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View Full Version : संजय दत्त और सजा


jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:15 PM
बन्धुओं, हम सभी जानते हैं कि संजय दत्त को एक पुराने किन्तु गंभीर अपराध में सजा सुनायी गयी है और आगामी कुछ दिनों के अन्दर वे जेल में होंगे। प्रस्तुत है इसी प्रकरण में कुछ लेख एवं समाचार ..........

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:17 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26270&stc=1&d=1364822228


एक बार फिर सलाखों के पीछे जाने को मजबूर संजय दत्त को हथियारों का शौक ले डूबा। उनकी मानें तो उन्होंने अपने घर हथियार इसलिए रखे थे, क्योंकि 1992 में अयोध्या ढांचे के ध्वंस के बाद उनके पिता सुनील दत्त को धमकियां मिल रही थीं। ये धमकियां इसलिए मिल रही थीं, क्योंकि वह मुंबई में भड़के दंगों के पीड़ितों की मदद कर रहे थे। एक बार भीड़ ने उनकी कार पर हमला भी किया। कहते हैं कि संजय दत्त और सुनील दत्त ने पुलिस सुरक्षा की मांग की, लेकिन उन्हें सुरक्षा देने से इन्कार कर दिया गया। बकौल संजय दत्त उन्होंने जब अपनी परेशानी सनम फिल्म के निर्माता हनीफ और समीर हिंगोरा से बयान की तो उन्होंने उन्हें हथियार देने की बात कही। जनवरी 1993 में संजय दत्त को एक एके-56 राइफल और एक पिस्टल दे दी गई। 12 मार्च 1993 को मुंबई में भीषण बम धमाके किए गए। इन सिलसिलेवार धमाकों में 257 लोगों की जान गई और सात सौ से ज्यादा घायल हो गए। इन धमाकों के अपराधियों की तलाश के सिलसिले में पुलिस हनीफ और समीर तक पहुंची। जब संजय दत्त मारीशस में फिल्म आतिश की शूटिंग कर रहे थे तो उन्हें पता चला कि पुलिस ने हनीफ और समीर से पूछताछ की है। घबराए संजय दत्त ने अपने दोस्त यूसुफ नलवाला को फोन कर कहा कि वह उनके घर जाकर राइफल और पिस्टल ले आए और उन्हें नष्ट कर दे। दोस्त ने ऐसा ही किया, लेकिन तब तक संजय का नाम पुलिस की निगाह में आ चुका था। वह जैसे ही लौटे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय प्रभावी टाडा एक्ट के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई। उन्हें 5 मई, 1993 को जमानत मिली, लेकिन सुनील दत्त राजनीतिक रूप से कमजोर पड़ गए। जल्द ही उनकी जमानत खारिज कर दी गई और उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। जमानत पाने की आस में उन्होंने वकील के कहने पर नवंबर 1994 में अपना वह कबूलनामा वापस ले लिया जिसमें उन्होंने हथियार रखने की बात कही थी, लेकिन 14 महीने जेल में गुजारने के बाद भी उन्हें जमानत नहीं मिली। असहाय सुनील दत्त बाल ठाकरे की शरण में गए। उस समय शिवसेना सत्ता में थी। 16 महीने जेल में गुजारने के बाद उन्हें 17 अक्टूबर 1995 को जमानत मिली।

28 नवंबर, 2006 को उन्हें टाडा के आरोपों से तो बरी कर दिया गया, लेकिन आ*र्म्स एक्ट का दोषी पाया और 31 जुलाई 2007 को छह साल की सजा सुनाई गई। उन्हें कुछ समय के लिए फिर जेल जाना पड़ा, क्योंकि अच्छे चाल-चलन के आधार पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई।

संजय दत्त: एक नजर में

-संजय दत्त (53) का जन्म 29 जुलाई, 1959 को हुआ।

-बालीवुड के सफल स्टार सुनील दत्त और नरगिस के पुत्र। दो बहनें प्रिया और नम्रता दत्त हैं।

-इनकी शिक्षा चंडीगढ़ के निकट सनावर के लारेंस स्कूल में हुई।

-1987 में अभिनेत्री ऋचा शर्मा के साथ परिणय सूत्र में बंधे, पुत्री त्रिशाला का जन्म हुआ।

-ऋचा की मस्तिष्क ट्यूमर से मृत्यु हो जाने के बाद संजय दत्त ने दूसरी शादी मॉडल रिया पिल्लई से की, आपसी मतभेदों के चलते दोनों ने 2005 में तलाक ले लिया।

-2008 में निजी समारोह में तीसरी बार अभिनेत्री मान्यता के साथ परिणय सूत्र में बंधे।

फिल्मी करियर:

-1972 में बतौर बाल कलाकार फिल्म रेशमा और शेरा से अभिनय की शुरुआत की।

-1981 में फिल्म रॉकी से मुख्य अभिनेता के रूप में शुरुआत की, जिसने रातों-रात स्टार बनाने में अहम भूमिका निभाई।

-1990 के दौरान रिलीज हुई सड़क, साजन और खलनायक में बेहतरीन अभिनय के चलते कई अवार्ड मिले।

-1999 में रिलीज हुई फिल्म 'वास्तव' में गैंगस्टर की दमदार भूमिका के लिए पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

-2003 में रिलीज हुई 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' फिल्म ने संजय दत्त की फिल्म करियर में सफलता के नए कीर्तमान हासिल करने के साथ एक सकारात्मक छवि कायम करने में भी सहायक हुई।

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26271&stc=1&d=1364822228

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:19 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26272&stc=1&d=1364822344


संजय दत्त को बॉलीवुड के साथ साथ राजनीतिक क्षेत्र से भी पूरा समर्थन मिल रहा है। संजय दत्त के समर्थन में आगे आने वालों में भाजपा को छोड़ लगभग सभी महत्वपूर्ण पार्टियां शामिल हैं। अब इसमें एक और बड़ा नाम जुड़ गया है, यह नाम है तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का। उधर, शिवसेना ने संजय दत्त की माफी का खुलकर विरोध किया है। ंिशवसेना का मानना है कि इससे गलत संदेश जाएगा।

ममता बनर्जी ने सुनील दत्त को याद करते हुए कहा कि, जब भी वह कोलकाता आते मुझसे मिलने मेरे घर आते थे। ममता ने कहा कि अगर आज सुनील दत्त जिंदा होते तो इसमें कोई शक नहीं है कि ऐसी कोशिशें करते कि उनके बेटे संजय दत्त को अब आगे कुछ और न भुगतना पड़े। ममता ने कहा कि मेरी भी सोच कुछ ऐसी ही है। हम सभी को संजय के शांतिपूर्ण जीवन के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

ममता ने कहा कि मैं सुनील दत्त को अपने संसद में होने के समय से जानती थी। उस दौरान हमने साथ मिलकर टाडा कानून की मुखालफत करते हुए इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अंततोगत्वा सरकार को इस कानून को वापस लेना ही पड़ा।

ममता ने कहा कि फिल्मी दुनिया और सिविल सोसायटी के काफी लोगों ने उनसे मिल कर कहा कि आप देखिए, संजय दत्त को इस मामले में और न कुछ भुगतना पड़े। हालांकि यह हमारे हाथ की बात नहीं थी, लेकिन मेरा मानना है कि संजय ने जो बलंडर किया उसके लिए वह पर्याप्त सजा भुगत चुके हैं।

उधर, महाराष्ट्र विधान परिषद में शिवसेना की नीलम गोरे ने कहा कि संजय की सजा माफ करने से गलत संदेश जाएगा, वह अपनी सजा पूरी करें। कई राजनीतिक पार्टियों ने संजय दत्त की सजा माफ करने की वकालत की है, लेकिन शिवसेना का रुख यहां काफी मायने रखता है।

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:21 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26273&stc=1&d=1364822453
महाराष्ट्र के राज्यपाल, अभिनेता संजय दत्त को शस्त्र अधिनियम में सुनाई गई पांच साल के कठोर कारावास की सजा से नहीं बचा सकते। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसआर सिंह के अनुसार राज्यपाल के पास संजय दत्त को माफी देने का संवैधानिक और कानूनी अधिकार नहीं है। दत्त को शस्त्र अधिनियम [आ*र्म्स एक्ट] के तहत सजा सुनाई गई है। ये केंद्रीय कानून है, इसलिए सिर्फ राष्ट्रपति ही दत्त को माफी दे सकते हैं।

दत्त को माफी की अपील करने वाले राजनेताओं और जान-माने कानूनविदों ने शायद राज्यपाल को मिले माफी देने के संवैधानिक अधिकार की कानूनी बारीकियों पर विचार नहीं किया है, जो दत्त को माफी देने में राज्यपाल के हांथ बांध देती हैं। राज्यपाल के पास किसी को भी माफ करने का असीमित अधिकार नहीं है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसआर सिंह कहते हैं कि राज्यपाल सिर्फ उन्हीं मामलों में माफी दे सकते हैं जिनमें राज्य सरकार के बनाए कानून का उल्लंघन किया गया हो या फिर जिन विषयों में राज्य और केंद्र दोनों को कानून बनाने का अधिकार हो। शस्त्र अधिनियम केंद्रीय कानून है। संविधान की अनुसूची 7 के पांचवें नंबर पर दर्ज है कि आयुध यानी शस्त्र या आग्नेयास्त्र, गोला-बारूद व विस्फोटक के बारे में कोई भी कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है। ये चीजें संघ सूची [केंद्रीय सूची] का विषय हैं। इसलिए इन कानूनों के उल्लंघन में दोषी व्यक्ति को सिर्फ राष्ट्रपति ही माफी दे सकते हैं राज्यपाल नहीं।

न्यायमूर्ति सिंह के मुताबिक राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 में माफी देने का अधिकार है। लेकिन वे उन्हीं विषयों में सजा माफ कर सकते हैं जिनमें राज्य को कानून बनाने का अधिकार है। अनुच्छेद 162 राज्य की कार्यपालिका शक्ति [एक्जीक्यूटिव पावर] के विस्तार का विवरण देता है। अनुच्छेद 154 कहता है कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी। राज्यपाल की शक्ति को समझने के लिए सभी को साथ रख कर देखा जाएगा।

अब अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को मिले क्षमादान के अधिकार पर निगाह डालें तो वहां भी ऐसी ही भाषा इस्तेमाल की गई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति किसी भी अपराध में दोष सिद्ध ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सजा को माफ कर सकते हैं, निलंबित या कम कर सकते हैं, जिसे सैन्य अदालत ने सजा सुनाई हो। या उन विषयों के कानूनों के उल्लंघन पर सजा सुनाई गई हो, जिन पर संघ की कार्यपालिका को कानून बनाने की शक्ति हो। अथवा जहां मौत की सजा दी गई हो। बात चाहे संजय दत्त की हो या मुंबई सीरियल धमाकों की दूसरी अभियुक्त जैबुन्निसा को माफी देने की, दोनों में समान कानून लागू होगा।

सजा माफी के लिए दत्त को खुद करनी होगी अपील

दत्त की माफी के लिए तीसरे पक्ष द्वारा अपील करने को भी कानूनविद् सही नहीं मानते। पूर्व सत्र न्यायाधीश डीके शर्मा कहते हैं कि सजा माफी के लिए दत्त को स्वयं अपील करनी होगी उनकी ओर से कोई और ऐसा नहीं कर सकता। सीआरपीसी की धारा 432 (5) सिर्फ जेल में बंद अपराधी की ओर से माफी अर्जी दिए जाने की बात करती है। अनुच्छेद 161 या 72 में यह स्पष्ट नहीं है कि तीसरा पक्ष क्षमा दान की अपील कर सकता है या नहीं। ऐसी स्थिति में सीआरपीसी की धारा 374 को देखा जाएगा जो कहती है कि अदालत से दोषी ठहराया गया व्यक्ति ही सजा के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील कर सकता है। जब तीसरा पक्ष अपील ही दाखिल नहीं कर सकता तो क्षमादान कैसे मांग सकता है।

माफी पर क्या कहता है संविधान

राष्ट्रपति का क्षमादान का अधिकार

अनुच्छेद 72 - (1) राष्ट्रपति को, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति की सजा माफ करने, उसे निलंबित या कम करने की शक्ति होगी।

(क) उन सभी मामलों में, जिनमें दंडादेश सैन्य अदालत ने दिया हो

(ख) उन सभी मामलों में, जिनमें सजा या दंडादेश ऐसे विषय संबंधी किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए दिया गया है जिस विषय तक संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है। यानी जिस विषय पर संसद को कानून बनाने का अधिकार हो।

(ग) उन सभी मामलों में, जिनमें सजा मृत्यु की है।

(2) खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात संघ के सशस्त्र बलों के किसी अफसर की सेना न्यायालय द्वारा पारित सजा को निलंबित करने, कम करने या खत्म करने की कानून द्वारा प्रदत्त शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।

(3) खंड (1) के उपखंड (ग) की कोई बात उस समय लागू किसी कानून के अधीन किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा मृत्यु की सजा निलंबित करने, कम करने या क्षमा देने की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।

राज्यपाल का क्षमादान का अधिकार

अनुच्छेद 161 - किसी राज्य के राज्यपाल को उस विषय संबंधी, जिस विषय पर उस राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, किसी विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए सिद्ध दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति की सजा को क्षमा करने, निलंबित करने, कम करने, रोकने या खत्म करने की शक्ति होगी।
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26274&stc=1&d=1364822453

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:23 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26275&stc=1&d=1364822577

अभिनेता संजय दत्त के यह कहने के बाद कि वह माफी के लिए अपील नहीं करेंगे और जल्द ही सरेंडर करेंगे, कांग्रेस ने कानूनी मामला बताते हुए इस मुद्दे से पल्ला झाड़ लिया है। जबकि भाजपा ने संजू को कोर्ट के आदेश का पालन करने की सलाह दी है। संजय दत्त को अवैध हथियार रखने के जुर्म में सुप्रीम कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है।

कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने गुरुवार को कहा, 'हम किसी भी कानूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। अदालत ने जो भी निर्णय दिया है हम उसका सम्मान करते हैं।'

भाजपा सांसद बलबीर पुंज ने कहा कि संजय दत्त के मामले में कानून को अपना काम करने देना चाहिए। उन्होंने कहा, 'वास्तव में, अदालत ने दत्त के प्रति नरम रवैया अपनाया है। जितनी भी सजा उन्हें दी गई है, वह उस जुर्म में न्यूनतम है। उन्हें अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए।'

जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा, 'उन्हें [संजय] सजा कुबूल करनी चाहिए। सिर्फ साढ़े तीन साल की बात है। वह जेल में बहुत से अच्छे काम कर सकते हैं।.. माफी असंभव है।'


http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26276&stc=1&d=1364822577

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:26 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26278&stc=1&d=1364822756

सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि अवैध हथियार रखने के दोषी फिल्म अभिनेता संजय दत्त की छह साल के कारावास की सजा बरकरार रखी जाए। जबकि संजय दत्त ने कहा है कि उन्हें गलत सजा सुनाई गई है लिहाजा उन्हें बरी किया जाए। सीबीआइ और दत्त की ओर से ये दलीलें सुप्रीम कोर्ट में संजय की अपीली याचिका पर सुनवाई दौरान दी गई।

संजय दत्त 1993 में मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में दोषी हैं और मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने उन्हें अवैध हथियार रखने के जुर्म छह साल के कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। दत्त ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने दत्त की अपील पर दोनों पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सीबीआइ ने दत्त की अपील का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि उनके खिलाफ पुख्ता सुबूत हैं और अभियोजन पक्ष ने सफलतापूर्वक अदालत में उन्हें साबित किया है। ऐसे में टाडा अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई सजा बरकरार रखी जाए। जबकि दत्त की ओर से सजा का विरोध करते हुए कहा गया था कि टाडा अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई सजा गलत है। जब टाडा अदालत ने उन्हें टाडा आरोपों से बरी कर दिया और सिर्फ अवैध हथियार रखने का दोषी माना है तो वह अदालत उनके खिलाफ न तो मुकदमे की सुनवाई करने के लिए सक्षम थी और न ही उन्हें सजा सुना सकती थी। जैसे ही टाडा कोर्ट को पता चला कि उनके खिलाफ टाडा में आरोप नहीं बनते उसे उनका मामला 1993 के बम आरोपियों के मामले से अलग कर देना चाहिए था। उनका ट्रायल सिर्फ आ*र्म्स एक्ट के तहत दूसरी अदालत में होना चाहिंए था। यह भी दलील दी गई कि दत्त को टाडा अदालत ने अपराध स्वीकृति के बयानों के आधार पर सजा सुनाई है जबकि आर्म एक्ट में अपराध स्वीकृति का बयान स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसलिए उन्हें दी गई सजा गलत है।

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:27 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26277&stc=1&d=1364822756


मुंबई बम ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च 2013 को संजय दत्त को पांच साल की सजा सुनाई है। संजय दत्त की बेटी त्रिशाला ने शुक्रवार को बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें अपने पिता की सजा के बारे में देर रात तीन बजे पता चला था। त्रिशाला के मुताबिक उनकी दोस्त ने उन्हें संजय दत्त की सजा के बारे में बताया था।

त्रिशाला ने कहा, मेरी दोस्त ने मुझे देर रात तीन बजे कॉल करके 93 बम ब्लास्ट के फैसले के बारे में बताया था। मैंने सुनते ही टीवी खोली और मान्यता को मेसेज करके पूछा था कि क्या ये सच है। उन्होंने बताया ऐसा हो रहा है, जिसे सुनकर मैं सकते में आ गई। त्रिशाला ने कहा कि मैं इस फैसले के लिए तैयार नहीं थी मुझे लगा था कि इस मामले में अदालत की सुनवाई में से एक सुनवाई है। मुझे जरा भी इल्म नहीं था कि यह अंतिम फैसला था, इसलिए मैं टूट सी गई थी। त्रिशाला के मुताबिक, फैसले के अगले दिन मैंने अपने पिता से बात की, मैं खुद को सांत्वना नहीं दे पा रही थी कि मेरे पिता ने मुझे स्ट्रॉन्ग बनने के लिए क्यों कहा करते थे।

जुबैनिसा काजी के बारे में त्रिशला ने कहा, मैं माफी की अपील के बारे में चल रहे विवाद पर कुछ नहीं बोलना चाहती। एक बेटी होने के नाते जुबैनिसा काजी की बेटी का उनके लिए माफी की अपील करना जायज है। मैं अपने पिता के लिए सर्वश्रेष्ठ चाहती हूं। मैं अपने पिता को अपनी जिंदगी में खुश देखना चाहती हूं।

त्रिशाला ने कहा, मैं अपने पिता का आदर करती हूं और उनके साथ खड़ी हूं और हर बेटियों की तरह ही मैं भी अपने पिता की माफी चाहती हूं, लेकिन मुझे मालूम है कि मेरे पिता कानून की आदर करते हैं और मैं उनके हर फैसले में उनके साथ हूं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहती मेरे भाई-बहन [मान्यता के बच्चे] मेरे जैसा बचपन देखें। मैं चाहती हूं उनके बचपन में पिता उनके साथ हों।

स्वर्गीय सुनील दत्त को याद करते हुए त्रिशाला ने कहा, इस समय हम दादाजी [सुनील दत्त] को बहुत मिस कर रहे हैं। दादा जी हमारे परिवार का एक मजबूत स्तंभ थे।

jai_bhardwaj
01-04-2013, 06:30 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=26279&stc=1&d=1364822947


नई दिल्ली : अवैध हथियार रखने के जुर्म में सुप्रीम कोर्ट से पांच साल की सजा पाने वाले बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त अपनी बेटी त्रिशाला से मिलने अब कभी अमेरिका नहीं जा पाएंगे।

भले ही उनकी सजा माफ कर दी जाए या उन्हें जेल न जाना पड़े इसके बावजूद अमेरिका सहित 90 प्रतिशत देशों में उनके प्रवेश पर रोक लग जाएगी। अमेरिकी नियमों के तहत किसी भी अपराधी को वीजा नहीं दिया जाता है। त्रिशाला संजय की पहली पत्नी ऋचा शर्मा की बेटी है। ऋचा की मौत के बाद से वह अमेरिका में अपने नाना नानी के साथ रह रही हैं।

अभिनेता के एक करीबी मित्र ने बताया, 'संजय के पासपोर्ट पर पिछले पांच साल से रोक लगी हुई है। विदेश में फिल्म की शूटिंग के लिए जाने से पहले उन्हें अदालत से अनुमति लेनी पड़ती थी। हालांकि उन्हें हमेशा यही उम्मीद रहती थी कि वह जल्द ही अमेरिकी वीजा हासिल कर लेंगे और अपनी बेटी से मिलने वहां जा सकेंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संजय के लिए अमेरिकी वीजा हासिल करना व्यवहारिक रूप से असंभव हो गया है। सजा माफ किए जाने के बाद भी अमेरिका उन्हें वीजा नहीं देगा। इसके अलावा दुनियाभर के करीब 90 प्रतिशत देशों में उनके प्रवेश पर रोक लग जाएगी।'

संजय के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बड़ा झटका साबित हुआ है। उनकी कई फिल्में मझधार में फंसी हुई है। इतना ही नहीं उनके प्रोडक्शन हाउस की दूसरी फिल्म 'हसमुख पिघल गया' की शूटिंग अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरू होनी है। अब अगर संजू बाबा जेल चले जाते हैं, तो पीछे से निर्माण का सारा काम उनकी पत्नी मान्यता को ही देखना पड़ेगा।

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