ही movie देखने में कम समय लगता हो पर उसे बनाने में काफी समय लगता है, end-result के बजाय उस result तक पहुँचने के प्रोसेस को एन्जॉय करना , मैं कम से कम script-writing तो सीख रहा था , और बतौर एक side-plan मेरे पास अपनी तीसरी किताब लिखने को भी थी और इसके आलावा दोस्त, खाना-पीना, घूमना ये सब कुछ frustration से पार पाने में मदद करती हैं. याद रखिये, किसी भी चीज को seriously नहीं लेना है.Frustration , कहीं ना कहीं एक इशारा है कि आप चीजों को बहुत seriously ले रहे हैं.Frustration excitement को ख़तम करता है , और आपकी energy को negativity में बदल देता है , वो आपको कडवा बना देता है . मैं इससे कैसे deal करता हूँ ?

Unfairness ( अन्याय ) – इससे deal करना सबसे मुश्किल है , लेकिन दुर्भाग्य से अपने देश में ऐसे ही काम होता है . जिनके connections होते हैं , बड़े बाप होते हैं , खूबसूरत चेहरे होते हैं ,वंशावली ( pedigree) होती है , उन्हें सिर्फ Bollywood में ही नहीं बल्कि हर जगह आसानी होती है . और कभी -कभी यह महज luck की बात होती है . India में बहुत कम opportunities हैं , इसलिए कुछ होने के लिए सारे गृह -नक्षत्रों को सही इस्थिति में होना होगा . Short-term में मिलने वाली उपलब्धियां भले ही आपकी merit और hard –work के हिसाब से ना हों पर long-term में ये ज़रूर उस हिसाब से होंगी , अंततः चीजें work-out करती हैं . पर इस बात को समझिये कि कुछ लोग आपसे lucky होंगे .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:55 PM
दरअसल अगर Indian standards के हिसाब से देखा जाये तो आपको College में पढने का अवसर मिलना , और आपके अन्दर इस भाषण को English में समझने की काबिलियत होना आपको काफी lucky बनता है . हमारे पास जो है हमें उसके लिए अहसानमंद होना चाहिए , और जो नहीं है उसे accept करने कि शक्ति होनी चाहिए . मुझे अपने readers से इतना प्यार मिलता है कि दुसरे writers उसके बारे में सोच भी नहीं सकते . पर मुझे साहित्यिक प्रशंशा नहीं मिलती है . मैं Aishwarya Rai की तरह नहीं दीखता हूँ पर मैं समझता हूँ कि मेरे दोनों बेटे उनसे ज्यादा खूबसूरत हैं . It is OK . Unfairness को अपने अन्दर कि चिंगारी को बुझाने मत दीजिये .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:55 PM
और आखिरी चीज जो आपके spark को ख़तम कर सकती है वो है Isolation( अलग होने की स्थिति ) आप जैसे जैसे बड़े होंगे आपको realize होगा कि आप unique हैं . जब आप छोटे होते हैं तो सभी को ice-cream और spiderman अच्छे लगते हैं . जब आप college में जाते हैं तो भी आप बहुत हद तक अपने बाकी दोस्तों की तरह ही होते हैं . लेकिन दस साल बाद आपको पता लगता है कि आप unique हैं . आप जो चाहते हैं , आप जिस चीज में विश्वास राखते हैं , वो आपके सबसे करीबी लोगों से भी अलग हो सकती है . इस वजह से conflict हो सकती है क्योंकि आपके goals दूसरों से match नहीं करते . और आप शायद उनमे से कुछ को drop कर दें . College में Basketball के कप्तान रह चुके , दूसरा बछा होते -होते ये खेल खेलना छोड़ देते हैं . जो चीज उन्हें इतनी पसंद थी वो उसे छोड़ देते हैं . ऐसा वो अपनी family के लिए करते हैं . पर ऐसा करने में Spark ख़तम हो जाता है . कभी भी ऐसा compromise ना करें . पहले खुद को प्यार करें फिर दूसरों को .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:55 PM
मैंने आपको चारों thunderstorms – disappointment, frustration, unfairness and isolation के बारे में बताया . आप इनको avoid नहीं कर सकते , मानसून की तरह ये भी आपके जीवें में बार -बार आते रहेंगे . आपको बस अपना raincoat तैयार रखना है ताकि आपके अन्दर कि चिंगारी बुझने ना पाए .

मैं एक बार फिर आपका आपके जीवन के सबसे अच्छे समय में स्वागत करता हूँ . अगर कोई मुझे समय में वापस जाने का option दे तो निश्चित रूप से मैं college वापस जाना चाहूँगा . मैं ये आशा करता हुनक की दस साल बाद भी , आपकी आँखों में वही चमक होगी जो आज है , कि आप अपने अन्दर की चिंगारी को सिर्फ college में ही नहीं बल्कि अगले 2500 weekends तक ज़िन्दा रखेंगे . और मैं आशा करता हूँ की सिर्फ आप ही नहीं बल्कि पूरा देश इस चिंगारी को ज़िन्दा रखेगा , क्योंकि इतिहास में किसी भी और पल से ज्यादा अब इसकी ज़रुरत है . और ये कहना कितना अच्छा लगेगा कि —मैं Billion Sparks की भूमि से वास्ता रखता हूँ .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:58 PM
दोस्तों यहाँ मैं आपके सामने कुछ मिलते जुलते goals लिख रहा हूँ :

मुझे अच्छे number लाने हैं .
मुझे Maths में अच्छे number लाने हैं .
मुझे annual exam में Maths में अच्छे number लाने हैं.
मुझे annual exam में Maths में कम से कम 80 number लाने हैं.
मुझे annual exam में Maths में 100 number लाने हैं.
इन goals में से एक ही ऐसा है जिसे SMART कहा जा सकता है . क्या आप बता सकते हैं वो कौन सा है ?

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:58 PM
सही उत्तर जानने से पहले आइये जानते हैं की SMART goal का मतलब क्या होता है :

SMART का मतलब है :

S –Specific (स्पष्ट)

M -Measurable (जिसे मापा जा सके)

A-Achievable (पूर्ण करने योग्य)

R- Realistic ( वास्तविक)

T- Time-bound ( समय में बंधा हुआ)

एक SMART goal में ऊपर बतायी गयी सभी qualities होनी चाहियें .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:58 PM
1) Specific : आपका लक्ष्य बिलकुल clear होना चाहिए . उसे सुनने या पढने के बाद उसे लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए . अगर कोई कहता है कि उसे “अच्छे number लाने हैं ” तो ये बात clear नहीं होती कि वो किस subject या exam की बात कर रहा है जिसमे उसे अच्छे number लाने हैं . और अच्छे से क्या मतलब है ? किसी के लिए 100 में 80 अच्छा हो सकता है किसी के लिए 100 में 60 भी अच्छा हो सकता है .

इसी तरह कई लोग कहते हैं कि मेरा लक्ष्य है एक सफल आदमी बनना . पर जब आप उनसे पूछेंगे की किस क्षेत्र में तो शायद वो कोई satisfactory answer ना दे पाएं . यानि वो अपने लक्ष्य को लेकर clear नहीं हैं , और जब goal clear ना हो तो उसके achieve होने की बात ही नहीं उठती .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:59 PM
2) Measurable : आपका goal ऐसा होना चाहिए जिसे किसी पैमाने पर मापा जा सके . यानि उस goal के साथ कोई संख्या कोई number जुड़ा होना चाहिए . For example, यदि कोई कहता है की उसका लक्ष्य weight कम करना है तो सवाल उठता है की कितना कम करना है . Goal के साथ जब numbers जुड़ जाते हैं तो आप अपनी progress को measure कर सकते हैं . और ये जान सकते हैं की आपने अपना लक्ष्य सही तरह से achieve किया की नहीं . इसलिए एक अच्छा goal हमेशा measurable होता है .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:59 PM
3) Achievable: यदि आप कोई ऐसा goal बनाएँगे जो अन्दर से आपको ऐसी feeling दे कि भाई ये तो impossible है तो ऐसे goal का कोई अर्थ नहीं है . दोस्तों हमारा sub-conscious mind conscious mind से कहीं अधिक powerful होता है ,यदि आप conscious mind से कोई impossible goal बनायेंगे और subconscious उसे support नहीं करेगा तो आपके goal पूरा होने के chances नहीं के बराबर होंगे . For example. आप decide करते हैं कि मुझे Maths में 100 number लाने हैं और आपका past record बताता है कि आप मुश्किल से ही इस subject में पास होते हैं तो तुरंत ही आपका अवचेतन मस्तिष्क इसे नकार देगा और आप ये goal achieve नहीं कर पाएंगे . वहीँ अगर आप 75% marks लाने की सोचते हैं तो आपके सफल होने की संभावना कहीं अधिक होगी .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 07:59 PM
4) Realistic: आपका goal आपके लिए realistic होना चाहिए . Achievable और Realistic के बीच एक thin line है . जो लक्ष्य realistic है वो achievable हो सकता है, पर जो achievable है वो realistic भी हो ऐसा ज़रूरी नहीं है. For एक्साम्प्ले, Exam में top करना एक achievable goal है , पर यदि आपने शुरू से पढ़ाई नहीं की है और अब बस exam में कुछ ही दिन बचे हैं तो ये unrealistic होगा की आप top करेंगे .हमेशा अपनी capacity के हिसाब से realistic goals बनाएं . ये भी ध्यान रकेहें की कोई काम किसी और के लिए realistic हो सकता है पर आपको उसे अपने angle से देखना है और अपने goals design करने हैं .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 08:00 PM
5) Time-Bound : Goals के साथ अगर आप समय सीमा नहीं निर्धारित करेंगे तो आपको उसे achieve करने की urgency नहीं महसूस होगी और आप उसे पूरा करने के लिए सही प्रयत्न नहीं कर पायेंगे . इसीलिए goal decide करते वक़्त ये निश्चय करना कि इसे कब तक achieve करना है बहुत ही आवश्यक है . मैंने कई बार लोगों को ये कहते सुना है कि मुझे business start करना है , पर ये बहुत कम ही सुनने में आता है कि मुझे इस साल के इस महीने से business start करना है . अतः आप जब भी अपना goal बनाएं तो उसे कब तक achieve करना है ये ध्यान में रखें और उसे अपनी सोच का हिस्सा बनाएं , ऐसा करने से कहीं ना कहीं Law of Attraction भी आपको goals achieve करने में help करेगा .

jai_bhardwaj
12-04-2013, 08:00 PM
तो यदि हम अपने शुरआती प्रश्न पर लौटें तो हम पायेंगे की अधिकतर cases में “मुझे Annual exam में Maths में कम से कम 80 number लाने हैं ” एक SMART goal होगा . अगर “मुझे Annual exam में Maths में 100 number लाने हैं ” लक्ष्य की बात करें तो ये ज्यादातर लोगों के लिए या तो achievable नहीं होगा या realistic नहीं होगा , पर कुछ लोगों के लिए जो Maths में exceptionally good हैं उनके लिए ये एक SMART goal हो सकता है . पर ऐसी प्रजाति बहुत कम ही पायी जाती है.

SMART goal बना लेना मतलब आधी जंग जीतना है , और ना बना पाना हारना . बाकी आधी जीत के लिए आपको ये plan करना होगा की आप कैसे इस goal को achieve करेंगे …इस बारे में फिर कभी बात होगी …Thanks.

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:10 PM
दोस्तों आपने “Om Shanti Om” का ये dialogue “अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है” ज़रूर सुना होगा. इसी को सिद्धांत के रूप में Law of Attraction कहा जाता है. ये वो सिद्धांत है जो कहता है कि आपकी सोच हकीकत बनती है. Thoughts become things. For example: अगर आप सोचते हैं की आपके पास बहुत पैसा है तो सचमुच आपके पास बहुत पैसा हो जाता है, यदि आप सोचते हैं कि मैं हमेशा गरीबी में ही जीता रह जाऊंगा, तो ये भी सच हो जाता है.

शायद सुनने में अजीब लगे पर ये एक सार्वभौमिक सत्य है. A Universal Truth. यानि हम अपनी सोच के दम पर जो चाहे वो बन सकते हैं. और ये कोई नयी खोज नहीं है भगवान् बुद्ध ने भी कहा है “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. “ स्वामी विवेकानंद ने भी यही बात इन शब्दों में कही है ” हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.”

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:11 PM
पर इतनी बड़ी बात को इतनी आसानी से मान लेना बहुत कठिन है. आपके मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ सकते हैं. और आज हम कुछ इसी तरह के सवालों का समाधान जानने की कोशिश करेंगे. आज का ये लेख इस विषय पर सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक “ The Law of Attraction” का Hindi Translation है. इसे Steve Pavlina ने लिखा है.

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:12 PM
THE LAW OF ATTRACTION

आकर्षण का सिद्धांत

The Law of Attraction या आकर्षण का सिद्धांत यह कहता है कि आप अपने जीवन में उस चीज को आकर्षित करते हैं जिसके बारे में आप सोचते हैं . आपकी प्रबल सोच हकीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेती है . लेकिन Law of Attraction कुछ ऐसे प्रश्नों को जन्म देता है जिसके उत्तर आसान नहीं हैं .पर मेरा मानना है कि problem Law of Attraction कि वजह से नहीं है बल्कि इससे है कि Law of Attraction को objective reality (वस्तुनिष्ठ वास्तविकता ) में कैसे apply करते हैं .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:13 PM
यहाँ ऐसे ही कुछ problematic questions दिए गए हैं :

क्या होता है जब लोगों की intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) conflict करती है ,जैसे कि दो लोग एक ही promotion के बारे में सोचते हैं , जबकि एक ही जगह खाली है ?
क्या छोटे बच्चों , या जानवरों की भी intentions काम करती है ?
अगर किसी बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या इसका मतलब है कि उसने ऐसा इरादा किया था ?
अगर मैं अपनी relation अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरा / मेरी spouse इसपर ध्यान नहीं देती , तो क्या होगा ?

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:13 PM
ये प्रश्न Law of Attraction की possibility को कमज़ोर बनाते हैं .कभी – कभार Law of Attraction में विश्वास करने वाले लोग इसे justify करने के लिए कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ जाते हैं . For Exapmle, वो कहते हैं कि बच्चे के साथ दुष्कर्म इसलिए हुआ क्योंकि उसने इसके बारे में अपने पिछले जनम में सोचा था . भाई , ऐसे तो हम किसी भी चीज को explain कर सकते हैं , पर मेरी नज़र में तो ये तो जान छुड़ाने वाली बात हुई .

मैं औरों द्वारा दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर से कभी भी satisfy नहीं हुआ , और यदि Law of Attraction में विश्वास करना है तो इनके उत्तर जानना महत्त्वपूर्ण है .कुछ books इनका उत्तर देने का प्रयास ज़रूर करती हैं पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पातीं . पर subjective reality (व्यक्ति – निष्ठ वास्तविकता )के concept में इसका सही उत्तर ढूँढा जा सकता है .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:14 PM
Subjective Reality एक belief system (विश्वास प्रणाली) है जिसमे

(1) सिर्फ एक consciousness (चेतना) है ,

(2) आप ही वो consciousness हैं ,

(3) हर एक चीज , हर एक व्यक्ति, जो वास्तविकता में है वो आप ही की सोच का परिणाम है .

शायद आप को आसानी से दिखाई ना दे पर subjective reality Law of Attraction के सभी tricky questions का बड़ी सफाई से answer देती है . मैं explain करता हूँ ….

Subjective reality में केवल एक consciousness होती है – आपकी consciousness. इसलिए पूरे ब्रह्माण्ड में intentions का एक ही श्रोत होता है -आप . आप भले ही वास्तविकता में तमाम लोगों को आते-जाते, बात करते देखें , वो सभी आपकी consciousness के भीतर exist करते हैं. आप जानते हैं कि आपके सपने इसी तरह काम करते हैं,पर आप ये नहीं realize करते की आपकी waking reality एक तरह का सपना ही है. वो सिर्फ इसलिए सच लगता है क्योंकि आप विश्वास करते हैं कि वो सच है.

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:14 PM
चूँकि और कोई भी जिससे आप मिलते हैं वो आपके सपने का हिस्सा हैं, आपके अलावा किसी और की कोई intention नहीं हो सकती.सिर्फ आप ही की intentions हैं. पूरे Universe में आप अकेले सोचने वाले व्यक्ति हैं.

यह ज़रूरी है कि subjective reality में “आप” को अच्छे से define किया जाये . “आप” आपका शरीर नहीं है. “आप” आपका अहम नहीं है. मैं यह नहीं कह रहा हूँ की आप एक conscious body हैं जो unconscious मशीनों के बीच घूम रहे हैं. यह तो subjective reality की समझ के बिलकुल उलट है. सही viewpoint यह है कि आप एक अकेली consciousness हैं जिसमे सारी वास्तविकता घट रही है.

Imagine करिए की आप कोई सपना देख रहे हैं. उस सपने में आप वास्तव में क्या हैं ? क्या आप वही हैं जो आप खुद को सपने में देख रहे हैं? नहीं, बिलकुल नहीं , वो तो आपके सपने का अवतार है. आप तो सपना देखने वाला व्यक्ति हैं.पूरा सपना आपकी consciousness में होता है. सपने के सारे किरदार आपकी सोच का परिणाम हैं, including आपका खुद का अवतार. दरअसल , यदि आप lucid dreaming सीख लें तो आप आपने सपने में ही अपने अवतार बदल सकते हैं. Lucid dreaming में आप वो हर एक चीज कर सकते हैं जिसको कर सकने में आपका यकीन हैं.

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:15 PM
Physical reality इसी तरह से काम करती है. यह ब्रह्माण्ड आप के सपने के ब्रह्माण्ड की तुलना में कहीं घना है, इसलिए यहाँ बदलाव धीरे-धीरे होता है. पर यह reality भी आपके विचारों के अनुरूप होती है, ठीक वैसे ही जैसे आपके सपने आपके सोच के अनुरूप होते है. “आप” वो dreamer हैं जिसके सपने में यह सब घटित हो रहा है. कहने का मतलब; यह एक भ्रम है कि और लोगों कि intentions है, वो तो बस आपकी सोच का परिणाम हैं.

Of course, यदि आप बहुत strongly believe करते हैं कि औरों की intentions हैं, तो आप अपने लिए ऐसा ही सपना बुनेंगे.पर ultimately वो एक भ्रम है.

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:15 PM
तो आइये देखते हैं कि Subjective Reality कैसे Law of Attraction के कठिन प्रश्नों का उत्तर देती है:

क्या होता है जब लोगों की intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) conflict करती है ,जैसे कि दो लोग एक ही promotion के बारे में सोचते हैं , जबकि एक ही जगह खाली है ?

चूँकि आप अकेले ही ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी intentions हैं, ये महज एक internal conflict है – आपके भीतर का . आप खुद उस thought(intention) को जन्म दे रहे हैं कि दोनों व्यक्ति एक ही position चाहते हैं . लेकिन आप ये भी सोच रहे हैं (intending) कि एक ही व्यक्ति को यह position मिल सकती है. .यानि आप competition intend कर रहे हैं. यह पूरी situation आप ही की creation है. आप competition में believe करते हैं, इसलिए आपके जीवन में वही घटता है. शायद आपकी पहले se ही कुछ belief है (thoughts and intentions) कि किसको promotion मिलेगी , ऐसे में आपकी उम्मीद हकीकत बनेगी. पर शायद आप की ये belief हो कि life unfair है uncertain है , तो ऐसे में आपको कोई surprise मिल सकता है क्योंकि आप वही intend कर रहे हैं .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:15 PM
अपने यथार्थ में एक अकेला Intender होना आपके कंधे पर एक भारी जिम्मेदारी डालता है . आप ये सोच कर की दुनिया अनिश्चित है unfair है , आदि , अपनी reality का control छोड़ सकते हैं , पर आप अपनी जिम्मेदारी नहीं छोड़ सकते हैं . आप इस Universe के एक मात्र रचियता हैं . यदि आप युद्ध , गरीबी , बिमारी , इत्यादि के बारे में सोचेंगे तो आपको यही देखने को मिलेगा . यदि आप शांती , प्रेम , ख़ुशी के बारे में सोचेंगे तो आपको ये सब हकीकत में होते हुए दिखेगा . आप जब भी किसी चीज के बारे में सोचते हैं तो , तो दरअसल उस सोच को वास्तविकता में प्रकट होने का आह्वान करते हैं.

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:16 PM
क्या छोटे बच्चों , या जानवरों की भी intentions काम करती है ?

नहीं , यहाँ तक की आपके शरीर की भी कोई intention नहीं होती है —सिर्फ आपके consciousness की intentions होती हैं . आप अकेले हैं जिसकी intentions हैं , इसलिए वो होता है जो आप बच्चे या जानवरों के लिए सोचते हैं . हर एक सोच एक intention है , तो आप जैसे भी उनके बारे में सोचेंगे यथार्थ में उनके साथ वैसा ही होगा . ये धयन में रखिये की beliefs hierarchical (अधिक्रमिक) हैं , इसलिए यदि आपकी ये belief की वास्तविकता अनिश्चित है , uncontrollable है ज्यादा शशक्त है तो ये आपकी अन्य beliefs, जिसमे आपको कम यकीन है , को दबा देंगी . आपके सभी विचारों का संग्रह ये तय करता है की आपको हकीकत में क्या दिखाई देगा .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:16 PM
अगर किसी बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या इसका मतलब है कि उसने ऐसा इरादा किया था ?

नहीं . इसका मतलब है की आपने ऐसा intend किया था . आप child abuse के बारे में सोच कर उससे वास्तविकता में होने के लिए intend करते हैं .आप जितना ही child abuse के बारे में सोचेंगे ( या किसी और चीज के बारे में ) उतना ही हकीकत में आप उसका विस्तार देखेंगे . आप जिस बारे में भी सोचते हैं उसका विस्तार होता है , और वो बस आप तक ही सीमित नहीं होता बल्की पूरे ब्रह्माण्ड में ऐसा होता है .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:16 PM
अगर मैं अपनी relation अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरा / मेरी spouse इसपर ध्यान नहीं देती , तो क्या होगा ?

यह intending conflict का एक और उदाहरण है . आप एक intention अपने अवतार की कर रहे हैं और एक अपने spouse की , तो जो actual intention पैदा होती है वो conflict की होती है . इसलिए आप जो experience करते हैं , depending on your higher order beliefs, वो आपके spouse के साथ आपका conflict होता है . अगर आपकी thoughts conflicted हैं तो आपकी reality भी conflicted होगी .

इसीलिए अपने विचारों की जिम्मेदारी लेना इतना महत्त्वपूर्ण है . यदि आप दुनिया में शांती देखना चाहते हैं तो अपनी reality में हर एक चीज के लिए शांती intend कीजिये . यदि आप loving relationship enjoy करना चाहते हैं तो सभी के लिए loving relationships intend कीजिये . यदि आप ऐसा सिर्फ अपने लिए ही intend करते हैं और दूसरों के लिए नहीं तो इसका मतलब है की आप conflict, division, separation intend कर रहे हैं , और as a result आप यही experience करेंगे .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:17 PM
अगर आप किसी चीज के बारे में बिलकुल ही सोचना छोड़ देंगे तो क्या वो गायब हो जाएगी ?

हाँ , technically वो गायब हो जाएगी . लेकिन practically आप जिस चीज को create कर चुके हैं उसे uncreate करना लगभग असंभव है . आप उन्ही समस्यों पर focus कर के उन्हें बढाते जायेंगे . पर जब आप अभी जो कुछ भी वास्तविकता में अनुभव कर रहे हैं उसके लिए खुद को 100 % responsible मानेंगे तो आप में वो शक्ति आ जाएगी जिससे आप अपने विचारों को बदलकर अपनी वास्तविकता को बदल सकते हैं .

ये सारी वास्तविकता आप ही की बनाई हुई है . उसके बारे में अच्छा feel करिए . विश्व की richness के लिए grateful रहिये . और फिर अपने decisions और intentions से उस reality का निर्माण करना शुरू कीजिये जो आप सच -मुच चाहते हैं .उस बारे में सोचिये जिसकी आप इच्छा रखते हैं , और जो आप नहीं चाहते हैं उससे अपना ध्यान हटाइए . ये करने का सबसे आसान और natural तरीका है अपने emotions पर ध्यान देना . अपनी इच्छाओं के बारे में सोचना आपको खुश करता है और जो आप नहीं चाहते हैं उस बारे में सोचना आपको बुरा feel कराता है . जब आप notice करें की आप बुरा feel कर रहे हैं तो समझ जाइये की आप किसी ऐसी चीज के बारे में सोच रहे हैं जो आप नहीं चाहते हैं . वापस अपना focus उस तरफ ले जाइये जो आप चाहते हैं , आपकी emotional state बड़ी तेजी से improve होगी . जब आप बार बार ऐसा करने लगेंगे तब आपको अपनी physical reality में भी बदलाव आना नज़र आएगा , पहले धीरे -धीरे और बाद में बड़ी तेजी से .

jai_bhardwaj
13-04-2013, 09:18 PM
मैं भी आपकी consciousness का ही परिणाम हूँ . मैं वैसे ही करता हूँ जैसा की आप मुझसे expect करते हैं . यदि आप मुझे एक helpful guide के रूप में expect करते हैं , तो मैं वैसा ही बन जाऊंगा . यदि आप मुझे गहन और व्यवहारिक होना expect करते हैं तो मैं वैसा बन जाऊंगा . यदि आप मुझे confused और बहका हुआ expect करते हैं तो मैं वैसा बन जाऊंगा . पर मैं ऐसा कोई “मैं ” नहीं हूँ जो आपसे अलग है . मैं बस आपकी creations में से एक हूँ . मैं वो हूँ जो आप मेरे लिए intend करते हैं . और कहीं ना कहीं आप पहले से ये जानते हैं , क्यों है ना ?