rajnish manga
27-03-2013, 10:00 PM
सच्ची मुहब्बत
(लेखक: स्व. डॉ. ज़ाकिर हुसैन, भूतपूर्व राष्ट्रपति)
[ डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 जनवरी 1897 को हैदराबाद में हुआ था.उनकी शिक्षा इटावा तथा अलीगढ़ में हुयी. राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की नौकरी छोड़ कर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अध्यापन शुरू किया. 1923 में वे जर्मनी चले गए. वहाँ से वे पी.एच.डी. करने के बाद वापिस आये और पुनः 1926 में जामिया मिलिया से सम्बद्ध हो गए जहाँ 1948 तक इस संस्थान के वाईस चांसलर रहे. इसके बाद दो वर्ष तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर रहे. तत्पश्चात, 1952 से 1957 तक राज्य सभा के सदस्य रहे, 1957 से 1962 तक बिहार के राज्यपाल रहे. 1962 से 1967 तक भारत के उप-राष्ट्रपति रहे. 1963 में उन्हें राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं के लिए ‘भारत रत्न’ प्रदान कर सम्मानित किया गया. 1967 में वह भारत के सर्वोच्च पद के लिए चुने गए. 19/05/1967 से मृत्यु पर्यंत यानि 03/05/1969 तक वे राष्ट्रपति पद को सुशोभित करते रहे. डॉ. जाकिर हुसैन ने अर्थशास्त्र सम्बन्धी विषयों पर कई पुस्तकों की रचना की, इसके अतिरिक्त कई पुस्तकों का अनुवाद किया जैसे प्लेटो की ‘रिपब्लिक’ का उर्दू अनुवाद. कुछ उच्च स्तरीय रचनाओं के द्वारा उन्होंने उर्दू साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जैसे – ‘हाली - मुहिब्ब-ए-वतन’ और ‘तालीमी खुतबत’ आदि. यह कहानी डॉ. ज़ाकिर हुसैन द्वारा लिखित उर्दू कहानियों की पुस्तक “अब्बू खान कि बकरी” से लिया गया है]
(लेखक: स्व. डॉ. ज़ाकिर हुसैन, भूतपूर्व राष्ट्रपति)
[ डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 जनवरी 1897 को हैदराबाद में हुआ था.उनकी शिक्षा इटावा तथा अलीगढ़ में हुयी. राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के प्रभाव में आने के बाद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की नौकरी छोड़ कर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अध्यापन शुरू किया. 1923 में वे जर्मनी चले गए. वहाँ से वे पी.एच.डी. करने के बाद वापिस आये और पुनः 1926 में जामिया मिलिया से सम्बद्ध हो गए जहाँ 1948 तक इस संस्थान के वाईस चांसलर रहे. इसके बाद दो वर्ष तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर रहे. तत्पश्चात, 1952 से 1957 तक राज्य सभा के सदस्य रहे, 1957 से 1962 तक बिहार के राज्यपाल रहे. 1962 से 1967 तक भारत के उप-राष्ट्रपति रहे. 1963 में उन्हें राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं के लिए ‘भारत रत्न’ प्रदान कर सम्मानित किया गया. 1967 में वह भारत के सर्वोच्च पद के लिए चुने गए. 19/05/1967 से मृत्यु पर्यंत यानि 03/05/1969 तक वे राष्ट्रपति पद को सुशोभित करते रहे. डॉ. जाकिर हुसैन ने अर्थशास्त्र सम्बन्धी विषयों पर कई पुस्तकों की रचना की, इसके अतिरिक्त कई पुस्तकों का अनुवाद किया जैसे प्लेटो की ‘रिपब्लिक’ का उर्दू अनुवाद. कुछ उच्च स्तरीय रचनाओं के द्वारा उन्होंने उर्दू साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जैसे – ‘हाली - मुहिब्ब-ए-वतन’ और ‘तालीमी खुतबत’ आदि. यह कहानी डॉ. ज़ाकिर हुसैन द्वारा लिखित उर्दू कहानियों की पुस्तक “अब्बू खान कि बकरी” से लिया गया है]